यहूदी धर्म मे मूर्तिपूजा ?
By . Idris Rizvi ✍️✍️
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيْم
اَلْحَمْدُ لِلّهِ رَبِّ الْعَالَمِيْن،وَالصَّلاۃ وَالسَّلامُ عَلَی النَّبِیِّ الْکَرِيم وَعَلیٰ آله وَاَصْحَابه اَجْمَعِيْن۔ اما بعد
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيْم
إِنَّ ٱللَّهَ وَمَلَٰٓئِكَتَهُۥ يُصَلُّونَ عَلَى ٱلنَّبِىِّ أَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ صَلُّوا۟ عَلَيْهِ وَسَلِّمُوا۟ تَسْلِيمًا 33:56
اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ
كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ
.إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
اللَّهُمَّ بَارِكْ عَلَى مُحَمَّدٍ، وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ
كَمَا بَارَكْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ
.إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
Stand with israel
Surat No 3 Ayat No 120
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيْم
اِنۡ تَمۡسَسۡکُمۡ حَسَنَۃٌ تَسُؤۡہُمۡ ۫ وَ اِنۡ تُصِبۡکُمۡ سَیِّئَۃٌ یَّفۡرَحُوۡا بِہَا ؕ وَ اِنۡ تَصۡبِرُوۡا وَ تَتَّقُوۡا لَا یَضُرُّکُمۡ کَیۡدُہُمۡ شَیۡئًا ؕ اِنَّ اللّٰہَ بِمَا یَعۡمَلُوۡنَ مُحِیۡطٌ
तुम्हारा भला होता है तो इनको बुरा मालूम होता है, और तुमपर कोई मुसीबत आती है तो ये ख़ुश होते हैं। मगर इनकी कोई चाल तुम्हारे ख़िलाफ़ कामयाब नहीं हो सकती, शर्त ये है कि तुम सब्र से काम लो और अल्लाह से डरकर काम करते रहो। जो कुछ ये कर रहे हैं, अल्लाह उस पर हावी है।
* आज - कल जालिमो के साथ खड़े होकर मजलूमों पर हंसा जा रहा है इसकी एक सबसे बड़ी वजह ये है कि इस्लाम और मुसलमानों से हसद तमाम दुनिया के काफिर इस्लाम के मानने वालों पर जो जुल्म ढाह रहे है ,ये बाते किसी से ढँकी - छुपी नही है ।
Stand with palestine
* यहूदी आज की तारीख में बेबस , मजलूम फिलिस्तीनीयो पर जुल्म की इन्तिहा कर रखी है और हिन्द के बुतपरस्त ( मूर्तिपूजक ) इस काम में बढचढकर यहूदी लानतीयो के साथ खड़े नजर आ रहे है इसकी वजह मुसलमानों से शदीद नफ़रत और इस्लाम जैसे पाक दिन से दुश्मनी और कुछ नही ।
Islam aur Hinduism
* हिन्द के मूर्तिपूजक ( मुशरिकों ) की इस्लाम से चिढ़ की बुनियादी वजह मूर्ति पुजा का विरोध है ।
* पर ये मुशरिक ( मूर्तिपूजक )ये नही जानते कि यहूदी भी मूर्तिपूजा के विरोधी है और ये मूर्ख लोगो की कम इल्मी और जहालत को बखूबी बताती है , की खुद अपनी आस्था पर एक जोरदार हथौड़ा चला बैठे अफसोस के है , इनकी जहालत और मानसिकता पर ।
* इसमें कोई हैरत की बात नही की दुनिया के तमाम काफिर ( अल्लाह और उसके रसूल के इनकारी ) वो मूर्तिपूजक हो यहूदी ( लानती ) , नसारा = ईसाई( मुशरिक ) मुल्हिदीन ( नास्तिक ) हो चाहे कोई भी मुनकिर ए इस्लाम हक दिन के सारे दुश्मन है । पर अफसोस ना ही ये इस्लाम का और ना ही मुसलमानों का कुछ बिगाड़ सकते है । बेशक इस्लाम पूरी दुनिया पर ग़ालिब आएगा । ( In Sha Allah )
Surat No 9 : سورة التوبة - Ayat No 33
ہُوَ الَّذِیۡۤ اَرۡسَلَ رَسُوۡلَہٗ بِالۡہُدٰی وَ دِیۡنِ الۡحَقِّ لِیُظۡہِرَہٗ عَلَی الدِّیۡنِ کُلِّہٖ ۙ وَ لَوۡ کَرِہَ الۡمُشۡرِکُوۡنَ﴾ ؒ
वह अल्लाह ही है जिसने अपने रसूल को हिदायत और सच्चे दीन के साथ भेजा है, ताकि उसे दीन की पूरी की पूरी जिंस पर ग़ालिब कर दे ,चाहे मुशरिकों को यह कितना ही नागवार हो |
Surat No 3 : سورة آل عمران - Ayat No 19
اِنَّ الدِّیۡنَ عِنۡدَ اللّٰہِ الۡاِسۡلَامُ ۟ وَ مَا اخۡتَلَفَ الَّذِیۡنَ اُوۡتُوا الۡکِتٰبَ اِلَّا مِنۡۢ بَعۡدِ مَا جَآءَہُمُ الۡعِلۡمُ بَغۡیًۢا بَیۡنَہُمۡ ؕ وَ مَنۡ یَّکۡفُرۡ بِاٰیٰتِ اللّٰہِ فَاِنَّ اللّٰہَ سَرِیۡعُ الۡحِسَابِ ﴿۱۹﴾
अल्लाह के नज़दीक दीन सिर्फ़ इस्लाम है। इस दीन से हटकर जो बहुत से तरीक़े उन लोगों ने अपनाए, जिन्हें किताब दी गई थी, उनके इस रवैये की कोई वजह इसके सिवा न थी कि उन्होंने इल्म आ जाने के बाद आपस में एक-दूसरे पर ज़ुल्म करने के लिये ऐसा किया और जो कोई अल्लाह के हुक्मों और हिदायतों को मानने से इनकार कर दे, अल्लाह को उससे हिसाब लेते कुछ देर नहीं लगती।
* ये जाहिल लोग वो कॉम से टक्करा रहे है जो मौत को शहादत समझत है , अल्लाह की राह में मौत आए तो शहीद और लड़े तो मुजाहिद हर एक ईमानवाला अल्लाह की राह में शहादत को निजात का जरिया समझता है । बरहाल जाहिलो को बताकर कोई फायदा नहीं ?हम अपने असल मुद्दे पर आते है !
* एक अल्लाह की इबादत अदन ( सनातन , नित्य , हमेशा ) से इब्ने आदम करते आ रहे है , क्योंकि वह एकता इबादत ,उपासना , पूजा ,आदर योग्य है जिसकी इबादत करना हर इंसान , जिन्नात , हर मखलूक पर फर्ज है।
* परंतु इब्ने आदम ने सच्चाई का रास्ता छोड़कर जुल्म( शर्क , साझेदारी , मुनकिर ) को इख्तियार कर ली माजल्लाह और पहले अक़ीदे शिर्क किया और उसके नतीजे में मूर्ति जैसी बे-जान चीजो को पालनहार के बजाय पत्थर , लकड़ी और प्राकृतिक चीजो को अपना इलाह ( ईश्वर , एलोहीम ) बना बैठा ।
नौजुबिल्लाह मीन जालिक
* पालनहार के बनाए हुए बन्दों ने बहुत बड़ा जुल्म
( शिर्क , इन्कार ) किया तो रब ने समय - समय पर अपने मुख्लिस = खास बन्दों ( नबी , रसूल ) के जरिए सीधी राह दिख लाई जिसमे लोगो ने खुद से एखतलाफ़ ,मतभेद पैदा कर लिया उसका निवारण हो सके ।
* पालनहार ने कई रसूल , नबी और किताबे , सहिफे नाजिल फरमाए इनकी असल तादाद वही बहेत्तर जानता है और कोई नही ।
Asmani kitabe
Surat No 4 : سورة النساء - Ayat No 163
اِنَّاۤ اَوۡحَیۡنَاۤ اِلَیۡکَ کَمَاۤ اَوۡحَیۡنَاۤ اِلٰی نُوۡحٍ وَّ النَّبِیّٖنَ مِنۡۢ بَعۡدِہٖ ۚ وَ اَوۡحَیۡنَاۤ اِلٰۤی اِبۡرٰہِیۡمَ وَ اِسۡمٰعِیۡلَ وَ اِسۡحٰقَ وَ یَعۡقُوۡبَ وَ الۡاَسۡبَاطِ وَ عِیۡسٰی وَ اَیُّوۡبَ وَ یُوۡنُسَ وَ ہٰرُوۡنَ وَ سُلَیۡمٰنَ ۚ وَ اٰتَیۡنَا دَاوٗدَ زَبُوۡرًا ﴿۱۶۳﴾ۚ
ऐ नबी! हमने तुम्हारी तरफ़ उसी तरह वह्य भेजी है जिस तरह नूह और उसके बाद के पैग़म्बरों की तरफ़ भेजी थी। हमने इबराहीम, इसमाईल, इसहाक़, याक़ूब और औलादे-याक़ूब, ईसा, अय्यूब, यूनुस, हारून और सुलैमान की तरफ़ वह्य भेजी। हमने दाऊद को ज़बूर दी।
* जिसमे से कुछ मशहूर किताब और रसूलो के नाम ।
1 . तौरात ( तौरेत , तौराह ) = जो मूसा
(PBUH ) पर नाजिल हुई ।
2 . ज़बूर ( ज़ुबुर ) = जो दाऊद PBUH
पर नाजिल हुई ।
3 . इन्जील ( सुसमाचार ) = ईसा PBUH पर ।
4 . क़ुरआन = जो मेरे और आप के आका व मौला मोहम्मद ﷺ क्लब ए अतहर पर नाजिल हुआ ।
* इसके अलावा भी कई है पर मशहूर ये 4 है ।
Surat No 4 : سورة النساء - Ayat No 164
وَ رُسُلًا قَدۡ قَصَصۡنٰہُمۡ عَلَیۡکَ مِنۡ قَبۡلُ وَ رُسُلًا لَّمۡ نَقۡصُصۡہُمۡ عَلَیۡکَ ؕ وَ کَلَّمَ اللّٰہُ مُوۡسٰی تَکۡلِیۡمًا ﴿۱۶۴﴾ۚ
हमने उन रसूलों पर भी वह्य भेजी जिनकी चर्चा हम इससे पहले तुमसे कर चुके हैं और उन रसूलों पर भी जिनकी चर्चा तुमसे नहीं की। हमने मूसा से इस तरह बातचीत की जिस तरह बातचीत की जाती है।
Bani israel
* यहूदि इन किताबो पर ईमान रखते है यानी old testament , पुराना नियम , पुराना अहदनामा , अहदनामा कदीम के नाम से मशहूर है ।
* जिसमे से शुरुआत के 5 किताबे मूसा को अता की गई ऐसा यहूदियों का दावा है जो ये है ।
1 . Genesis ( पैदाइश , उत्तपत्ति )
2 . Exodus ( निर्गमन , खुरुज )
3 . Leviticus ( लेव्यवस्था , अहबार )
4 . Numbers ( गिनती )
5 . Deuteronomy
( व्यवस्था विवरण , इस्तीसना )
Note :- अब ये सवाल उठता है ? की 5 किताब तौरात है जो अभी मौजूद है ? इसका जवाब नही इसमें कई बाते मिलावट है और कई बाते निकाल दी गई है ।
पर आज भी इसमें कुछ बाते ज्यो की त्यों मौजूद हैं , सच जाने उसको पढ़ने के बाद महसूस होता कि ये पाक पालनहार की नाजिल करता आयतों में से है । कोई मुसलमान पूरी किताब को भ्र्ष्ट नही मानते जो क़ुरआन के अनुसार बाते उस पर हमारा ईमान है और जो बात क़ुरआन के खिलाफ है उसको सिरे से रद करते है ।
यहूदियों पर लानत क्यों की गई ?
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* यहूदी एक लानती कॉम है इसके बारे में खुद एलोहीम और नबी मूसा A . S क्या कहते है ?
* इसलिये यह जान ले कि तेरा परमेश्वर जो तुझे वह अच्छा देश देता है कि तू उसका अधिकारी हो, उसे वह तेरे धर्म के कारण नहीं दे रहा है; क्योंकि तू तो एक हठीली जाति है। Deuteronomy 9 : 6
* फिर रब ने मुझ से यह भी कहा, कि मैं ने उन लोगो को देख लिया, वे हठीली जाति के लोग हैं |
Deuteronomy 9 : 13
* यहुदी मत में मूर्ति पूजा का क्या वजूद है इस बारे में जानने की कोशिश करते है ।
* उनके देवताओं को दण्डवत न करना, और न उनकी उपासना करना, और न उनके से काम करना, वरन उन मूरतों को पूरी रीति से सत्यानाश कर डालना, और उन लोगों की लाटों के टुकड़े टुकड़े कर देना।
( Exodus 23 : 24 )
* तूम मूर्ति की ओर न फिरना, और देवताओं की प्रतिमाएं ढालकर न बना लेना; मैं तुम्हारा रब हूं।
( Leviticus 19 : 4 )
* तुम अपने लिये मूरतें न बनाना, और न कोई खुदी हुई मूर्ति वा लाट अपने लिये खड़ी करना, और न अपने देश में दण्डवत करने के लिये नक्काशीदार पत्थर स्थापन करना; क्योंकि मैं तुम्हारा खुदा हूं।
( Leviticus 26 : 1 )
* तब उस देश के निवासियों उनके देश से निकाल देना; और उनके सब नक्काशे पत्थरों को और ढली हुई मूतिर्यों को नाश करना, और उनके सब पूजा के ऊंचे स्थानों को ढा देना। (Number 33 : 52 )
* कहीं ऐसा न हो कि तुम बिगड़कर चाहे पुरूष चाहे स्त्री के,चाहे पृथ्वी पर चलने वाले किसी पशु, चाहे आकाश में उड़ने वाले किसी पक्षी के,चाहे भूमि पर रेंगने वाले किसी जन्तु, चाहे पृथ्वी के जल में रहने वाली किसी मछली के रूप की कोई मूर्ति खोदकर बना लो ।
( Deuteronomy 4 : 16,17 ,18 )
* इसलिये अपने विषय में तुम सावधान रहो, कहीं ऐसा न हो कि तुम उस वाचा को भूलकर, जो तुम्हारे रब ने तुम से बान्धी है, किसी और वस्तु की मूर्ति खोदकर बनाओ, जिसे तुम्हारे रब ने तुम को मना किया है।
यदि उस देश में रहते रहते बहुत दिन बीत जाने पर, और अपने बेटे-पोते उत्पन्न होने पर, तुम बिगड़कर किसी वस्तु के रूप की मूर्ति खोदकर बनाओ, और इस रीति से अपने पालनहार के प्रति बुराई करके उसे अप्रसन्न कर दो | ( Deuteronomy 4 : 23,24 ,25 )
तू उन को दण्डवत न करना और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा पालनहार जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते हैं उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को पितरों का दण्ड दिया करता हूं ।
यदि उस देश में रहते रहते बहुत दिन बीत जाने पर, और अपने बेटे-पोते उत्पन्न होने पर, तुम बिगड़कर किसी वस्तु के रूप की मूर्ति खोदकर बनाओ, और इस रीति से अपने पालनहार के प्रति बुराई करके उसे अप्रसन्न कर दो | ( Deuteronomy 4 : 23,24 ,25 )
तू उन को दण्डवत न करना और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा पालनहार जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते हैं उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को पितरों का दण्ड दिया करता हूं ।
क्योंकि तुम्हारा खुदा भस्म करने वाली आग है; वह जल उठने वाला परमेश्वर है॥
* और वहां तुम मनुष्य के बनाए हुए लकड़ी और पत्थर के देवताओं की सेवा करोगे, जो न देखते, और न सुनते, और न खाते, और न सूंघते हैं।
( Deuteronomy 4 :,28 )
* मुझे छोड़ दूसरों को परमेश्वर करके न मानना॥
तु अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी की प्रतिमा बनाना जो आकाश में, वा पृथ्वी के जल में है;
( Deuteronomy 5 : 7,8,9 )
* तुम पराए देवताओं के, अर्थात अपने चारों ओर के देशों के लोगों के देवताओं के पीछे न हो लेना; क्योंकि तेरा रब जो तेरे बीच में है वह जल उठने वाला ईश्वर है; कहीं ऐसा न हो कि तेरे परमेश्वर का कोप तुझ पर भड़के, और वह तुझ को पृथ्वी पर से नष्ट कर डाले॥
( Deuteronomy 6 : 14 , 15 )
* उन लोगों से ऐसा बर्ताव करना, कि उनकी मंदिरों को ढा देना, उनकी लाठों को तोड़ डालना, उनकी अशेरा नाम मूत्तिर्यों को काट काटकर गिरा देना, और उनकी खुदी हुई मूर्तियों को आग में जला देना।
( Deuteronomy 7 : 5)
* और देश- देश के जितने लोगों को तेरा परमेश्वर तेरे वश में कर देगा, तू उन सभों को सत्यानाश करना; उन पर तरस की दृष्टि न करना, और न उनके देवताओं की उपासना करना, नहीं तो तू फन्दे में फंस जाएगा।
( Deuteronomy 7 : 16)
मुर्तिया नापाक और घृणित है ।
तौभी तेरा रब उन को तुझ से हरवा देगा, और जब तक वे सत्यानाश न हो जाएं तब तक उन को अति व्याकुल करता रहेगा और वह उनके राजाओं को तेरे हाथ में करेगा, और तू उनका भी नाम धरती पर से मिटा डालेगा; उन में से कोई भी तेरे साम्हने खड़ा न रह सकेगा, और अन्त में तू उन्हें सत्यानाश कर डालेगा।
उनके देवताओं की खुदी हुई मूर्तियां तुम आग में जला देना; जो चांदी वा सोना उन पर मढ़ा हो उसका लालच करके न ले लेना, नहीं तो तू उसके कारण फन्दे में फंसेगा; क्योंकि ऐसी वस्तुएं तुम्हारे ईश्वर की दृष्टि में घृणित हैं।
और कोई घृणित वस्तु अपने घर में न ले आना, नहीं तो तू भी उसके समान नष्ट हो जाने की वस्तु ठहरेगा; उसे सत्यानाश की वस्तु जानकर उस से घृणा करना और उसे कदापि न चाहना; क्योंकि वह अशुद्ध वस्तु है।
( Deuteronomy 7 : 23 ,24,25,26)
* इसलिये अपने विषय में सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन धोखा खाएं, और तुम बहककर दूसरे देवताओं की पूजा करने लगो और उन को दण्डवत करने लगो ।
( Deuteronomy 11 : 16 )
* जिन जातियों के तुम अधिकारी होगे उनके लोग ऊंचे ऊंचे पहाड़ों वा टीलों पर, वा किसी भांति के हरे वृक्ष के तले, जितने स्थानों में अपने देवताओं की उपासना करते हैं, उन सभों को तुम पूरी रीति से नष्ट कर डालना ।
( Deuteronomy 12: 2,3 )
* और ऐसा भविष्यद्वक्ता वा स्वप्न देखने वाला जो तुम को तुम्हारे परमेश्वर यहोवा से फेर के, जिसने तुम को मिस्र देश से निकाला और दासत्व के घर से छुड़ाया है, तेरे उसी परमेश्वर यहोवा के मार्ग से बहकाने की बात कहने वाला ठहरेगा, इस कारण वह मार डाला जाए। इस रीति से तू अपने बीच में से ऐसी बुराई को दूर कर देना॥
यदि तेरा सगा भाई, वा बेटा, वा बेटी, वा तेरी अर्द्धांगिन, वा प्राण प्रिय तेरा कोई मित्र निराले में तुझ को यह कहकर फुसलाने लगे, कि आओ हम दूसरे देवताओं की उपासना वा पूजा करें, जिन्हें न तो तू न तेरे पुरखा जानते थे।
चाहे वे तुम्हारे निकट रहने वाले आस पास के लोगों के, चाहे पृथ्वी के एक छोर से लेके दूसरे छोर तक दूर दूर के रहने वालों के देवता हों ।
तो तू उसकी न मानना, और न तो उसकी बात सुनना, और न उस पर तरस खाना, और न कोमलता दिखाना, और न उसको छिपा रखना ।
उसको अवश्य घात करना; उसके घात करने में पहिले तेरा हाथ उठे, पीछे सब लोगों के हाथ उठे।
उस पर ऐसा पत्थरवाह करना कि वह मर जाए, क्योंकि उसने तुझ को तेरे उस परमेश्वर यहोवा से, जो तुझ को दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है, बहकाने का यत्न किया है।
और सब इस्राएली सुनकर भय खाएंगे, और ऐसा बुरा काम फिर तेरे बीच न करेंगे॥
यदि तेरे किसी नगर के विषय में, जिसे तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे रहने के लिये देता है, ऐसी बात तेरे सुनने में आए ।
कि कितने अधम पुरूषों ने तेरे ही बीच में से निकलकर अपने नगर के निवासियों यह कहकर बहका दिया है, कि आओ हम और देवताओं की जिन से अब तक अनजान रहे उपासना करें ।
तो पूछपाछ करना, और खोजना, और भलीं भांति पता लगाना; और यदि यह बात सच हो, और कुछ भी सन्देह न रहे कि तेरे बीच ऐसा घिनौना काम किया जाता है ।
तो अवश्य उस नगर के निवासियों तलवार से मान डालना, और पशु आदि उस सब समेत जो उस में हो उसको तलवार से सत्यानाश करना।
( Deuteronomy 13 : 5 to 10 )
* मेरी आज्ञा का उल्लंघन करके पराए देवताओं की, वा सूर्य, वा चंद्रमा, वा आकाश के गण में से किसी की उपासना की हो, वा उसको दण्डवत किया हो ।
और यह बात तुझे बतलाई जाए और तेरे सुनने में आए; तब भली भांति पूछपाछ करना, और यदि यह बात सच ठहरे कि इस्राएल में ऐसा घृणित कर्म किया गया है।
तो जिस पुरूष वा स्त्री ने ऐसा बुरा काम किया हो, उस पुरूष वा स्त्री को बाहर अपने फाटकों पर ले जा कर ऐसा पत्थरवाह करना कि वह मर जाए ।
( Deuteronomy 17 : 3,4,5)
कि शापित हो वह मनुष्य जो कोई मूर्ति कारीगर से खुदवाकर वा ढलवाकर निराले स्थान में स्थापन करे, क्योंकि इस से रब को घृणा लगती है। तब सब लोग कहें, आमीन॥
( Deuteronomy 27 : 15)
* Note : - और भी बहुत कुछ है पर जाहिलो के लिए इतना काफी होगा ।
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1 comments:
Click here for commentsBohot badhiya idris bhai shayad ye padh kar kuch chutiya logo ki ankhe khul jaye
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