सस्कृत हिदी शब्दकोश
अ - वर्ण
- अ = देवनागरी का प्रथम अक्षर
- अः [ अव् + ड ] = विष्णु , शिव , ब्रह्मा , वायु और वेशवानर
- अऋणीन = जो कर्जदार न हो
- अंश = बांटना , वितरण करना , आपस मे हिस्सा बांटना , धोखा देना
- अंशः [ अंश + अच ] = हिस्सा , भाग , टुकड़ा
- अंशकः [ अंश + णवूल , स्त्रियां- आंशिक ] = हिस्सेदार , सहदायभागी , संबंधी , हिस्सा ,खण्ड ,भाग , सौर दिवस
- अंशनम [ अंश + ल्यूट ] = बांटने की क्रिया
- अंशयितृ [ अंश + णिच + तृच ] = विभाजन , बांटने वाला
- अंशल [ अंश लाती - ला + क ] = साझीदार , हिस्सा पाने का अधिकार , अंसल दे
- अंशिन [ अंश + इनि ] = हिस्सेदार , सहदायभागी , भागो वाला , साझेदारी
- अंशु: [ अंशु + कु ] = किरण , रौशनी , प्रकाशकिरण , सूर्य , चमक , दमक ,बिंदु ,एक छोटासा या सूक्षम कण , धागे का छोर , पोशाक , सजावट , परिधान , गति , सूर्य
- अंशकम [ अंशु + क ] = कपड़ा , साधारण पोशाक , सफेद कपडा ,रेशमी कपड़ा या मलमल , ऊपर ओढा जाने वाला कपड़ा , प्रकाश की मंद लौ
- अंशुमत [ अंशु + मतुप ] = चमकदार , प्रभायुक्त , नोकदार
- अंशुमत्फ़ला = केले का पौधा
- अंशूल = चमकदार , प्रभायुक्त
- अंस = अंश , टुकड़ा
- अंसः = भाग , खंड , टुकड़ा , कंधा , कंधे की हड्डी , बेल या सांड का डीलल् और कुब्ब , कंधे के बीच का उभार
- अंसल [ अंस + लच ] = बलवान , शक्तिशाली , मजबूत कंधों वाला
- अंह = जाना ,पास जाना ,शुरुआत करना ,चमकना , बोलना
- अहिंत [ हन + अति + अंहदेशश्च ] = भेंट , उपहार ,व्याकुलता ,कष्ट , चिंता , दुखः ,बीमारी
- अंहस [ अंहः - हँसी आदि ] = पाप सहना , व्याकुलता ,कष्ट , चिंता
- अंहिती = उपहार दान
- अंही: [ अंह + क्रिन - अंहति ] =पैर , पेड़ की जड़ , चार की संख्या , पैर से पीनेवाला , झड़ , पैर के तलवे का ऊपरी हिस्सा
- अक = जाना ,सांप की तरह टेढ़ा -मेढ़ा चलना
- अकम [ न कम - सुखम ] = सुख का अभाव , पीड़ा , विपत्ति ,पाप ।
- अकच = गंजा
- अकनिष्ठ [ न कनिष्ठ ] = बडा , श्रष्ट
- अकन्या = जो कुमारी नही रही हो
- अकर = लूला , अपाहिज , कर या चुंगी सड़ मुक्त , कोई क्रिया नही , निकम्मा
- आकरणम = अक्रिया
- आकरणि: = असफलता , निराशा , अधिकांशतः , श्राप देने से प्रयुक्त
- अकर्ण = जिसके के कान न हो , बहरा , जैसे कि सांप
- अकर्तन = ठिनगना
- अकर्मन = आलसी , निकम्मा ,दुष्ट ,निठल्ला , अपराधी
- अकर्मक = वह क्रिया जिसका कर्म न हो
- अकल = अखंड , भागरहित ,परब्रह्मा की उपाधि
- अकल्क = निष्पाप , चाँदनी , चन्द्रमा का प्रकाश
- अकल्प = जिसका कोई नियत्रण नहीं , दुर्बल , अयोग्य अतुलनीय
- अकस्मात [ न कस्मात ] = अचनाक , एकाएक ,सहसा
- अकण्ड = आकसिम्क , अप्रत्याशित
- अकंडे = अचनाक , एकाएक , अप्रत्याशित रूप से
- अकाम = इच्छा , राग , प्रेम से मुक्त ,अनिच्छुक , अनभिलापी , अप्रभावित , अचेतन ,अनभिप्रेत
- अक़ामत:[ अकाम - तसील ]= बे-मन से,बिना इरादे के,अंजानपणा से
- अकाय = शरीर रहित , बिना शरीर के , परब्रह्मा की उपाधि है
- अकारण =कोई कारण नहीं , कारणरहित , निराधार , बिना कारण के
- अकारणे = बिना कारण के , व्यर्थ
- अकार्य = अनुचित या बुरा काम , अपराधपूर्ण कार्य ,बुरा काम करने वाला और जो बुरा काम करे
- अकाल = असामयिक ,गलत समय ,अशुभ या कुसमय
- अकिंचन [ नास्ति किंचन ] = जिसके जैसा कोइ ना हो , अकेला , बिकुल गरीब
- अकुण्ठ = प्रबल , काम करने योग्य ,जो ढूंढा न हो
- अकृतः = कही से नहीं , शिव का नाम है
- अकुप्यम = बिना खोट की धातु , सोना , चाँदी , कोई एब नहीं
- अकुशल = अशुभ , दुर्भाग्यगस्त , जो चतुर या होशियार न हो , अमंगल
- अकुपारः [ नज+कूप+ऋ+अण ] = समुद्र ,सूर्य , कछुआ , चटटान
- अकृच्छ = कठनाईयो से मुक्त , सरलता , सुविधा
- अकृत = जो किया न गया हो , अधूरा ,जो तैयार न हो , जिसने कोई काम न की हो , अपक्व
- अकृष्ट = जो जोता नहीं गया हो , बिना जाते हुए खेत
- अक्का = माँ , माता
- अक्त = सना हुआ , अभिषिक्त
- अकतम = कवच
- अक्रम =अव्यवसिथत , गढ़बढ़ि
- अक्रिया = जिसमे कोई क्रिया नहीं , शून्य रहित , कर्तव्य की उपेक्षा
- अक्रूर = जो निर्दय न हो
- अक्रोध = क्रोध रहित , नर्म दिल
- अकिलष्ट = न थका हुआ ,क्लेश रहित ,जो बिगड़ा न हो
- अक्ष = पहुँचना , व्याप्त होना , संचित होना
- अक्षः = धुरी ,धुरा ,गाढ़ी का छकड़ा पहिया ,तराजू की डंडी ,चौसर का पैसा , माशे की तोल ,साँप ,गरुड़ ,आत्मा , ज्ञान ,क़ानूनी कार्य की विधि ,मुकदमा
- अक्षणिक = स्थिर , दृढ़ ,जमा हुआ
- अक्षत = चोट रहित , जो टुटा न हो
- अक्षम = अयोग्य , ईर्ष्या , अधैर्य , असमर्थ ,जल्दीबाज , क्रोध
- अक्षय = जिसका नाश न हो , अचूक,अनश्वर
- अक्षय्य = जो क्षय न हो सके, अविनाशी ( जिसका नाश न हो )
- अक्षर = अनश्वर , अविनाशी ( जिसका नाश न हो ) , स्थिर , दृढ़ ,वर्णमाला का एक अक्षर है !
- अक्षरक = स्वर ,अक्षर
- अक्षवती = खेल , पासे द्वारा खेल ,जुए का खेल
- अक्षरशः = एक एक अक्षर करके
- अक्षन्तिः = असहिष्णुता , स्पर्धा ,ईर्ष्या
- अक्षार = प्राकृतिक लवण
- अक्षि = आंख , दो की संख्या
- अक्षुण्ण = न टूटा हुआ , अखण्ड , अविजित , सफ़ल , कूटा पीटा न गया हो , असाधारण
- अक्षेत्र = खेतो से रहित , बिना जूता , खराब खेत , कुपात्र
- अक्षोट: [ अक्ष + ओट ] = अखरोट
- अक्षोम्य = स्थिर , धीर - रघु
- अक्षोहिणी = पूरी चतुरंगिणी सेना जिसमे 21870 रथ , 21870 हाथी , 65610 घोड़े तथा 109350 पड़ती हो
- अखंड = संपूर्ण , जो टूटा न हो , निरंतर , अविराम
- अखंडित = संपूर्ण , जो टूटा न हो , निरंतर , अविराम विघ्नरहित ,बाधारहित
- अखर्व = जो बोना या छोटे कद का न हो , जिसकी शारिरिक वृद्धि कम न हो , बड़ा
- अखात = न खुदा हुआ , न दफनाया हुआ , प्राकृतिक झील
- अखिल = सम्पूर्ण
- अखेटीक: = पेड़मात्र , शिकारी कुत्ता
- अग् = टेढ़े - मेढ़े चलना , जाना
- अग = चलने में असमर्थ
- अगच्छ = न जानने वाला , च्छ: / वृक्ष
- अगतिः = आश्रय या उपाय का अभाव , प्रवेश न होना , आवश्यकता
- अगति = निस्सहाय , निरुपाय , निराश्रय
- अगद = निरोग , स्वस्थ , रोग रहित
- अगदंकारः = चिकित्सक , डॉक्टर
- अगम्य = दुगर्म , न जाने योग्य , पहुँच के बाहर
- अगम्या = वह स्त्री जिसके पास मैथुन के लिए जाना उचित नही , एक नीची जाति
- अगरु = एक प्रकार का चंदन
- अगस्ति: , अगस्त्थः = एक प्रशिद्ध ऋषि का नाम , एक नक्षत्र का नाम
- अगस्त्य = एक ऋषि का नाम , ऊपर
- अगाध = अथाह , बहुत गहरा
- अगारं = शून्यानि , दाहिन घरफुंक आदमी
- अगिरः = स्वर्ग में रहने वाला
- अगुण = जिसमे अच्छा कोई गुण न हो , गुणहीन
- अगुरु = जो बाहरी न हो , हल्का ,लघु , जिसका कोई शिक्षक न हो
- अगृहः = बिना घर का , घुमक्कड़ , साधु
- अगोचर = अस्पष्ट , ,अदृश्य ,ब्रह्मा
- अग्नायी [ अग्नि+ऐड+डीष् ] = अग्नी की पत्नी , अग्निदेवी , स्वाहा , त्रेतायुग
- अग्नि: = आग , आग का देवता ,सोना ,तीन की संख्या , पाचनशक्ति , पित्त , आदि
- अग्निसात = अग्नि की दिशा तक
- अग्र = प्रथम , सर्वपारी , मुख्य ,सर्वात्म , प्रमुखः
- अग्रतः = सामने , के आगे , के ऊपर , आगे , की उपस्थिति में ,प्रथम
- अग्रिम = प्रथम , प्रमुख , मुख्य , बड़ा , ज्येष्ठ , बडा भाई
- अग्रिय = प्रमुख , सर्वात्तम
- अग्रे = के सामान ,की उपस्तिथि में ,पहले ,सबसे पहले , के ऊपर , ओरो से पाहिले
- अग्र्य = प्रमुख , सर्वोतम , उत्कृष्ट , सर्वाच्च
- अघ = अंघ = बुरा करना , पाप करना
- अघर्म = जो गर्म न हो , ठंडा , अंशु , चंद्र की किरणे ठंडी होती है
- अघोर = जो भयानक न हो , भीषण न हो , शिव का एक रूप
- अघोष = ध्वनिहीन , निःशब्द
- अडुक = टेढ़ा मेढ़ा चलना , छाप लगाना ,धब्बा लगाना , गिनना
- अङु = गोद , चिन्ह , धब्बा
- अङुनम = चिन्ह , प्रतीक , चिन्हित करने की क्रिया , मुहर लगाना
- अडुतिः = हवा , अग्नि , ब्रह्मा , वह ब्रह्मण जो अग्निहोत्री करता है
- अड़कुट: = ताली , कुंजी
- अङ्कुरः = अंखुवा , किसलय , कोंपल
- अङ्कुरित = नवपल्ल्वित , उत्पन्न , मानो कामना के लिए पैदा कर लिया
- अङ्कुशः = काँटा या हांकने की छड़ी , नियंत्रक , संसोधक का प्रशासक निदेशक , दबाव या रोक
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