कामसूत्र
* एक महत्त्व पूर्ण लेख केवल व्यस्को के लिए इस लेख से बच्चे और मेरी माँ बहने दूर रहे !
* आर्य समाज की स्थापना झूट की बुनियाद पर रखी गई थी केवल हिन्दुइस्म की करतूतों छुपाने के लिए नहीं तो आर्य समाज की स्थापना से पहले की कोई एक भी वेदो का भाष्य ( तर्जुमा ) दिखला दे जो दयानद या कोई आर्य समाजी के भाष्य से मिल खाता हो ? नहीं दिखला सकते क्योकि इन आर्य समाजियो के भाष्य में पाखंड के आलावा कुछ ओर नहीं सब को पता है की केवल वेद कामसुत्र और अश्लीता से भरा पढ़ा है और इसके अलावा कुछ नहीं जो की कई लेखो में विस्तारपूर्व बता चुके है !
* वेद केवल सेक्स की पुस्तक है जिस से मनुष्य केवल बलात्कारी बन सकता है और ज्ञान - विज्ञानं से इस का दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं
जिसके बारे में कई लेख लिख चूका हु इन सब लेख की लिस्ट इस लेख के अंत में दे दूंगा जिसका एक छोटा सा उद्धरण साथ लेते चलते है
ऋग्वेद १ : १३ : 5 में लिखा है की अंतरिक्ष पानी से भरा है यानि चंद्र , सूर्य आदि ग्रहो में पानी है और हर जगह क्या मिथ्या है बरहाल आगे देखते है !
ऋग्वेद १ : १३ : 5 में लिखा है की अंतरिक्ष पानी से भरा है यानि चंद्र , सूर्य आदि ग्रहो में पानी है और हर जगह क्या मिथ्या है बरहाल आगे देखते है !
* इसका सबसे बडा उद्धरण प्राचीन मंदिरो की इमारतों से पता की वेद और हिन्दुइस्म किन बताओ की शिक्षा देता है और स्पष्ट तौर से चित्र देख सकते है !
* बरहाल आज इन्हे अपनी श्क्ल आईने पसंद नहीं आ रही है जिसके चलते अपनी धार्मिक पुस्तकों को बदला जा राहा या फिर सिरे से ही उन पुस्तकों का
इंकार कर बैठे है और कहते अंग्रेजो और मुग़लो ने मिलावट कर दी है क्या मिथ्या है बाबू अपना ऐब छुपाने के चक्र में दुसरो के ऊपर दोष डालते हो प्यारे क्यों वेद नहीं पढ़े वैदिक ईश्वर तो क्षमा भी नही करता कही तुम लोगो को जानवर न बना दे और जिस पर उनका बस चला उनका अर्थ बदल बदल के सिद्ध करने में लगे है ये ऐसा नहीं वैसा वगैरह वगैरह परन्तु इनका भाष्य न तो किसी यास्क का निरुक्त से मिल खता है नाही निघण्टु ( शब्दकोश ) नाही कोई साधरण संस्कृत शब्दकोश !
इंकार कर बैठे है और कहते अंग्रेजो और मुग़लो ने मिलावट कर दी है क्या मिथ्या है बाबू अपना ऐब छुपाने के चक्र में दुसरो के ऊपर दोष डालते हो प्यारे क्यों वेद नहीं पढ़े वैदिक ईश्वर तो क्षमा भी नही करता कही तुम लोगो को जानवर न बना दे और जिस पर उनका बस चला उनका अर्थ बदल बदल के सिद्ध करने में लगे है ये ऐसा नहीं वैसा वगैरह वगैरह परन्तु इनका भाष्य न तो किसी यास्क का निरुक्त से मिल खता है नाही निघण्टु ( शब्दकोश ) नाही कोई साधरण संस्कृत शब्दकोश !
* सब भली भांति जानते यजुर्वेद में किस तरह की अश्लीलता भरी पढ़ी थी ज्यादा नहीं बल्कि ४०० साल वर्ष पुराना महाधीर भाष्य पढ़े सब पता चलता है मदिरा पान आदि के बारे में और ये १३० से १४० साल पुराने ने आर्य समाजीयो ने उसका अर्थ बदल दिया बरहल इनके घर की खेती है जो चाहे करे और ये भी कड़वा सत्य है की आर्य समाजी को ९५ % वैदिक हिन्दू धर्म का हिस्सा और वैदिक धर्म के नहीं मानते और अपने जूतों की नोक पर रखते है आर्य समाज का झूट यहाँ देख सकते है क्लिक !
* यज्ञ की नाम पर नंगा नाच और अपनी औरतो को घोड़ो के साथ संभोग करना और खुद जानवरो के साथ सेक्स करना ये वैदिक परंपरा थी जीस की पुष्टि खुद दयानद की है यहाँ देख सकते है क्लीक और अधिक जानकारी के लिए ये वीडियो देख ले जिस में इनका चिठ्ठा - बिठ्ठा है !
👇👇👇
पूरा वीडियो देखने के लिए यहा 👉 देखें 👆
* और आज भी देख सकते है नागा साधु नंग हो कर घूमते नजर आते है ये सब हिन्दू धर्म काही हिस्सा है ,जो की सालो से चला आ रहा है और हिन्दुइस्म का पूरी दुनिया उनका चित्र प्रस्तुत करता है ।
बरहाल वेद पुराण इन बातो का साक्षी है , आज तुम्हारा प्रयत्न करना व्यर्थ है तुम केवल अपने दिल को राहत देख सकते हो नाकि दुसरो को मुर्ख बना सकते हो है जो मुर्ख है उनका कोई इलाज नहीं बाकि इतिहास साक्षी है की हिन्दुइस्म का स्तर यहाँ तक गिरा था और ये शिक्षा थी की स्वतः की पुत्री और माँ , बहनो को तक नहीं छोड़ते थे जिसके चलते काम सूत्र जैसी चीजे अस्त्तित्व में आई !
आये देखते है हिन्दुइस्म के दर्शन और काम सूत्र ? नोट : - इस पुस्तक के कुछ उद्धरण लेते चलते है और जिंदगी रही तो कामसूत्र के कई भाग भविष्य में आते रहेंगे अब आगे...........
* ये है हिन्दुइस्म के दर्शन और ज्ञान विज्ञानं जो सेक्स करने में महारथ रखते है वैसे ब्रह्मचारियों को बढ़ा ज्ञान होता है इन बातो का दयानद भी स्त्रियों के बारे में खूब लिखा है सही है आश्रम क्यों बनाये है इन्ही तरीको के लिए वही से सब तरफ रायता फैला है और ये ज्ञान विज्ञानं वैदिक ईश्वर और ऋषिमुनियों ने दिया है और नए नए तरीके नियोग के जरिये अविष्कार करते रहते है !वाह्ह नियोग एक कलंक
* यज्ञ की नाम पर नंगा नाच और अपनी औरतो को घोड़ो के साथ संभोग करना और खुद जानवरो के साथ सेक्स करना ये वैदिक परंपरा थी जीस की पुष्टि खुद दयानद की है यहाँ देख सकते है क्लीक और अधिक जानकारी के लिए ये वीडियो देख ले जिस में इनका चिठ्ठा - बिठ्ठा है !
👇👇👇
* और आज भी देख सकते है नागा साधु नंग हो कर घूमते नजर आते है ये सब हिन्दू धर्म काही हिस्सा है ,जो की सालो से चला आ रहा है और हिन्दुइस्म का पूरी दुनिया उनका चित्र प्रस्तुत करता है ।
बरहाल वेद पुराण इन बातो का साक्षी है , आज तुम्हारा प्रयत्न करना व्यर्थ है तुम केवल अपने दिल को राहत देख सकते हो नाकि दुसरो को मुर्ख बना सकते हो है जो मुर्ख है उनका कोई इलाज नहीं बाकि इतिहास साक्षी है की हिन्दुइस्म का स्तर यहाँ तक गिरा था और ये शिक्षा थी की स्वतः की पुत्री और माँ , बहनो को तक नहीं छोड़ते थे जिसके चलते काम सूत्र जैसी चीजे अस्त्तित्व में आई !
आये देखते है हिन्दुइस्म के दर्शन और काम सूत्र ? नोट : - इस पुस्तक के कुछ उद्धरण लेते चलते है और जिंदगी रही तो कामसूत्र के कई भाग भविष्य में आते रहेंगे अब आगे...........
महर्षि वात्स्यायन
* महर्षि वात्स्यायन ने ही कामसूत्र के बारे में बताया है जो की हिन्दू धर्म के महान व्यक्तियो में से थे और हमेशा उन्हें प्रमुख के रूप में सम्मान करते थे हिन्दू कामुक साहित्य के मुख्य मार्ग दर्शक थे !
* निम्लिखित कार्य भारत में उपलब्ध है !
- रति रहस्य या प्यार के रहस्य
- पंचसाक्य या पांच तीर
- समरा प्रदीप या प्यार की रौशनी
- रतिमंजरी प्यार का माला
- रसमंजरी प्यार का अंकुरण
- अनुंग रुंग या प्यार की स्थिति
महर्षि वात्स्यायन का परिचय
* महर्षि वात्स्यायन कौन थे ?
* पंडितो ने जवाब दिया महर्षि वात्स्यायन संस्कृत साहित्य में प्यार पर मानक काम के लेखक थे जिनका समय गुप्तवंश के समय (६ठी शताब्दी से ८वीं शताब्दी ) माना जाता है। उनके काम के बिना संस्कृत पुस्तकालय अधूरी है और महर्षि वात्स्यायन ने कामसूत्र जैसी पुस्तक का निर्माण किया वो भी वेदो के आधार पर ये पुस्तक वेदो के मंत्रो से प्रमाणित और उसी के आधार पर लिखी गई आये देखते है .........
कामसूत्र
* पुस्तक का नाम काम के सूत्र !
* वात्स्यायन सूत्र भाग १ अधयाय 4 पेज नंबर 45
वात्स्यायन सूत्र भाग १ अधयाय 4 पेज नंबर 44
* बभरव्य के अनुयायियों का कहना है की ऐसी स्री जो पांच पुरुषो को आनंद दे चुकी है उपयुक्त और स्वस्थ व्यक्ति होता है !
* परन्तु गोणिका पुत्र का मानना है की जब ऐसा मामला होतो एक ब्रह्मण और राजा की पत्नी को छोड़ दिया जाये ! यहाँ यजुर्वेद में जो व्यभाचारि की बात है उसको आधार बनाया गया है !
* किन लोगो के साथ संबंध नहीं बनाना चाहिए ?
- जो बचपन में साथ में खेला कूदा हो ?
- एक जैसी चीजों शोक हो ?
- जो एक साथ पढ़े हो ?
- जो आपके रहस्यों को जनता हो ? बाकि के साथ संबंध बना सकते है !
* चरणय कहते है , की नागरिको को कपड़े धोने वाली , चरवाह , फूलवाली ,चिकित्साक ( नर्स आदि ) सुपारी के पत्ते विक्रता वाली मधुशाला वाली ( शराब बेचने वाली ) , भिखारी के साथ दोस्ती रखनी चाहिए !
भाग 2 समूह सम्भोग पेज नंबर 48
* मनुष्य को अपने लिंग के आकर के अनुसार ३ वर्गों में विभाजित किया गया है खरगोश जैसा , बैल जैसा और घोड़े जैसा !
* NOTE : - इसी लिए वेदो में घोड़े और खच्चर पर ज्यादा ध्यान दिया गया है और घोड़े की मिसाल भी ज्यादा है ये रहस्य था उन बातों का और हिंता हुआ घोडा वाह्ह
* उसी प्रकार स्त्रियों की यौनि का आकर भी ३ वर्गों में विभाजित किया गया है हिरण जैसा , हाथी जैसा और घोडी जैसा !
भाग 2 अधयय 2 आलिंग या गले लगना पेज नंबर 55
* जिन्होंने ऋग्वेद के हिस्सों को पढ़ा है जिसे दशातप काहा जाता है जिसमे ६४ छंद शामिल है जिसे पंचला भी कहते है !
* बभरव्य के अनुयायियों का कहना है इस भाग में ८ विषय है जैसे !
- गले लगना
- चुँबन
- नाख़ून या उंगलियों के साथ खरोचना
- काटना
- लेटना
- विभिन्न आवाज निकलना
- आदिमियो और स्त्रियों के अंगो से खेलना
- औपरिष्टा या मुँह मिलना
* NOTE : - अब कोई न कहना की वेदो में ज्ञान - विज्ञानं है बल्कि कामसूत्र की पुस्तक कह सकते हो जो लेख में बता चुके है अगर न देखे हो यह देख ले क्लिक
* इनमे से प्र्त्येक विषय में 8 प्रकार है और 8 गुणा होने से 64 हो जाता है इसीलिए इसे ६४ नाम दिया गया है !
* जिसमे से पहले गले लगाना है !
- छूना
- चुभना
- रगड़ना
- दबाना
भाग 2 अधयय 2 आलिंग या गले लगना पेज नंबर 56
1 . जब किसी बहाने से एक आदमी किसी महिला के संग या उसके साथ जाता है अपने शरीर को उसके साथ छूता है तो इसे स्पर्श करने वाला गले लगाना कहते है ! वाह्ह क्या बात है क्या परिभाषा गाढ़ी है ?
2 . जब सुनसान जगह पर महिला निचे झुकती है जैसे कुछ लेने के लिए और अपने स्तनो से पुरुष को चुभाती है और बदले में आदमी जो दोनों स्तनो को छूत हुए बैठा या खड़ा है उसे गले लगा लेता है चुभाने आलिंगन कहते है !
* यही कारण था की ऋषिमुनि बल्तकारी थे और आश्रम में भी यही सब चलता है जिसके चलते आसाराम ,रामरहीम ना जानने कितने महान पुरुष अस्तित्व में आये और सब वेदो आदि की शिक्षा को पाकर आते रहेंगे !
3 .जब दो प्रेमी धीरे धीरे एक साथ चलते है या तो अँधेरा में या फिर सार्वजानिक स्थानों पर और एक दूसरे के शरीर के साथ शरीर रगड़ते है तो इसे रगड़ने वाला आलिंग कहा जाता है !
4 . जब उपयुक्त अवसर पर दोनों मे से एक दीवार या खम्भे के सहारे जबरन दूसरे के शरीर को दबाता है तो इसे दबाने वाला आलिंग कहा जाता है !
भाग 2 अधयय 2 आलिंग या गले लगना पेज नंबर 57
1. जब एक औरत आदमी के साथ पेड़ के चारो तरफ ओर फैली लता या बेल की तरह चिपक जाती है तो उसके सर को चुंबन करने की इच्छा के साथ निचे झुकता है और आवाज निकालता है इसे लता की तरह से गले लगाना कहते है !
2 . जब एक औरत एक पैर अपने प्रेमी के पैर पर और दूसरा उसकी जांघो पर रखती है और पुरुष को अपने बहो में तीव्रता से भर लेती है और साँसे तेज होने लगती है और आवाज़ निकल ने लगती है पुरुष उसे चुंबन करने के लिए उसके ऊपर चढ़ जाता है इस तरह गले लगने को पेड़ो जैसा आलिंग कहा जाता है !
3 . जब प्रेमी बिस्तर पर लेटते है दूसरे को इतनी जोर से गले लगते है की एक बाह और जांघ दूसरे पूरी तरह गिर जाता है और जैसे ही उनके शरीर एक दूसरे से रगड़ते है तो इसे एक " चावल के साथ सीसम के बिच का मिश्र्ण " की तरह से लगाना कहते है !
4 . जब एक आदमी और एक महिला एक दूसरे से बहुत प्यार करते है और किसी भी दर्द या चोट के बारे में नहीं सोचते है एक दूसरे को ऐसे गले लगाते जैसे की वे एक दूसरे के शरीर में प्रवेश का लेंगे इसमें महिला आदमी की जांघ पर बैठी होती है या उसके सामने या बिस्तर पर,तो इसे " दूध और पानी के मिश्रण " की तरह गले लगाना कहते है !
* आँक थू ! ये है हिन्दुइस्म ऐसी बातो की शिक्षा देता है इसलिए वेदो में भी कहा जाता है दोनों जांघो को फैलाओ , मुँह से मुँह मिलाओ हकीकत में ये पुस्तक वेदो की भाष्यभूमिका है इसका मतलब हुआ की वेद दर हकीकत काम सूत्र की पुस्तक है और ये कोई मेरी या आपकी लिखी नहीं बल्कि महर्षि वात्स्यायन की है ये हमारे ऋषि नहीं बल्कि आप के ही है हिन्दू धर्म की मानने वाले और वेदो की वैदिक ईश्वर की बातो पर चलने वाले अगर किसी को तनिक भर भी शक होतो शोक से ये पुस्तक पढ़ सकता है !
* और बेचारे पंडितो और संतो को बदनाम करते है जब ऐसी चीजों को पढेंगे और सुनेगे तो ऐसे नतीजे सामने आना लाजमी है वेदो में ज्ञान विज्ञानं और वैदिक ज्ञान विज्ञानं का पालन करते है है क्या मिथ्या है ! इसके चलते ओशो ने भी कई आश्रम खुले है जिसमे विदेशी महिलाओं को मोक्ष का रास्ता बताया जाता है 🤓
* इतनी अश्लीलता है वैदिक धर्म में जिसके चलते नियोग , व्यभिचारी ( अवैध संबंध ) की परंपरा ले गई और वैदिक काल जो की मनव इतिहास में कलंक था उस समय पर ये सब बाते आम थी , किसी के साथ सेक्स कर लेना ,किसी का माल लूट खाना , ब्याज , हर बुरे कर्म , अनार्य का आर्थिक मानशिक शोषण आम बात थी ये हवस के पुजारी जानवरो तक नहीं छोड़ थे सेक्स पुराणो आदि से प्रमाणित है ये तो यहाँ तक देवी देवता ये काम करते थे इंद्र ने अहिल्या के साथ क्या किया था और गौतम ऋषि के साथ धोखा ये तो चंद ही प्रमाण है समय समय पर कामसूत्र के कई भाग आते रहेंगे !
* ये तोफा केवल बाकिरियो वालो के लिए है समझदारो को इशारा काफी है ! और निचे लेख का लिंक देने वाला हु उसे वेद और अश्लीलता का खुलासा और स्पष्ट हो जाएंगे 👇👇👇
1 . वेद और अश्लीलता
2 . वेद पुराण
3 . वेद और नारी
4 . नियोग
5 . यम और यामी
6 . सोमरस
1 . वेद और अश्लीलता
2 . वेद पुराण
3 . वेद और नारी
4 . नियोग
5 . यम और यामी
6 . सोमरस
* इस लेख का मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नही बल्कि उन इस्लाम विरोधीयो को जवाब देना है जो खुद की धार्मिक ग्रंथो की मान्यता को नही जानते और इस्लाम और मुसलमानों के ऊपर तानाकाशी करते है। अगर किसी को ठेस पहुंची होतो क्षमा चाहता हु !
धन्यवाद
1 comments:
Click here for commentsगलत सलत चीज नहीं बता सकते तुम यह जो तुम मैकाले और मैक्समूलर द्वारा भाष्य वेद बता रहे हो जिसमें महामिलावत है जब भारत में गुलामी का दौर था अंग्रेजो ने यह काम किया था
और एक बात यहां बता दूं स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा भाष्य किए गए वेद पड़ो हिन्दू धर्म ग्रंथो में महामिलाबत थी
हम इनको मानते ही नहीं कोई विदेशी हमें धर्म क्या बताएगा
दूसरों को उल्टा बोलने से पहले खुद में झांक कर देख
ConversionConversion EmoticonEmoticon