कामसूत्र 2
* एक महत्त्वपूर्ण लेख केवल व्यस्को के लिए इस लेख से बच्चे और मेरी माँ बहने दूर रहे !
* ज्ञान विज्ञान के नाम पर लोगो को मुर्ख बनाने में आर्य समाज और हिन्दुइस्म के लोग रूचि रखते है ,वेदो और आदि ग्रंथो में ज्ञान विज्ञानं तो दूर की बात है परछाई तक नजर नहीं आती और बेचारे आम हिन्दुओ को अपने षड्यंत्र में फंसा कर आर्य ( ब्राहण ) अपनी रोटी सेंकते नजर आते है बरहाल सीधे मुद्दे पर आता हु ज्ञान विज्ञानं के नाम पर जो धंदा चलाया है इन लोगो ने परन्तु सत्य बिकुल इसके विपरीत है वेद आदि ग्रन्थ केवल के पोर्न बुक्स से ज्यादा हैशियत नहीं रखते जिसके कई प्रमाण कई लेखो द्वारा बता चुके है अश्लीलता का स्तर यहाँ तक बढ़ चूका था की कामसूत्र जैसी कलंकित चीज अस्तिस्व में आई जिससे पढ़कर लोगो को बलात्कारी बनाने काम सुरु किया था ऋषियों ने और वो पुस्तक का आधार था वेद उसी के आधार पर ये हिन्दुइस्म का ग्रन्थ रचा गया था ये कामसूत्र का दूसरा भाग है पहिला भाग यहाँ देख सकते है ।
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* मेरा लेख किसी की भावना को ठेस पंहुचाना नहीं बल्कि सत्य को सामने लाना है जो ज्ञान विज्ञानं के गूण गान गाते है जिसको अपना चहेरा आईने में पसंद नहीं आरहा है या तो अपनी शक्ल सुधार ले या फिर ये कड़वा जहर का गुट शांतता से ग्रहण कर सकते है और तीसरा उपाय ये भी है की ये लेख छोड़कर अभी दफा हो जाये इसमें ही उसकी भलाई है धन्यवाद !
* महर्षि वात्स्यायन ने ही कामसूत्र के बारे में बताया है जो की हिन्दू धर्म के महान व्यक्तियो में से थे और हमेशा उन्हें प्रमुख के रूप में सम्मान करते थे हिन्दू कामुक साहित्य के मुख्य मार्ग दर्शक थे !
* पंडितो ने जवाब दिया महर्षि वात्स्यायन संस्कृत साहित्य में प्यार पर मानक काम के लेखक थे जिनका समय गुप्तवंश के समय ६ठी शताब्दी से ८वीं शताब्दी माना जाता है। उनके काम के बिना संस्कृत पुस्तकालय अधूरी है और महर्षि वात्स्यायन ने कामसूत्र जैसी पुस्तक का निर्माण किया वो भी वेदो के आधार पर ये पुस्तक वेदो के मंत्रो से प्रमाणित और उसी के आधार पर लिखी गई आये देखते है .........
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* मेरा लेख किसी की भावना को ठेस पंहुचाना नहीं बल्कि सत्य को सामने लाना है जो ज्ञान विज्ञानं के गूण गान गाते है जिसको अपना चहेरा आईने में पसंद नहीं आरहा है या तो अपनी शक्ल सुधार ले या फिर ये कड़वा जहर का गुट शांतता से ग्रहण कर सकते है और तीसरा उपाय ये भी है की ये लेख छोड़कर अभी दफा हो जाये इसमें ही उसकी भलाई है धन्यवाद !
महर्षि वात्स्यायन
* महर्षि वात्स्यायन ने ही कामसूत्र के बारे में बताया है जो की हिन्दू धर्म के महान व्यक्तियो में से थे और हमेशा उन्हें प्रमुख के रूप में सम्मान करते थे हिन्दू कामुक साहित्य के मुख्य मार्ग दर्शक थे !
महर्षि वात्स्यायन कौन थे ?
* पंडितो ने जवाब दिया महर्षि वात्स्यायन संस्कृत साहित्य में प्यार पर मानक काम के लेखक थे जिनका समय गुप्तवंश के समय ६ठी शताब्दी से ८वीं शताब्दी माना जाता है। उनके काम के बिना संस्कृत पुस्तकालय अधूरी है और महर्षि वात्स्यायन ने कामसूत्र जैसी पुस्तक का निर्माण किया वो भी वेदो के आधार पर ये पुस्तक वेदो के मंत्रो से प्रमाणित और उसी के आधार पर लिखी गई आये देखते है .........
भाग 4 अध्याय पेज नंबर 65
* नाखूनों के साथ दबाने के 8 प्रकार है ,जो की इस तरीके से है ।
- आवाज निकलना ।
- आधा चाँद ।
- एक गोला ।
- एक रेखा ।
- एक बाघ के नाखून के पंजे ।
- एक मोर के पैर ।
- एक खरगोश की कुद ।
- नील कमल का पत्ता ।
* नाखूनों से दबाए जाने वाली जगह ।
हाथ का गड्ढा , गला , स्तन , होंठ , जघाना या शरीर के बीच का भाग और जांघे लेकिन सुवर्ण नाभ का मानना है कि जब जुनून कि उतेजना होती है तो स्थानों पर विचार नही करना चाहिए ।
* ये है महर्षि वात्स्यायन और ब्रह्चारि का ज्ञान और हिंदूइस्म के दर्शन ।
* इस मंत्रो का अर्थ है कि स्त्री नियोग में 11
पुरुषों से काम ले सकती है और पुरुष भी 11स्त्रियों से काम ले सकता है । कही इस मंत्र के चलते 5 पांडुओ ने 1 स्त्री रखी थी ?
1 . वेद और अश्लीलता
2 . वेद पुराण
3 . वेद और नारी
4 . नियोग
* स्त्रियां और पुरूष का एक ही बार विवाह होना चाहिए दूसरी बार नही अगर हो तो ये अन्याय है और अधर्म का काम है और नियोग पाप नही ? काम चलने दो ?
* तो राम जी के पिता दशरथ ने 4 विवाह क्यों किये युधिष्ठिर की 10 पत्नि और 101 बच्चे इसमे कोई शक नही की ये सब अधर्मी लोग होंगे दयानद के कथन के अनुसार ?और कृष्ण की लीला पर तो पर्दा डाल कर उसका ऐब छुपा दिया ?
* अगर किसी को संतान की चाह है तो नियोग करले यही वेदों और धर्म का काम है पुर्नविवाह अधर्म और अन्याय का काम है ।
* चाहे छोटा भाई हो या बड़ा स्त्री जिससे नियोग का काम करे उसे की देवर कहा जाता है ।
* जैसा कि पाण्डु राजा की स्त्री कुंती और माद्री आदि ने किया और जैसा व्यास जी ने चित्राडद्र और विचित्रवीर्य के मारे जाने के बाद उन अपनी भाइयो की पत्नियों के साथ नियोग करके अम्बिका में धृतराष्ट्र और अम्बालिका में पाण्डु और दासी से विदुर की उत्पत्ति की ये सब नियोग से हुई संतान है इत्यादि बात इतिहास से प्रमाणित है । ( 4 समुल्लास पेज नंबर 110 )
नियोग में 11 पुरुषों से कर सकते है ?
( 4 समुल्लास पेज नम्बर 100 ) |
* इस मंत्रो का अर्थ है कि स्त्री नियोग में 11
* बरहाल कामसूत्र पर बात चालू थे आगे देखते है ।
* जब कोई व्यक्ति ठोड़ी , स्तन , निचले होंठ या दूसरे जघाना को धीरे धीरे दबाता है और कोई खरोंच या निशान नही छोडता है , लेकिन शरीर के बाल नाखून के स्पर्श से खड़े होते है और नाखून से एक आवाज निकालते है , से नाखूनों के साथ बजाना या दबाना कहा जाता है ।
* देखा महर्षि का आधुनिक ज्ञान विज्ञान वाहहह क्या परिभाषा गढ़ी है ये है हिंदूइस्म के दर्शन कई सालो पहले ये बताया गया था लगता है यही वजह थी कृष्ण ने रासलीला की थी ।
* नाखूनों के साथ घुमावदार निशान जो कि गर्दनों और स्तनों पर किया जाता है इस आधा चन्द्रमा कहा जाता है ।
* अब आधा चन्द्रमा एक दूसरे के विपरीत प्रभावित होते है से गोला कहा जाता है ।
* यही वजह थी कि ब्रह्मा ने अपनी ही पुत्री से शारिरीक संबंध बनाए थे जिसे चलते उसकी पूजा नही की जाती सब बल्तकारी थे , और बेचारे राम रहीम ,आसाराम आदि दंड दिया जा रहा है बल्कि वो तो धार्मिक शिक्षाओं का पालन कर रहे थे बेचारे वाहहह वेदों के पुजारियों की क्या संस्कृति और सभ्यता रही होंगी वैदिक काल में जिसका फल आज तक हिंदूइस्म के लोग भोगते नजर रहा है अपनी बेटियों की इज्जत नीलाम करके आश्रमो में और अपनी हवस को पूरा करने के लिए नियोग का धंदा भी खुल दिया उसके लिए यहा देखे । नियोग एक कलंक 👈👈
वेद और कामसूत्र
*ये पति की कामना करती हुई कन्या आयी है और पत्नी की कामना करता हुआ मैं आया हु एश्वर्य के साथ आया हु जैसे हिंसता हुआ घोड़ा ।
( अर्थवेद 2 : 30 :5 )
* पति उस पत्नी को प्ररेणा कर जिस में मनुष्य लोग वीर्य डाले जो हमारी कामना करती हुई दोनों जंघाओ को फैलावे और जिस मेंं कामना करते हुए हम लोग उपस्थेेेन्द्रिय का प्रहरण करे । ( अथर्वेद 14 : 2 : 38 )
* तू जांघो के ऊपर आ हाथ का सहारा दे और प्रसन्न चित होकर तू पत्नी को आलीडन कर !
भावर्थ :- पति पत्नी दोनों प्रसन्न वदन होकर मुह से सामने मुह , नाक के सामने नाक इत्यादि को पुरूष के प्रशिप्त वीर्य को खेंचकर स्त्री की गर्भशय में स्थिर कर । ( अथर्वेद 14 : 2 : 39 )
* ब्रह्चाये कन्या युवा पति को पाती है , बैल और घोड़ा ब्रह्चाये ( कन्या ) के साथ घास सिंचना
( गर्भधान करना ) चाहता है ।
( अर्थवेद 11 : 5 : 18 )
( गर्भधान करना ) चाहता है ।
( अर्थवेद 11 : 5 : 18 )
* स्त्री पुरुष मुह के साथ मुह ,आंख के साथ आंख , शरीर के साथ शरीर के साथ करे ।
(यजुर्वेद 19 : 88 )
* स्त्री अपने पति से योनि के भीतर पुण्यरूप गर्भ को धारण करती है । ( यजुर्वेद 19 : 94 )
* पुरुष का लिंग स्त्री की योनि में प्रवेश करता हुआ वीर्य को छोड़ता है । ( यजुर्वेद 19 : 76)
ऋग्वेद 10 : 85 : 45 |
(१) यां त्वा ………शेपहर्श्नीम ||
(अथर्व वेद ४-४-१) अर्थ : हे जड़ी-बूटी, मैं तुम्हें खोदता हूँ. तुम मेरे लिंग को उसी प्रकार उतेजित करो जिस प्रकार तुम ने नपुंसक वरुण के लिंग को उत्तेजित किया था ।
(२) अद्द्यागने……………………….पसा:||
(अथर्व वेद ४-४-६) अर्थ: हे अग्नि देव, हे सविता, हे सरस्वती देवी, तुम इस आदमी के लिंग को इस तरह तान दो जैसे धनुष की डोरी तनी रहती है
(३) अश्वस्या……………………….तनुवशिन || (अथर्व वेद ४-४-८) अर्थ : हे देवताओं, इस आदमी के लिंग में घोड़े, घोड़े के युवा बच्चे, बकरे, बैल और मेढ़े के लिंग के सामान शक्ति दो
(४) आहं तनोमि ते पासो अधि ज्यामिव धनवानी, क्रमस्वर्श इव रोहितमावग्लायता (अथर्व वेद ६-१०१-३) मैं तुम्हारे लिंग को धनुष की डोरी के समान तानता हूँ ताकि तुम स्त्रियों में प्रचंड विहार कर सको.
(५) तां पूष………………………शेष:||
(अथर्व वेद १४-२-३८) अर्थ : हे पूषा, इस कल्याणी औरत को प्रेरित करो ताकि वह अपनी जंघाओं को फैलाए और हम उनमें लिंग से प्रहार करें.
(अथर्व वेद २०/१३३)
अर्थात : हे लड़की, तुम्हारे स्तन विकसित हो गए है. अब तुम छोटी नहीं हो, जैसे कि तुम अपने आप को समझती हो। इन स्तनों को पुरुष मसलते हैं। तुम्हारी माँ ने अपने स्तन पुरुषों से नहीं मसलवाये थे, अत: वे ढीले पड़ गए है। क्या तू ऐसे बाज नहीं आएगी? तुम चाहो तो बैठ सकती हो, चाहो तो लेट सकती हो.
* सब जानते ही है कि काले जादू के लिए अथर्ववेद प्रशिद्ध है । केवल एक ही उदहारण देता हूं ।
(अर्थवेद 10 : 3 : 13 ,14 )
( अर्थवेद 4 : 17 : 3 से 7 )
(अर्थवेद 7 : 88 : 1 )
( अर्थवेद 6 : 83 : 1 ,2 )
( सामवेद 11 : B 14 )
* बरहाल नील कमल वाली बात चालू थी ?
* नील कमल के पत्तो के रूप में स्तन या कूल्हे पर बने
निशानों को निल कमल का पता कहा जाता है ।
* जब सभी दाँतो से एक साथ काटने का काम किया जाता है तो इसे गहने की रेखा कहा जाता हैं ।
* ऐसे काटना की जिसमे एक दूसरे के नजदीक निशानों की पंक्तियों होती है और वो भी लाल निशान के साथ ऐसे काटने को सुअर का कटना कहते है ।
हिंदूइस्म का इतिहास
( ऋग्वेदादिभाष्यभूमिक ग्रन्थ विषय 25 )
* किसी किसी मंत्रो में तो ऐसा भी है , मद्यपान
( शराब , भांग , आदि नसीली चीजे ) , मांस ,
मछली खाना , सब के सब इकट्ठे बैठ के अय्यशी करना , स्वयं की कन्या से और बहन से मैथुन
संभोग ( हमबिस्तरी , हाथों से काम ले लेना )
करना । सच मे ऐसा होता था !
* शराब का मजा लेते लेते एक घर से दूसरे घर , दूसरे घर से तीसरे घर जाना और फिर सब जमा होकर पी - पीकर मदहोश हो जाना और पीते रहना ।
* आखिर असलियत पता चल ही रही है हिंदूइस्म की 150 पहले आकर 3000 साल की गन्दगी और करतूतो पर पर्दा डालने में लगे रहते है । ये ऐसा नही है वैसा है और सत्य तो इतिहासों के पन्नो में लिखा जा चुका है । अब देखते है आगे !
* और कई लोग रातों में किसी एक जगह पर जमा होकर उसे ब्राह्मण से लेकर हर कोई होता था , सब स्त्रियां व पुरुषों का मेला लग जाता फिर वे सब एक स्त्री को नंगा करके उसी यौनि पूजा करते और इतना ही नही कभी कभी तो पुरुषो को भी नंगा करके उसकी लिंग की पूजा करते थे
( आज भी करते है )
* और फिर शराब से भरे प्याले उनको पिलाये जाते थे और फिर सब लोग मांस , शराब आदि का सेवन करते थे और इतना खाते पीते की जब तक खा - खाकर ठेर न हो जाये फिर सब एक स्त्री के साथ सामुहिक संभोग करते थे और उसमे ब्राह्मण से लेकर सब कोई शामिल रहते थे फिर जब सब काम हो जाता तो कहते अब हम अलग अलग जाती के हो गए । यानी ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शुद्र ।
* क्या बात है हमे तो पता है , की ये सब सत्य और ऐसा हुआ करता था क़ुरान नाजिल होने के पहले पर ये लोग पर्दा डाला करते इन बता पर ,
पर अफसोस अब कुछ नही हो सकता इतिहास गवाह है इन बातों का ।
* किसी किसी मे तो ऐसा भी लिखा है कि अपनी माता को छोड़ कर सब स्त्रियों के साथ संभोग कर लेवे ( अपनी सगी बहनों , बेटियों इत्यादि )
इसमे कुछ गलत नही और किसी किसी का ये भी कहना है कि खुद की माता को भी न छोड़ें और किसी मंत्रो में ये लिखा है , की स्त्री की यौनि में लिंग फसा कर मंत्रो का जाम करने से संतान की उत्पत्ति जल्दी होती है ।
* यज्ञशाला में यज्ञ करने वाले और यज्ञ करा ने वाले लोग कुमारी और स्त्रियों के साथ दिल्लगी कर कर के बात चीत करते है इस प्रकार से की अपनी हाथों की उंगलियों से यौनि को दिखला कर हंसते है , जब स्त्री लोग जल्दी चलती है , जब इनकी यौनि देख कर पुरुष का गुप्त भाग हिलता है और स्त्री की यौनि और पुरुष का लिंग
से वीर्य्य निकलता है , कुमारी यज्ञ करने वाली दिल्लगी ( हंसी से ) करती है , की जो यह तेरे लिंग के ऊपर का भाग मुह से सामान देखता है ।
* अब ब्रह्मा हंस के कहता है ये यजमान की स्त्री
( यज्ञ करने वाले की स्त्री ) जब तेरे माता पिता पलंग के ऊपर चढ़ के तेरे पिता ने मुठ्ठी ( मोटे हाथ के जैसा ) लिंग तेरी माता के भग डाला तब तेरी उतपत्ति हुई है , उसने यानी स्त्री ने भी ब्रह्मा
(वैदिक ईश्वर ) से कहा कि तेरी भी उतपत्ति ऐसी हुई है ,इस लिए दोनों एक समान हूए ।
* पुरुष लोग स्त्रियों की यौनि को हाथ से खेंचकर के बढ़ा लेवे जिससे स्त्रियों का पानी निकल जाता है , जब छोटा बड़ा लिंग उसकी यौनि में डाला जाता है तब यौनि के ऊपर दोनों अंडकोश नाचा करते है ।
* यजमान ( यज्ञ करने वाला व्यक्ति ) कहता है
घोड़े तू मेरी स्त्री की जांघो के ऊपर आके उसकी
गुदा के ऊपर वीर्य (अपना पानी ) डाल दे उसकी
यौनि में अपना लिंग चला दे , वह लिंग किस प्रकार का है , जिस समय यौनि में जाता हैं उस समय उसी लिंग में स्त्रियों का जीवन होता है और उसी से वे भोग को प्राप्त होती है , इससे तू उस लिंग को मेरी स्त्री की यौनि में डाल दे ।
* अब नही लगता कि कोई हिंदूइस्म और वेदों को विज्ञान साथ जोड़े अगर अब भी कोई जोड़ता है उससे बड़ा मूर्ख पूरे दुनिया मे कोई नही हो सकता ।
* ये है ज्ञान - विज्ञान की बाते और इनकी असलियत जिन के खुद के घर शीशे के हो वो दुसरो के घरों पे पत्थर नहीं मरा करते , इसी लिए थोड़ा अपना इतिहास उठा के दिखो की कितनी बु आती है उसमें से पहले स्वयं की मान्यता जानो फिर इस्लाम पर ताना काशी करना ।
1 . वेद और अश्लीलता
2 . वेद पुराण
3 . वेद और नारी
4 . नियोग
6 . सोमरस
* इस लेख का मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नही बल्कि उन इस्लाम विरोधीयो को जवाब देना है जो खुद की धार्मिक ग्रंथो की मान्यता को नही जानते और इस्लाम और मुसलमानों के ऊपर तानाकाशी करते है। अगर किसी को ठेस पहुंची होतो क्षमा चाहता हु !
धन्यवाद
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