कुरान और जल विज्ञान
पालनहार के पाक कलाम क़ुरान में जल विज्ञानं का नियम के बारे में संक्षिप में जानने की कोशिश करेंगे के क़ुरान इस बारे में क्या कहता है ?
जल चक्र ( water cycel )
* आज कोई ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जो की बारिश किस तरह से बरसती है और इसका मूल कारण क्या है नहीं जनता होगा ? जानने कारण है वैज्ञानिक की खोज जिन से हमें नई नई जानकारी प्राप्त होती रहती है और जल चक्र ( water cycel ) नियम की खोज लगभग 1580 ईस्वी में हुई कई वैज्ञानिक की एक लम्बी लिस्ट है जिन्होंने जल चक्र से बारिश बरसने का नियम बताया है ! जिस एक छोटासा उद्धरण दीखते है जो की कुछ इस तरीह से है !
० जल चक्र के नियम का मूल कारण है वाष्पीकरण है , जिस में सूर्य का मुख्य किरदार होता है , सब से पहले सूर्य की तपती किरणे सागरो , समुन्दर ( see ) पे पढ़ती है , जिसके सबब पानी से गर्म धुआँ की
( वाष्प ) शकल में ऊपर आकाश में जाती है ! जिसका एक छोटासा !
( वाष्प ) शकल में ऊपर आकाश में जाती है ! जिसका एक छोटासा !
ex ० साथ में लेते है मान लो की हमने एक छोटीसी हाँडी को पानी से भर कर ऊपर से किसी चीज से उसका मुख यानीं ऊपरी सिरा ढाक दिया और नीचे से आग लगा दी तो थोड़ी ही देर बाद जब पानी गर्म होने लगेगा तो जो ऊपरी सिरे पर दे खेंगे की पानी की बुँदे दिखाई पढेंगी उसी को वाष्पीकरण यानि वाफ कहा जाता है !
* उसी प्रकार से सूर्य की करिणे सागरो पर
पढ़ती है वाष्प ( गर्म धुआँ ) ऊपर आसमान की ओर जाता है इसी प्रकार ये कारवाह चलता रहता और हवा के जरिये ये धुआँ सा एक जगह इकठ्ठा होता है और एक विशाल बादल रूप लेता है , हवा के जरिये ये निरंतर चलता रहता है फिर यही बादल से जमीन पर पानी बरसता है बड़े - बड़े बादलो के टकराओ से बिजुलीया का भी निर्माण होता है बादलो से जो पानी धरती पर बरसता है जिस के जरिये धरती पर सारे जिव जीवित है !
* बारिश से बरसा पानी पहड़ो से होता हुआ नालियों , नदियों , झरनो , में बहता हुआ फिर समुन्द्रो में जा मिलता है। इस प्रकार जल चक्र नियम है ! ( WATER CYCLE )
* उसी प्रकार से सूर्य की करिणे सागरो पर
पढ़ती है वाष्प ( गर्म धुआँ ) ऊपर आसमान की ओर जाता है इसी प्रकार ये कारवाह चलता रहता और हवा के जरिये ये धुआँ सा एक जगह इकठ्ठा होता है और एक विशाल बादल रूप लेता है , हवा के जरिये ये निरंतर चलता रहता है फिर यही बादल से जमीन पर पानी बरसता है बड़े - बड़े बादलो के टकराओ से बिजुलीया का भी निर्माण होता है बादलो से जो पानी धरती पर बरसता है जिस के जरिये धरती पर सारे जिव जीवित है !
* बारिश से बरसा पानी पहड़ो से होता हुआ नालियों , नदियों , झरनो , में बहता हुआ फिर समुन्द्रो में जा मिलता है। इस प्रकार जल चक्र नियम है ! ( WATER CYCLE )
जल चक्र |
* आज ये बात समझना कोई मुश्किल नहीं क्योंकि धरती पर ऐसा कोई नहीं होगा जो ये बात से अनजान हो परन्तु इसका शोध १५८० ईस्वी में हुआ यानि आज से लग भग ४५० साल पहले ही इसके पहले कोई नहीं जनता था की जल चक्र क्या है और में यु कहु की १४५० साल पहले क़ुरान में किसके बारे में बताया गया है तो आपका इस बारे में क्या विचार होगा क़ुरान सच्चा और पानलहर की तरफ से होने में कोई शक रह सकता है भला आइये दीखते है पवित्र क़ुरान इस बारे क्या कहता है !
Quran and Hydrologic कुरान और जल विज्ञान
أَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءً فَسَالَتْ أَوْدِيَةٌۢ بِقَدَرِهَا فَٱحْتَمَلَ ٱلسَّيْلُ زَبَدًا رَّابِيًا وَمِمَّا يُوقِدُونَ عَلَيْهِ فِى ٱلنَّارِ ٱبْتِغَآءَ حِلْيَةٍ أَوْ مَتَٰعٍ زَبَدٌ مِّثْلُهُۥ كَذَٰلِكَ يَضْرِبُ ٱللَّهُ ٱلْحَقَّ وَٱلْبَٰطِلَ فَأَمَّا ٱلزَّبَدُ فَيَذْهَبُ جُفَآءً وَأَمَّا مَا يَنفَعُ ٱلنَّاسَ فَيَمْكُثُ فِى ٱلْأَرْضِ كَذَٰلِكَ يَضْرِبُ ٱللَّهُ ٱلْأَمْثَالَ
उसने आकाश से पानी उतारा तो नदी-नाले अपनी-अपनी समाई के अनुसार बह निकले। फिर पानी के बहाव ने उभरे हुए झाग को उठा लिया और उसमें से भी, जिसे वे ज़ेवर या दूसरे सामान बनाने के लिए आग में तपाते हैं, ऐसा ही झाग उठता है। इस प्रकार अल्लाह सत्य और असत्य की मिसाल बयान करता है। फिर जो झाग है वह तो सूखकर नष्ट हो जाता है और जो कुछ लोगों को लाभ पहुँचानेवाला होता है, वह धरती में ठहर जाता है। इसी प्रकार अल्लाह दृष्टांत प्रस्तुत करता है ! ( 13: 17 )
وَهُوَ ٱلَّذِى يُرْسِلُ ٱلرِّيَٰحَ بُشْرًۢا بَيْنَ يَدَىْ رَحْمَتِهِۦ حَتَّىٰٓ إِذَآ أَقَلَّتْ سَحَابًا ثِقَالًا سُقْنَٰهُ لِبَلَدٍ مَّيِّتٍ فَأَنزَلْنَا بِهِ ٱلْمَآءَ فَأَخْرَجْنَا بِهِۦ مِن كُلِّ ٱلثَّمَرَٰتِ كَذَٰلِكَ نُخْرِجُ ٱلْمَوْتَىٰ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُونَ
(क्योंकि) नेकी करने वालों से ख़ुदा की रहमत यक़ीनन क़रीब है और वही तो (वह) ख़ुदा है जो अपनी रहमत (अब्र) से पहले खुशखबरी देने वाली हवाओ को भेजता है यहाँ तक कि जब हवाएं (पानी से भरे) बोझल बादलों के ले उड़े तो हम उनको किसी शहर की की तरफ (जो पानी का नायाबी (कमी) से गोया) मर चुका था हॅका दिया फिर हमने उससे पानी बरसाया, फिर हमने उससे हर तरह के फल ज़मीन से निकाले !
( 7 : 57 )
( 7 : 57 )
وَهُوَ ٱلَّذِىٓ أَرْسَلَ ٱلرِّيَٰحَ بُشْرًۢا بَيْنَ يَدَىْ رَحْمَتِهِۦ وَأَنزَلْنَا مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءً طَهُورًا
और वही है जिसने अपनी दयालुता (वर्षा) के आगे-आगे हवाओं को शुभ सूचना बनाकर भेजता है, और हम ही आकाश से स्वच्छ जल उतारते है ! ( 25 : 48 )
لِّنُحْۦِىَ بِهِۦ بَلْدَةً مَّيْتًا وَنُسْقِيَهُۥ مِمَّا خَلَقْنَآ أَنْعَٰمًا وَأَنَاسِىَّ كَثِيرًا
ताकि हम उसके द्वारा निर्जीव भू-भाग को जीवन प्रदान करें और उसे अपने पैदा किए हुए बहुत-से चौपायों और मनुष्यों को पिलाएँ ! (25 : 49 )
أَلَمْ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ أَنزَلَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءً فَسَلَكَهُۥ يَنَٰبِيعَ فِى ٱلْأَرْضِ ثُمَّ يُخْرِجُ بِهِۦ زَرْعًا مُّخْتَلِفًا أَلْوَٰنُهُۥ ثُمَّ يَهِيجُ فَتَرَىٰهُ مُصْفَرًّا ثُمَّ يَجْعَلُهُۥ حُطَٰمًا إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَذِكْرَىٰ لِأُو۟لِى ٱلْأَلْبَٰبِ
क्या तुमने नहीं देखा कि अल्लाह ने आकाश से पानी उतारा, फिर धरती में उसके स्रोत प्रवाहित कर दिए; फिर उसने द्वारा खेती निकालता है, जिसके विभिन्न रंग होते है; फिर वह सूखने लगती है; फिर तुम देखते हो कि वह पीली पड़ गई; फिर वह उसे चूर्ण-विचूर्ण कर देता है? निस्संदेह इसमें बुद्धि और समझवालों के लिए बड़ी याददिहानी है ! ( 39 : 21 )
وَٱللَّهُ ٱلَّذِىٓ أَرْسَلَ ٱلرِّيَٰحَ فَتُثِيرُ سَحَابًا فَسُقْنَٰهُ إِلَىٰ بَلَدٍ مَّيِّتٍ فَأَحْيَيْنَا بِهِ ٱلْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا كَذَٰلِكَ ٱلنُّشُورُ
अल्लाह ही तो है जिसने हवाएँ चलाई फिर वह बादलों को उभारती है, फिर हम उसे किसी शुष्क और निर्जीव भूभाग की ओर ले गए, और उसके द्वारा हमने धरती को उसके मुर्दा हो जाने के पश्चात जीवित कर दिया। इसी प्रकार (लोगों का नए सिरे से) जीवित होकर उठना भी है !
( 35 : 9 )
( 35 : 9 )
وَنَزَّلْنَا مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءً مُّبَٰرَكًا فَأَنۢبَتْنَا بِهِۦ جَنَّٰتٍ وَحَبَّ ٱلْحَصِيدِ
और हमने आकाश से बरकतवाला पानी उतारा, फिर उससे बाग़ और फ़सल के अनाज।
( 50 : 9 )
( 50 : 9 )
وَٱلنَّخْلَ بَاسِقَٰتٍ لَّهَا طَلْعٌ نَّضِيدٌ
और ऊँचे-ऊँचे खजूर के वृक्ष उगाए जिनके गुच्छे तह पर तह होते है, ( 50 : 10 )
رِّزْقًا لِّلْعِبَادِ وَأَحْيَيْنَا بِهِۦ بَلْدَةً مَّيْتًا كَذَٰلِكَ ٱلْخُرُوجُ
बन्दों की रोजी के लिए। और हमने उस (पानी) के द्वारा निर्जीव धरती को जीवन प्रदान किया। इसी प्रकार निकलना भी हैं ! ( 50: 11 )
وَٱخْتِلَٰفِ ٱلَّيْلِ وَٱلنَّهَارِ وَمَآ أَنزَلَ ٱللَّهُ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مِن رِّزْقٍ فَأَحْيَا بِهِ ٱلْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا وَتَصْرِيفِ ٱلرِّيَٰحِ ءَايَٰتٌ لِّقَوْمٍ يَعْقِلُونَ
और रात और दिन के उलट-फेर में भी, और उस रोज़ी (पानी) में भी जिसे अल्लाह ने आकाश से उतारा, फिर उसके द्वारा धरती को उसके उन मुर्दा हो जाने के पश्चात जीवित किया और हवाओं की गर्दिश में भी लोगों के लिए बहुत-सी निशानियाँ है जो बुद्धि से काम लें ! ( 45 : 5 )
हवा के जरिये धुआँ का जमा हो कर बादल की सूरत इख़्तियार होना और बिजुली का निर्माण और पानी का जमीन पर बरसना ?
أَلَمْ تَرَ أَنَّ ٱللَّهَ يُزْجِى سَحَابًا ثُمَّ يُؤَلِّفُ بَيْنَهُۥ ثُمَّ يَجْعَلُهُۥ رُكَامًا فَتَرَى ٱلْوَدْقَ يَخْرُجُ مِنْ خِلَٰلِهِۦ وَيُنَزِّلُ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مِن جِبَالٍ فِيهَا مِنۢ بَرَدٍ فَيُصِيبُ بِهِۦ مَن يَشَآءُ وَيَصْرِفُهُۥ عَن مَّن يَشَآءُ يَكَادُ سَنَا بَرْقِهِۦ يَذْهَبُ بِٱلْأَبْصَٰرِ
क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह बादल को चलाता है। फिर उनको परस्पर मिलाता है। फिर उसे तह पर तह कर देता है। फिर तुम देखते हो कि उसके बीच से मेह बरसता है? और आकाश से- उसमें जो पहाड़ है (बादल जो पहाड़ जैसे प्रतीत होते है उनसे) - ओले बरसाता है। फिर जिस पर चाहता है, उसे हटा देता है। ऐसा प्रतीत होता है कि बिजली की चमक निगाहों को उचक ले जाएगी ! ( 24 : 43 )
ٱللَّهُ ٱلَّذِى يُرْسِلُ ٱلرِّيَٰحَ فَتُثِيرُ سَحَابًا فَيَبْسُطُهُۥ فِى ٱلسَّمَآءِ كَيْفَ يَشَآءُ وَيَجْعَلُهُۥ كِسَفًا فَتَرَى ٱلْوَدْقَ يَخْرُجُ مِنْ خِلَٰلِهِۦ فَإِذَآ أَصَابَ بِهِۦ مَن يَشَآءُ مِنْ عِبَادِهِۦٓ إِذَا هُمْ يَسْتَبْشِرُونَ
अल्लाह ही है जो हवाओं को भेजता है। फिर वे बादलों को उठाती हैं; फिर जिस तरह चाहता है उन्हें आकाश में फैला देता है और उन्हें परतों और टुकड़ियों का रूप दे देता है। फिर तुम देखते हो कि उनके बीच से वर्षा की बूँदें टपकी चली आती है। फिर जब वह अपने बन्दों में से जिनपर चाहता है, उसे बरसाता है। तो क्या देखते है कि वे हर्षित हो उठे ! ( 30 : 48 )
وَمِنْ ءَايَٰتِهِۦ يُرِيكُمُ ٱلْبَرْقَ خَوْفًا وَطَمَعًا وَيُنَزِّلُ مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءً فَيُحْىِۦ بِهِ ٱلْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَآ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَٰتٍ لِّقَوْمٍ يَعْقِلُونَ
और उसकी निशानियों में से यह भी है कि वह तुम्हें बिजली की चमक भय और आशा उत्पन्न करने के लिए दिखाता है। और वह आकाश से पानी बरसाता है। फिर उसके द्वारा धरती को उसके निर्जीव हो जाने के पश्चात जीवन प्रदान करता है। निस्संदेह इसमें बहुत-सी निशानियाँ है उन लोगों के लिए जो बुद्धि से काम लेते है
( 30 : 24 )
नदी , झरनो इत्यादि में पानी जमा होना फिर से वही नियम अगर पानी जमीन की तल में चला जाये तो कौन है जो पानी को फिर से लाये सिवाए पालनहार के ?
وَأَنزَلْنَا مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءًۢ بِقَدَرٍ فَأَسْكَنَّٰهُ فِى ٱلْأَرْضِ وَإِنَّا عَلَىٰ ذَهَابٍۭ بِهِۦ لَقَٰدِرُونَ
और हमने आकाश से एक अंदाज़े के साथ पानी उतारा। फिर हमने उसे धरती में ठहरा दिया, और उसे विलुप्त करने की सामर्थ्य भी हमें प्राप्त है !
( 23 : 18 )
( 23 : 18 )
أَفَرَءَيْتُمُ ٱلْمَآءَ ٱلَّذِى تَشْرَبُون
फिर क्या तुमने उस पानी को देखा जिसे तुम पीते हो? ( 56 : 68 )
ءَأَنتُمْ أَنزَلْتُمُوهُ مِنَ ٱلْمُزْنِ أَمْ نَحْنُ ٱلْمُنزِلُونَ
क्या उसे बादलों से तुमने पानी बरसाया या बरसानेवाले हम है? ( 56:69 )
لَوْ نَشَآءُ جَعَلْنَٰهُ أُجَاجًا فَلَوْلَا تَشْكُرُونَ
यदि हम चाहें तो उसे अत्यन्त खारा बनाकर रख दें। फिर तुम कृतज्ञता क्यों नहीं दिखाते?
( 56 : 70 )
( 56 : 70 )
قُلْ أَرَءَيْتُمْ إِنْ أَصْبَحَ مَآؤُكُمْ غَوْرًا فَمَن يَأْتِيكُم بِمَآءٍ مَّعِينٍۭ
कहो, "क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि तुम्हारा पानी (धरती में) नीचे उतर जाए तो फिर कौन तुम्हें लाकर देगा निर्मल प्रवाहित जल ?"
( 67 : 30 )
( 67 : 30 )
* अब भी कुछ शक बाकि रहता है क़ुरान अल्लाह का सच्चा कलाम और आप नबी मोहम्मद सलल्लाहु अलैहि वसलम सच्चे नबी होने में ? अगर अब भी शक तो अफ़सोस इन्शान ?
أَمْ يَقُولُونَ تَقَوَّلَهُۥ بَل لَّا يُؤْمِنُونَ
या वे कहते है, "उसने उस (क़ुरआन) को स्वयं ही कह लिया है?" नहीं, बल्कि वे ईमान नहीं लाते । ( 52 : 33 )
فَلْيَأْتُوا۟ بِحَدِيثٍ مِّثْلِهِۦٓ إِن كَانُوا۟ صَٰدِقِينَ
अच्छा यदि वे सच्चे है तो उन्हें उस जैसी वाणी ले आनी चाहिए । ( 52 : 34 )
أَمْ خُلِقُوا۟ مِنْ غَيْرِ شَىْءٍ أَمْ هُمُ ٱلْخَٰلِقُونَ
या वे बिना किसी चीज़ के पैदा हो गए? या वे स्वयं ही अपने स्रष्टाँ है? ( 52 : 35 )
أَمْ خَلَقُوا۟ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ بَل لَّا يُوقِنُونَ
या उन्होंने आकाशों और धरती को पैदा किया ?
( 52 : 36 )
الٓمٓر تِلْكَ ءَايَٰتُ ٱلْكِتَٰبِ وَٱلَّذِىٓ أُنزِلَ إِلَيْكَ مِن رَّبِّكَ ٱلْحَقُّ وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يُؤْمِنُونَ
अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ रा॰। ये किताब की आयतें है औऱ जो कुछ तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर अवतरित हुआ है, वह सत्य है, किन्तु अधिकतर लोग मान नहीं रहे है ( 13 : 1 )
ٱللَّهُ ٱلَّذِى رَفَعَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ بِغَيْرِ عَمَدٍ تَرَوْنَهَا ثُمَّ ٱسْتَوَىٰ عَلَى ٱلْعَرْشِ وَسَخَّرَ ٱلشَّمْسَ وَٱلْقَمَرَ كُلٌّ يَجْرِى لِأَجَلٍ مُّسَمًّى يُدَبِّرُ ٱلْأَمْرَ يُفَصِّلُ ٱلْءَايَٰتِ لَعَلَّكُم بِلِقَآءِ رَبِّكُمْ تُوقِنُونَ
अल्लाह वह है जिसने आकाशों को बिना सहारे के ऊँचा बनाया जैसा कि तुम उन्हें देखते हो। फिर वह सिंहासन पर आसीन हुआ। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम पर लगाया। हरेक एक नियत समय तक के लिए चला जा रहा है। वह सारे काम का विधान कर रहा है; वह निशानियाँ खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम्हें अपने रब से मिलने का विश्वास हो (13 : 2 )
وَهُوَ ٱلَّذِى مَدَّ ٱلْأَرْضَ وَجَعَلَ فِيهَا رَوَٰسِىَ وَأَنْهَٰرًا وَمِن كُلِّ ٱلثَّمَرَٰتِ جَعَلَ فِيهَا زَوْجَيْنِ ٱثْنَيْنِ يُغْشِى ٱلَّيْلَ ٱلنَّهَارَ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَٰتٍ لِّقَوْمٍ يَتَفَكَّرُونَ
और वही है जिसने धरती को फैलाया और उसमें जमे हुए पर्वत और नदियाँ बनाई और हरेक पैदावार की दो-दो क़िस्में बनाई। वही रात से दिन को छिपा देता है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है जो सोच-विचार से काम लेते है (13 : 3 )
وَفِى ٱلْأَرْضِ قِطَعٌ مُّتَجَٰوِرَٰتٌ وَجَنَّٰتٌ مِّنْ أَعْنَٰبٍ وَزَرْعٌ وَنَخِيلٌ صِنْوَانٌ وَغَيْرُ صِنْوَانٍ يُسْقَىٰ بِمَآءٍ وَٰحِدٍ وَنُفَضِّلُ بَعْضَهَا عَلَىٰ بَعْضٍ فِى ٱلْأُكُلِ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَٰتٍ لِّقَوْمٍ يَعْقِلُونَ
और धरती में पास-पास भूभाग पाए जाते है जो परस्पर मिले हुए है, और अंगूरों के बाग़ है और खेतियाँ है औऱ खजूर के पेड़ है, इकहरे भी और दोहरे भी। सबको एक ही पानी से सिंचित करता है, फिर भी हम पैदावार और स्वाद में किसी को किसी के मुक़ाबले में बढ़ा देते है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ हैं, जो बुद्धि से काम लेते है (13 : 4 )
أَفَمَن يَعْلَمُ أَنَّمَآ أُنزِلَ إِلَيْكَ مِن رَّبِّكَ ٱلْحَقُّ كَمَنْ هُوَ أَعْمَىٰٓ إِنَّمَا يَتَذَكَّرُ أُو۟لُوا۟ ٱلْأَلْبَٰبِ
भला वह व्यक्ति जो जानता है कि जो कुछ तुम पर उतरा है तुम्हारे रब की ओर से सत्य है, कभी उस जैसा हो सकता है जो अंधा है? परन्तु समझते तो वही है जो बुद्धि और समझ रखते है, ( 13 : 19 )
ये इन्शान तेरी क्या हैशियत है ?
أَوَلَمْ يَرَ ٱلْإِنسَٰنُ أَنَّا خَلَقْنَٰهُ مِن نُّطْفَةٍ فَإِذَا هُوَ خَصِيمٌ مُّبِينٌ
क्या आदमी ने इस पर भी ग़ौर नहीं किया कि हम ही ने इसको एक ज़लील नुत्फे ( वीर्य ) से पैदा किया फिर वह यकायक (हमारा ही) खुल्लम खुल्ला मुक़ाबिल (बना) है ( 36:77 )
وَضَرَبَ لَنَا مَثَلًا وَنَسِىَ خَلْقَهُۥ قَالَ مَن يُحْىِ ٱلْعِظَٰمَ وَهِىَ رَمِيمٌ
और हमारी निसबत बातें बनाने लगा और अपनी ख़िलक़त (की हालत) भूल गया और कहने लगा कि भला जब ये हड्डियां (सड़गल कर) ख़ाक हो जाएँगी तो (फिर) कौन (दोबारा) ज़िन्दा कर सकता है ( 36:78 )
قُلْ يُحْيِيهَا ٱلَّذِىٓ أَنشَأَهَآ أَوَّلَ مَرَّةٍ وَهُوَ بِكُلِّ خَلْقٍ عَلِيمٌ
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि उसको वही ज़िन्दा करेगा जिसने उनको (जब ये कुछ न थे) पहली बार ज़िन्दा कर (रखा) ( 36:79)
ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُم مِّنَ ٱلشَّجَرِ ٱلْأَخْضَرِ نَارًا فَإِذَآ أَنتُم مِّنْهُ تُوقِدُونَ
और वह हर तरह की पैदाइश से वाक़िफ है जिसने तुम्हारे वास्ते (मिर्ख़ और अफ़ार के) हरे दरख्त से आग पैदा कर दी फिर तुम उससे (और) आग सुलगा लेते हो ( 36:80 )
أَوَلَيْسَ ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ بِقَٰدِرٍ عَلَىٰٓ أَن يَخْلُقَ مِثْلَهُم بَلَىٰ وَهُوَ ٱلْخَلَّٰقُ ٱلْعَلِيمُ
(भला) जिस (खुदा) ने सारे आसमान और ज़मीन पैदा किए क्या वह इस पर क़ाबू नहीं रखता कि उनके मिस्ल (दोबारा) पैदा कर दे हाँ (ज़रूर क़ाबू रखता है) और वह तो पैदा करने वाला वाक़िफ़कार है ( 36:81 )
إِنَّمَآ أَمْرُهُۥٓ إِذَآ أَرَادَ شَيْـًٔا أَن يَقُولَ لَهُۥ كُن فَيَكُونُ
उसकी शान तो ये है कि जब किसी चीज़ को (पैदा करना) चाहता है तो वह कह देता है कि ''हो जा'' तो (फौरन) हो जाती है ( 36:82 )
فَسُبْحَٰنَ ٱلَّذِى بِيَدِهِۦ مَلَكُوتُ كُلِّ شَىْءٍ وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ
तो वह ख़ुद (हर नफ्स से) पाक साफ़ है जिसके क़ब्ज़े कुदरत में हर चीज़ की हिकमत है और तुम लोग उसी की तरफ लौट कर जाओगे ( 36:83 )
قُل لَّئِنِ ٱجْتَمَعَتِ ٱلْإِنسُ وَٱلْجِنُّ عَلَىٰٓ أَن يَأْتُوا۟ بِمِثْلِ هَٰذَا ٱلْقُرْءَانِ لَا يَأْتُونَ بِمِثْلِهِۦ وَلَوْ كَانَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ ظَهِيرًا
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि (अगर सारे दुनिया जहाँन के) आदमी और जिन इस बात पर इकट्ठे हो कि उस क़ुरान का मिसल ले आएँ तो (ना मुमकिन) उसके बराबर नहीं ला सकते अगरचे (उसको कोशिश में) एक का एक मददगार भी बने । ( 17 : 88 )
* पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
*कह दो,"सत्य आ गया और असत्य मिट
Note:- या अल्लाह लिखने में
* अल्लाह से दुआ है , की हक़ को मानने , और समझने को तौफीक आता फरमाए , ज़ुबान पर हक़ बोलने की ताकत दे , और उसे ज्यादा उस चीज पर अमल करने की तौफीक दे , या अल्लाह दुनिया मे रख ईमान पर , और मरते वक़त कलम ए हक़ आत फ़रमा । (अमीन )
أَمْ يَقُولُونَ تَقَوَّلَهُۥ بَل لَّا يُؤْمِنُونَ
या वे कहते है, "उसने उस (क़ुरआन) को स्वयं ही कह लिया है?" नहीं, बल्कि वे ईमान नहीं लाते । ( 52 : 33 )
فَلْيَأْتُوا۟ بِحَدِيثٍ مِّثْلِهِۦٓ إِن كَانُوا۟ صَٰدِقِينَ
अच्छा यदि वे सच्चे है तो उन्हें उस जैसी वाणी ले आनी चाहिए । ( 52 : 34 )
أَمْ خُلِقُوا۟ مِنْ غَيْرِ شَىْءٍ أَمْ هُمُ ٱلْخَٰلِقُونَ
या वे बिना किसी चीज़ के पैदा हो गए? या वे स्वयं ही अपने स्रष्टाँ है? ( 52 : 35 )
أَمْ خَلَقُوا۟ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ بَل لَّا يُوقِنُونَ
या उन्होंने आकाशों और धरती को पैदा किया ?
( 52 : 36 )
الٓمٓر تِلْكَ ءَايَٰتُ ٱلْكِتَٰبِ وَٱلَّذِىٓ أُنزِلَ إِلَيْكَ مِن رَّبِّكَ ٱلْحَقُّ وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يُؤْمِنُونَ
अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ रा॰। ये किताब की आयतें है औऱ जो कुछ तुम्हारे रब की ओर से तुम्हारी ओर अवतरित हुआ है, वह सत्य है, किन्तु अधिकतर लोग मान नहीं रहे है ( 13 : 1 )
ٱللَّهُ ٱلَّذِى رَفَعَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ بِغَيْرِ عَمَدٍ تَرَوْنَهَا ثُمَّ ٱسْتَوَىٰ عَلَى ٱلْعَرْشِ وَسَخَّرَ ٱلشَّمْسَ وَٱلْقَمَرَ كُلٌّ يَجْرِى لِأَجَلٍ مُّسَمًّى يُدَبِّرُ ٱلْأَمْرَ يُفَصِّلُ ٱلْءَايَٰتِ لَعَلَّكُم بِلِقَآءِ رَبِّكُمْ تُوقِنُونَ
अल्लाह वह है जिसने आकाशों को बिना सहारे के ऊँचा बनाया जैसा कि तुम उन्हें देखते हो। फिर वह सिंहासन पर आसीन हुआ। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम पर लगाया। हरेक एक नियत समय तक के लिए चला जा रहा है। वह सारे काम का विधान कर रहा है; वह निशानियाँ खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि तुम्हें अपने रब से मिलने का विश्वास हो (13 : 2 )
وَهُوَ ٱلَّذِى مَدَّ ٱلْأَرْضَ وَجَعَلَ فِيهَا رَوَٰسِىَ وَأَنْهَٰرًا وَمِن كُلِّ ٱلثَّمَرَٰتِ جَعَلَ فِيهَا زَوْجَيْنِ ٱثْنَيْنِ يُغْشِى ٱلَّيْلَ ٱلنَّهَارَ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَٰتٍ لِّقَوْمٍ يَتَفَكَّرُونَ
और वही है जिसने धरती को फैलाया और उसमें जमे हुए पर्वत और नदियाँ बनाई और हरेक पैदावार की दो-दो क़िस्में बनाई। वही रात से दिन को छिपा देता है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है जो सोच-विचार से काम लेते है (13 : 3 )
وَفِى ٱلْأَرْضِ قِطَعٌ مُّتَجَٰوِرَٰتٌ وَجَنَّٰتٌ مِّنْ أَعْنَٰبٍ وَزَرْعٌ وَنَخِيلٌ صِنْوَانٌ وَغَيْرُ صِنْوَانٍ يُسْقَىٰ بِمَآءٍ وَٰحِدٍ وَنُفَضِّلُ بَعْضَهَا عَلَىٰ بَعْضٍ فِى ٱلْأُكُلِ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَٰتٍ لِّقَوْمٍ يَعْقِلُونَ
और धरती में पास-पास भूभाग पाए जाते है जो परस्पर मिले हुए है, और अंगूरों के बाग़ है और खेतियाँ है औऱ खजूर के पेड़ है, इकहरे भी और दोहरे भी। सबको एक ही पानी से सिंचित करता है, फिर भी हम पैदावार और स्वाद में किसी को किसी के मुक़ाबले में बढ़ा देते है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ हैं, जो बुद्धि से काम लेते है (13 : 4 )
أَفَمَن يَعْلَمُ أَنَّمَآ أُنزِلَ إِلَيْكَ مِن رَّبِّكَ ٱلْحَقُّ كَمَنْ هُوَ أَعْمَىٰٓ إِنَّمَا يَتَذَكَّرُ أُو۟لُوا۟ ٱلْأَلْبَٰبِ
भला वह व्यक्ति जो जानता है कि जो कुछ तुम पर उतरा है तुम्हारे रब की ओर से सत्य है, कभी उस जैसा हो सकता है जो अंधा है? परन्तु समझते तो वही है जो बुद्धि और समझ रखते है, ( 13 : 19 )
ये इन्शान तेरी क्या हैशियत है ?
أَوَلَمْ يَرَ ٱلْإِنسَٰنُ أَنَّا خَلَقْنَٰهُ مِن نُّطْفَةٍ فَإِذَا هُوَ خَصِيمٌ مُّبِينٌ
क्या आदमी ने इस पर भी ग़ौर नहीं किया कि हम ही ने इसको एक ज़लील नुत्फे ( वीर्य ) से पैदा किया फिर वह यकायक (हमारा ही) खुल्लम खुल्ला मुक़ाबिल (बना) है ( 36:77 )
وَضَرَبَ لَنَا مَثَلًا وَنَسِىَ خَلْقَهُۥ قَالَ مَن يُحْىِ ٱلْعِظَٰمَ وَهِىَ رَمِيمٌ
और हमारी निसबत बातें बनाने लगा और अपनी ख़िलक़त (की हालत) भूल गया और कहने लगा कि भला जब ये हड्डियां (सड़गल कर) ख़ाक हो जाएँगी तो (फिर) कौन (दोबारा) ज़िन्दा कर सकता है ( 36:78 )
قُلْ يُحْيِيهَا ٱلَّذِىٓ أَنشَأَهَآ أَوَّلَ مَرَّةٍ وَهُوَ بِكُلِّ خَلْقٍ عَلِيمٌ
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि उसको वही ज़िन्दा करेगा जिसने उनको (जब ये कुछ न थे) पहली बार ज़िन्दा कर (रखा) ( 36:79)
ٱلَّذِى جَعَلَ لَكُم مِّنَ ٱلشَّجَرِ ٱلْأَخْضَرِ نَارًا فَإِذَآ أَنتُم مِّنْهُ تُوقِدُونَ
और वह हर तरह की पैदाइश से वाक़िफ है जिसने तुम्हारे वास्ते (मिर्ख़ और अफ़ार के) हरे दरख्त से आग पैदा कर दी फिर तुम उससे (और) आग सुलगा लेते हो ( 36:80 )
أَوَلَيْسَ ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ بِقَٰدِرٍ عَلَىٰٓ أَن يَخْلُقَ مِثْلَهُم بَلَىٰ وَهُوَ ٱلْخَلَّٰقُ ٱلْعَلِيمُ
(भला) जिस (खुदा) ने सारे आसमान और ज़मीन पैदा किए क्या वह इस पर क़ाबू नहीं रखता कि उनके मिस्ल (दोबारा) पैदा कर दे हाँ (ज़रूर क़ाबू रखता है) और वह तो पैदा करने वाला वाक़िफ़कार है ( 36:81 )
إِنَّمَآ أَمْرُهُۥٓ إِذَآ أَرَادَ شَيْـًٔا أَن يَقُولَ لَهُۥ كُن فَيَكُونُ
उसकी शान तो ये है कि जब किसी चीज़ को (पैदा करना) चाहता है तो वह कह देता है कि ''हो जा'' तो (फौरन) हो जाती है ( 36:82 )
فَسُبْحَٰنَ ٱلَّذِى بِيَدِهِۦ مَلَكُوتُ كُلِّ شَىْءٍ وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ
तो वह ख़ुद (हर नफ्स से) पाक साफ़ है जिसके क़ब्ज़े कुदरत में हर चीज़ की हिकमत है और तुम लोग उसी की तरफ लौट कर जाओगे ( 36:83 )
قُل لَّئِنِ ٱجْتَمَعَتِ ٱلْإِنسُ وَٱلْجِنُّ عَلَىٰٓ أَن يَأْتُوا۟ بِمِثْلِ هَٰذَا ٱلْقُرْءَانِ لَا يَأْتُونَ بِمِثْلِهِۦ وَلَوْ كَانَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ ظَهِيرًا
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि (अगर सारे दुनिया जहाँन के) आदमी और जिन इस बात पर इकट्ठे हो कि उस क़ुरान का मिसल ले आएँ तो (ना मुमकिन) उसके बराबर नहीं ला सकते अगरचे (उसको कोशिश में) एक का एक मददगार भी बने । ( 17 : 88 )
إِنَّ ٱلَّذِينَ يُحِبُّونَ أَن تَشِيعَ ٱلْفَٰحِشَةُ فِى ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ لَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ فِى ٱلدُّنْيَا وَٱلْءَاخِرَةِ وَٱللَّهُ يَعْلَمُ وَأَنتُمْ لَا تَعْلَمُونَ
जो लोग ये चाहते हैं कि ईमानदारों में बदकारी का चर्चा फैल जाए बेशक उनके लिए दुनिया और आख़िरत में दर्दनाक अज़ाब है और ख़ुदा (असल हाल को) ख़ूब जानता है और तुम लोग नहीं जानते हो । ( 24 : 19 )
* हक़ क़ुरआन लौहे महफूज में है ।(85:21,22)
* बेशक़ क़ुरआन फैसले की बात है ।
( 86:13,14) ( 15 : 1 से 15 )
* बेशक़ क़ुरआन सीधा रास्ता देखता है ।
( 15:9 )
*وَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِيُضِلَّ قَوْمًۢا بَعْدَ إِذْ هَدَىٰهُمْ حَتَّىٰ يُبَيِّنَ لَهُم مَّا يَتَّقُونَ إِنَّ ٱللَّهَ بِكُلِّ شَىْءٍ عَلِيمٌ
अर्थात :- अल्लाह की ये शान नहीं कि किसी क़ौम को जब उनकी हिदायत कर चुका हो उसके बाद बेशक अल्लाह उन्हें गुमराह कर दे हत्ता (यहां तक) कि वह उन्हीं चीज़ों को बता दे जिससे वह परहेज़ करें बेशक ख़ुदा हर चीज़ से (वाक़िफ है) ( 9 :15 )
* हम ने ( अल्लाह ) उनकी जबान में ही कई नबी भेजे । ( 14 : 4 )
* हक़ बात( इस्लाम ) कोई जबरदस्ति नही।
(2-256).
(2-256).
* पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
* नसीहत उनके लिए सीधे मार्ग पर चलना चाहे।
(81:27,28,29)(40:28)
* ये मानव तुम लोग पालनहार(अल्लाह) के मोहताज हो और अल्लाह बे-नियाज़ है(सर्वशक्तिमान) है नसीहत वो मानते है जो अक्ल वाले है (13:19).
* और हरगिज अल्लाह को बे-खबर ना जानना जालिमो के काम से उन्हें ढील नही दे राहा है, मगर ऐसे दिन के लिए जिसमे आंखे खुली की खुली राह जांयेंगी।(14:42)
* कोई आदमी वह है, की अल्लाह के बारे में झगड़ाता है, ना तो कोई इल्म, ना कोई दलील और ना तो कोई रोशन निशानी।
(22:8)(31:20)(52:33,34)(23:72)(23:73).
*कह दो,"सत्य आ गया और असत्य मिट
गया, असत्य तो मिट जाने वाला ही होता है।
(17:81)
Note:- या अल्लाह लिखने में
बयान करने में कोई शरियन गलती हुई हो ,तो मेरे मालिक तू दिलो के राज जानने वाला है माफ फ़रमा दे।(आमीन)
* अल्लाह से दुआ है , की हक़ को मानने , और समझने को तौफीक आता फरमाए , ज़ुबान पर हक़ बोलने की ताकत दे , और उसे ज्यादा उस चीज पर अमल करने की तौफीक दे , या अल्लाह दुनिया मे रख ईमान पर , और मरते वक़त कलम ए हक़ आत फ़रमा । (अमीन )
2 comments
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