( वेद और कामसूत्र )
यम - यमी की प्रेम गाथा
*आये देखते है वेदों में कामसूत्र के कुछ उदाहरण और यम और यमी की प्यार भरी कहानी ?
* आज कल कुछ आर्य ब्लॉगर बहुत बौखलाए हुए है , की उनकी दुकान कही बंद न हो जाये क्यों कि लोग उनकी दुकान छोड़ कर और कई जाने लगे है , कोई नही झुट की बुनियाद पर आज तक कोई नही टिका बरहाल झुट की और मक़्क़री इतनी हद हो गई है कि सच्चे दिन इस्लाम के बारे कुछ न कुछ गलतियां निकाल ने में लगे रहते है अच्छा है लगे रहो एक दिन तुम्हे सच मिल जाएगा ?
* कहते है कि वेदों में ज्ञान भरा है , जो कि ज्ञान विज्ञान कितना है कई बार बता चुका हूं
वेद सुर्ष्टि के आदि में 4 ऋषिमुनि को मिले थे
तो ये मार काट कहानी किस्से कहा अंतरिक्ष मे हो रहे थे ?
* बरहल आज का मुद्दा कुछ और है ?
* यम और यमी दोनों जुड़वा भाई बहन थे यानी एक ही माता से जन्म लिया था
एक बार दोनों समुन्द्र के साहिल पर बैठे थे
फिर ये अश्लीलता भरी घटना वेदों के पन्नों में दर्ज हो गई आये देखते है दोनो के बीच ऐसा क्या हुआ ? ( अथर्वेद 18 : 1 : 1 से 16 )
अर्थात : - यमी ( बहन ) कहती है : - की हम दोनों बड़े प्रेमी है तू बडा श्रेष्ठ पुरुष है , आओ मिल कर सिमा थोड़े और संभोग
( सेक्स ) करे ।
* लगता है यमी आज मूढ़ में है और इसी दिन का इनतजार में थी कब मौका मिले और काम हो जाये । अब देखते है यम कहता है ?
यम ( भाई ) कहता है : - है प्रेमी बहन ऐसा क्यों कह रही हो मैं ऐसा कुछ नही चाहता ये अधर्म का काम है ।
* लगता है यमी का इराध छोड़ने का नही है ,
अब देखते है यमी क्या कहती है ?
यमी कहती है : - मैंने सुना है कि श्रेष्ठ की संतान बड़ी वीर होती है , और कौन देखने वाला है ,सब धर्म अधर्म छोड़ और मेरे शरीर मे तेरा शरीर प्रवेश कर ।
* ओह्ह ओह्ह यमी सब्र करो ? अब यम की कहता है ?
यम कहता है : - ये काम पहले हमने
नही किया है , है माना कि उत्तम पुरुष की संतान उत्तम होती है परंतु में ऐसा अधर्म का काम नही करूँगा ।
* पर यहाँ यमी आज नही छोड़ने वाली आज मुझे लगता है कि कब से मौके का इंतजार कर रही थी ।
* Note : - अर्थववेद में भाई - बहन बताया गया है , और ऋग्वेद में पति पत्नी और यम को नपुंसक बताया है ( यानी नामर्द ) अगर
सही तरीके से विश्लेषण किया जाये तो अर्थववेद और ऋग्वेद के भाष्य में गोल माल है इन दोनों आर्य समाजी ने दयानंद और क्षेमकरनदास त्रिवेदी ने वेदों के अर्थ का अनर्थ कर दिया अथर्वेद में भाई बहन और ऋग्वेद में पति पत्नी समझ नही आता वैदिक ईश्वर का ज्ञान या फिर मानव निर्मित और अगर यम नपुंसक होता तो इतनी बातें क्यों कर कहता साफ कह देता मैं नपुंसक हु बात खत्म हो जाती ।
* वेदों के मंत्रो में आपस मे इतना मत भेद है कि कही कुछ कहि कुछ क्यों कर वैदिक ईश्वर भूल जाता है कि अथर्वेद में कुछ काहा और ऋग्वेद में कुछ इसी लिए लोगो को मूर्ख बनाना छोड़ ये कोई इश्वरीय ज्ञान नही बल्कि मानव निर्मित है , जो कुछ लोगो ने अपने मतलब के किये लिखा है जिस का उदाहरण ये है ? नियोग एक कलंक यहाँ देखे @
अब देखते है यमी क्या कहती है ?
यमी कहती है : - की हम कोई पाप नही कर रहे है , बल्कि माता के गर्भ से ही एक साथ शरीर से शरीर लगा कर गर्भ में थे
वैदिक ईश्वर ने हमे गर्भ में ही एक साथ रखा था और ये तो वैदिक ईश्वर की आज्ञा अनुसार है , तो पाप कहा सूर्य और धरती जानती है कि हम दोनों पहले से एक साथ है ।
* यम भाई यमी के पास बहुत बहाने है आज नही छोड़ने वाली , अब कहते है कि यम क्या कहता है ?
* यम कहता है : - की क्या सूर्य और धरती ऐसी करती है जिसकी तू बात कर रही है , और हम प्रकुति के नियम नही समझ सकते , तो मुझे मत ठग ( यानी बेवकूफ मत बना )
* यम भाई यमी नही छोड़ेगी क्यों कि उसके पास बहुत बहाने है , आज तो तुम गए ?
अब देखते है यमी क्या कहती है ?
यमी कहती है : - ये सब बाते छोड़ो आ एक घर मे एक साथ सोते है , जैसे कोई पत्ती - पत्नी सोते है ,मैं अपने शरीर को तेरे लिए फैलती हु और तो भी आजा हम दोनों गाड़ी के पहियों के समान मिल जाये ।
* बात आगे तक बड़ चुकी है अब यम का बचना मुश्किल लगता है ? अब देखते है यम क्या कहता है ?
-यम कहता है ये क्या करना चाहती हो , मुझ से दूर हो किसी दूसरे पुरूष के साथ कर
( यानी दुसरे के वो काम करले )
और तुम दोनों विवाह कर के दोनों गाड़ियों के पहियों के समान मिल जाओ ।
* भाई यम तो आज बुरा फसा ? यमी क्या कहती है देखते है ?
यमी कहती है : - आंखे खोल के देख रात और दिन एक साथ रहे इस को सूर्य की उजाला देती है , और दूर दूर तक फैली रहे रोशनी सूर्य के साथ , पृथ्वी के साथ साथ है यानी सब एक दूसरे के साथ रहते है उसी
प्रकार हम भी एक साथ थे ।
( जोड़वा भाई बहन ) तो आओ मिलाकर वो करे जो एक पत्ती पत्नी करते है साथ साथ ।
* आज मेडम नही छोड़ने वाली आज पानी सिर तक आ चुका है और आज यमि के पास बहुत उदाहरण है , एक साथ सबित रहने के लिए , अब देखते है की यम क्या कहता है ?
यम कहता है : - जो तेरी इच्छा है वो मैं नही करूँगा दूसरे पुरूष को ढूंढ ले और अपने मनकी इच्छा पूरी करले ।
* थोड़ा और यम मान जांयेंगी और हो सके तो बात टल जाएंगी । अब देखते है यमी क्या कहती है ?
यमी कहती है : - यम बिना सहारे की हु
( यानी मजबूर है समझ यार ) जब भाई को महाविपत्ति ( बड़ी मजबूरी )आ पड़े
( बेचारी ) मेरी मजबूरी समझ और अपने शरीर को मेरे शरीर से मिला ।
* अब क्या कहूं ? ऐसी बाते सुनकर मेरे मन मे कैसी कैसी भावना उतपन्न हो रही है अब देखते यम क्या कहता है ?
यम कहता है : - हमे ऐसा नही करना चाहिए में अपना शरीर , तेरे शरीर से नही छूंउगा , तो दूसरे के साथ अपनी मन की कमान पूर्ण कर । मुझे तेरे साथ कुछ नही करना ।
* बहुत ही बढ़िया और थोड़ा बात बन रही है
यम कहता है : -मैं कभी तेरे शरीर मे अपना शरीर नही छुउंगा ये बड़ा पाप प्रतीत होता है , मेरा मन ये काम के लिए नही हो रहा कि में तेरे साथ सेज ( बस्तर ) पर सोऊं ।
* क्या बात है गुड जॉब 👌👌👌👍👍
यमी कहती है : - हा यम तू बड़ा कमजोर है अब मुझे भी लगता है कि में तुझे नही
पा -सकूँगी ( बेचारी 😢😢😢😢 ) तुझे पता है तू भी दूसरी स्त्री के साथ जाएगा जैसे घोड़ा की पेटी कसी हुई घोड़े से ( मतलब मिली हुई ) और जैसे बेल पेड़ से लिपट जाता है ।
* बहुत बढ़िया काम बन गया , वैसे यम सच्च में तू नही करना चाहता था , या फिर तू सच्च में नपुंसक ( ना - मर्द ) था ?
यम कहता है : - सही कहा तू भी दूसरे पुरूष से मिल और जो तेरी मन की इच्छा है उसे पूर्ण कर और संभोग का आनंद ले ।
* ओह्ह क्या सीन बन गया था ? भला ऐसा पढकर व्यक्ति के मन मे कैसी कैसी भावना उत्पन्न होगी ।
* इसी लिए ओशो ने कई आश्रम खोले है
जिस में अधिकतर विदेशी महिला है ओर योग के नाम पर कुछ और होता है ।
* शायद आसाराम यही मंत्रो का जाम बारम्बार करता होगा , इसीलिए बूढ़े को बुढ़ापे में जावनी आगई थी ।
* अरे भाई सच्च बताओ अगर कोई बूढा
इतना अश्लीलता वाली घटना पढ़ते तो उसके मन मे भी उमँग जग उठे , तो रामहिम तो जवान ही था ।
* इसीलिए बलात्कार की ज्यादातर घटना आश्रमों में होती है , कुछ तो पता चल जाती है और अधिकतर राज ही रह जाती है ।
* बेचारो का क्या कसूर है पहले तो ब्रह्चारी ऊपर से ऐसी ऐसी वेदों की बाते तो नियोग तो बनता ही है इसी लिए नियोग प्रथा चलाई
होगी हा अब पता चला कि दयानन्द ने नियोग पर इतना जोर क्यों दिया है ।
* ऐसी घटना और ऐसी कलंकित मन्त्र कभी सच्चे पालनहार की हो सकती है ,जो नियोग
उच्च नीच , छुत अछूत का पाठ सिखाती है
शुद्रो का यही काम है , की वो तीनो वर्णों की सेवा करे वाह वाह कुछ नही सत्य तो यही है , की कुछ मूर्खो ने इसको लिख कर लोगो मे फैला दिया सिर्फ अपने मतलब के लिये
की किसी स्त्री का यौन शोषण क्या जाए ,
और लोगो को गुलाम बनाया जाए बस और कुछ नही ।
* इतिहास गवाह है कि वैदिक काल मे वहाँ के राजा कितने अय्याश बाज थे इतनी अय्याशी कर कर के ना मर्द हो गए थे कि
इनकी पत्नी नियोग के नाम पर अपनी इच्छा
पूरी करने ऋषिमुनियो पास जा जा कर बच्चे
पैदा करती थी ।
* अय्याशी करते करते इतना गिर चुके थे कि कामसूत्र जैसी पुस्तक अस्तित्व में आगई
और आज भी इतनी शर्मो बेहयाई है की खुले आम नंगे घूमते नजर आते हैं ।
* अब देखते है संभोग ( सेक्स ) के कुछ
नायाब तरीके ( कामसूत्र )
* पहले तो ताकत इस तरीके से होनी चाहिये
(अथर्वेद 4 : 5 : 8 ) |
* फिर ये सब कुछ ?
*ये पति की कामना करती हुई कन्या आयी है और पत्नी की कामना करता हुआ मैं आया हु एश्वर्य के साथ आया हु जैसे हिंसता हुआ घोड़ा । ( अर्थवेद 2 : 30 :5 )
* पति उस पत्नी को प्ररणा कर जिस में मनुष्य लोग वीर्य डाले जो हमारी कामना करती हुई दोनों जंघाओ को फैलावे और जिस मेंं कामना करते हुए हम लोग उपस्थेेेन्द्रिय का प्रहरण करे ।
( अथर्वेद 14 : 2 : 38 )
* तू जांघो के ऊपर आ हाथ का सहारा दे और प्रसन्न चित होकर तू पत्नी को आलीडन कर !
भावर्थ :- पति पत्नी दोनों प्रसन्न वदन होकर मुह से सामने मुह , नाक के सामने नाक इत्यादि को पुरूष के प्रशिप्त वीर्य को खेंचकर स्त्री की गर्भशय में स्थिर कर ।
( अथर्वेद 14 : 2 : 39 )
* कन्या युवा पति को पाती है , बैल और घोड़ा कन्या के साथ घास सिंचना
( गर्भधान करना ) चाहता है ।
( अर्थवेद 11 : 5 : 18 )
जिसके घर शीशे के होते है ओ दूसरे के घरों पर पत्थर नही मारा करते ?
NOTE : - अल्हम्दुलिल्लाह जवाब तो हम दे सकते है पर इनके दिमाग मे जंग लगा है इसलिए जो जैसी भाषा समझता है उसे वैसे ही समझना पड़ता है ।
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* अगर किसी को ठेस पहुंची तो क्षमा चाहता हु ।
* इस लेख का मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नही बल्कि उन इस्लाम विरोधी को जवाब देना है जो खुद की धार्मिक गर्न्थो की मान्यता को नही जानते और इस्लाम और मुसलमानों के ऊपर तानाकाशी करते है।
2 comments
Click here for commentsTune pati patni ko bhai bahan bol diya
Replyyeh galat anuwaad hai sloks ke sach jaano duniya hil jaayegi tumhari jaake dub maroge agar maine saare sloks ke sahi arth bataye to proof ke saath
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