भगवा आतंकवाद
Ved aur Aatankwad
* एक लेख आतंकवाद क्या है ? लेख काफी बड़ा हो सकता है पर मत्त्वपूर्ण है !
* बारिश का मौसम भी है , आज अवकाश
( छुट्टी ) भी , बारिश का सुंदर नजारा देखते हुए चाय की चुस्की ले रहा था , तो कही से मेरे दुरभाष ( मोबाइल फोन ) पर एक संदेश आया उस मे लिखा था , इस्लामिक आतंकवाद का काला सच्च और वैदिक शिक्षा और वेदों में ज्ञान - विज्ञान उसी समय मेरे मुह से चाय के छीटे निचे गिरे और हंसी आने लगी इस्लामिक आतंकवाद का सच्च और वैदिक शिक्षा और उसमें ज्ञान - विज्ञान फिर कुछ ही समय पश्चात मेरे ह्रदय में वेदों की जानने की इच्छा जागी और मैन वेदों के तरफ अपना रूख किया ।
* ऐसा कोनसी शिक्षा और ज्ञान - विज्ञान वेदों में है और उसका अध्ययन करते -करते एक जगह पहुचा , मेंने देखा कि ये जो दिन रात अहिंसा का पाठ पढ़ते है , उस बारे में बिन बजाते रहते है और अपनी मंदबुद्धि से इस्लामिल आतंकवाद का सडयंत्र रच कर इस्लाम को बदनाम करने की नाकाम कोशिश हमेशा करते नजर आते है ।
* मैने देखा कि वेदों तो बिल्कुल कुछ ओर है , जो ये बताते फिरते है उसी एक कारण है कि लोगो को वेदों से कोशों दूर रखा है ,कही लोगो ने वेदों को पढ़ तो हमारा भेद खोल जाएंगा ?
* हो सकता है ये लेख वैदिकों के मुह पर तमाचा हो ।
NOTE : - वैदिकों से मुराद इस्लाम विरोधी है नाकि पूरे ।
* ये लेख का एक मात्र उपदेश ये है ,की वे लोग अपनी मान्यता को नही जानते और नाही कभी वेदों को पढ़ा या देखा भी हो और इस्लाम पर अपनी मंदबुद्धि से टिप्पणी करना शुरू कर देते है , केवल उनके लिए सच्च का आईना देखाने का प्रयत्न कर रहा हु !
* और जो भी मै नीचे प्रमाण दूंगा उसे आप
स्वतः चेक करे नाकि मेरी बातों को आँख बंद कर के विश्वास करे ।
* उसकी उतपत्ति और वेदास किसको मिले कब इत्यादि सब कुछ संक्षेप में जानने का प्रयत्न करते है ।
* वेद का अर्थ होता है , ज्ञान या जानना ये पर ज्ञान किसका है ? मनुष्य का या फिर वैदिक ईश्वर का वैदिक धर्म के मानने वालों का कहना है कि वेद इश्वरीय ज्ञान है जो वेद खुद हमे बताते है आये देखते है ?
* वेदों का दावा है की ईश्वरीय ज्ञान है , देखते है इसमें कितना दम है ? कही ये मानव रचता तो नही ? जिसका उदाहरण नीचे देखगे ?
* ये मंत्र कहता है कि पृथ्वी आदि घूमती है अब देखते है आगे ?
* बारिश का मौसम भी है , आज अवकाश
( छुट्टी ) भी , बारिश का सुंदर नजारा देखते हुए चाय की चुस्की ले रहा था , तो कही से मेरे दुरभाष ( मोबाइल फोन ) पर एक संदेश आया उस मे लिखा था , इस्लामिक आतंकवाद का काला सच्च और वैदिक शिक्षा और वेदों में ज्ञान - विज्ञान उसी समय मेरे मुह से चाय के छीटे निचे गिरे और हंसी आने लगी इस्लामिक आतंकवाद का सच्च और वैदिक शिक्षा और उसमें ज्ञान - विज्ञान फिर कुछ ही समय पश्चात मेरे ह्रदय में वेदों की जानने की इच्छा जागी और मैन वेदों के तरफ अपना रूख किया ।
* ऐसा कोनसी शिक्षा और ज्ञान - विज्ञान वेदों में है और उसका अध्ययन करते -करते एक जगह पहुचा , मेंने देखा कि ये जो दिन रात अहिंसा का पाठ पढ़ते है , उस बारे में बिन बजाते रहते है और अपनी मंदबुद्धि से इस्लामिल आतंकवाद का सडयंत्र रच कर इस्लाम को बदनाम करने की नाकाम कोशिश हमेशा करते नजर आते है ।
* मैने देखा कि वेदों तो बिल्कुल कुछ ओर है , जो ये बताते फिरते है उसी एक कारण है कि लोगो को वेदों से कोशों दूर रखा है ,कही लोगो ने वेदों को पढ़ तो हमारा भेद खोल जाएंगा ?
* हो सकता है ये लेख वैदिकों के मुह पर तमाचा हो ।
NOTE : - वैदिकों से मुराद इस्लाम विरोधी है नाकि पूरे ।
* ये लेख का एक मात्र उपदेश ये है ,की वे लोग अपनी मान्यता को नही जानते और नाही कभी वेदों को पढ़ा या देखा भी हो और इस्लाम पर अपनी मंदबुद्धि से टिप्पणी करना शुरू कर देते है , केवल उनके लिए सच्च का आईना देखाने का प्रयत्न कर रहा हु !
* और जो भी मै नीचे प्रमाण दूंगा उसे आप
स्वतः चेक करे नाकि मेरी बातों को आँख बंद कर के विश्वास करे ।
आये पहले देखते है वेद क्या है ?
* उसकी उतपत्ति और वेदास किसको मिले कब इत्यादि सब कुछ संक्षेप में जानने का प्रयत्न करते है ।
* वेद का अर्थ होता है , ज्ञान या जानना ये पर ज्ञान किसका है ? मनुष्य का या फिर वैदिक ईश्वर का वैदिक धर्म के मानने वालों का कहना है कि वेद इश्वरीय ज्ञान है जो वेद खुद हमे बताते है आये देखते है ?
( यजुर्वेद 31 : 7 ) |
( अर्थवेद 11 : 7 : 24 ) |
* वेदों का दावा है की ईश्वरीय ज्ञान है , देखते है इसमें कितना दम है ? कही ये मानव रचता तो नही ? जिसका उदाहरण नीचे देखगे ?
( यजुर्वेद 3 : 6 ) |
* ये मंत्र कहता है कि पृथ्वी आदि घूमती है अब देखते है आगे ?
( अर्थवेद 6 : 77 : 1 ) |
* यहाँ पर सब ठहरा हुआ है सब रोका हुआ है , मतलब हिल ढुल नही सकता क्या ?
( अर्थवेद 10 : 7 : 12 ) |
* यहाँ पर भी जमा हुआ है ।
( अर्थवेद 13 : 1 : 6 ) |
* इस मंत्र में बताया गया है कि सूर्य और पृथ्वी को ठोस , पक्का कर दिया है दिया है मतलब कही हिल ढुल नही सकती क्या ?
यहाँ हो गई रोकने वाली बात पृथ्वी गोल है या कुछ और जो सबसे पहला मन्त्र बातया वहा गोल है और यहा पर ?
* हे मनुष्य ! जो तेरा मन चारो दिशाओं में भ्रंश वाली पृथ्वी पर जाता है .
( मतलब चार कोनो वाली पृथ्वी पर) दूर तक जाता है। ( ऋग्विद 10:58:3)
* इस मंत्र में पृथ्वी को 4 कोनो वाली बताई गई है ।
* और इससे भी बढ़कर दयानन्द सस्वती ने अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश के 8 समुलास में लिखा है , कि उनसे प्रशन किया लगा कि सूर्य , चन्द्र इत्यादि में मनुष्य रहते है ।
उत्तर है : - हा वो भी वेदों के साथ ।
उत्तर है : - हा वो भी वेदों के साथ ।
* क्या मजाक है। सूर्य का तापमान 5500 डिग्री हो तो है। वहाँ तक अभी तक कोई यान तक नही गया तो मानव जीवन तो ना-मुमकिन है। और रही चंद्र की बात तो मनुष्य वहाँ जा चुके है। यह बाते शिर्फ़ कॉमिक बुक में अच्छी लगती है।
Quran and flat earth क्या क़ुरान की पृथ्वी चपटी है ?
* एक मंत्र खुद दूसरे मन्त्र का विरोधी है , यजुर्वेद कहता है घूमती और गोल है , अर्थवेद और ऋग्वेद कहते है , 4 कोने और सब रोका हुआ , ऐसा इश्वरीय ज्ञान होता है बल्कि सच्चे पालनहार का ज्ञान तो कदीम है और उसका कलाम भी कदीम होता है , जो हमेशा एक सा रहता है ।
* जिसमे कमी ज़्यादती हो इश्वरीय ज्ञान नही हो सकता क्योंकी पालनहार का ज्ञान एक सा होता है ,नाकि कही कुछ कही कुछ , हा मगर मनुष्य का ज्ञान में कम या ज्यादा हो सकता है , ऐसे कई है , एक ही उद्धरण काफी होगा , वेदों में कही कुछ और कही कुछ और इनका खुद दावा है जो तर्क पर बैठे उसे मानो जो ना बैठे उसे न मानो , पालनहार का ज्ञान तो पूर्ण होता है , कुछ मानने की और कुछ न मानने की बात कहा से आई , इससे पता चला कि वेदों ईश्वर का ज्ञान नही बल्कि मनुष्य का ज्ञान और रचेता है ।
* जो कि इतिहासकारो का कहना है , कुछ लोगो ने लिख कर लोगो में इसे फैला दिया और वेदों के अनुसार वैदिक ईश्वर मोहताज भी प्रतीत होता है , जो कुछ नही कर सकता बरहाल इतनी गहराई में जाने की कोई आवश्यकता नही है , क्योंकि आज का मुद्दा कुछ और है ।
* अगर मैने किसी साधारण व्यक्ति को पुलिस की वर्दी पहना दी कहता फिरू की ये व्यक्ति पुलिस वाला है , क्या सत्य बदल जायेगा , उसी तरीके से किसी भी पुस्तक का नाम वेद रख लेने से इश्वरीय ज्ञान हो जायेगा क्या मिथ्या है , सब पोपलीला है !
* इस मन्त्र का निचोड़ है कि जो , झुट और ज्यादा गप्प शप्प करता है ,और लोगो को मूर्ख बनाने का प्रयत्न करता है वो साधा ठगा जाता है ।
* जितना दाता मन विचारे उसको अधिक करके वह न बोले ।
* और क्षमा वाली बात भी इन मंत्रों के भी विरोध है , (अर्थवेद 11 :2 :16 ) (11 : 4 : 7 ,8 ) बरहाल हमे आपकी मान्यता से कोई गरज नही क्षमा करें या न करे और नही ऐसे कमजोर और मोहताज खुदा की भी जरूरत नही जो कि इन लोगो ने उस मोहताज बनाया है हमारा तो सच्चा पालनहार ऐसा है ।
Quran and flat earth क्या क़ुरान की पृथ्वी चपटी है ?
* एक मंत्र खुद दूसरे मन्त्र का विरोधी है , यजुर्वेद कहता है घूमती और गोल है , अर्थवेद और ऋग्वेद कहते है , 4 कोने और सब रोका हुआ , ऐसा इश्वरीय ज्ञान होता है बल्कि सच्चे पालनहार का ज्ञान तो कदीम है और उसका कलाम भी कदीम होता है , जो हमेशा एक सा रहता है ।
* जिसमे कमी ज़्यादती हो इश्वरीय ज्ञान नही हो सकता क्योंकी पालनहार का ज्ञान एक सा होता है ,नाकि कही कुछ कही कुछ , हा मगर मनुष्य का ज्ञान में कम या ज्यादा हो सकता है , ऐसे कई है , एक ही उद्धरण काफी होगा , वेदों में कही कुछ और कही कुछ और इनका खुद दावा है जो तर्क पर बैठे उसे मानो जो ना बैठे उसे न मानो , पालनहार का ज्ञान तो पूर्ण होता है , कुछ मानने की और कुछ न मानने की बात कहा से आई , इससे पता चला कि वेदों ईश्वर का ज्ञान नही बल्कि मनुष्य का ज्ञान और रचेता है ।
* जो कि इतिहासकारो का कहना है , कुछ लोगो ने लिख कर लोगो में इसे फैला दिया और वेदों के अनुसार वैदिक ईश्वर मोहताज भी प्रतीत होता है , जो कुछ नही कर सकता बरहाल इतनी गहराई में जाने की कोई आवश्यकता नही है , क्योंकि आज का मुद्दा कुछ और है ।
* अगर मैने किसी साधारण व्यक्ति को पुलिस की वर्दी पहना दी कहता फिरू की ये व्यक्ति पुलिस वाला है , क्या सत्य बदल जायेगा , उसी तरीके से किसी भी पुस्तक का नाम वेद रख लेने से इश्वरीय ज्ञान हो जायेगा क्या मिथ्या है , सब पोपलीला है !
* जिसका उदहारण ले ही लेते है , सर्वशक्तिमान के संदर्भ में महर्षि दयानंद सरस्वती जी अपना इल्म का फन दिखाते हुए सत्यार्थ प्रकाश में लिखते है , की सर्वशक्तिमान है तो कुछ भी कर सकता है , जैसे ईश्वर दूसरा ईश्वर बना सकता है ,झुट बोल सकता है , चोरी कर सकता आदि आदि , अपनी बात साबित करने के लिए अपने खुदा तक के नही छुड़ते है ये लोग तो मेरा कहना है ।
* बाबाजी मैंने सुना है अपने यजुर्वेद के भाष्य किया था हा अगर किया हो तो यजुर्वेद का ( 40 : 8 )पढ़ा ही होगा , तो ऐसी मिथ्या वाली बात क्यों कर करी , जो अपने सवाल का उत्तर दिया है वो तो उसके गूण के विरोध है और वही बात कह रहे हो ।
* वो हर पाप से बरी है और अगर एक ईश्वर दूसरा ईश्वर को बना भी ले तो भी दूसरा मखलूक ही होगी यानी एक ईश्वर की पैदा करती , जो किसी दूसरे से पैदा हो जाये वो ईश्वर नही बल्कि मखलूक होगी जो यजुर्वेद
( 40 : 8 ) कहता है , की उसको किसी ने नही जना और वो सबका रचता है । और जो बन जाये वो ईश्वर कैसा हो सकता है बाबाजी
उसी तरीके से यजुर्वेद ( 7 :6) भी कहता है , वो हमेशा में एकता शिद्ध है ।
उसी तरीके से ये भी कुछ (ऋग्वेद 8 :1 : 1 )
( ऋग्वेद 10 : 121 - 8 )( अथर्वेद 2 - 2 -1 )
( ऋग्वेद 6 : 45 : 16 )(अर्थवेद 20 :58 : 3)
( ऋग्वेद 8 : 1 : 5 )(अर्थवेद 13 : 3 : 5)
( चंदोग्य उपनिषद 6 : 2 : 1 )
(ऋग्वेद 10 : 10 :2 )
( अर्थवेद 6 : 86 : 1'2'3 )इत्यादि ये सब मंत्रो के विपरीत कहा है बल्कि अपनी बुद्धि से कुछ भी कहने के बारे में वेद इजाजत नही देता ।
( यजुर्वेद 23 : 23 ) |
* इस मन्त्र का निचोड़ है कि जो , झुट और ज्यादा गप्प शप्प करता है ,और लोगो को मूर्ख बनाने का प्रयत्न करता है वो साधा ठगा जाता है ।
अर्थवेद 11 : 3 : 25 |
* जितना दाता मन विचारे उसको अधिक करके वह न बोले ।
* मतलब की कोई अपनी जानकारी से ज्यादा न बोले ( जिस चीजो का ज्ञान नही है उस बारेमे झूठ न बोले ) अर्थवेद 11 : 3 :25
* जो अपने वेदों के खिलाफ अपनी बुद्धि से टिप्पणी करके पाप के भागेदारी हो गए और लोगो को ये बता कर दुसरो को भी पाप का भागेदारी बना रहे हो , बाबाजी खुद अपनी पुस्तक में लिखते है कि ईश्वर कभी अपने भक्तों के पाप क्षमा नही करता , ओहो फंस गए बाबाजी क्षमा नही करेंगा कभी ऐसा बोल के पाप किया है और जो आपकी बाते मानते है उनका पाप भी आपको ही को जायेगा क्यों कि पाप के कुएं में अपने ही उन्हें धक्का दिया है , आप ही हो गए महापापी उसे पहले देखते है वो यजुर्वेद का मंत्र जिसके अपने विरूद्ध टिप्पणी की है ?
यजुर्वेद 40 : 8 उसी तरीके से 40 : 12 भी है । |
* और क्षमा वाली बात भी इन मंत्रों के भी विरोध है , (अर्थवेद 11 :2 :16 ) (11 : 4 : 7 ,8 ) बरहाल हमे आपकी मान्यता से कोई गरज नही क्षमा करें या न करे और नही ऐसे कमजोर और मोहताज खुदा की भी जरूरत नही जो कि इन लोगो ने उस मोहताज बनाया है हमारा तो सच्चा पालनहार ऐसा है ।
जिस (ख़ुदा) के कब्ज़े में (सारे जहाँन की) बादशाहत है वह बड़ी बरकत वाला है और वह हर चीज़ पर कादिर है । ( 67 : 1)
أَوَلَيْسَ ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ بِقَٰدِرٍ عَلَىٰٓ أَن يَخْلُقَ مِثْلَهُم بَلَىٰ وَهُوَ ٱلْخَلَّٰقُ ٱلْعَلِيمُ(भला) जिस (खुदा) ने सारे आसमान और ज़मीन पैदा किए क्या वह इस पर क़ाबू नहीं रखता कि उनके मिस्ल (दोबारा) पैदा कर दे हाँ (ज़रूर क़ाबू रखता है) और वह तो पैदा करने वाला वाक़िफ़कार है । ( 36 : 81 )
إِنَّمَآ أَمْرُهُۥٓ إِذَآ أَرَادَ شَيْـًٔا أَن يَقُولَ لَهُۥ كُن فَيَكُونُ
उसकी शान तो ये है कि जब किसी चीज़ को (पैदा करना) चाहता है तो वह कह देता है कि ''हो जा'' तो (फौरन) हो जाती है ।
( 36 : 82 ) इसे कहते है सर्वशक्तिमान !
* अब देखते है कि वेदों किस को मिले और कब मिले ? वेदों खुद ही बातते है वे किसको मिले आये देखते है ?
* 4 ऋषिमुनि को मिले उनके नाम ?
अर्थवेद 10 : 7 :1 4 |
* 4 ऋषिमुनि को मिले उनके नाम ?
1 अग्नि
2 वायु
3आदित्य
* सातवें समुल्लास पेज नंबर 167
* उसी प्रकार से अष्ठम ( 8 ) समुल्लास पेज नंबर 185 में भी लिखा है कि सुर्ष्टि की सुरुवात में ही सब आर्य और वैदिक धर्म के थे यानी आर्य थे ?
* अब कहा पर एक सवाल उठता है , सब पहले वैदिक थे और वेद भी पहले ही मिले तो ये क्या है ?
NOTE * हे विद्वन आपके अनार्य देशो(जो आर्य देश नही है)में बसने वालो मे गांव से नही दुग्ध आदि को दुहते।(जो गौ दूध नही देती)दिनको नही तापते है(जो वेदों से अपरिचित है) वे क्या करते वह करे आप हम लोगो के लिए जो कुलीन मुझ को प्रप्त होता है,उसके धनो को सब प्रकार से धारण करे(पकड़ना-उसके माल को आसान शब्दों में लूट लेना वाह क्या बात है)और ये क्षेषट धन से युक्त आप हम लोगों के नीचे शक्ति जिसमे उसकी नितृति करो।(यानी गुलाम बनाओ)बोहत खूब(ऋग्वेदा 3:53:14)
* यम और यमी की कहानी ?
* ऋग्वेद ( 10 : 10 : 1 से 14 )के पूरे मन्त्र
&
उसी प्रकार अथर्वेद (18 :1 : 1 से 16 )
में भी यही कहनी है ।
इस्लाम और नारी
इस्लाम का सच्च 1400 साल
वेद और अश्लीलता
* और ये जो वेदों में मार काट भरा है जो कि मेरा असल मुद्दा है जो मैं इन्शाल्लाह आगे बताने वाला हु ।
* शायद आर्य समाज खुद को ही शुद्रो और अनार्य , मलेच्छ कहना तो नही चाहते ?
* मेरे प्रिय मित्रों कहते है की मानव उपत्ति के कुछ ही सालो के बाद वेदों की प्रप्ति हो गई थी तो ये असुर , अनार्य इत्यादि से युद्ध जो कि वेदों में कूट कूट कर भरा पड़ा है , ये सब कहा अन्तरिक्ष में हो रहा था ?
* मेरे भोले मित्र अगर कोई घटना हो जाती है , और इतिहास बन जाता है उसे ही लिखा और बताया जाता है नाकि उसके पूर्व इतनी तो समझ होनी चाहिए ?
* एक छोटी सी बस्ती बसने के लिए कई साल लग जाते है , और इतना सब कुछ था पहले से तो कितना समय लगा होगा , इसी लिए लोगो को मूर्ख बना छोड़ दो , वेदों की रचना लग भग 3000 वर्ष से ज्यादा नही क्योंकी सभी इतिहासकार का कहना है ।
* और आर्य समाजी आम हिन्दू को बताया करते है , वेदों इतने पुराने है , कभी तन्हाई बे बैट कर सोचना की क्या बात है ? और वैसे भी वेदों का ईश्वर ये नही जानता कि हम 2 मिनिट के बाद क्या करेंगे , इसे भी पता चला कि वैदिक ईश्वर नही जानता कि क्या होने वाला है , वो भी होने के बाद बताता है , पहले सब हो चुका होगा तभी तो ये सब 4 ऋषिमुनि को बताया होगा ? ये सब आपकी मान्यता है , की ईश्वर कुछ नही जानता इसके बारे में आप कोई भी आर्य समाजी से पूछ सकते है कि मैं 2 मिनिट बाद क्या करने वाला हु ए वैदिक ईश्वर जनता है या नही ? अगर उत्तर देता है तो प्रमाण जरूर मांगना वेदों से
अब देखते है , की संस्कृत पहली भाषा का गुण गाने वालो के लिए ?
सत्यार्थ प्रकाश सातवें समुल्लास पेज नंबर 169 |
* हा अगर उनको अति थी तो वेदों से प्रमाण देदे ?
* इससे पता चला कि संस्कृत पहली भाषा नही और दूसरी बात पता चली की वैदिक ईश्वर को केवल संस्कृत आती है , मतलब हमारी दूसरी भाषा मे प्रथना करना व्यर्थ है क्योंकि उसको दूसरी भाषा आती ही नही ?
अगर सर्वज्ञ होता तो उनकी उनकी भाषा मे बताता नाकि उसको खुद जो भाषा आती है ,
सब पॉप लीला है , पहली भाषा संस्कृत वाले और उनका वैदिक ईश्वर यहाँ फंस गया ?
* और सच्चा पालनहार क़ुरान में क्या कहता है ?
وَمَآ أَرْسَلْنَا مِن رَّسُولٍ إِلَّا بِلِسَانِ قَوْمِهِۦ لِيُبَيِّنَ لَهُمْ فَيُضِلُّ ٱللَّهُ مَن يَشَآءُ وَيَهْدِى مَن يَشَآءُ وَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيم
और हमने जब कभी कोई पैग़म्बर भेजा तो उसकी क़ौम की ज़बान में बातें करता हुआ (ताकि उसके सामने (हमारे एहक़ाम) बयान कर सके तो यही ख़ुदा जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिस की चाहता है हिदायत करता है वही सब पर ग़ालिब हिकमत वाला है । ( 14 : 4 )
हिदायत और गुमराही क्या है यहाँ देखें
क्या अल्लाह सातवें आसमान पर है ?
क्या अल्लाह ने पहड़ो को गढ दिए है कही पृथ्वी उड़ना जाए ?
क्या मनुष्य मट्टी से बना है या कुछ और आदम
भी कह सकते है ।
हिदायत और गुमराही क्या है यहाँ देखें
क्या अल्लाह सातवें आसमान पर है ?
क्या अल्लाह ने पहड़ो को गढ दिए है कही पृथ्वी उड़ना जाए ?
क्या मनुष्य मट्टी से बना है या कुछ और आदम
* अब आते है , असली मद्दे पर पहले इस्लाम के बारे जानते है ?
इस्लाम , जिहाद और आतंकवाद
" जिहाद "
* तो आज जिहाद को जानने की कोशिश करते है ।
* जिहाद का अर्थ ?
1. नैतिक मूल्यों के संरक्षण के लिए की जाने वाली जदोजहद या संघर्ष
(अपने हक़ के लिए संघर्ष करना )
2 . किसी जायज मांग के लिए भरपूर कोशिश करना या आंदोलन करना ।
3 . धर्म की रक्षा के लिए की जाने वाली कोशिश ।
* नबी ए पाक का इरशादे पाक *
(सल्लाल्लाहु अलैही वसल्लम)
* जिहाद ए अकबर ( यानी बड़ा युद्ध )
अपने ना - जायज इच्छाओं का पालनहार की आज्ञा से उस चीज़ का दहन करना ।
* जिहाद ए असगर ( छोटा युद्ध) स्वयं की रक्षा के लिए युद्ध ।
* जिसका पर्वधन संविधान में भी है ।
* अगर हम स्वयं की रक्षा के लिए के लिए दूसरो को मार भी देते है तो भी अपराधी नही ।
* उदहारण ० हर देश की कोई न कोई सेना होती है वैसे ही हमारे हिन्द की ही लेलो अगर हिन्द की फ़ौज पर कोई आक्रमण करेंगा उसे देश की रक्षा के लिए उसे धूल चटानी ही पड़ती है ।
* उसी तरह इस्लाम पर कोई आक्रमण करे तो उससे भी धूल चाटना ना ही पड़ता है । जिसको आम भाषा मे जिहाद
* अब देखते है कि अल्लाह के पाक कलाम में इस बारे में क्या क्या है ।
* इसी कारण हम ने (अल्लाह) बानी इस्राइल में लिख दिया था की जिसने किसी व्यक्ति को खून का बदला लेने या जमीन में फ़साद फैलाने के अतिरिक्त किसी और कारण से मार डाले तो मानो उसने सारी इंशानो की हत्या कर दी और जिसने एक व्यक्ति को जीव प्रदान की उसने सारी इंशानो को जीव दान दिया (5:32)
* अल्लाह ने वर्जित ( हराम ) किए जीव का नाहक़ क़त्ल नही करते , और न व्यभिचार करते है ये काम जो कोई करेगा वह अपने पाप का बदला पाएगा ।
( सुरह 25 : 68 )
* ये नबी उन से कहो कि आओ में तुम्हे बताओ , तुम्हारे मालिक ने तुम पर क्या - क्या पाबन्दीया ( किस - किस चीजो की आज्ञा दी है । ) लगाई है , यह कि उसके साथ किसी को साझेदारी न बनाओ और माँ - बाप के साथ अच्छा व्यवहार करो और
अपनी औलाद को मोहताजी के भय से कत्ल न करो । हम तुमको भी रोजी
देते है और उनको भी देंगे और गंदी बताओ के करीब भी न जाओ चाहे वे खुली हुई हो या छिपी । और किसी जीव की ( व्यक्ति ) , जिस अल्लाह ने आदरणीय ठहराया है , हत्या न करो , सिवाय इस स्थिति के की ऐसा करना सत्य को उचित हो । ये बाते है ,जिनको आदेश उसने तुम्हे दिया है , शायद की तुम सूज - बुझ से काम लो । ( सूरह 6 :151)
हदीस ०
हज़रत अनस बिन मालिक रिजिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है , की नबी ए करीम (सल्लाल्लाहु अलैही वसल्लम)
ने फरमाया की " बड़े पापो में सबसे बड़ा पाप अल्लाह ( एक पालनहार ) के साथ किसी को सहभागी ठहराए और मनुष्यों की जीव हत्या और माता के साथ दूरव्यहार , झुट बोलना ।
* एक हदीस में ये भी है कि महशर में सबसे पहले फैसला ना हक़ कत्ल का होगा।
* हज़रत इब्ने उमर रिजिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है , की नबी पाक
(सल्लाल्लाहु अलैही वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया की " ईमान वाला जब तक ईमान पर मजबूती से रहता है जब तक कोई भी नाहक़ खून नही बहाता ।
हज़रत अनस बिन मालिक रिजिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है , की नबी ए करीम (सल्लाल्लाहु अलैही वसल्लम)
ने फरमाया की " बड़े पापो में सबसे बड़ा पाप अल्लाह ( एक पालनहार ) के साथ किसी को सहभागी ठहराए और मनुष्यों की जीव हत्या और माता के साथ दूरव्यहार , झुट बोलना ।
* एक हदीस में ये भी है कि महशर में सबसे पहले फैसला ना हक़ कत्ल का होगा।
* हज़रत इब्ने उमर रिजिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है , की नबी पाक
(सल्लाल्लाहु अलैही वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया की " ईमान वाला जब तक ईमान पर मजबूती से रहता है जब तक कोई भी नाहक़ खून नही बहाता ।
अब आगे देख थे है और क्या है ?
* " यदि सत्य और न्याय के लिए मजबूर हो तो अपराधी को कत्ल भी किया जा सकता है अन्यथा शन्ति के जगह पर अशांति हो जायेगी ।
ऐ मोमिनों जो लोग (नाहक़) मार डाले जाएँ उनके बदले में तुम को जान के बदले जान लेने का हुक्म दिया जाता है आज़ाद के बदले आज़ाद और ग़ुलाम के बदले ग़ुलाम और औरत के बदले औरत पस जिस (क़ातिल) को उसके ईमानी भाई तालिबे केसास की तरफ से कुछ माफ़ कर दिया जाये तो उसे भी उसके क़दम ब क़दम नेकी करना और ख़ुश मआमलती से (ख़ून बहा) अदा कर देना चाहिए ये तुम्हारे परवरदिगार की तरफ आसानी और मेहरबानी है फिर उसके बाद जो ज्यादती करे तो उस के लिए दर्दनाक अज़ाब है। ( 2 : 178 )
* बुद्धि और समझवालों ! तुम्हारे लिए हत्यादंड (क़िसास) में जीवन है, ताकि तुम बचो । ( 2 : 179 )( 5 : 4 )
* नबी पाक
(सल्लाल्लाहु अलैही वसल्लम)
का इरशादे पाक है ," अपने भाई की
सहायता करो ,चाहो अत्यचारी हो या अत्यचार से पीड़ित हो ।
सुनने वालो को आश्चर्य हुआ की अत्यचार -पीड़ित उचित है ।
किंतु की अत्यचारी की सहायता कैसे ?
पूछा या रसूलअल्लाह हम अत्यचार - पीड़ित की सहायता तो अवश्य करेंगे ।
किंतु अत्यचारी की सहायता किस तरह करे
तो आप ने कहा " इस तरह की तू उसका हाथ पकड़ ले और उसे अत्यचार करने से रोक दे अतः वस्तुतः जालिम को जुल्म से रोकने के लिए अगर सख्ती भी
तो वो सकती नही बल्कि वह नरमी है ।
* कथन ये ख़लीफ़ा ए अवल अबुबक्र
रिजिअल्लाहु अन्हु इनकार करने वालो से
जिहाद करना छोटा जिहाद है ,अपने अस्तित्व ( नफ़्स ) से जिहाद करना बड़ा जिहाद है ।
* जालिम पर रहम करना मजलुमो पर जुल्म है ।
* आज - कल जाहिल लोग या कह लीजिए अति विद्धवान लोग 24 आयतों का सेट लेके घुमते रहते और अपने आपको क़ुरान का अलीम समझे बैठे है मुझे तो
उन बेचारो तरस आता है की इनको क्या
जवाब दिया जाए जो हवा में तैरने की कोशिश कर रहे है ।
* बरहाल कोई मसला नही अगर 24 आयात क्या 2400 सो भी लाओगे तो भी जवाब देने की ताकत रखते है ।
* पर अल्लाह जिस से काम लेना चाहिए अगर 24 आयतों का जवाब भी जानना चाहते हो तो " स्वमी लक्षमी शंकराचार्य जी "
की पुस्तक एक बार पढ़ लेना ।
* अगर उससे भी मन ना भरे तो मेरा वो
लेख पढे । भगवा आतंकवाद
आशा है कि 24 आयतों वालो की आत्मा को शांति मिल जाएंगी ।
अब आगे देख थे है और क्या है ?
* " यदि सत्य और न्याय के लिए मजबूर हो तो अपराधी को कत्ल भी किया जा सकता है अन्यथा शन्ति के जगह पर अशांति हो जायेगी ।
ऐ मोमिनों जो लोग (नाहक़) मार डाले जाएँ उनके बदले में तुम को जान के बदले जान लेने का हुक्म दिया जाता है आज़ाद के बदले आज़ाद और ग़ुलाम के बदले ग़ुलाम और औरत के बदले औरत पस जिस (क़ातिल) को उसके ईमानी भाई तालिबे केसास की तरफ से कुछ माफ़ कर दिया जाये तो उसे भी उसके क़दम ब क़दम नेकी करना और ख़ुश मआमलती से (ख़ून बहा) अदा कर देना चाहिए ये तुम्हारे परवरदिगार की तरफ आसानी और मेहरबानी है फिर उसके बाद जो ज्यादती करे तो उस के लिए दर्दनाक अज़ाब है। ( 2 : 178 )
* बुद्धि और समझवालों ! तुम्हारे लिए हत्यादंड (क़िसास) में जीवन है, ताकि तुम बचो । ( 2 : 179 )( 5 : 4 )
* नबी पाक
(सल्लाल्लाहु अलैही वसल्लम)
का इरशादे पाक है ," अपने भाई की
सहायता करो ,चाहो अत्यचारी हो या अत्यचार से पीड़ित हो ।
सुनने वालो को आश्चर्य हुआ की अत्यचार -पीड़ित उचित है ।
किंतु की अत्यचारी की सहायता कैसे ?
पूछा या रसूलअल्लाह हम अत्यचार - पीड़ित की सहायता तो अवश्य करेंगे ।
किंतु अत्यचारी की सहायता किस तरह करे
तो आप ने कहा " इस तरह की तू उसका हाथ पकड़ ले और उसे अत्यचार करने से रोक दे अतः वस्तुतः जालिम को जुल्म से रोकने के लिए अगर सख्ती भी
तो वो सकती नही बल्कि वह नरमी है ।
* कथन ये ख़लीफ़ा ए अवल अबुबक्र
रिजिअल्लाहु अन्हु इनकार करने वालो से
जिहाद करना छोटा जिहाद है ,अपने अस्तित्व ( नफ़्स ) से जिहाद करना बड़ा जिहाद है ।
* जालिम पर रहम करना मजलुमो पर जुल्म है ।
* आज - कल जाहिल लोग या कह लीजिए अति विद्धवान लोग 24 आयतों का सेट लेके घुमते रहते और अपने आपको क़ुरान का अलीम समझे बैठे है मुझे तो
उन बेचारो तरस आता है की इनको क्या
जवाब दिया जाए जो हवा में तैरने की कोशिश कर रहे है ।
* बरहाल कोई मसला नही अगर 24 आयात क्या 2400 सो भी लाओगे तो भी जवाब देने की ताकत रखते है ।
* पर अल्लाह जिस से काम लेना चाहिए अगर 24 आयतों का जवाब भी जानना चाहते हो तो " स्वमी लक्षमी शंकराचार्य जी "
की पुस्तक एक बार पढ़ लेना ।
* अगर उससे भी मन ना भरे तो मेरा वो
लेख पढे । भगवा आतंकवाद
आशा है कि 24 आयतों वालो की आत्मा को शांति मिल जाएंगी ।
* जिहाद की आवश्यकता क्यों ?
* तर्जुमा :- यदि अल्लाह मानव के एक झुंड को दूसरे झुंड के द्वारा हटाता नही रहता
धरती बिगाड़ से भर जाती , किंतु अल्लाह
संसारवालो के उदार के लिए है ।
( 2 : 251)
* तर्जुमा :- " वे जब भी युद्ध के लिए आग भड़काते है , अल्लाह उसको बुझा देता है वे धरती में फ़साद फैलाने के लिए प्रयास कर है , हालांकि फसाद फैलाने वालो को अल्लाह पसंद नही करता । ( 5 : 64 )
( सुरह 22 : 39 '40)
(सुरह 4 : 75)
( सुरह 2 : 76 )
( सुरह 61 : 10 '11)
( सुरह 61 : 4 )
* ( सूरह 9 : 19 ' 20 ) इत्यादि इस मे
भी वही है सत्य के लिए असत्य से युद्ध
करना ही पड़ता है । सत्य और असत्य कभी भी एक जगह जमा नही हो सकते । इसको जिहाद कहते है ।
* जिहाद ए मुक़दस भी एक इबादत है ।
पर कुछ नासमझ लोग फ़साद फैलाने में लगे है ।
* मुझे लगता है समझदारों के लिए इतना
काफी है नही तो पूरी जिंदगी भी कम पढ़ जांयेंगी इस पाक चीज का बयान करने में !
* जंग के आदाब
1 . स्त्री , बच्चे और बुढो को किसी भी तरीके की हानी नही होनी चाहिए ।
2 . किसी की धार्मिक ग्रथो ( उसकी बे हुरमती नही करना ) का अपमान नही करना ।
3 . जंग के बाद किसी मारे शव की बे हुर्मति न करे ।
4 . उनके चेहरे को न बिगड़े ।
5 . उसके गुप्त स्थान को किसी प्रकार से हानि न दे ।
6 .रास्ते के किसी पेड़ ,पौधों ,जनवरो ,खेतियों को नष्ट न करे
7 . मुसाफिर और रहवासी को किसी प्रकार के हानि न करे ।
8 . केवल उससे युद्ध जो तुमसे युद्ध करना चाहते है । आदि आदि ।
* तर्जुमा :- यदि अल्लाह मानव के एक झुंड को दूसरे झुंड के द्वारा हटाता नही रहता
धरती बिगाड़ से भर जाती , किंतु अल्लाह
संसारवालो के उदार के लिए है ।
( 2 : 251)
* तर्जुमा :- " वे जब भी युद्ध के लिए आग भड़काते है , अल्लाह उसको बुझा देता है वे धरती में फ़साद फैलाने के लिए प्रयास कर है , हालांकि फसाद फैलाने वालो को अल्लाह पसंद नही करता । ( 5 : 64 )
( सुरह 22 : 39 '40)
(सुरह 4 : 75)
( सुरह 2 : 76 )
( सुरह 61 : 10 '11)
( सुरह 61 : 4 )
* ( सूरह 9 : 19 ' 20 ) इत्यादि इस मे
भी वही है सत्य के लिए असत्य से युद्ध
करना ही पड़ता है । सत्य और असत्य कभी भी एक जगह जमा नही हो सकते । इसको जिहाद कहते है ।
* जिहाद ए मुक़दस भी एक इबादत है ।
पर कुछ नासमझ लोग फ़साद फैलाने में लगे है ।
* मुझे लगता है समझदारों के लिए इतना
काफी है नही तो पूरी जिंदगी भी कम पढ़ जांयेंगी इस पाक चीज का बयान करने में !
* जंग के आदाब
1 . स्त्री , बच्चे और बुढो को किसी भी तरीके की हानी नही होनी चाहिए ।
2 . किसी की धार्मिक ग्रथो ( उसकी बे हुरमती नही करना ) का अपमान नही करना ।
3 . जंग के बाद किसी मारे शव की बे हुर्मति न करे ।
4 . उनके चेहरे को न बिगड़े ।
5 . उसके गुप्त स्थान को किसी प्रकार से हानि न दे ।
6 .रास्ते के किसी पेड़ ,पौधों ,जनवरो ,खेतियों को नष्ट न करे
7 . मुसाफिर और रहवासी को किसी प्रकार के हानि न करे ।
8 . केवल उससे युद्ध जो तुमसे युद्ध करना चाहते है । आदि आदि ।
2 . किसी की धार्मिक ग्रथो ( उसकी बे हुरमती नही करना ) का अपमान नही करना ।
3 . जंग के बाद किसी मारे शव की बे हुर्मति न करे ।
4 . उनके चेहरे को न बिगड़े ।
5 . उसके गुप्त स्थान को किसी प्रकार से हानि न दे ।
6 .रास्ते के किसी पेड़ ,पौधों ,जनवरो ,खेतियों को नष्ट न करे
7 . मुसाफिर और रहवासी को किसी प्रकार के हानि न करे ।
8 . केवल उससे युद्ध जो तुमसे युद्ध करना चाहते है । आदि आदि ।
नबी पाक( सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के जमाने मे और खलीफा के जमाने मे कुल मिला कर 30 जंग होइ है। जिस में केवल 10000 लोग की मोत वो भी दोनों तरफ के मिलाकर।जंग शिर्फ़ सेल्फ डिफेंस में कर सकते है इस्लाम मे। वरना वर्जित है युद्ध करना। और आज के टाइम फिलेंसतीन में ही 3,लाख। शिराया इत्यदि जगहों पर हजारों लाखों , मुसलमान को जानवरों के जैसा मारा जा रहा है। दुनिया का सबसे बडा यहूदी आतंक है जो ये कर रहा हैं।
इस्लाम को दुनिया मे बाद नाम करने के लिए । इराक,सऊदी के तेल के कुआँ पर कब्जा करने के लिए अमरीका, और इस्राइल ने इस्लामिक आतंकवाद का प्रोपोगंडा रचा है। पैसे देकर काम कर आते है ये 2 स्टेट । जाहिल और ग्वार लोग जो इस्लाम (a) भी नही जानते उन्हें पैसे का लालच दे कर। ये इस्लाम को बदनाम कर रहे है । दुनिया का सबसे बड़ा एलेक्ट्रोनिक मीडिया यहूदियों के है।
वही मीडिया को पैसे दे कर इस्लाम को बद नाम कर व रहा है। आप लोग मीडिया, सोशल मीडिया ।की बात को जल्दी अस्पेट करते हो क्योंकि टेनॉलॉजी ने इन्शान का दिमाग को परालैस कर दिया है। पहले के लोग किताबो से पढ़कर कोई फैसला करते थे। आज जो मीडिया ने कहा दिया पत्थर की लकीर हो गई है। पहले के लोग ex.32+18=? फैट से 50 बोलते थे आज पहले कलकोलेटर निक है। हमे अपने दिमाग इस्तमाल करना छोड़ दिया है।ये सब चाल यहूदियों की हैं पूरी दुनिया पर राज करना चाहती है।
खुद सिगरेट बनाती है। पर खुद नही पीते।खुदने बैंकिंग सिस्टम खोल है। पूरी दुनियाभर भर ब्याज को आम कर दिया। खुद आपस मे ब्याज का लेन देन नही करते।ये है यहूदी इसलिए (हिटलर)कहता था में इन्हें क्यों मरता हु तुमहे भविष्य में पता चलेगा ।
* तो अब सवाल पूछना बनता ही नही है ।
की ISIS इत्यादि ये सब यहूदियों के अजेंड है ।
* हा और ये जो 24 आयत वाले है , खुद को नीच और दुष्ट समझते है तो ये आयते अपने ऊपर फिट कर सकते है ?
जीरो की खोज
मनुष्य शाकाहारी या मांसाहारी
वेदों का ज्ञान
नियोग एक कलंक
* अगर यही आंतकवाद का पैमाना है , तो कभी इसको भी वही तराजू में नापो ?
वैदिक धर्म और आतंकवाद
* पहले जानते है ,कि नास्तिक कौन है और
शूद्र , अनार्य कौन ?

( मनुस्मृति 1 : 130 )
* यानी जो वेदों पर आस्था नही रखता , न मानत , न जनता वही नास्तिक है , इनकार करने वाल यानी काफिर असल मे वही तो शत्रु है इनका ?
* अब देखते है शूद्र कौन है ?
* शूद्र का अर्थ होता है जो कि हकीकत कुछ और है चलो क्षण भर के लिए मान भी ले कि अपने जो शुद्र की परिभाषा की है , सही है , जिसका अर्थ होता है , अनाडी , अनार्य , मलेच्छ आदि आदि । जिनके साथ क्या किया जाये भगवा आतंकवाद
मिल जायेगा , ये समझ लो किये उसी का दूसरा भाग है !
* शुद्र की परिभाषा के अनुसार पूरी दुनिया 95 % - 98 % शुद्र ही हो गए । न तो ये वेदों को जानते है नाही मानते है । जिसका उदाहरण ये है ।

सत्यार्थ प्रकाश 7 समुल्लास पेज नंबर 168
* तो लाखों करोड़ों साल तक वो भोजन मुह से नही कही ओर से करते होंगे , 3000 साल पूर्व वेदों की रचना हुई खुद लांखो साल की बात कर रहे है , ऐसा कोनसा ज्ञान विज्ञान वेदों में हा अगर इतना ही ज्ञान विज्ञान सबसे ज्यादा भारतीय वैज्ञानिक होते , अच्छा हुआ कि अमेरिका इत्यादि वेदो से दूर थे , नाही तो कभी किसी चीज का आविष्कार नही हो पाता और सब अभी तक धोती बांधना शिखते रहते ?
* और वैदिक ईश्वर की महिमा देखो तो
98 % शूद्र को मानव शरीर मिल गया , कितने अच्छे कर्म किये होंगे कि
95 - 98 % इस जन्म से मानव शरीर मिला मतलब अगले जन्म में धरती पर
2 -3 % ही मानव होंगे बाकी सब जानवर इसमे भी वैदिक ईश्वर पर दोष जाएंगा की उसने सबको शुद्र बनाया और विद्याहीन रखा क्या मिथ्या है ?
* और सामने वाला हमेशा विरोधी ही होता है और धर्म को न मानने वाला शत्रु होता अगर न भी होतो ये लोग उसे शत्रु बना लेते है एक बार ऐसे से किसी आर्य व्यक्ति से बात चीत हो रही थी ,उस दरमियान में उसे प्रिय मित्र कहा उस दौरान उस ने ऐसा जवाब दिया कि मेरे होश उड़ गए वो जवाब था कि एक मुसलमान कभी हमारा मित्र नही हो सकता ,केवल शत्रु है ! ऐसी मानशिकता है इनकी हर किसी को शत्रु समझते है , जिसका उद्धरण आज कल जो हो रहा है , मुसलमानो के साथ ।
आये देखते है वेदों के समुन्द्र में से कुछ बूंद
की वेद किन बातों की शिक्षा देता है ?

( मनुस्मृति 7 : 94 )

( मनुस्मृति 7 : 95 )
* किसी को इतना मजबूर कर दो की युद्ध कर नही तो उसका सारा सुख चैन छीन
लेंगे क्या जोर जबर्दस्ती है , क्या ये आतंकवादी बनाने की निशानी नही ?
अब देखते है , सबको युद्व के लिए भटकना ?

(अर्थवेद 11 : 9 : 12 )

( अर्थवेद 11 : 10 :5 )
के लिए मिल कर शत्रु को मारो
यानी मोक्ष प्रप्ति आदि के लिए मारो और उनको
जीतो ये आतंकवादी नही है ?
(अर्थथवेद 11: 10 : 6 )
* NOTE : - इसलिए फ़ोटो कॉपी दे रहा हूँ कही ये न कहे कि ऐसा नही लिखा ?

(अर्थवेद 11 : 9 : 3)
* अब देखते है , उनके साथ व्यहार मारकाट, जानवरो को उनका मांस खिलाना और उनकी लाशों की बेहुरमती करना ?

( अथर्वेद 11 : 9 : 9 )
शुत्रो को मार कर जनवरो ख़िलावो !

( अथर्वेद 11 : 9 : 11 , 12 , 13 )
अथर्वेद 11 : 9 : 19
अर्थवेद 11 : 10 : 3
खिला दो सबको
इतनी क्रूरता
अब देखते स्त्रियों के सात क्या करे उनके माल को लूटो फिर आपस मे बाटो ?
* अब देखते उनका माल लूटो ?

अर्थवेद 11 : 10 : 19

(मनुस्मृति 7 : 96 )
* सब माल पर कब्जा करलो , स्त्रियों पर भी उन का अधिकार फिर नियोग के नाम पर बलात्कार उसी प्रकार से सत्यार्थ प्रकाश में भी है ?

6 समुल्लास पेज नम्बर 126
* उसी प्रकार से ऋग्वेदादी भाष्यभूमिक में राजप्रजा धर्म विषय 22 , पेज नंबर 285 में लिखा है कि युद्ध ही धन प्रप्ति का माध्यम है
उस के बिना धन की प्रप्ति नही होती दुसरो को लूटो और अपनी झूली भरो 👌👌
* अब देखते किसको कितना लुट मे से मिले
और जित का का जश्न ?

( यजुर्वेद 29 : 57 )
* अब देखते मांस ख़ाने वालो के साथ क्या करे , यहाँ फिर एक प्रश्न उठता हैं सब पहले
आर्य थे कौन ये मांस खाता था ?
* कर्म के लिए स्वतंत्रता वालो तुम कौन होते हो किसी को दण्ड दो या वैदिक ईश्वर का जोर है , मतलब जो आर्य का शत्रु है वही वैदिक ईश्वर का भी शत्रु है यही बात हैं ना
मतलब हमारा भी शत्रु है ? और ये बात ठीक नही क्यों सच्चा पालनहार कभी किसी का शत्रु नही होता ?
* ये जो नीचे प्रमाण देने वाला हु ये सब वेदों में मिलावट का नतीजा सत्य कुछ और ही था ।
* कहते है ना झुट कितना भी छुपा लो एक न एक दिन सामने आ ही जाता है ,
इन महाशय को पूरा सुने ये क्या कहते
है ।
ऋग्वेद 1 :162 : 13
आत्म ,परमात्मा , प्रकुति का चक्र
* जानवरों के चमडो का उपयोग कहा और कैसा करे ?

(25 : 35 ,36 )
* उसी प्रकार कुछ ये भी है ।
( ऋग्वेद 10 : 91 : 14 )
( अर्थवेद 8 : 6 : 23 )
( अर्थवेद 6 : 71 :1 )
( यजुर्वेद 20 : 87 )
( ऋग्वेद 1 - 162 - 11)
* पर अब बहुतों के अर्थ बदल दिए है और कही तो मन्त्र की गयाब कर दिए है ।
* बरहाल देखते महाभारत में
श्रद्ध का अध्ययन
88 श्लोक 1 से 10
में भी बलि प्रथा इत्यादि का प्रयोजन है ।
* यहां पर बलि की बात चालू है ।
* रामायण , पुराण इत्यादि में भी यही बाते है , बलि प्रथा , माँस सेवन आदि आदि ।
* उसी प्रकार से मनुस्मृति के 5 : 30 ,31 ,39 ,40 में भी यही था पर अब अर्थो का अनर्थ कर दिया ह ।
* और अधिक जानकारी के लिए ये पुस्तक पढे की ऋषिमुनी और सब मांस का सेवन करते थे ।
* अब देखते है न्यू जमाने का वेद और मिलावट मांस ख़ाने वालो के साथ व्यवहार ?
* मनु महाराज का नय जमाने का नया वचन ?

( 5 : 45 )
* मनु महाराज जी इस समय पूरी दुनिया मे 95 - 98 % मांसाहारी है , यानी मांस का सेवन करने वाले आपकी बात झूठी साबित हो गई या आपके वचन में मिलावट करके आप को झूठा साबित कर दिया है इन लोगों ने मांस खाने वाले अंत्यत सुखों की प्रप्ति कर रहे है , बड़े मजे से रह रहे है , और आर्य के हिसाब से अभी नया जमाना का नया वेदों के अनुसार मांस खाने वाले राक्षस है , जो भी युद्व वगैरह हुए हम से ही हुए थे ? इसका मतलब पुर्नजन्म में धरती पर 2 - 3 %मनुष्य रहेंगे बाकी सब पशु यौनि में जन्म लेंगे क्या
मिथ्या है ।
* फिर भी मुसलमान आतंकवादी है ?
और वेदों में ज्ञान - विज्ञान भरा है ?
हा अगर तुम्हारा कहना है कि ये पहले के लिए था , अब नही ? तो ये सब मन्त्र वेदों में क्या कर रहे है ? निकाल दो वेदों से वैसे भी ज्ञान विज्ञान के नाम पर तोप - बंदूक , विमान इत्यादि घुसो दिए अगर इन मंत्रों की जरूरत नही तो निकल दो वेदो से ? आखिर पता तो चले कि वेदों में बचता क्या है ? 70 -80 %
वेद खाली हो जाएंगा और बिगर मार काट वाला और केवल शुद्ध ज्ञान विज्ञान बच जाएगा निकाल दो , इसीलिए लोगो को वेदों से दूर रखते है ,कई सच्चाई लोगो को पता न चल जाये आतंक की शिक्षा कोन देता है , जिसका उदाहरण आज कल नजर आ ही रहा है ?
* और गुजरात और मुजफ्फरनगर , मालेगांव बम्बब्लास्ट , अजमेर इत्यादि ।
* और लोगो को ज्ञान विज्ञान बताते नजर आते है और वेदों को मानने वाले थे जो कि सब काल्पनिक पात्र है चलो क्षण भर के लिए मन लिया कि सत्य है , पाण्डव -कैरोव में एक स्त्री के चलते युद्ध जो कि महाभारत की शक्ल में आई उनका निजी मामला था ,जिसके चलते इतिहासकारो का अनुमान है युद्ध मे मारे जाने वालों की संख्या 1 अरब 64 करोड़ थी , इसमे कितना सत्य है ये मैं नही जानता ,दो लोगो के निजी मामले की वजह से कितने बे गुनाहों की जाने गई बेचारे क्या कर सकते थे अगर सैनिक युद्व न करते तो उनका सारा सुख चैन छीनकर कर दंड भी देते जो कि ऊपर बता चुका हूँ , क्या करे बिचारे मजबूर थे ? 😢😢😢😢😢
* उसी प्रकार से राम जी का भी निजी मामला था ? और जितने भी देवी देवता है उन पर गोरो फिक्र करे तो पता चला है कि
सब के हाथों में कोई न कोई हथियार मोजूद होता है , ये सब वेदों की शिक्षा है , जो कि आतंकवाद की परिभाषा आपके अनुसार है ?
* अफसोस जो केवल चंद लोग ईमान लाये
13 वर्ष लग भग मक्का में उन पर जुल्म हुआ किसके सबब शिर्फ़ इस बात पर एक सच्चे पालनहार की तरफ बुलाते थे ?
* उनको वस्रहीन कर के तबती धूप और तबती रेत पर लिटाकर ऊपर से पत्थर उनके सिनो पर रखा जाता था ?
* जलती अंगार उनकी पिट पर डाली जाती , जुल्म की इन्तिहा न थी , उनके मानने वाले आतंकवादी हो गए वह क्या पैमाना हैं आतंकवाद का 👌👌👌👌
* जिसने भेद भाव का जाहिल रिवाज को हटाया , जिसने गुलामो , मिस्कीनो सब को बार बारी का हक़ दिया जिनको कोई मानव तक नही मानता था उन्हें उठा कर सर का ताज बनाया , जिसने इंसानियत सिखाई वही लोग आतंकवादी है ?
* इस्लाम सिखाता हैं कमज़ोर की मदद करो अगर ये ही आतंकवाद का पैमाना है तो हा अल्हम्दुलिल्लाह मैं आतंकवादी हु ?इस्लाम की शिक्षा है , की वो मुसलमान नही जो पेट भर के खाना खाय और उसका पड़ोसी भूखा सोये अगर ये आतंकवादी शिक्षा है तो मैं आतंकवादी हु ? जो रास्ते से पत्थरों को इस नियत से हटाता है , कीसी को इससे ईजा न हो अगर ऐसी शिक्षा को मानना आतंकवाद है तो मैं आतंकवादी हु ? इस्लाम काले , गोरे , उच्च , नीच , अमीर , गरीब इत्यदि का भेद भाव खत्म करके एक मानता और बताता है अगर ऐसी शिक्षा आतंकवाद है तो है मै आतंकवादी हु ?
एक ही गिलास से पानी पीना और एक थाली में सब खाना खाना और छुत अछूत का जहिलात का रिवाज को रौंद ने का नाम आतंकवाद है , तो मैं आतंकवादी हु ? स्त्रियों का सामान और बदनिगहि को गुनाह समझना , एक अल्लाह की इबादत करना आतंकवाद का पैमाना है , तो मैं आतंकवादी हु , अगर इस्लाम की शिक्षा पर चर्चा करू तो जिंदगी कम पढ़ जाय एक नुक़्ता भी बयान नही कर सकता अगर ये सब आतंकवाद है तो मैं आतंकवादी हु ?
* हमारे बच्चो को सारे आम पिट पिट कर मारो और हम आतंकवादी है ? जानवरों की जान इंशानो जान से मांगी है ? माँस के नाम पर हमें मारो और हम आतंकवादी है ? फिलिस्तीन , म्यांमार , शिरिया इत्यादि में मुसलमानों को मारो और हम आतंकवादी है
हमारी शरियत से खेलो तुम और हम आतंकवादी है ? गांधी जी को मरने वाला कोई और सिख भाई का कत्ल आम करने वाला कोई और मुसलमान आतंकवादी है एक समय ऐसा भी आया कि बगदाद में मुसलमानों का कत्ल ए आम हुआ , मुसलमानो की गर्दनो को कट कर मीनारा बना कर उस पर चढ़ कर शराब पीई गई , नदियों में बहता पानी जैसा खून बहाया गया और मुसलमानो आतंकवादी है , अगर जुल्म के लिए आवाज़ उठना आतंकवादी की पहचान है तो मैं आतंकवादी हु ? धन्यवाद ।
अभी बच्चे हो इसलिए कहता हूं पहले अपने धार्मिक मान्यताओं को जानो और उसका अध्ययन करो फिर सोच समझ के बोलो समझे मित्रो !
* इस्लाम पर कीचड़ उछालने की ना काम कोशिश के सबब खुद ही के कपड़े मेंले कर रहे हो ।
कमल छाप साबुन के इस्तमाल से पुरे दाग निकल जाते है ! 😊
* और लोगो में इस्लाम के बारे में इच्छुक जाग रही है और वे लोग इस्लाम का अध्ययन कर रहे है , और जिसको पंसद आ रहा है , वे इस्लाम के दमन से लिपटे जा रहा है ।
* और दुनिया मे सबसे तेजी से फैलने वाला सच्चा दिन इस्लाम है । अल्हम्दुलिल्लाह ।
* ये होती है असल शिक्षा का नतीजा ।
इस्लाम को क़ुदरत ने वो लचक दी है
तुम जितना इसे दबाउंगे ये उतना ही उभरेगा।
* बरहाल हमे आपकी मान्यता से कोई गरज नही क्यों कि इस्लाम कभी किसी को गलत नही कहता ।
* किंतु कुछ चुतिया ( मुर्ख ) को उनकी भाषा मे जब तक ना समझया जाए जब तक उन्हें समझ नही आता ।
* हक़ बात ( इस्लाम ) कोई जबरदस्ति नही।(2-256).
*पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
*नसीहत उनके लिए सीधे मार्ग पर चलना चाहे।
(81:27,28,29)(40:28)
* ये मानव तुम लोग पालनहार(अल्लाह) के मोहताज हो और अल्लाह बे-नियाज़ है (सर्वशक्तिमान) है नसीहत वो मानते है जो अक्ल वाले है (13:19).
* और हरगिज अल्लाह को बे-खबर ना जानना जालिमो के काम से उन्हें ढील नही दे राहा है, मगर ऐसे दिन के लिए जिसमे आंखे खुली की खुली राह जांयेंगी।(14:42)
*कोई आदमी वह है, की अल्लाह के बारे में झगड़ाता है, ना तो कोई इल्म, ना कोई दलील और ना तो कोई रोशन निशानी।(22:8)(31:20)(52:33,34)(23:72)(23:73).
*कह दो,"सत्य आ गया और असत्य मिट
गया, असत्य तो मिट जाने वाला ही होता है।
(17:81)
NOTE : - जो प्रशन दयानद और उसे मानने वालों ने इस्लाम के बारे में किये थे अल्हम्दुलिल्लाह उसका जवाब तो हम दे सकते है पर इनके दिमाग मे जंग लगा है इसलिए जो जैसी भाषा समझता है उसे वैसे ही समझना पड़ता है ।
* अगर किसी को ठेस पहुंची तो क्षमा चाहता हु ।
* इस लेख का मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नही बल्कि उन इस्लाम विरोधी को जवाब देना है जो खुद की धार्मिक गर्न्थो की मान्यता को नही जानते और इस्लाम और मुसलमानों के ऊपर तानाकाशी करते है। धन्यवाद !
All.post
इस्लाम को दुनिया मे बाद नाम करने के लिए । इराक,सऊदी के तेल के कुआँ पर कब्जा करने के लिए अमरीका, और इस्राइल ने इस्लामिक आतंकवाद का प्रोपोगंडा रचा है। पैसे देकर काम कर आते है ये 2 स्टेट । जाहिल और ग्वार लोग जो इस्लाम (a) भी नही जानते उन्हें पैसे का लालच दे कर। ये इस्लाम को बदनाम कर रहे है । दुनिया का सबसे बड़ा एलेक्ट्रोनिक मीडिया यहूदियों के है।
वही मीडिया को पैसे दे कर इस्लाम को बद नाम कर व रहा है। आप लोग मीडिया, सोशल मीडिया ।की बात को जल्दी अस्पेट करते हो क्योंकि टेनॉलॉजी ने इन्शान का दिमाग को परालैस कर दिया है। पहले के लोग किताबो से पढ़कर कोई फैसला करते थे। आज जो मीडिया ने कहा दिया पत्थर की लकीर हो गई है। पहले के लोग ex.32+18=? फैट से 50 बोलते थे आज पहले कलकोलेटर निक है। हमे अपने दिमाग इस्तमाल करना छोड़ दिया है।ये सब चाल यहूदियों की हैं पूरी दुनिया पर राज करना चाहती है।
खुद सिगरेट बनाती है। पर खुद नही पीते।खुदने बैंकिंग सिस्टम खोल है। पूरी दुनियाभर भर ब्याज को आम कर दिया। खुद आपस मे ब्याज का लेन देन नही करते।ये है यहूदी इसलिए (हिटलर)कहता था में इन्हें क्यों मरता हु तुमहे भविष्य में पता चलेगा ।
* तो अब सवाल पूछना बनता ही नही है ।
की ISIS इत्यादि ये सब यहूदियों के अजेंड है ।
जीरो की खोज
मनुष्य शाकाहारी या मांसाहारी
वेदों का ज्ञान
नियोग एक कलंक
* अगर यही आंतकवाद का पैमाना है , तो कभी इसको भी वही तराजू में नापो ?
वैदिक धर्म और आतंकवाद
* पहले जानते है ,कि नास्तिक कौन है और
शूद्र , अनार्य कौन ?
( मनुस्मृति 1 : 130 ) |
* यानी जो वेदों पर आस्था नही रखता , न मानत , न जनता वही नास्तिक है , इनकार करने वाल यानी काफिर असल मे वही तो शत्रु है इनका ?
* अब देखते है शूद्र कौन है ?
* शूद्र का अर्थ होता है जो कि हकीकत कुछ और है चलो क्षण भर के लिए मान भी ले कि अपने जो शुद्र की परिभाषा की है , सही है , जिसका अर्थ होता है , अनाडी , अनार्य , मलेच्छ आदि आदि । जिनके साथ क्या किया जाये भगवा आतंकवाद
मिल जायेगा , ये समझ लो किये उसी का दूसरा भाग है !
* शुद्र की परिभाषा के अनुसार पूरी दुनिया 95 % - 98 % शुद्र ही हो गए । न तो ये वेदों को जानते है नाही मानते है । जिसका उदाहरण ये है ।
* तो लाखों करोड़ों साल तक वो भोजन मुह से नही कही ओर से करते होंगे , 3000 साल पूर्व वेदों की रचना हुई खुद लांखो साल की बात कर रहे है , ऐसा कोनसा ज्ञान विज्ञान वेदों में हा अगर इतना ही ज्ञान विज्ञान सबसे ज्यादा भारतीय वैज्ञानिक होते , अच्छा हुआ कि अमेरिका इत्यादि वेदो से दूर थे , नाही तो कभी किसी चीज का आविष्कार नही हो पाता और सब अभी तक धोती बांधना शिखते रहते ?
मिल जायेगा , ये समझ लो किये उसी का दूसरा भाग है !
* शुद्र की परिभाषा के अनुसार पूरी दुनिया 95 % - 98 % शुद्र ही हो गए । न तो ये वेदों को जानते है नाही मानते है । जिसका उदाहरण ये है ।
सत्यार्थ प्रकाश 7 समुल्लास पेज नंबर 168 |
* तो लाखों करोड़ों साल तक वो भोजन मुह से नही कही ओर से करते होंगे , 3000 साल पूर्व वेदों की रचना हुई खुद लांखो साल की बात कर रहे है , ऐसा कोनसा ज्ञान विज्ञान वेदों में हा अगर इतना ही ज्ञान विज्ञान सबसे ज्यादा भारतीय वैज्ञानिक होते , अच्छा हुआ कि अमेरिका इत्यादि वेदो से दूर थे , नाही तो कभी किसी चीज का आविष्कार नही हो पाता और सब अभी तक धोती बांधना शिखते रहते ?
* और वैदिक ईश्वर की महिमा देखो तो
98 % शूद्र को मानव शरीर मिल गया , कितने अच्छे कर्म किये होंगे कि
95 - 98 % इस जन्म से मानव शरीर मिला मतलब अगले जन्म में धरती पर
2 -3 % ही मानव होंगे बाकी सब जानवर इसमे भी वैदिक ईश्वर पर दोष जाएंगा की उसने सबको शुद्र बनाया और विद्याहीन रखा क्या मिथ्या है ?
* और सामने वाला हमेशा विरोधी ही होता है और धर्म को न मानने वाला शत्रु होता अगर न भी होतो ये लोग उसे शत्रु बना लेते है एक बार ऐसे से किसी आर्य व्यक्ति से बात चीत हो रही थी ,उस दरमियान में उसे प्रिय मित्र कहा उस दौरान उस ने ऐसा जवाब दिया कि मेरे होश उड़ गए वो जवाब था कि एक मुसलमान कभी हमारा मित्र नही हो सकता ,केवल शत्रु है ! ऐसी मानशिकता है इनकी हर किसी को शत्रु समझते है , जिसका उद्धरण आज कल जो हो रहा है , मुसलमानो के साथ ।
आये देखते है वेदों के समुन्द्र में से कुछ बूंद
की वेद किन बातों की शिक्षा देता है ?
( मनुस्मृति 7 : 94 ) |
( मनुस्मृति 7 : 95 ) |
* किसी को इतना मजबूर कर दो की युद्ध कर नही तो उसका सारा सुख चैन छीन
लेंगे क्या जोर जबर्दस्ती है , क्या ये आतंकवादी बनाने की निशानी नही ?
अब देखते है , सबको युद्व के लिए भटकना ?
(अर्थवेद 11 : 9 : 12 ) |
( अर्थवेद 11 : 10 :5 ) |
के लिए मिल कर शत्रु को मारो यानी मोक्ष प्रप्ति आदि के लिए मारो और उनको जीतो ये आतंकवादी नही है ? (अर्थथवेद 11: 10 : 6 ) |
* NOTE : - इसलिए फ़ोटो कॉपी दे रहा हूँ कही ये न कहे कि ऐसा नही लिखा ?
(अर्थवेद 11 : 9 : 3) |
* अब देखते है , उनके साथ व्यहार मारकाट, जानवरो को उनका मांस खिलाना और उनकी लाशों की बेहुरमती करना ?
( अथर्वेद 11 : 9 : 9 ) |
( अथर्वेद 11 : 9 : 11 , 12 , 13 ) |
अथर्वेद 11 : 9 : 19
अर्थवेद 11 : 10 : 3
खिला दो सबको
इतनी क्रूरता
अब देखते स्त्रियों के सात क्या करे उनके माल को लूटो फिर आपस मे बाटो ?
* अब देखते उनका माल लूटो ?
अर्थवेद 11 : 10 : 19 |
(मनुस्मृति 7 : 96 ) |
* सब माल पर कब्जा करलो , स्त्रियों पर भी उन का अधिकार फिर नियोग के नाम पर बलात्कार उसी प्रकार से सत्यार्थ प्रकाश में भी है ?
6 समुल्लास पेज नम्बर 126 |
* उसी प्रकार से ऋग्वेदादी भाष्यभूमिक में राजप्रजा धर्म विषय 22 , पेज नंबर 285 में लिखा है कि युद्ध ही धन प्रप्ति का माध्यम है
उस के बिना धन की प्रप्ति नही होती दुसरो को लूटो और अपनी झूली भरो 👌👌
* अब देखते किसको कितना लुट मे से मिले
और जित का का जश्न ?
( यजुर्वेद 29 : 57 ) |
* अब देखते मांस ख़ाने वालो के साथ क्या करे , यहाँ फिर एक प्रश्न उठता हैं सब पहले
आर्य थे कौन ये मांस खाता था ?
* कर्म के लिए स्वतंत्रता वालो तुम कौन होते हो किसी को दण्ड दो या वैदिक ईश्वर का जोर है , मतलब जो आर्य का शत्रु है वही वैदिक ईश्वर का भी शत्रु है यही बात हैं ना
मतलब हमारा भी शत्रु है ? और ये बात ठीक नही क्यों सच्चा पालनहार कभी किसी का शत्रु नही होता ?
* मनु महाराज जी इस समय पूरी दुनिया मे 95 - 98 % मांसाहारी है , यानी मांस का सेवन करने वाले आपकी बात झूठी साबित हो गई या आपके वचन में मिलावट करके आप को झूठा साबित कर दिया है इन लोगों ने मांस खाने वाले अंत्यत सुखों की प्रप्ति कर रहे है , बड़े मजे से रह रहे है , और आर्य के हिसाब से अभी नया जमाना का नया वेदों के अनुसार मांस खाने वाले राक्षस है , जो भी युद्व वगैरह हुए हम से ही हुए थे ? इसका मतलब पुर्नजन्म में धरती पर 2 - 3 %मनुष्य रहेंगे बाकी सब पशु यौनि में जन्म लेंगे क्या
* ये जो नीचे प्रमाण देने वाला हु ये सब वेदों में मिलावट का नतीजा सत्य कुछ और ही था ।
* कहते है ना झुट कितना भी छुपा लो एक न एक दिन सामने आ ही जाता है ,
इन महाशय को पूरा सुने ये क्या कहते
है ।
ऋग्वेद 1 :162 : 13
आत्म ,परमात्मा , प्रकुति का चक्र
* जानवरों के चमडो का उपयोग कहा और कैसा करे ?
(25 : 35 ,36 ) |
* उसी प्रकार कुछ ये भी है ।
( ऋग्वेद 10 : 91 : 14 )
( अर्थवेद 8 : 6 : 23 )
( अर्थवेद 6 : 71 :1 )
( यजुर्वेद 20 : 87 )
( ऋग्वेद 1 - 162 - 11)
* पर अब बहुतों के अर्थ बदल दिए है और कही तो मन्त्र की गयाब कर दिए है ।
* बरहाल देखते महाभारत में
श्रद्ध का अध्ययन
88 श्लोक 1 से 10
में भी बलि प्रथा इत्यादि का प्रयोजन है ।
* यहां पर बलि की बात चालू है ।
* रामायण , पुराण इत्यादि में भी यही बाते है , बलि प्रथा , माँस सेवन आदि आदि ।
* उसी प्रकार से मनुस्मृति के 5 : 30 ,31 ,39 ,40 में भी यही था पर अब अर्थो का अनर्थ कर दिया ह ।
* और अधिक जानकारी के लिए ये पुस्तक पढे की ऋषिमुनी और सब मांस का सेवन करते थे ।
* अब देखते है न्यू जमाने का वेद और मिलावट मांस ख़ाने वालो के साथ व्यवहार ?
* मनु महाराज का नय जमाने का नया वचन ?
( 5 : 45 ) |
* मनु महाराज जी इस समय पूरी दुनिया मे 95 - 98 % मांसाहारी है , यानी मांस का सेवन करने वाले आपकी बात झूठी साबित हो गई या आपके वचन में मिलावट करके आप को झूठा साबित कर दिया है इन लोगों ने मांस खाने वाले अंत्यत सुखों की प्रप्ति कर रहे है , बड़े मजे से रह रहे है , और आर्य के हिसाब से अभी नया जमाना का नया वेदों के अनुसार मांस खाने वाले राक्षस है , जो भी युद्व वगैरह हुए हम से ही हुए थे ? इसका मतलब पुर्नजन्म में धरती पर 2 - 3 %मनुष्य रहेंगे बाकी सब पशु यौनि में जन्म लेंगे क्या
मिथ्या है ।
* फिर भी मुसलमान आतंकवादी है ?
और वेदों में ज्ञान - विज्ञान भरा है ?
हा अगर तुम्हारा कहना है कि ये पहले के लिए था , अब नही ? तो ये सब मन्त्र वेदों में क्या कर रहे है ? निकाल दो वेदों से वैसे भी ज्ञान विज्ञान के नाम पर तोप - बंदूक , विमान इत्यादि घुसो दिए अगर इन मंत्रों की जरूरत नही तो निकल दो वेदो से ? आखिर पता तो चले कि वेदों में बचता क्या है ? 70 -80 %
वेद खाली हो जाएंगा और बिगर मार काट वाला और केवल शुद्ध ज्ञान विज्ञान बच जाएगा निकाल दो , इसीलिए लोगो को वेदों से दूर रखते है ,कई सच्चाई लोगो को पता न चल जाये आतंक की शिक्षा कोन देता है , जिसका उदाहरण आज कल नजर आ ही रहा है ?
* और गुजरात और मुजफ्फरनगर , मालेगांव बम्बब्लास्ट , अजमेर इत्यादि ।
* और लोगो को ज्ञान विज्ञान बताते नजर आते है और वेदों को मानने वाले थे जो कि सब काल्पनिक पात्र है चलो क्षण भर के लिए मन लिया कि सत्य है , पाण्डव -कैरोव में एक स्त्री के चलते युद्ध जो कि महाभारत की शक्ल में आई उनका निजी मामला था ,जिसके चलते इतिहासकारो का अनुमान है युद्ध मे मारे जाने वालों की संख्या 1 अरब 64 करोड़ थी , इसमे कितना सत्य है ये मैं नही जानता ,दो लोगो के निजी मामले की वजह से कितने बे गुनाहों की जाने गई बेचारे क्या कर सकते थे अगर सैनिक युद्व न करते तो उनका सारा सुख चैन छीनकर कर दंड भी देते जो कि ऊपर बता चुका हूँ , क्या करे बिचारे मजबूर थे ? 😢😢😢😢😢
* उसी प्रकार से राम जी का भी निजी मामला था ? और जितने भी देवी देवता है उन पर गोरो फिक्र करे तो पता चला है कि
सब के हाथों में कोई न कोई हथियार मोजूद होता है , ये सब वेदों की शिक्षा है , जो कि आतंकवाद की परिभाषा आपके अनुसार है ?
* अफसोस जो केवल चंद लोग ईमान लाये
13 वर्ष लग भग मक्का में उन पर जुल्म हुआ किसके सबब शिर्फ़ इस बात पर एक सच्चे पालनहार की तरफ बुलाते थे ?
* उनको वस्रहीन कर के तबती धूप और तबती रेत पर लिटाकर ऊपर से पत्थर उनके सिनो पर रखा जाता था ?
* जलती अंगार उनकी पिट पर डाली जाती , जुल्म की इन्तिहा न थी , उनके मानने वाले आतंकवादी हो गए वह क्या पैमाना हैं आतंकवाद का 👌👌👌👌
* जिसने भेद भाव का जाहिल रिवाज को हटाया , जिसने गुलामो , मिस्कीनो सब को बार बारी का हक़ दिया जिनको कोई मानव तक नही मानता था उन्हें उठा कर सर का ताज बनाया , जिसने इंसानियत सिखाई वही लोग आतंकवादी है ?
* इस्लाम सिखाता हैं कमज़ोर की मदद करो अगर ये ही आतंकवाद का पैमाना है तो हा अल्हम्दुलिल्लाह मैं आतंकवादी हु ?इस्लाम की शिक्षा है , की वो मुसलमान नही जो पेट भर के खाना खाय और उसका पड़ोसी भूखा सोये अगर ये आतंकवादी शिक्षा है तो मैं आतंकवादी हु ? जो रास्ते से पत्थरों को इस नियत से हटाता है , कीसी को इससे ईजा न हो अगर ऐसी शिक्षा को मानना आतंकवाद है तो मैं आतंकवादी हु ? इस्लाम काले , गोरे , उच्च , नीच , अमीर , गरीब इत्यदि का भेद भाव खत्म करके एक मानता और बताता है अगर ऐसी शिक्षा आतंकवाद है तो है मै आतंकवादी हु ?
एक ही गिलास से पानी पीना और एक थाली में सब खाना खाना और छुत अछूत का जहिलात का रिवाज को रौंद ने का नाम आतंकवाद है , तो मैं आतंकवादी हु ? स्त्रियों का सामान और बदनिगहि को गुनाह समझना , एक अल्लाह की इबादत करना आतंकवाद का पैमाना है , तो मैं आतंकवादी हु , अगर इस्लाम की शिक्षा पर चर्चा करू तो जिंदगी कम पढ़ जाय एक नुक़्ता भी बयान नही कर सकता अगर ये सब आतंकवाद है तो मैं आतंकवादी हु ?
* हमारे बच्चो को सारे आम पिट पिट कर मारो और हम आतंकवादी है ? जानवरों की जान इंशानो जान से मांगी है ? माँस के नाम पर हमें मारो और हम आतंकवादी है ? फिलिस्तीन , म्यांमार , शिरिया इत्यादि में मुसलमानों को मारो और हम आतंकवादी है
हमारी शरियत से खेलो तुम और हम आतंकवादी है ? गांधी जी को मरने वाला कोई और सिख भाई का कत्ल आम करने वाला कोई और मुसलमान आतंकवादी है एक समय ऐसा भी आया कि बगदाद में मुसलमानों का कत्ल ए आम हुआ , मुसलमानो की गर्दनो को कट कर मीनारा बना कर उस पर चढ़ कर शराब पीई गई , नदियों में बहता पानी जैसा खून बहाया गया और मुसलमानो आतंकवादी है , अगर जुल्म के लिए आवाज़ उठना आतंकवादी की पहचान है तो मैं आतंकवादी हु ? धन्यवाद ।
अभी बच्चे हो इसलिए कहता हूं पहले अपने धार्मिक मान्यताओं को जानो और उसका अध्ययन करो फिर सोच समझ के बोलो समझे मित्रो !
* इस्लाम पर कीचड़ उछालने की ना काम कोशिश के सबब खुद ही के कपड़े मेंले कर रहे हो ।
* और लोगो में इस्लाम के बारे में इच्छुक जाग रही है और वे लोग इस्लाम का अध्ययन कर रहे है , और जिसको पंसद आ रहा है , वे इस्लाम के दमन से लिपटे जा रहा है ।
* और दुनिया मे सबसे तेजी से फैलने वाला सच्चा दिन इस्लाम है । अल्हम्दुलिल्लाह ।
* ये होती है असल शिक्षा का नतीजा ।
इस्लाम को क़ुदरत ने वो लचक दी है
तुम जितना इसे दबाउंगे ये उतना ही उभरेगा।
* बरहाल हमे आपकी मान्यता से कोई गरज नही क्यों कि इस्लाम कभी किसी को गलत नही कहता ।
* किंतु कुछ चुतिया ( मुर्ख ) को उनकी भाषा मे जब तक ना समझया जाए जब तक उन्हें समझ नही आता ।
* हक़ बात ( इस्लाम ) कोई जबरदस्ति नही।(2-256).
*पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
*नसीहत उनके लिए सीधे मार्ग पर चलना चाहे।
(81:27,28,29)(40:28)
(81:27,28,29)(40:28)
* ये मानव तुम लोग पालनहार(अल्लाह) के मोहताज हो और अल्लाह बे-नियाज़ है (सर्वशक्तिमान) है नसीहत वो मानते है जो अक्ल वाले है (13:19).
* और हरगिज अल्लाह को बे-खबर ना जानना जालिमो के काम से उन्हें ढील नही दे राहा है, मगर ऐसे दिन के लिए जिसमे आंखे खुली की खुली राह जांयेंगी।(14:42)
*कोई आदमी वह है, की अल्लाह के बारे में झगड़ाता है, ना तो कोई इल्म, ना कोई दलील और ना तो कोई रोशन निशानी।(22:8)(31:20)(52:33,34)(23:72)(23:73).
*कह दो,"सत्य आ गया और असत्य मिट
गया, असत्य तो मिट जाने वाला ही होता है।
(17:81)
NOTE : - जो प्रशन दयानद और उसे मानने वालों ने इस्लाम के बारे में किये थे अल्हम्दुलिल्लाह उसका जवाब तो हम दे सकते है पर इनके दिमाग मे जंग लगा है इसलिए जो जैसी भाषा समझता है उसे वैसे ही समझना पड़ता है ।
* अगर किसी को ठेस पहुंची तो क्षमा चाहता हु ।
* इस लेख का मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नही बल्कि उन इस्लाम विरोधी को जवाब देना है जो खुद की धार्मिक गर्न्थो की मान्यता को नही जानते और इस्लाम और मुसलमानों के ऊपर तानाकाशी करते है। धन्यवाद !
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