Quran aur saat aasman
सात आसमान की हकीकत
अल्लाह का अर्श और 6 दिन
* एक मत्त्वपूर्ण लेख ! केवल 2 पग पर चलने वाले बुद्धिमान व्यक्तियों के लिए ।
* आज कल इन बातों पर भी चर्चा हो रही है कि अल्लाह तआला सातवे आसमान पर बैठा है ?
माजल्लाह )
* आखिर अर्श है क्या ? और वेदों में भी देखेंगे कि वैदिक ईश्वर कहा है और कैसा देखता है ?
* सबसे पहले जानते है उसकी जात और उसके गुण ?
* अपनी अक्ल से उसकी पाक जात को समझना मुमकिन नही,क्योंकि जो चीज़ अक्ल के जरिये से समझ मे आति है अक्ल उसको अपने मे घेर ले लेती है, अल्लाह (एक पालनहार) की शान यह है कि कोई चीज़ उसकी जात को घेर नही सकती।उसी तरह उसके गुण (सिफ़त) भी है।
पालनहार की स्वयं जात कदीम(अनादि),अजलि(सक्षम)औऱ अबदी ( अमर) उसी तरह उसके गुण(सीफत) भी । अनादि, सक्षम और अमर है ।
* अल्लाह तआला की गूण न ऐन है न गैर ऐन यानी अल्लाह के गुण उसकी जात नही न गुण किसी तरह उसकी जात से अलग होसके क्योंकि वह गूण ऐसे है , जो कि पालनहार की जात को चाहती है , और उसकी जात के लिए जरूरी है ।
* इसीलिए उसकी और एक बात यह भी ध्यान में रखे कि पालनहार के कई गुण है , और अलग है , हर गुण का मतलब भी अलग अलग है ।
उदहारण ० अल -राजिक = खिलाने वाला
अल -हय्यूल कय्यूम = हमेशा से जिंदा और दूसरों को जिंदा रखने वाला ( न उसे मौत आये न ऊब , और हमेशा से कायम ) सुर्ष्टि रचेता , हर चीजो का चलाने वाला इत्यादि उसे गुण है ।
वही ख़ुदा है जिसके सिवा कोई माबूद नहीं, पोशीदा ( छुपी ) और ज़ाहिर का जानने वाला वही बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है । ( 59 : 22 )
هُوَ ٱللَّهُ ٱلَّذِى لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلْمَلِكُ ٱلْقُدُّوسُ ٱلسَّلَٰمُ ٱلْمُؤْمِنُ ٱلْمُهَيْمِنُ ٱلْعَزِيزُ ٱلْجَبَّارُ ٱلْمُتَكَبِّرُ سُبْحَٰنَ ٱللَّهِ عَمَّا يُشْرِكُون
वही वह ख़ुदा है जिसके सिवा कोई क़ाबिले इबादत नहीं (हक़ीक़ी) बादशाह, पाक ज़ात (हर ऐब से) बरी अमन देने वाला निगेहबान, ग़ालिब ज़बरदस्त बड़ाई वाला ये लोग जिसको (उसका) शरीक ठहराते हैं उससे पाक है । ( 59 : 23 )
هُوَ ٱللَّهُ ٱلْخَٰلِقُ ٱلْبَارِئُ ٱلْمُصَوِّرُ لَهُ ٱلْأَسْمَآءُ ٱلْحُسْنَىٰ يُسَبِّحُ لَهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ
वही ख़ुदा (तमाम चीज़ों का ख़ालिक =पैदा करने वाला ) मुजिद सूरतों ( मा के पेट मे सूरत )का बनाने वाला उसी के अच्छे अच्छे नाम हैं जो चीज़े सारे आसमान व ज़मीन में हैं सब उसी की तसबीह करती हैं, और वही ग़ालिब हिकमत वाला है ।
( 59 : 24 )
ٱللَّهُ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلْحَىُّ ٱلْقَيُّومُ لَا تَأْخُذُهُۥ سِنَةٌ وَلَا نَوْمٌ لَّهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ مَن ذَا ٱلَّذِى يَشْفَعُ عِندَهُۥٓ إِلَّا بِإِذْنِهِۦ يَعْلَمُ مَا بَيْنَ أَيْدِيهِمْ وَمَا خَلْفَهُمْ وَلَا يُحِيطُونَ بِشَىْءٍ مِّنْ عِلْمِهِۦٓ إِلَّا بِمَا شَآءَ وَسِعَ كُرْسِيُّهُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ وَلَا يَـُٔودُهُۥ حِفْظُهُمَا وَهُوَ ٱلْعَلِىُّ ٱلْعَظِيمُ
ख़ुदा ही वो ज़ाते पाक है कि उसके सिवा कोई माबूद नहीं (वह) ज़िन्दा है (और) सारे जहान का संभालने ( पालने ) वाला है उसको न ऊँघ आती है न नींद जो कुछ आसमानो में है और जो कुछ ज़मीन में है (गरज़ सब कुछ) उसी का है कौन ऐसा है जो बग़ैर उसकी इजाज़त के उसके पास किसी की सिफ़ारिश करे जो कुछ उनके सामने मौजूद है (वह) और जो कुछ उनके पीछे (हो चुका) है (खुदा सबको) जानता है और लोग उसके इल्म में से किसी चीज़ पर भी अहाता नहीं कर सकते मगर वह जिसे जितना चाहे (सिखा दे) उसकी कुर्सी ( इल्म ) सब आसमानॊं और ज़मीनों को घेरे हुये है और उन दोनों (आसमान व ज़मीन) की निगेहदाश्त उसपर कुछ भी मुश्किल नहीं और वह आलीशान बुजुर्ग़ मरतबा है । ( 2 : 255 )
* अर्थात : - (ऐ रसूल) तुम (उनसे) कह दो कि (तुम को एख़तियार है) ख्वाह उसे अल्लाह (कहकर) पुकारो या रहमान कह कर पुकारो (ग़रज़) जिस नाम को भी पुकारो उसके तो सब नाम अच्छे (से अच्छे) हैं और (ऐ रसूल) न तो अपनी नमाज़ बहुत ऊँचा कर पढ़ो न और न बिल्कुल धीरे से बल्कि उसके दरमियान एक औसत तरीका एख्तेयार कर लो । ( 17 :110 )
* सब अच्छे नाम उसी के है ।
अल्लाह
अल रहमान
अल रहीम
अल करीम
अल मालिक
अल कुदुस
अल राजिक
अल गफूर
अल बारीक
इत्यादि
ईश्वर
पालनहार
रब
और जो जिस भाषा मे बोलता है सब अच्छे नाम उसी के है ।
* हयात , कुदरत , सुन्ना , देखना , कलाम , इल्म और इरादा उसकी जात के गूण है , मगर , आंख , नाक , और जुबान से उसका सुन्ना , देखना और कलाम करना नही क्यों कि यह सब जिस्म का काम है , और पालनहार जिस्म से पाक है , अल्लाह हर धीमी से धीमी आवाज़ को सुनता है , ऐसी सूक्षम से सूक्षम ( बारीक से बारीक ) उसकी कुदरत से पोशीदा ( छुपी ) नही जो एक उच्च कोटी की दूरबीन भी नही देख सकती वो चीज भी वो जनता और सुनता है । अगर एक काला जंगल हो और उसमें एक काली गुफा हो और काली गुफा से एक काली चींटी भी हो और उसे न्हने पैरो की आहट को सुनता और जनता है । ( बेशक़ ) ( सुब्हान अल्लाह) और सब उसके गूण है , उसी तरह से उसका कलाम भी कदीम (अनादि ) है । उसका कलाम क़ुरान इत्यादि है । अल्हम्दुलिल्लाह ।
अब देखते है ये आयतों के बारे में ?
إِنَّ رَبَّكُمُ ٱللَّهُ ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ فِى سِتَّةِ أَيَّامٍ ثُمَّ ٱسْتَوَىٰ عَلَى ٱلْعَرْشِ يُغْشِى ٱلَّيْلَ ٱلنَّهَارَ يَطْلُبُهُۥ حَثِيثًا وَٱلشَّمْسَ وَٱلْقَمَرَ وَٱلنُّجُومَ مُسَخَّرَٰتٍۭ بِأَمْرِهِۦٓ أَلَا لَهُ ٱلْخَلْقُ وَٱلْأَمْرُ تَبَارَكَ ٱللَّهُ رَبُّ ٱلْعَٰلَمِينَ
बेशक उन लोगों ने अपना सख्त घाटा किया और जो इफ़तेरा परदाज़िया किया करते थे वह सब गायब (ग़ल्ला) हो गयीं बेशक तुम्हारा परवरदिगार ख़ुदा ही है जिसके 6 दिनों में आसमान और ज़मीन को पैदा किया फिर अर्श पर इस्तेवा फ़रमाया जैसे उसके शान के लायक है फिर वही रात को दिन का लिबास पहनाता है तो (गोया) रात दिन को पीछे पीछे तेज़ी से ढूंढती फिरती है और उसी ने आफ़ताब
( सूर्य )और माहताब (चंद्रमा )और सितारों को पैदा किया कि ये सब के सब उसी के हुक्म के ताबेदार हैं । ( 7 : 54 )
( सूर्य )और माहताब (चंद्रमा )और सितारों को पैदा किया कि ये सब के सब उसी के हुक्म के ताबेदार हैं । ( 7 : 54 )
उसी प्रकार ये भी आयते है ।
( 10 : 3 )( 13 : 2 )( 20: 5 )( 25 : 69 )(32 : 4 ) ( 57 : 4 )( 40 : 7 )( 69 : 17 )
* आये पहले 6 दिन का क्या मसला है ये देखते है फिर अर्श की बाते करेंगे ?
* यहा एक बात और साथ ले चलते है , कही विरोधीयो का ये मत न राह जाए ।
* नबी ए पाक सल्ललाहु अलैहि वसल्लम के कथन
( हदीसो ) में आता है कि सोमवार को ये फला बना , मंगलवार को फला बना , बुधवार को फला ..... इस तरीके से इत्यादि ।
( हदीसो ) में आता है कि सोमवार को ये फला बना , मंगलवार को फला बना , बुधवार को फला ..... इस तरीके से इत्यादि ।
* पहली बात तो यहाँ नोट करने की है , जब सूर्य आदि नही थे तो सोमवार , मंगलवार दिन का हिसाब कैसा ये सूर्य की गणना से ही लगते है ?
* आये देखते है , की इनका अर्थ क्या है ?
* सोमवार , मंगलवार ...... ये सब लोगो को मिसाल
( उदहारण ) के तौर पर बताया गया है , की लोग समझ सके कि इस भाग में आसमान , उस भाग में धरती आदि आदि बने ।
( उदहारण ) के तौर पर बताया गया है , की लोग समझ सके कि इस भाग में आसमान , उस भाग में धरती आदि आदि बने ।
* गलेक्सि ( आकाशगंगा ) में एक सूर्य नही बल्कि असंख्य सूर्य उपस्थित है जो हमारे सूर्य से कई गुना बड़े भी है ।
* और जो हमारा सौर ऊर्जा मंडल ( सोलर सिस्टम ) जिस में हमारी पृथ्वी एक जरे बराबर भी नही , पहले के लोगो ये समझते थे कि जो समय हमारी पृथ्वी में हो रहा है वही समय चन्द्र आदि में भी वही है , पर अल्लाह जिससे काम लेले , अल्बर्ट आइंस्टीन ने जो शिद्धान्त लोगो को बताया कि ऐसा नही है जो समय हमारे धरती पर हो रहा है वही बाहर भी होगा ? E = mc2
चले इसे आसन शब्दों में समझते है जिस का उदहारण इस तरीके से है ।
* जिस उदाहरण ऊपर की वीडियो में जो कि हमारे पृथ्वी की बात है न जाने कितने असंख्यों ग्रह है अगर वहा पर हमने 1 दिन व्यतीत की क्या तो हमारे हमारी पृथ्वी पर कई साल हो जांयगे ये सिर्फ उदाहरण के तौर पर बताया है मैं इसी के मुताबिक 6 दीन वाला मसला है , अगर इतना भी न बताया जाये अगर समझ दर हो तो इतना ही काफी होगा अमेरिका , बर्तानिया , ऑस्ट्रेलिया इत्यदि और भारतिय समय मे ही कितना फर्क देखने को मिलता है , और जब सूर्य आदि ही नही थे तो दिन और समय की गणना हम अपने पृथ्वी के 6 दिन और समय के अनुसार कर रहे है , ये मूर्खता वाली बात है , और सोमवार , मंगलवार की बात जो मैं ऊपर बताई है उसे मुराद समझने के लिए बताया गया था , की लोगो को आसानी से समझ सके ।
आये देखते है 6 दिन आखिर है क्या ?
وَلَقَدْ زَيَّنَّا ٱلسَّمَآءَ ٱلدُّنْيَا بِمَصَٰبِيحَ وَجَعَلْنَٰهَا رُجُومًا لِّلشَّيَٰطِينِ وَأَعْتَدْنَا لَهُمْ عَذَابَ ٱلسَّعِيرِ
और हमने नीचे वाले (पहले) आसमान को (तारों के) चिराग़ों से ज़ीनत दी है और हमने उनको शैतानों के मारने का आला बनाया और हमने उनके लिए दहकती हुई आग का अज़ाब तैयार कर रखा है ।
( 67 : 5 )
* पहला आसमान जो हमे अपनी आंखों से नजर आता है यानी आकाशगंगा का कुछ ही हिस्सा है नाकि पूरा जो मैंने ऊपर ही बता चुका हूं कि आकाशगंगा ( गलेक्सि ) में असंख्य ग्रह और समय की गणना भी अगल अलग ! अब देखते है आगे ?
( 67 : 5 )
* पहला आसमान जो हमे अपनी आंखों से नजर आता है यानी आकाशगंगा का कुछ ही हिस्सा है नाकि पूरा जो मैंने ऊपर ही बता चुका हूं कि आकाशगंगा ( गलेक्सि ) में असंख्य ग्रह और समय की गणना भी अगल अलग ! अब देखते है आगे ?
يُدَبِّرُ ٱلْأَمْرَ مِنَ ٱلسَّمَآءِ إِلَى ٱلْأَرْضِ ثُمَّ يَعْرُجُ إِلَيْهِ فِى يَوْمٍ كَانَ مِقْدَارُهُۥٓ أَلْفَ سَنَةٍ مِّمَّا تَعُدُّونَ
आसमान से ज़मीन तक के हर अम्र का वही मुद्ब्बिर (व मुन्तज़िम) है फिर ये बन्दोबस्त उस दिन जिस की मिक़दार तुम्हारे शुमार से हज़ार बरस से होगी उसी की बारगाह में पेश होगा ।
( 32 : 5 )
( 32 : 5 )
* जो भी गलेक्सि मिलकीवेय आखरी मरहला है वह का 1 दिन हमारे पृथ्वी यानि मानव दिवस की गणना से 1000 वर्ष हो गए जो कि ऊपर उदहारण बता चुका हूं ।
अब आते है 7 आसमान यानी क्या ?
* यहाँ में मुद्दे से भहटक नही रह हु बल्कि विस्तापूर्वक बताने का प्रयत्न कर रहा हु , जिसका खोलास आखरी में हो जयेगा इंशाल्लाह ।
ٱلَّذِى خَلَقَ سَبْعَ سَمَٰوَٰتٍ طِبَاقًا مَّا تَرَىٰ فِى خَلْقِ ٱلرَّحْمَٰنِ مِن تَفَٰوُتٍ فَٱرْجِعِ ٱلْبَصَرَ هَلْ تَرَىٰ مِن فُطُورٍ
जिसने सात आसमान तले ऊपर बना डाले भला तुझे ख़ुदा की आफ़रिनश में कोई कसर नज़र आती है तो फिर ऑंख उठाकर देख भला तुझे कोई शिग़ाफ़ नज़र आता है ।
( 67 : 3 )
ثُمَّ ٱرْجِعِ ٱلْبَصَرَ كَرَّتَيْنِ يَنقَلِبْ إِلَيْكَ ٱلْبَصَرُ خَاسِئًا وَهُوَ حَسِيرٌ
फिर दुबारा ऑंख उठा कर देखो तो
(हर बार तेरी) नज़र नाकाम और थक कर तेरी तरफ पलट आएगी । ( 67 : 4 )
* 7 आसमान से मुराद 7 परते है , जो कि एक ऊपर एक है । बाकी अल्लाहुवलह /
* उसी प्रकार से 1 से 2 आसमान का समय की गणना कुछ और उसी 7 आसमान की कुछ और हो सकता है कि ( may be ) ब्लैक होलस एक वजह हो जाने की अल्लाह ही बहेतर जानने वाला है पर वैज्ञानिक का एक अनुमान और इस बारे में कई प्रमाण भी सामने आए है कि ये ब्लैक होलस दूसरी जगह पर यानी इस आसमान से दूसरा आसमान पर जाने का रास्ता हो , बरहाल इस पर रिसर्च शुरू
है ?
* Note : - स्पेस ( अंतरिक्ष ) मे कुछ ऊपर नीचे नही होता ऊपर से मुराद हमारी धरती से नाराज वाली को चीजो को हम आम तौर ओर ऊपर ही कहते है , जैसे सूर्य ऊपर है , चन्द्र ऊपर है ऊपर से पानी बरसता है आदि आदि , ये समझने के लिए बोला जाता है , उसी तरह से पालनहार ने समझाने के लिए हमे ऊपर की मिसाल बयान की है । ताकि हम आसानी से समझ सके ।
* उसी प्रकार 7 आसमान वाली बात है , और ये ऊपर नीचे वाली बात अल्हम्दुलिल्लाह में वेदों से भी बताऊंगा की ऊपर नीचे क्या है ? 👍👍👍
تَعْرُجُ ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ وَٱلرُّوحُ إِلَيْهِ فِى يَوْمٍ كَانَ مِقْدَارُهُۥ خَمْسِينَ أَلْفَ سَنَةٍ
अब देखते है अल्लाह की जात क्या है और वह कहा है ?
* उस अवस्था में न तो मुर्त्यु रहती न ही काल व्यहार , न ही रात - दिन का चिन्ह का नही रहता । ( ऋग्वेद 10 : 129 : 2 )
* सबसे पहले आकाश बना !
* फिर वायु यानी हवा आदी !
* फिर अग्नि ( आग ) !
* ऊपर नीचे क्या होता है ?
* अर्थात : - वैदिक ईस्वर की नाभ अनेक सूर्य लोको की है ,दोनों कूल्हे बृहस्पति लोक के थे पूछ गतिमान वायु की तरह उससे वह पेड़ो को हिलाता है !
( अथर्वेद 9 : 4 :14 )
( अर्थवेद 9 : 4 : 14 )
सूर्य सिर है ।
अग्नि माथा है ।
वायु आवाज़ है ।
चन्द्र भेजा है ।
आकाश ऊपर का जबड़ा है ।
पृथ्वी नीचे का जबड़ा है ।
बिजली जीभ है ।
नक्षत्र गला है ।
तारे कंधे है ।
चलेने वाला सूरज गोद है ।
मध्य अवकाश पेट है ।
बृहस्पति हाथ है ।
बड़ी दिशा हसली की हड्डियां है ।
अग्नि , वायु ओर अपन वायु पसलि कि हड्डिय है ।
* प्राण वायु दोनों कंधे है ।
* बादल लंबी हाथ है ।
* शोधक प्रदार्थ बालो के जुड़ा है ।
* ब्राह्मण तत्व और ष्ट्रीयतत्व दोनों कुल्ह है ।
बल दोनों जांघ है ।
सविता दोनों घुटने है ।
वर्कको दोनों अण्डकोष है ।
* नदी नाडिया है ।
* स्तन बादल है ,
(अथर्वेद 9 : 7 : 1 to 14 )
( ऋग्विद 10 : 190 :3 )
(अथर्वेद 10 : 7 : 3 )
कमल छाप साबुन के इस्तमाल से पुरे दाग निकल जाते है ! 😊
*पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
जिसने सात आसमान तले ऊपर बना डाले भला तुझे ख़ुदा की आफ़रिनश में कोई कसर नज़र आती है तो फिर ऑंख उठाकर देख भला तुझे कोई शिग़ाफ़ नज़र आता है ।
( 67 : 3 )
ثُمَّ ٱرْجِعِ ٱلْبَصَرَ كَرَّتَيْنِ يَنقَلِبْ إِلَيْكَ ٱلْبَصَرُ خَاسِئًا وَهُوَ حَسِيرٌ
फिर दुबारा ऑंख उठा कर देखो तो
(हर बार तेरी) नज़र नाकाम और थक कर तेरी तरफ पलट आएगी । ( 67 : 4 )
* 7 आसमान से मुराद 7 परते है , जो कि एक ऊपर एक है । बाकी अल्लाहुवलह /
* उसी प्रकार से 1 से 2 आसमान का समय की गणना कुछ और उसी 7 आसमान की कुछ और हो सकता है कि ( may be ) ब्लैक होलस एक वजह हो जाने की अल्लाह ही बहेतर जानने वाला है पर वैज्ञानिक का एक अनुमान और इस बारे में कई प्रमाण भी सामने आए है कि ये ब्लैक होलस दूसरी जगह पर यानी इस आसमान से दूसरा आसमान पर जाने का रास्ता हो , बरहाल इस पर रिसर्च शुरू
है ?
* Note : - स्पेस ( अंतरिक्ष ) मे कुछ ऊपर नीचे नही होता ऊपर से मुराद हमारी धरती से नाराज वाली को चीजो को हम आम तौर ओर ऊपर ही कहते है , जैसे सूर्य ऊपर है , चन्द्र ऊपर है ऊपर से पानी बरसता है आदि आदि , ये समझने के लिए बोला जाता है , उसी तरह से पालनहार ने समझाने के लिए हमे ऊपर की मिसाल बयान की है । ताकि हम आसानी से समझ सके ।
* उसी प्रकार 7 आसमान वाली बात है , और ये ऊपर नीचे वाली बात अल्हम्दुलिल्लाह में वेदों से भी बताऊंगा की ऊपर नीचे क्या है ? 👍👍👍
जिसकी तरफ फ़रिश्ते और रूहुल अमीन
(जिब्रिल )चढ़ते हैं (और ये) एक दिन में इतनी मुसाफ़त तय करते हैं जिसका अन्दाज़ा पचास हज़ार बरस का होगा । ( 70 : 4 )
* फरिश्तों की 7 आसमान की दुनिया का एक दिन मानव दिवस के 50000 साल है ।
* उसी प्रकार से जब सूर्य भी नही और कुछ नही तो 6 दिन का मतलब तो समझ ही सकते है जिसका अंदाज हम नही लगा सकते , और हम लोगो ने अपनि धरती के 6 दीन मान बैठे हमारी मानव दिवस के हजारो साल हो जाये अगर गणना करने बैठेतो । अगर फिर भी मस्तिष्क न बैठा तो वेदों से भी बताऊंगा की क्या बात है , वैसे समझदारों के लिए काफी होगा अल्लाह की हिकमत है उसके पीछे !
* उसके पीछे का विज्ञान क्या है पालनहार ही बेहतर जनता है , पालनहार ने वही तक बताया है , जहा तक हमे जरूरत है हमारी दृष्टि से पूर्ण है पर पालनहार की दृष्टि से अपूर्ण क्यों कि असल हर चीज का हकीकत वही जानता है क्या चीज है ?
(जिब्रिल )चढ़ते हैं (और ये) एक दिन में इतनी मुसाफ़त तय करते हैं जिसका अन्दाज़ा पचास हज़ार बरस का होगा । ( 70 : 4 )
* फरिश्तों की 7 आसमान की दुनिया का एक दिन मानव दिवस के 50000 साल है ।
* उसी प्रकार से जब सूर्य भी नही और कुछ नही तो 6 दिन का मतलब तो समझ ही सकते है जिसका अंदाज हम नही लगा सकते , और हम लोगो ने अपनि धरती के 6 दीन मान बैठे हमारी मानव दिवस के हजारो साल हो जाये अगर गणना करने बैठेतो । अगर फिर भी मस्तिष्क न बैठा तो वेदों से भी बताऊंगा की क्या बात है , वैसे समझदारों के लिए काफी होगा अल्लाह की हिकमत है उसके पीछे !
* उसके पीछे का विज्ञान क्या है पालनहार ही बेहतर जनता है , पालनहार ने वही तक बताया है , जहा तक हमे जरूरत है हमारी दृष्टि से पूर्ण है पर पालनहार की दृष्टि से अपूर्ण क्यों कि असल हर चीज का हकीकत वही जानता है क्या चीज है ?
उसी प्रकार से अर्श की बात भी ऐसी कुछ है ये देखते है कि अर्श क्या है और पालनहार कहा है ?
* वह हर चीज़ से पाक है और उसके लिए एक जगह मुकर्रर करना कि , वह वहीं है ऐसी मान्यता कुफ्र है और वह घर मकान जगह से पाक है , यानी उसे उसकी जरूरत नही !
* ये सब चीजो की आवश्यकता मनुष्यों को पड़ती है , और इसे मुराद उसकी तजली में से एक तजली है , और वह ला मकाम में है यानी जगह नही जिसका इल्म हमे नही , और सात आसमान से मुराद ऊचा यानी सब से ऊपर उसे पहले कोई नही , बड़ी इज्जत वाला , मर्तबा वाला , हर चीज पर उसका जोर ( क़ुदरत ) है ये मुराद है ।
* और अर्श मुतशबेहात में से है , और उसकी कैफीहत मजहुल है यानी पालनहार के सिवा कोई दूसरा नही जानता , वह हमारी अक्ल से परे है , यानी हमारी सोच अक्ल वहाँ तक नही पहुंच नही सकति , उस पर ईमान रखना वाजिब है ,और जिस बारे में कुछ ज्ञान नही उस बारे मे सवाल करना बिदअत है ।
Note : - और अर्श मखलूक है , यानी पहले नही थी बाद में बनाई गई थी , यानी हमेशा से नही थी यानी अनादि नही है । और उसका इल्म हमे नही यानी ज्ञान हमे नही , पालनहार ने हमे उतना ही ज्ञान दिया है जितने की हमे आवशकता है नाकि पूर्ण जहा तक प्रयत्न कर सके । बरहाल कोई मसला नही वेदों में बहुत बखेड़ा है परंतु एक बात मुझे अच्छी लगी वह ये है ।
* अर्थात : - जो लोग ईश्वर की महिमा को जनता हो , कहे वो थोड़ा नही , वह उपसेचन रहित नही और न कोई वस्तु । ( अर्थवेद 11 : 3 : 23 , 24 )
* मतलब ये है , की मनुष्य पालनहार की खोज में रहता है , यानी जानने की कोशिश करता रहता है , और उसका अक़्क़ीद मजबूत होता जाता है , तो भी उसकी परिमाण की सिमा नही जानता ( यानी तो भी हकीकत तक नही पहुच सकता ) और नाही उसका यथावत वर्णन कर सकता है ।
( यानी पूरा बयान करना ना मुमकिन है , क्यों कि मनुष्यों को उतना ज्ञान ही नही जो कि वह पूरा बयान कर सके जो कि मैंने ऊपर बता दिया है । )
आत्मा , परमात्मा और प्रकुति का चक्र
* अर्थात : - यह विविध सुर्ष्टि जिससे उत्पन्न होती है अथवा जिसमे धरती है या अथवा जिस में नही धरती है जो इसका अधिष्ठाता एवम आधार परमोत्कृष्ट है और यदि दूसरा कोई जानता है , तो वह नही पूर्णतया जनता है ।
( ऋग्वेद 10 : 129 : 6 , 7 )
* यानी जो भी कुछ होता है पालनहार ही हकीकत जनता है , और दूसरा कोई नही ।
* अर्थात : - जिस तरीके के हम बिजुली , हवा , अंतरिक्ष इत्यादि की सीमा तक नही पहुंच सकते तो भला उसकी हकीकत कैसे पहुच सकते पुर्णतः वही जनता है ।
* समझे मित्रों ये जो भी 7 आसमान और अर्श , रूह इत्यादि के पीछे कौनसा विज्ञान है वही बेहतर जनता है दूसरा और कोई नही ।
* मानव उत्पत्ति का मकसद तो ये है ?
* ये सब चीजो की आवश्यकता मनुष्यों को पड़ती है , और इसे मुराद उसकी तजली में से एक तजली है , और वह ला मकाम में है यानी जगह नही जिसका इल्म हमे नही , और सात आसमान से मुराद ऊचा यानी सब से ऊपर उसे पहले कोई नही , बड़ी इज्जत वाला , मर्तबा वाला , हर चीज पर उसका जोर ( क़ुदरत ) है ये मुराद है ।
فَاطِرُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ جَعَلَ لَكُم مِّنْ أَنفُسِكُمْ أَزْوَٰجًا وَمِنَ ٱلْأَنْعَٰمِ أَزْوَٰجًا يَذْرَؤُكُمْ فِيهِ لَيْسَ كَمِثْلِهِۦ شَىْءٌ وَهُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْبَصِيرُ
सारे आसमान व ज़मीन का पैदा करने वाला (वही) है उसी ने तुम्हारे लिए तुम्हारी ही जिन्स के जोड़े बनाए और चारपायों के जोड़े भी (उसी ने बनाए) उस (तरफ) में तुमको फैलाता रहता है कोई चीज़ उसकी मिसल नहीं और वह हर चीज़ को सुनता देखता है
42 : 11
تَبَٰرَكَ ٱلَّذِى بِيَدِهِ ٱلْمُلْكُ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ قَدِيرٌ
जिस (ख़ुदा) के कब्ज़े में (सारे जहाँन की) बादशाहत है वह बड़ी बरकत वाला है और वह हर चीज़ पर कादिर है । ( 67 : 1)
* और अर्श मुतशबेहात में से है , और उसकी कैफीहत मजहुल है यानी पालनहार के सिवा कोई दूसरा नही जानता , वह हमारी अक्ल से परे है , यानी हमारी सोच अक्ल वहाँ तक नही पहुंच नही सकति , उस पर ईमान रखना वाजिब है ,और जिस बारे में कुछ ज्ञान नही उस बारे मे सवाल करना बिदअत है ।
Note : - और अर्श मखलूक है , यानी पहले नही थी बाद में बनाई गई थी , यानी हमेशा से नही थी यानी अनादि नही है । और उसका इल्म हमे नही यानी ज्ञान हमे नही , पालनहार ने हमे उतना ही ज्ञान दिया है जितने की हमे आवशकता है नाकि पूर्ण जहा तक प्रयत्न कर सके । बरहाल कोई मसला नही वेदों में बहुत बखेड़ा है परंतु एक बात मुझे अच्छी लगी वह ये है ।
* अर्थात : - जो लोग ईश्वर की महिमा को जनता हो , कहे वो थोड़ा नही , वह उपसेचन रहित नही और न कोई वस्तु । ( अर्थवेद 11 : 3 : 23 , 24 )
* मतलब ये है , की मनुष्य पालनहार की खोज में रहता है , यानी जानने की कोशिश करता रहता है , और उसका अक़्क़ीद मजबूत होता जाता है , तो भी उसकी परिमाण की सिमा नही जानता ( यानी तो भी हकीकत तक नही पहुच सकता ) और नाही उसका यथावत वर्णन कर सकता है ।
( यानी पूरा बयान करना ना मुमकिन है , क्यों कि मनुष्यों को उतना ज्ञान ही नही जो कि वह पूरा बयान कर सके जो कि मैंने ऊपर बता दिया है । )
आत्मा , परमात्मा और प्रकुति का चक्र
* अर्थात : - यह विविध सुर्ष्टि जिससे उत्पन्न होती है अथवा जिसमे धरती है या अथवा जिस में नही धरती है जो इसका अधिष्ठाता एवम आधार परमोत्कृष्ट है और यदि दूसरा कोई जानता है , तो वह नही पूर्णतया जनता है ।
( ऋग्वेद 10 : 129 : 6 , 7 )
* यानी जो भी कुछ होता है पालनहार ही हकीकत जनता है , और दूसरा कोई नही ।
( यजुर्वेद 20 : 26 ) |
* अर्थात : - जिस तरीके के हम बिजुली , हवा , अंतरिक्ष इत्यादि की सीमा तक नही पहुंच सकते तो भला उसकी हकीकत कैसे पहुच सकते पुर्णतः वही जनता है ।
* समझे मित्रों ये जो भी 7 आसमान और अर्श , रूह इत्यादि के पीछे कौनसा विज्ञान है वही बेहतर जनता है दूसरा और कोई नही ।
* मानव उत्पत्ति का मकसद तो ये है ?
وَمَا خَلَقْتُ ٱلْجِنَّ وَٱلْإِنسَ إِلَّا لِيَعْبُدُونِ
और मैने ( अल्लाह ) जिनों और आदमियों को इसी ग़रज़ से पैदा किया कि वह मेरी इबादत करें ।
( 51 : 56 )
( 51 : 56 )
* पालनहार ने केवल अपनी भक्ति और उपासना के लिए पैदाइश फरमाई है ।
* वो भी केवल दिन और रात के कुछ हिस्सों में ।
महाप्रलय ( फैसले का दिन )
* वह जिसने मौत और जिंदगी को पैदा की ताकि तुम्हारी जांच (परीक्षा) हो कि तुम में अच्छा काम कौन करता है, और वही है इज्जत वाला बख्शीश वाला।( 67:2)
* हर जान को मौत का मज़ा चकना है,और हम(अल्लाह)अच्छी और बुरी परिस्तिथि में दाल कर मानव की परीक्षा लेता है अंत मे तुम्हे मेरे(अल्लाह) पास ही आना है।{क़ुरआन(21:35)& (32:11) }
* जिंदगी का मकशद यह है, अच्छे कर्म (अमल) करना ।
خَلَقَ ٱلْإِنسَٰنَ مِن نُّطْفَةٍ فَإِذَا هُوَ خَصِيمٌ مُّبِينٌ
अर्थात : - उसने इन्सान को नुत्फे ( वीर्य ) से पैदा किया फिर वह यकायक (हम ही से) खुल्लम खुल्ला झगड़ने वाला हो गया ।
( 16 : 4 )
( 16 : 4 )
महाप्रलय ( फैसले का दिन )
अब देखते है अल्लाह की जात क्या है और वह कहा है ?
अर्थात : - कुरान शरीफ -
सूरा अल - इख़लास 112: 1 - 4
सूरा अल - इख़लास 112: 1 - 4
112:1 कहो: "वह अल्लाह यकता है,
112:2 अल्लाह निरपेक्ष (और सर्वाधार) है,
112:3 न वह जनिता है और न जन्य,
112:4 और न कोई उसका समकक्ष है ।
* वो यहाँ है ?? *
अर्थात : -और बेशक हम ही ने इन्सान को पैदा किया और जो ख्यालात उसके दिल में गुज़रते हैं हम उनको जानते हैं और हम तो उसकी शहरग से भी ज्यादा क़रीब हैं ।
( 50 : 16 )
* वो दिल के पास और शहरग
( वो रग है जो पूरे शरीर को खून पहुचती है )
उसे भी ज्यादा करीब है पालनहार ।
وَإِذَا سَأَلَكَ عِبَادِى عَنِّى فَإِنِّى قَرِيبٌ أُجِيبُ دَعْوَةَ ٱلدَّاعِ إِذَا دَعَانِ فَلْيَسْتَجِيبُوا۟ لِى وَلْيُؤْمِنُوا۟ بِى لَعَلَّهُمْ يَرْشُدُونَ
(ऐ रसूल) जब मेरे बन्दे मेरा हाल तुमसे पूछे तो (कह दो कि) मै उन के पास ही हूँ और जब मुझसे कोई दुआ माँगता है तो मै हर दुआ करने वालों की दुआ (सुन लेता हूँ और जो मुनासिब हो तो) क़ुबूल करता हूँ पस उन्हें चाहिए कि मेरा भी कहना माने) और मुझ पर ईमान लाएँ । ( 2 : 186 )
* अल्हम्दुलिल्लाह में ऊपर गुणों का जिक्र कर चुका हूं । और अभी समझ मे न आये तो कभी इन बाती को भेज तर्क की कसोटी पर बैठाल कर देखना ?
* अल्हम्दुलिल्लाह में ऊपर गुणों का जिक्र कर चुका हूं । और अभी समझ मे न आये तो कभी इन बाती को भेज तर्क की कसोटी पर बैठाल कर देखना ?
आये देखते है वेदों में क्या है ?
असल चीज ?
* सुर्ष्टि की उपत्ति के से पूर्व न अभाव वा असत्ता होता और न व्यक्त जगत रहता है ,
न लोक रहता और न अंतरिक्ष रहता है , जो आकाश से ऊपर निचे लोक - लोकान्तर है , वे भी नही रहते , क्या किसको घेरता वा आवरत करता है , सब कुछ कुहरान्धकार ( पूरा अंधकार होता है ) के गृह आवरण में रहता है , गहन गहरा क्योंकि रह सकता है । ( ऋग्वेद 10 : 129 : 1)
* उस अवस्था में न तो मुर्त्यु रहती न ही काल व्यहार , न ही रात - दिन का चिन्ह का नही रहता । ( ऋग्वेद 10 : 129 : 2 )
Note :- जब कुछ नही रहता तो आत्म को कहा रखाता होगा ?
उसी प्रकार से मनुस्मृति में भी ( 1 : 5 )
* जब ये सब हो रहा था तो वैदिक ईश्वर क्या करता है ?
(अथर्वेद 4 : 1 : 6 ) |
( मनुस्मृति 1 : 74 ) |
* जब तक आराम से सोये थे , फिर नीद से उठे तो सबको रच दिया , क्या मिथ्या है ?
अब देखते है की पहले क्या बना फिर क्या बना फिर क्या ?
* सबसे पहले आकाश बना !
( बल्कि आकाश कोई चीज नही होती और द्रव्य व्यक्त होता जो कि क़ुरान ने बताया , जो कि गैस आदि ही हीलियम आदि है , वेदों के अनुसार आकाश दृढ़ ( कठोर ) है , बरहाल ये जगह नही है बयान करने की आगे देखते है )
* फिर वायु यानी हवा आदी !
* फिर अग्नि ( आग ) !
* फिर पानी और धरती फिर सब ।
(मनुस्मृति 1 : 75 , 76 ,77 ,78 ) उसी प्रकार (ऋग्विद 10 : 130 ) में भी यही है और (अर्थवेद 11 : 3 :11 , 12 , 16 ) बात है की धरती बर्तन है सूर्य ढकनी , और आकाश चमचा है और भी बहुत कुछ है।
* ये सब बाते आपको आगे समझ में आएगी ये सब ध्यान पुर्वक समझे मुझे पता है कि कई लोगो के सिर के ऊपर से निकल रहा होगा पर बहुत ही आसान शब्दों में बताने की कोशिश कर रहा हु ।
* जो हिंदूइस्म के मानने वाले है उन्होंने कभी न कभी कल्प और ब्रह्मा दिवस के बारे में सुना ही होगा मुझे आशा है ,की आप इसके बारे में अवश्य जानते होगे अगर न जानते है तो ध्यान पूर्वक सुने और समझे ?
* (अर्थवेद 8 : 2 : 21 ) इसी प्रकार से मनुस्मृति में भी काल गणन मोजूद है ।
* एक ब्रह्मा दिवस में !
* 4 अरब 32 करोड़ मानव दिवस होते है ।
और उतनी ही रात्रि !
* दिन 4 अरब 32 करोड़
रात्रि + 4 अरब 32 करोड़
---------------------------------------------------
8 अरब 64 करोड़ = 1 कल्प
* 1 कल्प में = 8 अरब 64 करोड़ मानव दिवस ।
* जिसके बाद महाप्रलय ।
* उसी प्रकार से 2 कल्प के बाद फिर से सुर्ष्टि की रचना का कार्य शुरू होता है जिसकी गणना इस तरीके से है यानी ।
8 अरब 64 करोड़
+ 8 अरब 64 करोड़
-----------------------------------------------------
17 अरब 28 करोड़ ( मानव दिवस )
* 2 कल्प की गणना है सही है या नही ?
* अब है एक प्रश्न उठता है ,की महाप्रलय के पश्चात हर चीज़ और चोरों तरफ अंधकार और कुछ नही था ऊपर विस्तापूर्वक बता चुका हूँ , तो ये 17अरब 28 करोड़ मानव दिवस का अनुमान वैदिक ईश्वर किस सूर्य से लगाता है ?
* जब तो कुछ न था , मैं तो अल्हम्दुलिल्लाह 6 दिन वाली बात विस्तापूर्वक समझा दिया
वैदिक लोग और उनका वैदिक ईश्वर इस बात पर फस गया ? कभी इसका भी तर्क की कसौटी पर उतारो ?
1.महा प्रलय कब आईगी उसकी तारीख?
2. जीवतात्मा की संख्या कितनी है ?
3.वेदास कब (कितनी तारीख को मिले), कैसे, इसका प्रमाण क्या है?
4.स्वमी दयानद सरस्वती धरती पर कब और कहा पुर्णजनम लेगे?
5.कहते है कि लाखो मंत्र वेदास में थे अब खाली 20589 मंत्र बाकी राह गए है, तो अब वैदिक ईश्वर पुनः किसी और ऋषि मुनि पर स्रुति क्यों नही करता , क्या हमें वो जो लाखो मंत्र बर्बाद हो गये उसकी आवश्यकता भी नही है। इस लिए बाकि के मंत्र कब और किस ऋषि मुनि पर स्रुति होंगे ?
6. दुनिया को फिर से निर्माण करना है , तो उसे नष्ट क्यों करता है वैदिक ईश्वर ? .
7. क्या ईश्वर को नही पता कि इन्शान नंगा पैदा होता है तो 2 जुड़ी कपड़े साथ में भेज
दे ?
अब देखते है , अंतरिक्ष के ऊपर नीचे वाली बात ?
अर्थवेद 11 : 3 : 20 |
* ऊपर नीचे क्या होता है ?
* उत्तर का सूर्य नीचे नीचे गिरता है ।
* सूर्य नीचे नीचे गिरता है , तो उठा लो कही किचड़ में तो नही डूब रहा है ?
* देखते है , वैदिक ईश्वर कहा है ?
अर्थवेद 11 : 2 : 23
|
* अर्थात : - जो आकाश में दृढ़ ( कठोर , सख्त )जमा हुआ वैदिक ईश्वर यज्ञ न करने वाले विद्वानों के शत्रुओं मरता हुआ ( हमें कहा जा रहा है ) ठहरा है ( यानी रोका है ) दस शक्तिशाली के साथ उसको नमस्कार ।
* देखो भाई ऊपर जम गया है कुछ तो करो यार उसके लिये कही किसी हवाई जहाज से टकरा न जाये ?
* अर्थात : - एक तीन निर्माण शक्तियों और तीन पालन करने वाला को धारण करता हु ऊपर स्तिथ हुआ ?
( अर्थवेद 9 : 9 :10 )
(ऋग्विद 1 : 164 :10 )
*उपर कहा है ये वैदिक ईश्वर अभी तक नासा वालो को मिला या नही ?
* कही कोई यान से टक्करा कर नीचे तो नही गिर गया ?
अब देखते है वैदिक ईश्वर शरीरधारी है या निराकार ?
* वैदिक ईश्वर का सिर बृहस्पति और मुख अन्न है । ( अर्थवेद 11 : 3 : 1 )
* आकाश और पृथ्वी दो कान और सूर्य और चन्द्र दो आंखे । ( अर्थवेद 11 : 3 : 2 )
* एक आंख से दिन में देखता होगा और एक आँख से रात में क्यों कि चन्द्र और सूर्य एक जगह जमा नही हो सकते ।
* जगत फ्टकन ( व्यर्थ अंग ) और बदल सिर ।
( अर्थवेद 11 : 3 : 6 )
* लोहा मांस अंग है और खून तांबा और धातु है ।
( अथर्वेद 11 : 3 : 7 )
* खलियान पात्र दो फाने (लकडी ) दो कंधे , दो मुठ और हरस रीढ़ की दो हड़िया है ।
( अर्थवेद 11 : 3 : 9 )
* जोतो ( बैलों की नाक की रस्सी ) आंते है ,
वर्त्र ( हल ) पेट की नाड़ी है ।
( अर्थवेद 11 : 3 : 10 )
( अथर्वेद 9 : 4 :14 )
* गूदा की नदियां है , त्वचा सूर्य की धूप है
पैरो को उठने वाले है !
सूर्य सिर है ।
अग्नि माथा है ।
वायु आवाज़ है ।
चन्द्र भेजा है ।
आकाश ऊपर का जबड़ा है ।
बिजली जीभ है ।
नक्षत्र गला है ।
तारे कंधे है ।
चलेने वाला सूरज गोद है ।
मध्य अवकाश पेट है ।
बृहस्पति हाथ है ।
अग्नि , वायु ओर अपन वायु पसलि कि हड्डिय है ।
* प्राण वायु दोनों कंधे है ।
* बादल लंबी हाथ है ।
* शोधक प्रदार्थ बालो के जुड़ा है ।
* ब्राह्मण तत्व और ष्ट्रीयतत्व दोनों कुल्ह है ।
बल दोनों जांघ है ।
सविता दोनों घुटने है ।
वर्कको दोनों अण्डकोष है ।
* नदी नाडिया है ।
* स्तन बादल है ,
(अथर्वेद 9 : 7 : 1 to 14 )
( ऋग्विद 10 : 190 :3 )
(अथर्वेद 10 : 7 : 3 )
अर्थात: -हजार सिर वाला ,हजार आंख वाला ,
हजार पैरों वाला वह पृथ्वी उपादान कारण
ब्रह्याण्ड को सब ओर से 10 सो इद्रियों वाले शरीर को सबसे ऊपर में ठहरा रहता है ऋग्वेद 10 : 90 :1
* ये तो थोड़े ही प्रमाण नही और बहुत कुछ है ?
* क्या तमाशा है ये वैदिक ईश्वर है या कोई प्राणि आज तक तो ऐसे प्राणियों की खोज भी नही होइ है ?
* ऐसा निराकार ?
* इसलिए कहते है कि वेदिक ईश्वर से डरना चहिय !
( यजुर्वेद 40 : 1 )
( यजुर्वेद 40 : 1 )
अभी बच्चे हो इसलिए कहता हूं पहले अपने धार्मिक मान्यताओं को जानो और उसका अध्ययन करो फिर सोच समझ के बोलो समझे मित्रो !
* इस्लाम पर कीचड़ उछालने की ना काम कोशिश के सबब खुद ही के कपड़े मेंले कर रहे
हो ।
* और लोगो में इस्लाम के बारे में इच्छुक जाग रही है और वे लोग इस्लाम का अध्ययन कर रहे है , और जिसको पंसद आ रहा है , वे इस्लाम के दमन से लिपटे जा रहा है ।
* और दुनिया मे सबसे तेजी से फैलने वाला सच्चा दिन इस्लाम है । अल्हम्दुलिल्लाह ।
* ये होती है असल शिक्षा का नतीजा ।
इस्लाम को क़ुदरत ने वो लचक दी है
तुम जितना इसे दबाउंगे ये उतना ही उभरेगा।
* बरहाल हमे आपकी मान्यता से कोई गरज नही क्यों कि इस्लाम कभी किसी को गलत नही कहता ।
* किंतु कुछ चुतिया ( मुर्ख ) को उनकी भाषा मे जब तक ना समझया जाए जब तक उन्हें समझ नही आता ।
* हक़ बात ( इस्लाम ) कोई जबरदस्ति नही।
(2-256).
(2-256).
*पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
*नसीहत उनके लिए सीधे मार्ग पर चलना चाहे।
(81:27,28,29)(40:28)
(81:27,28,29)(40:28)
* ये मानव तुम लोग पालनहार(अल्लाह) के मोहताज हो और अल्लाह बे-नियाज़ है (सर्वशक्तिमान) है नसीहत वो मानते है जो अक्ल वाले है (13:19).
* और हरगिज अल्लाह को बे-खबर ना जानना जालिमो के काम से उन्हें ढील नही दे राहा है, मगर ऐसे दिन के लिए जिसमे आंखे खुली की खुली राह जांयेंगी।(14:42)
*कोई आदमी वह है, की अल्लाह के बारे में झगड़ाता है, ना तो कोई इल्म, ना कोई दलील और ना तो कोई रोशन निशानी।(22:8)(31:20)(52:33,34)(23:72)(23:73).
*कह दो,"सत्य आ गया और असत्य मिट
गया, असत्य तो मिट जाने वाला ही होता है।
(17:81)
NOTE : - जो प्रशन दयानद और उसे मानने वालों ने इस्लाम के बारे में किये थे अल्हम्दुलिल्लाह उसका जवाब तो हम दे सकते है पर इनके दिमाग मे जंग लगा है इसलिए जो जैसी भाषा समझता है उसे वैसे ही समझना पड़ता है ।
* अगर किसी को ठेस पहुंची तो क्षमा चाहता हु ।
* इस लेख का मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नही बल्कि उन इस्लाम विरोधी को जवाब देना है जो खुद की धार्मिक गर्न्थो की मान्यता को नही जानते और इस्लाम और मुसलमानों के ऊपर तानाकाशी करते है। धन्यवाद !
अल्हम्दुलिल्लाह
All-post.
Note:- या अल्लाह लिखने में
बयान करने में कोई शरियन गलती हुई हो ,तो मेरे मालिक तू दिलो के राज जानने वाला है माफ फ़रमा दे। (आमीन)
* अल्लाह से दुआ है , की हक़ को मानने , और समझने की तौफीक आता फरमाए , ज़ुबान पर हक़ बोलने की ताकत दे , और उसे ज्यादा उस चीज पर अमल करने की तौफीक दे , या अल्लाह दुनिया मे रख ईमान पर , और मरते वक़त कलम ए हक़ आत फ़रमा । (अमीन )
* अल्लाह से दुआ है , की हक़ को मानने , और समझने की तौफीक आता फरमाए , ज़ुबान पर हक़ बोलने की ताकत दे , और उसे ज्यादा उस चीज पर अमल करने की तौफीक दे , या अल्लाह दुनिया मे रख ईमान पर , और मरते वक़त कलम ए हक़ आत फ़रमा । (अमीन )
अल्हम्दुलिल्लाह
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