नबी इब्राहिम अलेहसल्लाम 1
* अस्सलामु अलैकुम
एक खूबसूरत लेख लिखने का प्रयत्न करूँगा इन्शाल्लाह इस लेख में
हज़रत इब्राहीम कौन थे ?
आप की पैदाइश ?
दावत ए हक़ का पैगाम ?
आपके दो बेटे , हज़रत इसहाक
हज़रत ईस्माइल ?
आपकी आज़माइश ?
काबे ए खाने की तामीर ?
हज़रत इस्माइल की क़ुरबानी का बयान ? हज , हमारे नबी
मोहम्मद सल्ललाहु अलैह वसल्लम
के लिए आपकी दुआ इत्यादि ?
( इन्शाल्लाह )
* दुनियाभर में इस्लाम , ईसाई , यहूदी इत्यादि मजहब के मानने वाले आप इब्राहिम को खूब इज्जत की नजर से देखते है और आदर , सम्मान करते है ।
इब्राहिम अलेहसल्लाम कौन थे ?
مَا كَانَ إِبْرَٰهِيمُ يَهُودِيًّا وَلَا نَصْرَانِيًّا وَلَٰكِن كَانَ حَنِيفًا مُّسْلِمًا وَمَا كَانَ مِنَ ٱلْمُشْرِكِينَ
अर्थात : - इबराहीम न तो यहूदी थे और न नसरानी ( ईसाई ) बल्कि निरे खरे हक़ पर थे (मुसलमान)फ़रमाबरदार (बन्दे) थे और मुशरिकों ( बहुदेव के पुजारी ) से भी न थे ।
( 3 : 67 )
* यहूदीयो और ईसाईयो की ये मान्यता है कि वे इब्राहिम उनके धर्म को मानने वाले थे ?
وَقَالُوا۟ كُونُوا۟ هُودًا أَوْ نَصَٰرَىٰ تَهْتَدُوا۟ قُلْ بَلْ مِلَّةَ إِبْرَٰهِۦمَ حَنِيفًا وَمَا كَانَ مِنَ ٱلْمُشْرِكِينَ
(यहूदी और ईसाई मुसलमानों से) कहते हैं कि यहूद या नसरानी हो जाओ तो राहे रास्त पर आ जाओगे (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि हम इबराहीम के तरीक़े पर हैं जो बातिल से कतरा कर चलते थे और मुशरेकीन से न थे ।
( 2 : 135 )
أَمْ تَقُولُونَ إِنَّ إِبْرَٰهِۦمَ وَإِسْمَٰعِيلَ وَإِسْحَٰقَ وَيَعْقُوبَ وَٱلْأَسْبَاطَ كَانُوا۟ هُودًا أَوْ نَصَٰرَىٰ قُلْ ءَأَنتُمْ أَعْلَمُ أَمِ ٱللَّهُ وَمَنْ أَظْلَمُ مِمَّن كَتَمَ شَهَٰدَةً عِندَهُۥ مِنَ ٱللَّهِ وَمَا ٱللَّهُ بِغَٰفِلٍ عَمَّا تَعْمَلُونَ
अर्थात : - क्या तुम कहते हो कि इबराहीम व इसमाइल व इसहाक़ व आलौदें याकूब सब के सब यहूदी या नसरानी थे ?
(ऐ रसूल उनसे) पूछो तो कि तुम ज्यादा वाक़िफ़ ( जानते ) हो या खुदा ( पालनहार ) और उससे बढ़कर कौन ज़ालिम होगा जिसके पास खुदा की तरफ से गवाही (मौजूद) हो (कि वह यहूदी न थे) और फिर वह छिपाए और जो कुछ तुम करते हो खुदा उससे बेख़बर नहीं । ( 2 : 140 )
मुसलमान = ईमान वाला , एक पालनहार पर विश्वास रखने वाला ।
यहूदी कौन है ?
* आये देखते है आप नबी इब्राहिम अलेहसल्लाम की जिंदगी ?
* आपकी पैदाइश का बयान ।
* आज से लग - भग कई वर्षों पहले एक नमरुद नाम का बादशाह था ।
* जब नमरूद राज पाठ की गद्दी पर विराजमान हो तो उसने अपने राज में चोरों ओर सुख शांति बरकरार कर रखी थी ।
* और कुछ सालो बाद उसके , दिल और दिमाग मे बुरे खयालात आने लगे और गुरुर ( घमंड ) का ग़लबा हो चुका था , जिस के चलते उसने खुद को खुदा का दर्जा देना शुरू कर दिया । ( माजल्लाह ) और खुदाई का दावा करने के बाद , लोगों में अपनी मूर्ति बनाकर उसी पूजा करवाना शुरू कर दी !
* जो उसकी मूर्ति को सज्दा करता , उसको वे छोड़ देता , और जो न करता उसको कत्ल करवा देता था ।
* उस समय एक भी ऐसा व्यक्ति नही था जो कि सच्चे पालनहार की बन्दगी करता , चारों और घोर अंधकार फैला था , जहिलात और मानव निर्मित वस्तुओं की पूजा अर्चना आम
सी बात थी ।
* उस समय पालनहार का अपने बन्दों पर उपकार हुआ की उसने उन्हीं में से नबी भेजा ! इस्लाम का सच्च यहाँ देखे @
* नमरूद के दरबार मे तारो - सितारे का जानने वाला एक व्यक्ति मोजूद था , उसने नमरुद को बताया कि तेरे राज मे एक बच्चे की पैदाइश होने वाली है जो कि तेरे झुटे दिन धर्म का नाश करेंगा ।
* और नमरूद घबरा गया और उसने अपने सैनिकों को हुक्म दिया कि इस साल जितने भी बच्चे पैदा होंगे सब को कत्ल करदो और पेट मे ही कई बच्चों को कत्ल करवा दिया और कइयों को पैदाइश के बाद ।
* उस समय एक विशुद्ध ( पाक साफ ) स्त्री का हमल राह गया था , उन्हें पता चला कि नमरूद ने ये हुक्म दिया है , सब बच्चो को कत्ल करवा दे , तो आप ने जंगलों के तरफ अपना रूख किया और कुछ ही दिनों के बाद एक न्हने नूरानी शक्ल वाले बच्चे की इस दुनिया मे आमद -आमद हुई जो कि हज़रत इब्राहीम अलेहसल्लाम थे ।
* माँ बेहतर जानती थी की अगर नमरूद को इस प्यारे बच्चे के बारे पता चेलगा तो वह इसे कत्ल करने की कोशिश करेंगा ।
* तो उनकी माँ ने एक कपड़े में लपेट कर एक छोटीसी गार में आंखों में आंसू बहर कर
वही छोड़ आई ।
* पर माँ दिल तो माँ कही होता है , रोजाना उन्हें देखने चली आती थी और जब गार मे देख तो ग़ार में चारो तरफ नूर ही नूर मोजूद था ।
* और आप ने फ़ौरन ही अपने सीने से लगा कर बच्चे को खूब ममता की बारिश कराई ।
* और जब जब आपको मौका मिलता तो आप चली आती और उन्हें दूध वगैरा पिलाती थी , और अल्लाह की रहमत और बरकत इस बच्चे पर इतनी थी कि ग़ैब से भी मदद मिलती थी ।
* एक रिवायत में आता है कि आप इब्राहिम दूसरे बच्चों की अपेक्षा तेजी से बड़े होते थे ।
* जब आप थोडे बड़े होए तो आपने अपनी मां से पुछा की अम्मी ऐसी अंधेरी जंगल के अलावा और कोई दूसरी जगह नही ?
* माँ ने कहा हा है ! पर मैन तुझे दुश्मनों से बचाने के लिए इस जगह पर रखा है ।
* जब आप ग़ार से बाहर आये तो ऊपर देखा तो जगमगाते तारे सितारे है , तो कह ऊठे ये मेरा पालनहार होगा ?
( यहा पर पालनहार की तरफ से आज़माइश थी क्यों कि जो हक़ की तलाश में होता है , पालनहार उसकी उतनी आज़माइश लेता है । )
हिदायत और गुमराही क्या है ? यहाँ देखे @
* और जब तारे डुब गए तो आप कहने लगे ये रब नही हो सकता ।
* फिर चाँद को देखा कि खूब चकता है , तो
आप ने फ़रमाया की ये मेरा रब होगा ?
फिर चाँद भी डुब गया तो आपका वही कहना
था कि ये रब नही हो सकता ।
( यहाँ डुब से मुराद दिन का निकलना है यानी सवेरा )
* फिर जब सूरज को चमकता हुआ पाया , तो कहने लगे ये रब होगा और ये सबसे बड़ा भी है और सबको रौशनी भी देता है , और जब शाम हुई तो सूरज भी डूब गया ।
तो आप कहने लगे जो खुद डूब जाए वह पालनहार नही बल्कि इनका बनाने वाला कोई ओर है और वही सच्च पालनहार है ।
* NOTE : - पालनहार अपने नबियों के जरिये अपने बन्दों को समझाने के लिए ये सब करवाता है , की उसे के बंदे समझ सके की चाँद , तारे , सितारे और सूरज इत्यादि रब नही !
* जब आप नोजवान होने की कतार में थे ,तो आपकी माँ आपको घर ले आई और वह नमरूद उस सोच में था , उस ने अपने रास्ते का काटा हटा दिया है , जो कि उसका दिन धर्म का नाश करने वाला था , पर पालनहार की हिकमत कुछ और ही थी ।
आपकी जवानी का वाकिया
* आपके चाचा का नाम आजर था जो की एक मूर्ति बनाने का कारोबार करते थे ।
NOTE : - यहाँ एक बात बोली जाती है कि पिता थे , ये बात दुरुस्त ही चाचा को भी पिता बोला जाता था और चाचा भी बाप की मिसलाह होता है । जिसका उदहारण ये रहा । इब्राहिम की दुआ ।
رَبَّنَا ٱغْفِرْ لِى وَلِوَٰلِدَىَّ وَلِلْمُؤْمِنِينَ يَوْمَ يَقُومُ ٱلْحِسَابُ
ऐ हमारे पालने वाले जिस दिन (आमाल का) हिसाब होने लगे मुझको और मेरे माँ बाप को और सारे ईमानदारों को तू बख्श दे ।
( 14 : 41 )
* और इनकार करने वालो के लिए मगफिरत की दुआ नही इसके कई प्रमाण और आगे मिलेंगे इन्शाल्लाह ।
* एक बार अपने अपने चाचा और कॉम के लोगो से कहा । जो कि क़ुरान में इस तरह से है ।
وَٱتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ إِبْرَٰهِيمَ
और (ऐ रसूल) उन लोगों के सामने इबराहीम का किस्सा बयान करों । ( 26 : 69 )
إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِۦ مَا تَعْبُدُونَ
जब उन्होंने अपने (मुँह बोले) बाप और अपनी क़ौम से कहा । ( 26 : 70 )
قَالُوا۟ نَعْبُدُ أَصْنَامًا فَنَظَلُّ لَهَا عَٰكِفِينَ
कि तुम लोग किसकी इबादत करते हो तो वह बोले हम बुतों (मूर्ति ) की इबादत करते हैं और उन्हीं के मुजाविर बन जाते हैं ।
( 26 : 71 )
( 26 : 71 )
قَالَ هَلْ يَسْمَعُونَكُمْ إِذْ تَدْعُونَ
इबराहीम ने कहा भला जब तुम लोग उन्हें पुकारते हो तो वह तुम्हारी कुछ सुनते हैं ।
( 26 : 72 )
أَوْ يَنفَعُونَكُمْ أَوْ يَضُرُّونَ
या तम्हें कुछ नफा या नुक़सान पहुँचा सकते हैं । ( 26 : 73 )
قَالُوا۟ بَلْ وَجَدْنَآ ءَابَآءَنَا كَذَٰلِكَ يَفْعَلُونَ
कहने लगे (कि ये सब तो कुछ नहीं) बल्कि हमने अपने बाप दादाओं को ऐसा ही करते पाया है । ( 26 : 74 )
قَالَ أَفَرَءَيْتُم مَّا كُنتُمْ تَعْبُدُونَ
इबराहीम ने कहा क्या तुमने देखा भी कि जिन चीज़ों कीे तुम परसतिश करते हो ।
( 26 : 75 )
أَنتُمْ وَءَابَآؤُكُمُ ٱلْأَقْدَمُونَ
या तुम्हारे अगले बाप दादा (करते थे) ये सब मेरे यक़ीनी दुश्मन हैं । ( 26 : 76 )
فَإِنَّهُمْ عَدُوٌّ لِّىٓ إِلَّا رَبَّ ٱلْعَٰلَمِينَ
मगर सारे जहाँ का पालने वाला जिसने मुझे पैदा किया (वही मेरा दोस्त है) ( 26 : 77 )
ٱلَّذِى خَلَقَنِى فَهُوَ يَهْدِينِ
फिर वही मेरी हिदायत करता है ।
( 26 : 78 )
وَٱلَّذِى هُوَ يُطْعِمُنِى وَيَسْقِينِ
और वह शख्स जो मुझे (खाना) खिलाता है और मुझे (पानी) पिलाता है । ( 26 : 79 )
وَإِذَا مَرِضْتُ فَهُوَ يَشْفِينِ
और जब बीमार पड़ता हूँ तो वही मुझे शिफा इनायत फरमाता है । ( 26 ; 80 )
وَٱلَّذِى يُمِيتُنِى ثُمَّ يُحْيِينِ
और वह वही हेै जो मुझे मार डालेगा और उसके बाद (फिर) मुझे ज़िन्दा करेगा ।
( 26 : 81 )
وَٱلَّذِىٓ أَطْمَعُ أَن يَغْفِرَ لِى خَطِيٓـَٔتِى يَوْمَ ٱلدِّينِ
और वह वही है जिससे मै उम्मीद रखता हूँ कि क़यामत के दिन मेरी ख़ताओं को बख्श देगा । ( 26 : 82 )
رَبِّ هَبْ لِى حُكْمًا وَأَلْحِقْنِى بِٱلصَّٰلِحِينَ
परवरदिगार मुझे इल्म व फहम अता फरमा और मुझे नेकों के साथ शामिल कर ।
( 26 : 83 )
وَٱجْعَل لِّى لِسَانَ صِدْقٍ فِى ٱلْءَاخِرِينَ
और आइन्दा आने वाली नस्लों में मेरा ज़िक्रे ख़ैर क़ायम रख । ( 26 : 84 )
* फिर जब लोगों को ये बात पता चली की एक नोजवान हमारे बुतों को बुरा भला कहते है तो फौरन वे लोग नमरूद के पास गए और पूरा किस्सा सुनाया ।
* नमरुद गुस्से से लाल हो गया और कहने लगा कि उसे मेरे दरबार मे फ़ौरन बुलाओ
* और आप इब्राहिम जब वहां गए तो बे ख़ौफ़ थे , क्यों कि अपने उन्हें हक़ बात की दावत दी और सच्चाई से आगाह की था ।
* नमरूद अपने आपको खुदा कहता था
( माजल्लाह ) और बहुत ज्यादा गुरुर था सब उसे सज्दा करते थे ।
* पर आप जब वहा पहुँचे तो ना ही आपने सज्दा किया , ना ही सिर झुकाया ।
وَتَٱللَّهِ لَأَكِيدَنَّ أَصْنَٰمَكُم بَعْدَ أَن تُوَلُّوا۟ مُدْبِرِينَ
और अपने जी में कहा खुदा की क़सम तुम्हारे पीठ फेरने के बाद में तुम्हारे बुतों के साथ एक चीज करूँगा ।
فَجَعَلَهُمْ جُذَٰذًا إِلَّا كَبِيرًا لَّهُمْ لَعَلَّهُمْ إِلَيْهِ يَرْجِعُونَ
चुनान्चे इबराहीम ने उन बुतों को (तोड़कर) चकनाचूर कर डाला मगर उनके बड़े बुत को (इसलिए रहने दिया) ताकि ये लोग ईद( त्यौहार ) से पलटकर उसकी तरफ रूजू करें ।
قَالُوا۟ مَن فَعَلَ هَٰذَا بِـَٔالِهَتِنَآ إِنَّهُۥ لَمِنَ ٱلظَّٰلِمِينَ
(जब कुफ्फ़ार को मालूम हुआ) तो कहने लगे जिसने ये गुस्ताख़ी हमारे माबूदों के साथ की है उसने यक़ीनी बड़ा ज़ुल्म किया ।
قَالُوا۟ سَمِعْنَا فَتًى يَذْكُرُهُمْ يُقَالُ لَهُۥٓ إِبْرَٰهِيمُ
(कुछ लोग) कहने लगे हमने एक नौजवान को जिसको लोग इबराहीम कहते हैं उन बुतों का
(बुरी तरह) ज़िक्र करते सुना था ।
قَالُوا۟ فَأْتُوا۟ بِهِۦ عَلَىٰٓ أَعْيُنِ ٱلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ يَشْهَدُونَ
लोगों ने कहा तो अच्छा उसको सब लोगों के सामने (गिरफ्तार करके) ले आओ ताकि वह
(जो कुछ कहें) लोग उसके गवाह रहें ।
قَالُوٓا۟ ءَأَنتَ فَعَلْتَ هَٰذَا بِـَٔالِهَتِنَا يَٰٓإِبْرَٰهِيمُ
(ग़रज़ इबराहीम आए) और लोगों ने उनसे पूछा कि क्यों इबराहीम क्या तुमने माबूदों के साथ ये हरकत की है ।
قَالَ بَلْ فَعَلَهُۥ كَبِيرُهُمْ هَٰذَا فَسْـَٔلُوهُمْ إِن كَانُوا۟ يَنطِقُونَ
इबराहीम ने कहा बल्कि ये हरकत इन बुतों (खुदाओं) के बड़े (खुदा) ने की है तो अगर ये बुत बोल सकते हों तो उनही से पूछ देखो ।
فَرَجَعُوٓا۟ إِلَىٰٓ أَنفُسِهِمْ فَقَالُوٓا۟ إِنَّكُمْ أَنتُمُ ٱلظَّٰلِمُونَ
इस पर उन लोगों ने अपने जी में सोचा तो
(एक दूसरे से) कहने लगे बेशक तुम ही लोग खुद बर सरे नाहक़ हो ।
ثُمَّ نُكِسُوا۟ عَلَىٰ رُءُوسِهِمْ لَقَدْ عَلِمْتَ مَا هَٰٓؤُلَآءِ يَنطِقُونَ
फिर उन लोगों के सर इसी गुमराही में झुका दिए गए (और तो कुछ बन न पड़ा मगर ये बोले) तुमको तो अच्छी तरह मालूम है कि ये बुत बोला नहीं करते ।
قَالَ أَفَتَعْبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ مَا لَا يَنفَعُكُمْ شَيْـًٔا وَلَا يَضُرُّكُمْ
(फिर इनसे क्या पूछे) इबराहीम ने कहा तो क्या तुम लोग खुदा को छोड़कर ऐसी चीज़ों की परसतिश करते हो जो न तुम्हें कुछ नफा ही पहे
* फिर सब लोगो ने नमरुद से कहा इब्राहीम को आग में जला दो !
* एक खुले मैदान में कैसो लकडी का
जमठा जमा किया जो कई सौ ऊँटो पे लाया गया था ।
* और एक तोप सी चीज बना कर आग में फेक दिया , और अल्लाह ने फ़रिशतो के जरिये आपकी मदद फरमाई , और एक रिवायत में आता है कि आप 7 दिनो तक उस आग में थे , जो कि आग की जगह पर फूलों का बगीचा बन गया था । ( सुब्हानअल्लाह )
قَالُوا۟ حَرِّقُوهُ وَٱنصُرُوٓا۟ ءَالِهَتَكُمْ إِن كُنتُمْ فَٰعِلِينَ
(आख़िर) वह लोग (बाहम) कहने लगे कि अगर तुम कुछ कर सकते हो तो इबराहीम को आग में जला दो और अपने खुदाओं की मदद करो । ( 21 : 68 )
قُلْنَا يَٰنَارُ كُونِى بَرْدًا وَسَلَٰمًا عَلَىٰٓ إِبْرَٰهِيمَ
(ग़रज़) उन लोगों ने इबराहीम को आग में डाल दिया तो हमने फ़रमाया ऐ आग तू इबराहीम पर बिल्कुल ठन्डी और सलामती का बाइस हो जा । ( 21 : 69 )
وَأَرَادُوا۟ بِهِۦ كَيْدًا فَجَعَلْنَٰهُمُ ٱلْأَخْسَرِينَ
(कि उनको कोई तकलीफ़ न पहुँचे) और उन लोगों में इबराहीम के साथ चालबाज़ी करनी चाही थी तो हमने इन सब को नाकाम कर दिया । ( 21 : 70 )
فَمَا كَانَ جَوَابَ قَوْمِهِۦٓ إِلَّآ أَن قَالُوا۟ ٱقْتُلُوهُ أَوْ حَرِّقُوهُ فَأَنجَىٰهُ ٱللَّهُ مِنَ ٱلنَّارِ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَٰتٍ لِّقَوْمٍ يُؤْمِنُونَ
ग़रज़ इबराहीम की क़ौम के पास (इन बातों का) इसके सिवा कोई जवाब न था कि बाहम कहने लगे इसको मार डालो या जला (कर ख़ाक) कर डालो (आख़िर वह कर गुज़रे) तो ख़ुदा ने उनको आग से बचा लिया इसमें शक नहीं कि दुनियादार लोगों के वास्ते इस वाकिये में (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं । ( 29 : 24 )
وَقَالَ إِنَّمَا ٱتَّخَذْتُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ أَوْثَٰنًا مَّوَدَّةَ بَيْنِكُمْ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا ثُمَّ يَوْمَ ٱلْقِيَٰمَةِ يَكْفُرُ بَعْضُكُم بِبَعْضٍ وَيَلْعَنُ بَعْضُكُم بَعْضًا وَمَأْوَىٰكُمُ ٱلنَّارُ وَمَا لَكُم مِّن نَّٰصِرِينَ
और इबराहीम ने (अपनी क़ौम से) कहा कि तुम लोगों ने ख़ुदा को छोड़कर बुतो को सिर्फ दुनिया की ज़िन्दगी में बाहम मोहब्त करने की वजह से (ख़ुदा) बना रखा है फिर क़यामत के दिन तुम में से एक का एक इनकार करेगा और एक दूसरे पर लानत करेगा और (आख़िर) तुम लोगों का ठिकाना जहन्नुम है और (उस वक्त तुम्हारा कोई भी मददगार न होगा) । ( 29 : 25 )
* नमरुद गुस्से से लाल हो गया और कहने लगा कि उसे मेरे दरबार मे फ़ौरन बुलाओ
* और आप इब्राहिम जब वहां गए तो बे ख़ौफ़ थे , क्यों कि अपने उन्हें हक़ बात की दावत दी और सच्चाई से आगाह की था ।
* नमरूद अपने आपको खुदा कहता था
( माजल्लाह ) और बहुत ज्यादा गुरुर था सब उसे सज्दा करते थे ।
* पर आप जब वहा पहुँचे तो ना ही आपने सज्दा किया , ना ही सिर झुकाया ।
* ये बात देख कर वह गुस्से में आ गया और कह उठा तू मुझे सज्दा नही करता , तो आप कहने लगे , मैं एक पालनहार के सिवाय किसी को सज्दा नही करता ।
* नमरुद को तअज्जुब हुआ , कहने लगा , तेरा पालनहार कौन है ?
* आप ने कहा वह सबका पैदा करने वाला है और मौत देने वाला है ।
أَلَمْ تَرَ إِلَى ٱلَّذِى حَآجَّ إِبْرَٰهِۦمَ فِى رَبِّهِۦٓ أَنْ ءَاتَىٰهُ ٱللَّهُ ٱلْمُلْكَ إِذْ قَالَ إِبْرَٰهِۦمُ رَبِّىَ ٱلَّذِى يُحْىِۦ وَيُمِيتُ قَالَ أَنَا۠ أُحْىِۦ وَأُمِيتُ قَالَ إِبْرَٰهِۦمُ فَإِنَّ ٱللَّهَ يَأْتِى بِٱلشَّمْسِ مِنَ ٱلْمَشْرِقِ فَأْتِ بِهَا مِنَ ٱلْمَغْرِبِ فَبُهِتَ ٱلَّذِى كَفَرَ وَٱللَّهُ لَا يَهْدِى ٱلْقَوْمَ ٱلظَّٰلِمِينَ
(ऐ रसूल) क्या तुम ने उस शख्स (के हाल) पर नज़र नहीं की जो सिर्फ़ इस बिरते पर कि ख़ुदा ने उसे सल्तनत दी थी इब्राहीम से उनके परवरदिगार के बारे में उलझ पड़ा कि जब इब्राहीम ने (उससे) कहा कि मेरा परवरदिगार तो वह है जो (लोगों को) जिलाता और मारता है तो वो भी (शेख़ी में) आकर कहने लगा मैं भी जिलाता और मारता हूं (तुम्हारे ख़ुदा ही में कौन सा कमाल है) इब्राहीम ने कहा (अच्छा) खुदा तो आफ़ताब को पूरब से निकालता है भला तुम उसको पश्चिम से निकालो इस पर वह काफ़िर हक्का बक्का हो कर रह गया (मगर ईमान न लाया) और ख़ुदा ज़ालिमों को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुंचाया करता ।
( 2 : 258 )
* नमरुद घमंड से बोला मैं भी जिसको चाहता हूं मारता हु और जिसको चाहता हु जिन्दा रखता हूं , इसीलिए मै भी पालनहार ( रब ) हु । ( माजल्लाह ).
* फिर उसने दो कैदियों को बुलाया जिनको फांसी होने वाली थी ।
* एक को तो फौरन ही फांसी देदी और दूसरे को जिंदा छोड़ दिया और घमंड से बोलो देखा मैने भी एक को जिंदा रखा और दूसरे को मार दिया ।
* और मैं भी रब हु मेरा भी यही काम है ।
* तो आप इब्राहिम कहने लगे मेरा रब पूरब से सूरज निकालता है , तू पश्चिम से निकल के दिखा तो मेँ जानू की तू सच्च में रब है ?
* इस बात पर नमरुद और उसको खुदा जानने वाले सब के सब खामोश हो गए , इसका जवाब किसी के पास न था ।
* और कई लोगो के ऊपर आपकी बातों का असर होने लगा और मन ही मन मे सच्चा जानने लगे ।
* एक दिन हज़रत इब्राहिम अलेहसललाम
अपने चाचा से कहने लगे ? जो कि इस तरह है ।
إِذْ قَالَ لِأَبِيهِ وَقَوْمِهِۦ مَا هَٰذِهِ ٱلتَّمَاثِيلُ ٱلَّتِىٓ أَنتُمْ لَهَا عَٰكِفُونَ
जब उन्होंने अपने (मुँह बोले) बाप और अपनी क़ौम से कहा ये मूर्ति जिनकी तुम लोग मुजाबिरी करते हो आख़िर क्या (बला) है ।
( 21 : 52 )
قَالُوا۟ وَجَدْنَآ ءَابَآءَنَا لَهَا عَٰبِدِينَ
वह लोग बोले (और तो कुछ नहीं जानते मगर) अपने बडे बूढ़ों को इनही की परसतिश करते देखा है । ( 21: 53 )
قَالَ لَقَدْ كُنتُمْ أَنتُمْ وَءَابَآؤُكُمْ فِى ضَلَٰلٍ مُّبِينٍ
इबराहीम ने कहा यक़ीनन तुम भी और तुम्हारे बुर्जुग़ भी खुली हुई गुमराही में पड़े हुए थे ।
( 21 : 54 )
قَالُوٓا۟ أَجِئْتَنَا بِٱلْحَقِّ أَمْ أَنتَ مِنَ ٱللَّٰعِبِين
वह लोग कहने लगे तो क्या तुम हमारे पास हक़ बात लेकर आए हो या तुम भी (यूँ ही) बाते बनाते हो । ( 21 : 55 )
قَالَ بَل رَّبُّكُمْ رَبُّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ ٱلَّذِى فَطَرَهُنَّ وَأَنَا۠ عَلَىٰ ذَٰلِكُم مِّنَ ٱلشَّٰهِدِينَ
इबराहीम ने कहा गलत नहीं ठीक कहता हूँ कि तुम्हारे माबूद व बुत नहीं बल्कि तुम्हारा परवरदिगार आसमान व ज़मीन का मालिक है जिसने उनको पैदा किया और मैं खुद इस बात का तुम्हारे सामने गवाह हूँ ।
( 21 : 56 )
* तो बोले अगर इब्राहिम हमारे मअबूद को बुरा भला कहा तो हम तुझे ईजा देने ( दुख )
* इसके बाद अपने इरादा कीया जब तक इनके बुतो की हकिकत इनके सामने नही आजाये जब तक न मानेगे । नही ये मूर्ति किसी को फ़ायदा पहुचा सकती है नही नुकशान ।
* उन दिनों वहाँ एक त्यौहार आया जहा सब लोग एक जगह जमा होते और त्यौहार मानते ।
* इसके बाद अपने इरादा कीया जब तक इनके बुतो की हकिकत इनके सामने नही आजाये जब तक न मानेगे । नही ये मूर्ति किसी को फ़ायदा पहुचा सकती है नही नुकशान ।
* उन दिनों वहाँ एक त्यौहार आया जहा सब लोग एक जगह जमा होते और त्यौहार मानते ।
उसके आगे इस तरह
وَتَٱللَّهِ لَأَكِيدَنَّ أَصْنَٰمَكُم بَعْدَ أَن تُوَلُّوا۟ مُدْبِرِينَ
और अपने जी में कहा खुदा की क़सम तुम्हारे पीठ फेरने के बाद में तुम्हारे बुतों के साथ एक चीज करूँगा ।
فَجَعَلَهُمْ جُذَٰذًا إِلَّا كَبِيرًا لَّهُمْ لَعَلَّهُمْ إِلَيْهِ يَرْجِعُونَ
चुनान्चे इबराहीम ने उन बुतों को (तोड़कर) चकनाचूर कर डाला मगर उनके बड़े बुत को (इसलिए रहने दिया) ताकि ये लोग ईद( त्यौहार ) से पलटकर उसकी तरफ रूजू करें ।
قَالُوا۟ مَن فَعَلَ هَٰذَا بِـَٔالِهَتِنَآ إِنَّهُۥ لَمِنَ ٱلظَّٰلِمِينَ
(जब कुफ्फ़ार को मालूम हुआ) तो कहने लगे जिसने ये गुस्ताख़ी हमारे माबूदों के साथ की है उसने यक़ीनी बड़ा ज़ुल्म किया ।
قَالُوا۟ سَمِعْنَا فَتًى يَذْكُرُهُمْ يُقَالُ لَهُۥٓ إِبْرَٰهِيمُ
(कुछ लोग) कहने लगे हमने एक नौजवान को जिसको लोग इबराहीम कहते हैं उन बुतों का
(बुरी तरह) ज़िक्र करते सुना था ।
قَالُوا۟ فَأْتُوا۟ بِهِۦ عَلَىٰٓ أَعْيُنِ ٱلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ يَشْهَدُونَ
लोगों ने कहा तो अच्छा उसको सब लोगों के सामने (गिरफ्तार करके) ले आओ ताकि वह
(जो कुछ कहें) लोग उसके गवाह रहें ।
قَالُوٓا۟ ءَأَنتَ فَعَلْتَ هَٰذَا بِـَٔالِهَتِنَا يَٰٓإِبْرَٰهِيمُ
(ग़रज़ इबराहीम आए) और लोगों ने उनसे पूछा कि क्यों इबराहीम क्या तुमने माबूदों के साथ ये हरकत की है ।
قَالَ بَلْ فَعَلَهُۥ كَبِيرُهُمْ هَٰذَا فَسْـَٔلُوهُمْ إِن كَانُوا۟ يَنطِقُونَ
इबराहीम ने कहा बल्कि ये हरकत इन बुतों (खुदाओं) के बड़े (खुदा) ने की है तो अगर ये बुत बोल सकते हों तो उनही से पूछ देखो ।
فَرَجَعُوٓا۟ إِلَىٰٓ أَنفُسِهِمْ فَقَالُوٓا۟ إِنَّكُمْ أَنتُمُ ٱلظَّٰلِمُونَ
इस पर उन लोगों ने अपने जी में सोचा तो
(एक दूसरे से) कहने लगे बेशक तुम ही लोग खुद बर सरे नाहक़ हो ।
ثُمَّ نُكِسُوا۟ عَلَىٰ رُءُوسِهِمْ لَقَدْ عَلِمْتَ مَا هَٰٓؤُلَآءِ يَنطِقُونَ
फिर उन लोगों के सर इसी गुमराही में झुका दिए गए (और तो कुछ बन न पड़ा मगर ये बोले) तुमको तो अच्छी तरह मालूम है कि ये बुत बोला नहीं करते ।
قَالَ أَفَتَعْبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ مَا لَا يَنفَعُكُمْ شَيْـًٔا وَلَا يَضُرُّكُمْ
(फिर इनसे क्या पूछे) इबराहीम ने कहा तो क्या तुम लोग खुदा को छोड़कर ऐसी चीज़ों की परसतिश करते हो जो न तुम्हें कुछ नफा ही पहे
أُفٍّ لَّكُمْ وَلِمَا تَعْبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ أَفَلَا تَعْقِلُونَ
तफ है तुम पर उस चीज़ पर जिसे तुम खुदा के सिवा पूजते हो तो क्या तुम इतना भी नहीं समझते । ( 21 : 57 से 67 )
* फिर सब लोगो ने नमरुद से कहा इब्राहीम को आग में जला दो !
* एक खुले मैदान में कैसो लकडी का
जमठा जमा किया जो कई सौ ऊँटो पे लाया गया था ।
* और कई दिनों तक आग जलाते रहे यहाँ वो नजारा देखता था कोई आग का जंगल हो ।
وَٱللَّهُ خَلَقَكُمْ وَمَا تَعْمَلُونَ
इबराहीम ने कहा (अफ़सोस) तुम लोग उसकी परसतिश करते हो जिसे तुम लोग खुद तराश कर बनाते हो । ( 37 : 96 )
قَالُوا۟ ٱبْنُوا۟ لَهُۥ بُنْيَٰنًا فَأَلْقُوهُ فِى ٱلْجَحِيمِ
हालाँकि तुमको और जिसको तुम लोग बनाते हो (सबको) खुदा ही ने पैदा किया है
(ये सुनकर) वह लोग (आपस में कहने लगे) इसके लिए (भट्टी की सी) एक इमारत बनाओ । ( 37 : 97 )
(ये सुनकर) वह लोग (आपस में कहने लगे) इसके लिए (भट्टी की सी) एक इमारत बनाओ । ( 37 : 97 )
فَأَرَادُوا۟ بِهِۦ كَيْدًا فَجَعَلْنَٰهُمُ ٱلْأَسْفَلِينَ
और (उसमें आग सुलगा कर उसी दहकती हुई आग में इसको डाल दो) फिर उन लोगों ने इबराहीम के साथ धोखा करनी चाही ।
( 37 : 98 )
* और एक तोप सी चीज बना कर आग में फेक दिया , और अल्लाह ने फ़रिशतो के जरिये आपकी मदद फरमाई , और एक रिवायत में आता है कि आप 7 दिनो तक उस आग में थे , जो कि आग की जगह पर फूलों का बगीचा बन गया था । ( सुब्हानअल्लाह )
(आख़िर) वह लोग (बाहम) कहने लगे कि अगर तुम कुछ कर सकते हो तो इबराहीम को आग में जला दो और अपने खुदाओं की मदद करो । ( 21 : 68 )
قُلْنَا يَٰنَارُ كُونِى بَرْدًا وَسَلَٰمًا عَلَىٰٓ إِبْرَٰهِيمَ
(ग़रज़) उन लोगों ने इबराहीम को आग में डाल दिया तो हमने फ़रमाया ऐ आग तू इबराहीम पर बिल्कुल ठन्डी और सलामती का बाइस हो जा । ( 21 : 69 )
وَأَرَادُوا۟ بِهِۦ كَيْدًا فَجَعَلْنَٰهُمُ ٱلْأَخْسَرِينَ
(कि उनको कोई तकलीफ़ न पहुँचे) और उन लोगों में इबराहीम के साथ चालबाज़ी करनी चाही थी तो हमने इन सब को नाकाम कर दिया । ( 21 : 70 )
* एक दिन नमरुद दिखने निकला कि उस आग और इब्राहिम का क्या हाल है , एक ऊची जगह पर चढ़ कर वो देखने लगा और वो क्या देखता है , इब्राहिम तो बड़े आराम से वहा पर है चारो तरफ फूल ही फूल और ग़ैब से रिज्क भी मिल रहा है , और वो घबरा गया उसे पता चल गया था कि अब मेरी और मेरे मानने वालो की खैर नही । और क्या देखते है ।
ग़रज़ इबराहीम की क़ौम के पास (इन बातों का) इसके सिवा कोई जवाब न था कि बाहम कहने लगे इसको मार डालो या जला (कर ख़ाक) कर डालो (आख़िर वह कर गुज़रे) तो ख़ुदा ने उनको आग से बचा लिया इसमें शक नहीं कि दुनियादार लोगों के वास्ते इस वाकिये में (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं । ( 29 : 24 )
وَقَالَ إِنَّمَا ٱتَّخَذْتُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ أَوْثَٰنًا مَّوَدَّةَ بَيْنِكُمْ فِى ٱلْحَيَوٰةِ ٱلدُّنْيَا ثُمَّ يَوْمَ ٱلْقِيَٰمَةِ يَكْفُرُ بَعْضُكُم بِبَعْضٍ وَيَلْعَنُ بَعْضُكُم بَعْضًا وَمَأْوَىٰكُمُ ٱلنَّارُ وَمَا لَكُم مِّن نَّٰصِرِينَ
* फिर जब आप आगे की आज़माइश से सफल हो के बहार आये और फ़रमाया जो रब है आसमान और जामिन का जिसने , धरती , पेड़ ,पौधे , चाँद , तारे , सूरज पूरी कायनात का बनने वाला है , और ये भी मोजेजा ( चमत्कार ) देख एक जरा बराबर भी नही रब के लिए ।
* और नमरूद को एक अल्लाह की तरफ बुलाया नमरूद ने कुछ दिनों की मोहलत मांगी ।
* और उसने अपने मंत्री को बुलाया उसका नाम हामान था । और ईमान लेन के बारे में मशवरा करने लगा ।
* हामान कहने लगा इतने दिनों तक खुदा की तरह से जिंदगी और अब गुलामी की तरह से जिंदगी बिताओंगे और उसे उल्टा सीधा कह के गुमराह कर दिया ।
* उसे दुष्मनाने खुदा ने अपनी आंखों से मोजज़ा देखने के बाद भी ईमान न लाया और हामान की बात में आ गया ।
* फिर जब आप इब्राहिम अलेहसल्लाम ने उसे ईमान के बारे में सवाल की तो नमरुद कहने लगा , ईमान लाना मेरे लिए दुशवार है , अलबत्ता में क़ुरबानी कर सकता हु ।
* अपने फ़रमाया बगैर ईमान के कोई चीज क़बूल नही ।
* फिर भी उसने हामान के बहकावे में आ कर ईमान न लाया ।
* लगभग 4000 बड़े जानवर , ऊँठ , बकरी ,इत्यादि की बाली दी , पर कोई काम की नही उसने अपना ठिकाना जन्नम में तलाश कर किया था । 😢😢😢😢😢😢
* आगे देखेंगे नमरुद का दर्दनाक अंजाम .................................................???
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