माँसाहारी या शाकाहारी
* अनक़रीब ईद - उल - अजहा
आने वाली है ,और कुछ चूहो का बिलो में से खुस खुसना चालु हो गया है ।
يَٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ كُلُوا۟ مِمَّا فِى ٱلْأَرْضِ حَلَٰلًا طَيِّبًا وَلَا
تَتَّبِعُوا۟ خُطُوَٰتِ ٱلشَّيْطَٰنِ إِنَّهُۥ لَكُمْ عَدُوٌّ مُّبِينٌ
अर्थात : - ऐ लोगों जो कुछ ज़मीन में हैं उस में से हलाल व पाकीज़ा चीज़ (शौक़ से) खाओ और शैतान के क़दम ब क़दम न चलो वह तो तुम्हारा ज़ाहिर ब ज़ाहिर दुश्मन है ( 2 : 168 )
* आये देखते है मानव शरीर की मूल बनावट
और दैनिक जीवन का व्यहारिक सभाव
का विस्तार पूर्वक विश्लेषण करेंगे
??????
* मानव एक परजीवी है ,
मतलब दुसरो पर निर्भर है
वह दूसरों की सहायत से अपना जीवन चलता है , उदहारण ०
खाना , पीना , घर ,मकान ,इत्यादि
वे खुद से इस चीजो का निर्माण अपने शरीर मे नहीं कर सकता उसे ये सामग्री की आवश्यकता बाहरी चीजो से लेनी पड़ती है ।
* आये देखते है मनुष्य
मांसाहारी या शाकाहारी
????
* प्रशन : - चौपाय ( चार पैर वाला ) मांसाहार पशु जबान से चाट चाट कर पानी
पिता है , और नबातख़ोर
( घास , पैड़ इत्यादि शाकाहारी पशु )
चुस्की से पीते है , और मनुष्य भी चुसके पिता है , इसलिए मनुष्य शाकाहारी है ?
मांसाहारी |
शाकाहारी |
मनुष्य |
* उत्तर : - 1 . नही इससे क्या साबित होता है ,बहुत से मांसाहारी भी चुसके पानी पीते है
उदहारण
चूहा |
नेवला |
इत्यादि मांसाहारी पशु भी चुस्की से पानी पीते है ।
2 . और गाय , भैस , आदि मुँह लगा कर पानी पीते है , और ये ऊपर वाले पशु हाथों का सहारा लेकर खाते - पीते है , और मनुष्य भी हाथों से सहारा ले कर खाता पिता है, इसलिए मनुष्य मांसाहारी है ।
3 . माँसाहारी पशु अपनी भोजन की पूर्ति करते समय हाथों से मदद लेते है और शाकाहारी सीधा मुह लगा कर ,
और मनुष्य भी हाथों से ही खाता पिता है , इसलिए वह मांसाहारी है ।
* इसमे तो कोई संदेह नही की जो वैदिक
धर्म मे मानने वाले है , उसके मुताबिक
जो भी जानवर धरती पर है , यह पहले वे मनुष्य ही थे , तो एतराज की क्या बता है ?
और पशु भी परभक्षी है ।
इसलिये मनुष्यों के सभाव में ही मांस का सेवन करना है , जो कि उसकी आदत पुर्नजन्म के बाद भी नही छुटी ।
* सब एक दूसरे पर निर्भर है यही प्रकुति का नियम है ।
* अब खाने -पीने का जिक्र हो गया तो उनके शरीर से मल मूत्र पर भी ध्यान देते है
* मांसाहारी पशु झुक कर अपनी जरूर पूरी करते है ।
* और शाकाहारी पशु खड़े -खडे अपनी जरूर पूर्ण करते है ।
* और मनुष्य का मूल सभाव भी झुक कर बैठ कर है ,इसलिए माँसाहारी है ।
* मांसाहारी पशु के मल - मूत्र से बहुत ही ज्यादा बद-बु आती है ।
* और शाकाहारी में कम
* और मनुष्य में तो पता ही है क्या स्थर रहता है बदबू का इसलिए वह मांसाहारी है ।
* और यहाँ एक सवाल ये भी उठता है ?
की अगर कोई पूर्ण रूप से शाकाहारी भी है , तो भी बु आती है क्यों कि उसका एक कारण ये है ,की उसकी शरीर की मूल बनावट ही मांसाहारी की तरह से की गई है ।
* मांसाहारी पशु के दांत नोक दार होते है ।
* क्योंकि मानव साग , सब्जी भी पचा सकता है , और मांस भी ।
* इसलिए कि वह मांसाहारी भोजन भी है और शाकाहारी भोजन भी पाचन कर सकता है ।
* एक बात तो सब मानते और जानते है ,की मानव शरीर के अंदर कोई भी भाग व्यर्थ नही
* और पाक पालनहार ने जिसको जिसकी जरूरत थी उसी प्रकार से उसी बनावट की है , जिसके उदहारण अल्हम्दुलिल्लाह मैं ऊपर बात दिए है ।
* क्यों कि वह जानता है , की मानव शरीर के लिए क्या चीजो की आवश्यकता है , और किन चीजों की नही 😊
* अब देखते है मानव का रहन सहन ?
* मांसाहारी पशु गुफा ,बिल , बट्टर इत्यादि में रहता है ।
* और शाकाहारी पशु झाड , खुले मैदान इत्यादि में ।
* और मनुष्य ? इसलिए वह मांसाहारी है ।
* और माँ के रहम में भी बच्चा माँस के जरिये से अपनी जरूर पूर्ण करता , जो कि एक मांस का लुथड़ा खून की शक्ल से होता है , इसके बारे में जानने के लिए आप कोई भी ज्ञानिक की पुस्तकों का अध्यन कर सकते है ।
आदम मट्टी की पैदाइश या फिर और कुछ उसके लिए यहा देखे @
* अब देखते है माँसाहारी पशु के बच्चों और शाकाहारी पशु के बच्चों में अंतर ?
* मांसाहारी के बच्चें धिरे धीरे चलना सीखते है ।
* और शाकाहारी के बच्चे फ़ौरन कुछ समय बाद ।
* और मनुष्य के ?
इसलिए वह मांसाहारी है , हा अगर कोई बंधु इस चीज की गारेंटी देता है कि शाकाहारी भोजन करने के बाद सारे मानव के बच्चे शाकाहारी के बच्चों की तरह फ़ौरन चल फिर सकता है तो विचार बनता है क्यों कि ये असंभव है क्यों कि मनुष्य की बनावट मांसाहारी के तरह से है ।
* मांसाहारी के बच्चे पैदा होते ही पहले
पाखाना करते है ।
* और शाकाहारी के पेशाब ।
* मानव के बच्चे भी पहले पाखाना करते है इसलिए वह मांसाहारी है ।
NOTE : - इस लेख में अधिकतर सवाल जवाब , ये पुस्तक से लिये गए है ,
चर्चा ए गोसखोरी लेखेक
मौलाना हाकिम बशीर अहमद
* और अब देखते है ?
* मानव शरीर कई प्रकार की कोशिका पाई जाती है , जिस से उन्हें जीवित रखने के लिए प्रोटीन की आवशकता होती है और प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत मांस है ।
* उदहारण ० अगर किसी व्यक्ति के शरीर का वजन 50 kg है , तो उसे प्रति दीन
100 gm प्रोटीन की आवश्यकता पड़ती है
حُرِّمَتْ عَلَيْكُمُ ٱلْمَيْتَةُ وَٱلدَّمُ وَلَحْمُ ٱلْخِنزِيرِ وَمَآ أُهِلَّ لِغَيْرِ ٱللَّهِ بِهِۦ وَٱلْمُنْخَنِقَةُ وَٱلْمَوْقُوذَةُ وَٱلْمُتَرَدِّيَةُ وَٱلنَّطِيحَةُ وَمَآ أَكَلَ ٱلسَّبُعُ إِلَّا مَا ذَكَّيْتُمْ وَمَا ذُبِحَ عَلَى ٱلنُّصُبِ وَأَن تَسْتَقْسِمُوا۟ بِٱلْأَزْلَٰمِ ذَٰلِكُمْ فِسْقٌ ٱلْيَوْمَ يَئِسَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِن دِينِكُمْ فَلَا تَخْشَوْهُمْ وَٱخْشَوْنِ ٱلْيَوْمَ أَكْمَلْتُ لَكُمْ دِينَكُمْ وَأَتْمَمْتُ عَلَيْكُمْ نِعْمَتِى وَرَضِيتُ لَكُمُ ٱلْإِسْلَٰمَ دِينًا فَمَنِ ٱضْطُرَّ فِى مَخْمَصَةٍ غَيْرَ مُتَجَانِفٍ لِّإِثْمٍ فَإِنَّ ٱللَّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ
(लोगों) मरा हुआ जानवर और ख़ून और सुअर का गोश्त और जिस (जानवर) पर (ज़िबाह) के वक्त ख़ुदा के सिवा किसी दूसरे का नाम लिया जाए और गर्दन मरोड़ा हुआ और चोट खाकर मरा हुआ और जो कुएं (वगैरह) में गिरकर मर जाए और जो सींग से मार डाला गया हो और जिसको दरिन्दे ने फाड़ खाया हो मगर जिसे तुमने मरने के क़ब्ल ज़िबाह कर लो और (जो जानवर) बुतों (के थान) पर चढ़ा कर ज़िबाह किया जाए और जिसे तुम (पाँसे) के तीरों से बाहम हिस्सा बॉटो (ग़रज़ यह सब चीज़ें) तुम पर हराम की गयी हैं ये गुनाह की बात है (मुसलमानों) अब तो कुफ्फ़ार तुम्हारे दीन से (फिर जाने से) मायूस हो गए तो तुम उनसे तो डरो ही नहीं बल्कि सिर्फ मुझी से डरो आज मैंने तुम्हारे दीन को कामिल कर दिया और तुमपर अपनी नेअमत पूरी कर दी और तुम्हारे (इस) दीने इस्लाम को पसन्द किया पस जो शख्स भूख़ में मजबूर हो जाए और गुनाह की तरफ़ माएल भी न हो
(और कोई चीज़ खा ले) तो ख़ुदा बेशक बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है ।
( 5 : 3 )
* और जो चीज खाना पीना वार्जित किया
गया वो ये रही ।
एक और नई रिसर्च आई ही उससे पता चला है , की सुवर का मांस खाना मनुष्य के लिए हानिकारक है ।
* मनुष्य को जिन चीजो की आवश्यकता थी पालनहार ने वे चीजे विस्तार पूर्वक बता दी जो हानिकारक है वह भी ।
और ये सब मनुष्यों के फायदे के लिए ही है ।
* और जो हलाल किये उसमे से कुछ उदहारण ० बकरा , ऊट , बीफ़ ,भेंड़ , दुंम्बा नर और मादा दोनों भी , इत्यादि ।
* नमाज कायम करो और क़ुरबानी करो ।
(108 : 2 )
( 5 : 88 )
इस्लाम का सच्च 1400 साल से क्या कब से
यहाँ देखे @
إِنَّ ٱللَّهَ لَا يَسْتَحْىِۦٓ أَن يَضْرِبَ مَثَلًا مَّا بَعُوضَةً فَمَا فَوْقَهَا فَأَمَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ فَيَعْلَمُونَ أَنَّهُ ٱلْحَقُّ مِن رَّبِّهِمْ وَأَمَّا ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ فَيَقُولُونَ مَاذَآ أَرَادَ ٱللَّهُ بِهَٰذَا مَثَلًا يُضِلُّ بِهِۦ كَثِيرًا وَيَهْدِى بِهِۦ كَثِيرًا وَمَا يُضِلُّ بِهِۦٓ إِلَّا ٱلْفَٰسِقِينَ
* और शाकाहारी पशु खड़े -खडे अपनी जरूर पूर्ण करते है ।
* और मनुष्य का मूल सभाव भी झुक कर बैठ कर है ,इसलिए माँसाहारी है ।
* मांसाहारी पशु के मल - मूत्र से बहुत ही ज्यादा बद-बु आती है ।
* और शाकाहारी में कम
* और मनुष्य में तो पता ही है क्या स्थर रहता है बदबू का इसलिए वह मांसाहारी है ।
* और यहाँ एक सवाल ये भी उठता है ?
की अगर कोई पूर्ण रूप से शाकाहारी भी है , तो भी बु आती है क्यों कि उसका एक कारण ये है ,की उसकी शरीर की मूल बनावट ही मांसाहारी की तरह से की गई है ।
* मांसाहारी पशु के दांत नोक दार होते है ।
क्यों कि पालनहार ने केवल उन्हें मांस के सेवन के लिए वह दिए है , और उसकी पाचन शक्ति शिर्फ़ मांस पचाने की है , घास फुस खाने की नही ।
* और शाकाहारी पशुओ के दांत चपटे होते है , क्यों कि उन्हें घास फूस खाने और पचाने के लिए पालनहार ने दिए है ।
* अब देखते है ,की मानव शरीर की मूल बनावट कीस तरह है ,से की गई है पालनहार ने मानव शरीर मे दोनों ही प्रकार के दांत पाये जाते है , नोकदार भी और चपटे भी ।
* इसलिए कि वह मांसाहारी भोजन भी है और शाकाहारी भोजन भी पाचन कर सकता है ।
* एक बात तो सब मानते और जानते है ,की मानव शरीर के अंदर कोई भी भाग व्यर्थ नही
* और पाक पालनहार ने जिसको जिसकी जरूरत थी उसी प्रकार से उसी बनावट की है , जिसके उदहारण अल्हम्दुलिल्लाह मैं ऊपर बात दिए है ।
* क्यों कि वह जानता है , की मानव शरीर के लिए क्या चीजो की आवश्यकता है , और किन चीजों की नही 😊
* अब देखते है मानव का रहन सहन ?
* मांसाहारी पशु गुफा ,बिल , बट्टर इत्यादि में रहता है ।
* और शाकाहारी पशु झाड , खुले मैदान इत्यादि में ।
* और मनुष्य ? इसलिए वह मांसाहारी है ।
* और माँ के रहम में भी बच्चा माँस के जरिये से अपनी जरूर पूर्ण करता , जो कि एक मांस का लुथड़ा खून की शक्ल से होता है , इसके बारे में जानने के लिए आप कोई भी ज्ञानिक की पुस्तकों का अध्यन कर सकते है ।
आदम मट्टी की पैदाइश या फिर और कुछ उसके लिए यहा देखे @
* अब देखते है माँसाहारी पशु के बच्चों और शाकाहारी पशु के बच्चों में अंतर ?
* मांसाहारी के बच्चें धिरे धीरे चलना सीखते है ।
* और शाकाहारी के बच्चे फ़ौरन कुछ समय बाद ।
* और मनुष्य के ?
इसलिए वह मांसाहारी है , हा अगर कोई बंधु इस चीज की गारेंटी देता है कि शाकाहारी भोजन करने के बाद सारे मानव के बच्चे शाकाहारी के बच्चों की तरह फ़ौरन चल फिर सकता है तो विचार बनता है क्यों कि ये असंभव है क्यों कि मनुष्य की बनावट मांसाहारी के तरह से है ।
* मांसाहारी के बच्चे पैदा होते ही पहले
पाखाना करते है ।
* और शाकाहारी के पेशाब ।
* मानव के बच्चे भी पहले पाखाना करते है इसलिए वह मांसाहारी है ।
NOTE : - इस लेख में अधिकतर सवाल जवाब , ये पुस्तक से लिये गए है ,
चर्चा ए गोसखोरी लेखेक
मौलाना हाकिम बशीर अहमद
* और अब देखते है ?
* मानव शरीर कई प्रकार की कोशिका पाई जाती है , जिस से उन्हें जीवित रखने के लिए प्रोटीन की आवशकता होती है और प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत मांस है ।
* उदहारण ० अगर किसी व्यक्ति के शरीर का वजन 50 kg है , तो उसे प्रति दीन
100 gm प्रोटीन की आवश्यकता पड़ती है
* और हमे पालनहार ने मांस का सेवन करने की अनुमति दी है ।
* जिसके कई फ़ायदे है मानव शरीर के लिये ।
* मानव शरीर मे सबसे ज्यादा किसी चीज़ की आवश्यकता है तो वो चीज़ है मांस ही सबसे अच्छा माध्यम प्रोटिन का ।
* बरहाल सबको पता ही है इन्शान परभक्षी है ।
* इस विषय बारे में अधिक जानकारी अपने आस-पास के डॉक्टर संपर्क करे ।
(लोगों) मरा हुआ जानवर और ख़ून और सुअर का गोश्त और जिस (जानवर) पर (ज़िबाह) के वक्त ख़ुदा के सिवा किसी दूसरे का नाम लिया जाए और गर्दन मरोड़ा हुआ और चोट खाकर मरा हुआ और जो कुएं (वगैरह) में गिरकर मर जाए और जो सींग से मार डाला गया हो और जिसको दरिन्दे ने फाड़ खाया हो मगर जिसे तुमने मरने के क़ब्ल ज़िबाह कर लो और (जो जानवर) बुतों (के थान) पर चढ़ा कर ज़िबाह किया जाए और जिसे तुम (पाँसे) के तीरों से बाहम हिस्सा बॉटो (ग़रज़ यह सब चीज़ें) तुम पर हराम की गयी हैं ये गुनाह की बात है (मुसलमानों) अब तो कुफ्फ़ार तुम्हारे दीन से (फिर जाने से) मायूस हो गए तो तुम उनसे तो डरो ही नहीं बल्कि सिर्फ मुझी से डरो आज मैंने तुम्हारे दीन को कामिल कर दिया और तुमपर अपनी नेअमत पूरी कर दी और तुम्हारे (इस) दीने इस्लाम को पसन्द किया पस जो शख्स भूख़ में मजबूर हो जाए और गुनाह की तरफ़ माएल भी न हो
(और कोई चीज़ खा ले) तो ख़ुदा बेशक बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है ।
( 5 : 3 )
* और जो चीज खाना पीना वार्जित किया
गया वो ये रही ।
एक और नई रिसर्च आई ही उससे पता चला है , की सुवर का मांस खाना मनुष्य के लिए हानिकारक है ।
* मनुष्य को जिन चीजो की आवश्यकता थी पालनहार ने वे चीजे विस्तार पूर्वक बता दी जो हानिकारक है वह भी ।
और ये सब मनुष्यों के फायदे के लिए ही है ।
* और जो हलाल किये उसमे से कुछ उदहारण ० बकरा , ऊट , बीफ़ ,भेंड़ , दुंम्बा नर और मादा दोनों भी , इत्यादि ।
* नमाज कायम करो और क़ुरबानी करो ।
(108 : 2 )
يَٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ لَا تُحَرِّمُوا۟ طَيِّبَٰتِ مَآ أَحَلَّ ٱللَّهُ لَكُمْ وَلَا تَعْتَدُوٓا۟ إِنَّ ٱللَّهَ لَا يُحِبُّ ٱلْمُعْتَدِين
ऐ ईमानदार जो पाक चीज़े ख़ुदा ने तुम्हारे वास्ते हलाल कर दी हैं उनको अपने ऊपर हराम न करो और हद से न बढ़ो क्यों कि ख़ुदा हद से बढ़ जाने वालों को हरगिज़ दोस्त नहीं रखता । ( 5 : 87 )
وَكُلُوا۟ مِمَّا رَزَقَكُمُ ٱللَّهُ حَلَٰلًا طَيِّبًا وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ ٱلَّذِىٓ أَنتُم بِهِۦ مُؤْمِنُونَ
और जो हलाल साफ सुथरी चीज़ें ख़ुदा ने तुम्हें दी हैं उनको (शौक़ से) खाओ और जिस ख़ुदा पर तुम ईमान लाए हो उससे डरते रहो
ऐ ईमानदार जो पाक चीज़े ख़ुदा ने तुम्हारे वास्ते हलाल कर दी हैं उनको अपने ऊपर हराम न करो और हद से न बढ़ो क्यों कि ख़ुदा हद से बढ़ जाने वालों को हरगिज़ दोस्त नहीं रखता । ( 5 : 87 )
وَكُلُوا۟ مِمَّا رَزَقَكُمُ ٱللَّهُ حَلَٰلًا طَيِّبًا وَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ ٱلَّذِىٓ أَنتُم بِهِۦ مُؤْمِنُونَ
और जो हलाल साफ सुथरी चीज़ें ख़ुदा ने तुम्हें दी हैं उनको (शौक़ से) खाओ और जिस ख़ुदा पर तुम ईमान लाए हो उससे डरते रहो
इस्लाम का सच्च 1400 साल से क्या कब से
यहाँ देखे @
إِنَّ ٱللَّهَ لَا يَسْتَحْىِۦٓ أَن يَضْرِبَ مَثَلًا مَّا بَعُوضَةً فَمَا فَوْقَهَا فَأَمَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ فَيَعْلَمُونَ أَنَّهُ ٱلْحَقُّ مِن رَّبِّهِمْ وَأَمَّا ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ فَيَقُولُونَ مَاذَآ أَرَادَ ٱللَّهُ بِهَٰذَا مَثَلًا يُضِلُّ بِهِۦ كَثِيرًا وَيَهْدِى بِهِۦ كَثِيرًا وَمَا يُضِلُّ بِهِۦٓ إِلَّا ٱلْفَٰسِقِينَ
बेशक पालनहार मच्छर या उससे भी बढ़कर (हक़ीर चीज़) की कोई मिसाल बयान करने में नहीं झेंपता पस जो लोग ईमान ला चुके हैं वह तो ये यक़ीन जानते हैं कि ये (मिसाल) बिल्कुल ठीक है और ये परवरदिगार की तरफ़ से है (अब रहे) वह लोग जो इनकार करने वाले है पस वह बोल उठते हैं कि खुदा का उस मिसाल से क्या मतलब है, ऐसी मिसाल से ख़ुदा बहुतेरों की हिदायत करता है मगर गुमराही में छोड़ता भी है तो ऐसे बदकारों को।
( 2 :26 )
आत्म ,परमात्मा , प्रकुति का चक्र
यहा देखे @
* जानवरों के चमडो का उपयोग कहा और कैसा करे ?
*पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
*कह दो,"सत्य आ गया और असत्य मिट
Note:- या अल्लाह लिखने में
( 2 :26 )
गुमराह और हिदायत का क्या मतलब है वो यहाँ देखे
لَن يَنَالَ ٱللَّهَ لُحُومُهَا وَلَا دِمَآؤُهَا وَلَٰكِن يَنَالُهُ ٱلتَّقْوَىٰ مِنكُمْ كَذَٰلِكَ سَخَّرَهَا لَكُمْ لِتُكَبِّرُوا۟ ٱللَّهَ عَلَىٰ مَا هَدَىٰكُمْ وَبَشِّرِ ٱلْمُحْسِنِينَ
खुदा तक न तो हरगिज़ उनके गोश्त ही पहुँचेगे और न खून मगर (हाँ) उस तक तुम्हारी परहेज़गारी अलबत्ता पहुँचेगी ख़ुदा ने जानवरों को (इसलिए) यूँ तुम्हारे क़ाबू में कर दिया है ताकि जिस तरह खुदा ने तुम्हें बनाया है उसी तरह उसकी बड़ाई करो ।
( 22 : 37 )
* सिर्फ और सिर्फ हमारे फैयदे के लिए है ।
बरहल जितना समझा सकता था अल्लाह के करम से उतना समझा ने की कोशिश की है ।
* अब देखते है वेदों और हिंदूइस्म की मान्यता ?
😢😢😢😢😢😢
* उसे पहले अल्लाह किस अल्लाह के नाम से शुरू कर रहा है वह यहाँ देखे @
* ये जो जीव हत्या का बीन बजाते रहते है , दिन रात इन्होंने ये मान्यता जैन धर्म वालो से अपनाई गई है ।
वैदिकों ने की सबका अपमान वह
यहाँ देखे @
* वेदों और हिंदूइस्म की अन्य धार्मिक ग्रंथों बली प्रथा और मांस सेवन बयान था ,परन्तु इन लोगो ने उनके अर्थो का अनर्थ कर दिया ये मेरे बोल मेरे नही स्वयं इनके मानने वालों का मत है ।
* आये देखेते है , मांस कैसे पकाया जाता है
* ये जो जीव हत्या का बीन बजाते रहते है , दिन रात इन्होंने ये मान्यता जैन धर्म वालो से अपनाई गई है ।
वैदिकों ने की सबका अपमान वह
यहाँ देखे @
* वेदों और हिंदूइस्म की अन्य धार्मिक ग्रंथों बली प्रथा और मांस सेवन बयान था ,परन्तु इन लोगो ने उनके अर्थो का अनर्थ कर दिया ये मेरे बोल मेरे नही स्वयं इनके मानने वालों का मत है ।
* आये देखेते है , मांस कैसे पकाया जाता है
ऋग्वेद 1 :162 : 13
यहा देखे @
* जानवरों के चमडो का उपयोग कहा और कैसा करे ?
(25 : 35 ,36 ) |
* उसी प्रकार कुछ ये भी है ।
( ऋग्वेद 10 : 91 : 14 )
( अर्थवेद 8 : 6 : 23 )
( अर्थवेद 6 : 71 :1 )
( यजुर्वेद 20 : 87 )
( ऋग्वेद 1 - 162 - 11)
* पर अब बहुतों के अर्थ बदल दिए है और कही तो मन्त्र की गयाब कर दिए है ।
* बरहाल देखते महाभारत में
श्रद्ध का अध्ययन
88 श्लोक 1 से 10
में भी बलि प्रथा इत्यादि का प्रयोजन है ।
* यहां पर बलि की बात चालू है ।
* रामायण , पुराण इत्यादि में भी यही बाते है , बलि प्रथा , माँस सेवन आदि आदि ।
* उसी प्रकार से मनुस्मृति
के 5 : 30 ,31 ,39 ,40 में भी यही था पर अब अर्थो का अनर्थ कर दिया है ।
* और अधिक जानकारी के लिए ये पुस्तक पढे की ऋषिमुनी और सब मांस का सेवन करते थे ।
* कहते है ना झुट कितना भी छुपा लो एक न एक दिन सामने आ ही जाता है ,
इन महाशय को पूरा सुने ये क्या कहते
है ।
काला जादू 😊
* हक़ क़ुरआन लौहे महफूज में है ।(85:21,22)
* बेशक़ क़ुरआन फैसले की बात है ।
( 86:13,14) ( 15 : 1 से 15 )
* बेशक़ क़ुरआन सीधा रास्ता देखता है ।
( 15:9 )
*وَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِيُضِلَّ قَوْمًۢا بَعْدَ إِذْ هَدَىٰهُمْ حَتَّىٰ يُبَيِّنَ لَهُم مَّا يَتَّقُونَ إِنَّ ٱللَّهَ بِكُلِّ شَىْءٍ عَلِيمٌ
अर्थात :- अल्लाह की ये शान नहीं कि किसी क़ौम को जब उनकी हिदायत कर चुका हो उसके बाद बेशक अल्लाह उन्हें गुमराह कर दे हत्ता (यहां तक) कि वह उन्हीं चीज़ों को बता दे जिससे वह परहेज़ करें बेशक ख़ुदा हर चीज़ से (वाक़िफ है) ( 9 :15 )
* हम ने ( अल्लाह ) उनकी जबान में ही कई नबी भेजे । ( 14 : 4 )
* हक़ बात( इस्लाम ) कोई जबरदस्ति नही।(2-256).
*पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
*नसीहत उनके लिए सीधे मार्ग पर चलना चाहे।
(81:27,28,29)(40:28)
(81:27,28,29)(40:28)
* ये मानव तुम लोग पालनहार(अल्लाह) के मोहताज हो और अल्लाह बे-नियाज़ है(सर्वशक्तिमान) है नसीहत वो मानते है जो अक्ल वाले है (13:19).
* और हरगिज अल्लाह को बे-खबर ना जानना जालिमो के काम से उन्हें ढील नही दे राहा है, मगर ऐसे दिन के लिए जिसमे आंखे खुली की खुली राह जांयेंगी।(14:42)
*कोई आदमी वह है, की अल्लाह के बारे में झगड़ाता है, ना तो कोई इल्म, ना कोई दलील और ना तो कोई रोशन निशानी।
(22:8)(31:20)(52:33,34)(23:72)(23:73).
*कह दो,"सत्य आ गया और असत्य मिट
गया, असत्य तो मिट जाने वाला ही होता है।
(17:81)
Note:- या अल्लाह लिखने में
बयान करने में कोई शरियन गलती हुई हो ,तो मेरे मालिक तू दिलो के राज जानने वाला है माफ फ़रमा दे।(आमीन)
* अल्लाह से दुआ है , की हक़ को मानने , और समझने को तौफीक आता फरमाए , ज़ुबान पर हक़ बोलने की ताकत दे , और उसे ज्यादा उस चीज पर अमल करने की तौफीक दे , या अल्लाह दुनिया मे रख ईमान पर , और मरते वक़त कलम ए हक़ आत फ़रमा ।
(अमीन )
* अल्लाह से दुआ है , की हक़ को मानने , और समझने को तौफीक आता फरमाए , ज़ुबान पर हक़ बोलने की ताकत दे , और उसे ज्यादा उस चीज पर अमल करने की तौफीक दे , या अल्लाह दुनिया मे रख ईमान पर , और मरते वक़त कलम ए हक़ आत फ़रमा ।
(अमीन )
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