असली ईसाई कौन है ?
अब देखते है जो अपने आपका ईसाई होने का दावा करते है , उनका क्या अक़ीदा है ?
* पाक पालनहार अपने नबियों और रसूलो के जरिये कई मोजिजे करता है , अपनी क़ुदरत की निशानी बताते के लिए की वो ?
تَبَٰرَكَ ٱلَّذِى بِيَدِهِ ٱلْمُلْكُ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ قَدِيرٌ
बा -बरकत है वो जात जिस के कब्ज़े में
(सारे जहाँन की) बादशाहत है वह बड़ी बरकत वाला है और वह हर चीज़ क़ादिर है ।
( 67 : 1 )
* बेशक़ आप ईसा अलैहिस्सलाम के कई मोजजा थे , पर कई सौ नबियो के अलग अलग मोजेजा हुए है , जैसे हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम का ऊंटनी वाला वाकिया , हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से लाठी से अजदाद वाला ,दरिया ए निल का दो हिस्सों में बट जाना , पत्थर से पानी के 12 चश्मे निकलना ,हज़रत उजैर का 100 बरस तक सोना , हज़रत यूनुस का मछली के पेट मे जिंदा रहना , हज़रत इब्राहीम का आगे जगह पर फूल का बाग बन जाना , हज़रत नूह का कसती वाला वाकिया और भी कई मोजिजे हो चुके है ।
* और एक बात यहाँ नोट करने की है , नबुव्वत के लिए मोजज़ा का होना कोई शर्त नही है ,और ऐसे भी कई नबी है जिनके कोई एक भी मोजेजा नही है , तो क्या नबी नही ?
अल्लाह चाहये जिस जो करवा दे और वक़्ती तौर पर अल्लाह अपने नबियो से मोजेजा करवाता है और सब करने वाली जात अल्लाह तआला की एकता है ।
* हमारे नबी करीम सल्ललाहु अलैहि वसल्लम के भी कई मोजजे है , पर सबसे बड़ा जिंदा मोजेजा क़ुरान मजीद है सुब्हान अल्लाह औऱ शककुल कमर का मोजेजा , मुर्दे तो आप नबी ने भी जिलाये है इत्यादि ।
ٱقْتَرَبَتِ ٱلسَّاعَةُ وَٱنشَقَّ ٱلْقَمَرُ
क़यामत क़रीब आ गयी और चाँद दो टुकड़े हो गया । ( 54 : 1)
आखिर वजह क्या है बिगाड़ की ?
* हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को मानने वालो को ईसाई कहा जाता है , लगभग 300 वर्षों तक ईसाइयत तौहिद पर कायम थी यानी एक अल्लाह को मानने वाले और आप ईसा को उसका बंदा और सच्चा रसूल मानने वाले , पर उसके बाद यहूदियों की मक्कारी
जो की उनके DNA ( खून के अंदर ) भरा है अगर किसी को दुनिया मे खुली आँखों से शैतान देखने की आरजू है , तो यहूदियों को देख ले ।
* एक यहूदि मलून जो हज़रत ईसा के बारे में दिन रात गुस्ताखियां करता था , कुत्तों की तरह से भोका करता था और जो सच्चे ईसाई जो तौहीद परास्त थे , उन में जहर मिलने की कोशिश हर दम करता नजर आता था और नई नई तरकीबे निकाल कर चाल बाजी करता था , की ये लोग अपने सच्चे दिन से फिर कर यहूदियों की बातो को माने
और हमेशा उनकी चाटुकारिता करते रहे ।
* पर उसकी सारी चाले हर बार नाकाम हो जाती , एक बार बड़े शैतान ने छोटे शैतान के यानी इब्लीस मरदूद ने उस मरद्दु यहुदी के दिमाग मे तरकीब डाली , की उनका होकर उनके अक़्क़ीद खराब किया जाए और उनको सच्चे दिन से फेर कर शिर्क के कुँए में ढकेल दिया जाए ।
* वो कहने लगा कि कल रात को मेरे ख्वाब में ईसा इब्ने मरियम आये और मुझे डाट झटकार लगाई मुझे झिंझोड़ा और कहा कि तौबा करले और मेरे मानने वालों को परेशान न करे , तो मैंने सच्चाई तौबा करली है और में भी आज से ईसाई धर्म को इख्तियार करता हूं और उनमें रहने लगा और पहले से तो तोरैत को जनता था और थोड़ा बहुत इन्जील की पढ़ाई लिखाई कर के उनका पादरी बन गया ।
* और बड़े पादरियों में शामिल हो गया और लोगो को भी उस पर भरोसा गया था , की ये
ईसाई है अल्बत्ता मरद्दु ने अपना असल काम शुरू कर दिया जिसके लिए उसने ईसाई धर्म को अपनाने का दावा किया था ।
* कहने लगा मुर्दे जिलाना तो पालनहार की सिफत ( गूण ) है , कही खुदा ही तो ईसा बनकर जमीन पर नहीं आया , और ईसा बे बाप पैदा हुए है , कही ईसा खुदा की संतान तो नही ऐसी दो बाते लोगो मे आम करना शुरू कर दी जिसके सबब लोगो मे उसकी बातों का असर होने लगा था , कुछ तो उसकी बातों को मान कर उसके साथ हो गए और ज़्यादातर लोगो अभी भी हक़ पर थे इस तरह उस मरद्दु ने सच्चे दिन को 2 गिरोह ( झुंड ) में बाट दिया ।
* फिर खुदा खुद धरती पर ईसा बनकर आया ये लोगो का एक गिरोह बन गया यानी 3
गिरोह बन गये , एक तो सच्चे दीन वाले
एक रब को हक़ीक़ी मअबूद मानने वाले और हज़रत ईसा को उसका रसूल मानने वाले , दूसरा गिरोह खुदा की संतान और हज़रत मरियम को खुदा की बीवी ( माजल्लाह )
और तीसरा ईसा को खुद खुदा वाले ।
* ज्यादातर इसमे 3 खुदा वाले थे यानी खुदा
उसका बेटा और उसकी बिवी फिर उसके बाद धीरे धीरे कई और नए नए अक़ीदा बनाने लग गये और भी कई कई गिरोह वजूद में आ गए और पूरी तरह से ईसाई दिन की बुनियाद उस मरदूद ने हिला डाली , और कुछ ही सच्चे ईसाई यानी तोहिद परस्त बच गए तो उन्हें वे लोगो जो कि गुमराह हो गये
थे सताने लगे , और लोग वहां से कूच कर के और कही दूसरी जगह पर जा बसे ।
* और कॉल ए ईसा इब्ने मरियम के मुताबिक़ नबी ए अख्रुजम का इनतजार करने लगे और अपने बच्चों को भी उनकी आने की बातें बताते थे ,जिसके सबब उनमें से जब आप नबी सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने अपने नबी होने का सच्चा दावा की तो वे लोगो फ़ौरन की समझ लगे और जो कुछ तोरैत और इंजील में आपके सिफ़तों ( गुणों ) जिक्र था उसको जांच परख कर सुब्हान अल्लाह मुसलमान हो गये ।
* और जो हज़रत सलमान फ़ारसी रिजिअल्लाहु अन्हु का वाकिया है ,
जो आप दो ने तीन पादरियों के पास थे वे भी सच्चे ईसाई थे यानी तौहिद परस्त एक अल्लाह को हक़ीक़ी मअबूद मन्ना और हज़रत ईसा को उसका रसूल और उन्होंने ही आप सलमान को नबी अख्रुजम की आने की पेशनगोई बताई थी जिसके सबब अल्लाह आपको हक़ पर कायम की या और ईमान की दौलत से माला माल हुये , ये मतलब है अल्लाह जिसको हिदायत दे , जो सच्च की तलाश में होता है अल्लाह उसकी मदद करता है , हक़ जानने के लिए , और जो अपनी हेटी पर आढा है अल्लाह उनको अपनी रहमत से दूर रखता है उसके हेटी के सबब इसको कहते है अल्लाह चाहे जिसको गुमराह करे समझे , क्योंकि अल्लाह ने हमे दुनिया मे परीक्षा के लिए भेजा है , बरहाल आज का मुद्दा कुछ और है ।
* और जो वहाँ थे कई कई गिरोह वाले वहा पर चोरों ओर गंदा अक़ीदा और लोगो ने हज़रत ईसा की मूर्ति बना कर ही उससे दुआ इत्यादि मांगना शुरू कर दी और शिर्क
(अल्लाह के साथ दूसरा मअबूद मनान ) में
पढ़े गए ।
* आप ईसा जिन चीजो को रोकने आये और शिर्क से मना फ़रमाया उनके मानने वालों ने उन्ही को खुदा का बेटा या खुदा बना दिया अफसोस आप ईसा इन चीजो से बिल्कुल पाक और साफ जो ये लोग करते है , बल्कि आपने तो लोगो को तौहिद का पैगाम दिया था , और इन लोगो ने आप को ही खुदा का समझदारी बना दिया अस्तगफिरूल्लाह
* फिर उसके बाद वही मरद्दु जिसने शिर्क का बीच बोया था , असिली इंजील में मिलावट कर के शिर्क के अक़ीदा गढ़ लोगो मे आम करना शुरू कर दिया और आज भी वर्तमान में 300 से ज्यादा इंजील यानी आज की
बाइबिल पाई जाती है जो एक दूसरे से विपरीत है यानी अलग अलग है , और भी भविष्य में कई और नई नई आते रहे गी ।
* उस मरद्दु ने हक़ीक़ी और सच्चे दिन में शिर्क का बीच बो दिया जिसके सबब लोगो शिर्क की खाई में आज भी गिरे जा रहे है , और 3 खुदा वाली परिभाषा चले आ रही है ,
और अपना ठिकाना दोजख में बना बैठे है , आज भी हक़ की तरफ आ जाओ और सच्चे ईसाई बनो है अल्हम्दुलिल्लाह हम सच्चे ईसाई है , जो आप ईसा ने लोगो को नबी ए अख्रुजम की पेशनगोई की थी और तौहिद का पैगाम दिया था , उस पर आज हम अमल कर रहे है और हम सच्चे ईसाई है अल्हम्दुलिल्लाह
لَقَدْ كَفَرَ ٱلَّذِينَ قَالُوٓا۟ إِنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلْمَسِيحُ ٱبْنُ مَرْيَمَ وَقَالَ ٱلْمَسِيحُ يَٰبَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ رَبِّى وَرَبَّكُمْ إِنَّهُۥ مَن يُشْرِكْ بِٱللَّهِ فَقَدْ حَرَّمَ ٱللَّهُ عَلَيْهِ ٱلْجَنَّةَ وَمَأْوَىٰهُ ٱلنَّارُ وَمَا لِلظَّٰلِمِينَ مِنْ أَنصَارٍ
जो लोग उसके क़ायल हैं कि मरियम के बेटे ईसा मसीह ख़ुदा हैं वह सब काफ़िर हैं हालॉकि मसीह ने ख़ुद यूं कह दिया था कि ऐ बनी इसराईल सिर्फ उसी ख़ुदा की इबादत करो जो हमारा और तुम्हारा पालने वाला है क्योंकि (याद रखो) जिसने ख़ुदा का शरीक बनाया उस पर ख़ुदा ने बेहिश्त को हराम कर दिया है और उसका ठिकाना जहन्नुम है और ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं । ( 5 : 72 )
لَّقَدْ كَفَرَ ٱلَّذِينَ قَالُوٓا۟ إِنَّ ٱللَّهَ ثَالِثُ ثَلَٰثَةٍ وَمَا مِنْ إِلَٰهٍ إِلَّآ إِلَٰهٌ وَٰحِدٌ وَإِن لَّمْ يَنتَهُوا۟ عَمَّا يَقُولُونَ لَيَمَسَّنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِنْهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ
जो लोग इसके क़ायल हैं कि ख़ुदा तीन में का (तीसरा) है वह यक़ीनन काफ़िर हो गए (याद रखो कि) ख़ुदाए यकता के सिवा कोई माबूद नहीं और (ख़ुदा के बारे में) ये लोग जो कुछ बका करते हैं अगर उससे बाज़ न आए तो (समझ रखो कि) जो लोग उसमें से (काफ़िर के) काफ़िर रह गए उन पर ज़रूर दर्दनाक अज़ाब नाज़िल होगा । ( 5 : 73 )
أَفَلَا يَتُوبُونَ إِلَى ٱللَّهِ وَيَسْتَغْفِرُونَهُۥ وَٱللَّهُ غَفُورٌ رَّحِيمٌ
तो ये लोग ख़ुदा की बारगाह में तौबा क्यों नहीं करते और अपने (क़सूरों की) माफ़ी क्यों नहीं मॉगते हालॉकि ख़ुदा तो बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है । ( 5 : 74 )
مَّا ٱلْمَسِيحُ ٱبْنُ مَرْيَمَ إِلَّا رَسُولٌ قَدْ خَلَتْ مِن قَبْلِهِ ٱلرُّسُلُ وَأُمُّهُۥ صِدِّيقَةٌ كَانَا يَأْكُلَانِ ٱلطَّعَامَ ٱنظُرْ كَيْفَ نُبَيِّنُ لَهُمُ ٱلْءَايَٰتِ ثُمَّ ٱنظُرْ أَنَّىٰ يُؤْفَكُونَ
मरियम के बेटे मसीह तो बस एक रसूल हैं और उनके क़ब्ल (और भी) बहुतेरे रसूल गुज़र चुके हैं और उनकी मॉ भी (ख़ुदा की) एक सच्ची बन्दी थी (और आदमियों की तरह) ये दोनों (के दोनों भी) खाना खाते थे (ऐ रसूल) ग़ौर तो करो हम अपने एहकाम इनसे कैसा साफ़ साफ़ बयान करते हैं ।
( 5 : 75 )
25 दिसंबर के नाम और शिर्क करने वालो और खुद को ईसाई कहते हो ? अफसोस
فَأَمَّا ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ فَأُعَذِّبُهُمْ عَذَابًا شَدِيدًا فِى ٱلدُّنْيَا وَٱلْءَاخِرَةِ وَمَا لَهُم مِّن نَّٰصِرِينَ
तब (उस दिन) जिन बातों में तुम (दुनिया) में झगड़े करते थे (उनका) तुम्हारे दरमियान फ़ैसला कर दूंगा पस जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया उनपर दुनिया और आख़िरत (दोनों में) सख्त अज़ाब करूंगा और उनका कोई मददगार न होगा । ( 5 : 56 )
وَأَمَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ فَيُوَفِّيهِمْ أُجُورَهُمْ وَٱللَّهُ لَا يُحِبُّ ٱلظَّٰلِمِينَ
और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किए तो ख़ुदा उनको उनका पूरा अज्र व सवाब देगा और ख़ुदा ज़ालिमों को दोस्त नहीं रखता । ( 5 : 57 )
ذَٰلِكَ نَتْلُوهُ عَلَيْكَ مِنَ ٱلْءَايَٰتِ وَٱلذِّكْرِ ٱلْحَكِيمِ
(ऐ रसूल) ये जो हम तुम्हारे सामने बयान कर रहे हैं कुदरते ख़ुदा की निशानियॉ और हिकमत से भरे हुये तज़किरे हैं । ( 5 : 58 )
إِنَّ مَثَلَ عِيسَىٰ عِندَ ٱللَّهِ كَمَثَلِ ءَادَمَ خَلَقَهُۥ مِن تُرَابٍ ثُمَّ قَالَ لَهُۥ كُن فَيَكُونُ
ख़ुदा के नज़दीक तो जैसे ईसा की हालत वैसी ही आदम की हालत कि उनको को मिट्टी का पुतला बनाकर कहा कि 'हो जा' पस (फ़ौरन ही) वह (इन्सान) हो गया । (5 : 59 )
ٱلْحَقُّ مِن رَّبِّكَ فَلَا تَكُن مِّنَ ٱلْمُمْتَرِينَ
(ऐ रसूल ये है) हक़ बात (जो) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (बताई जाती है) तो तुम शक करने वालों में से न हो जाना ।
( 5 : 60 )
فَمَنْ حَآجَّكَ فِيهِ مِنۢ بَعْدِ مَا جَآءَكَ مِنَ ٱلْعِلْمِ فَقُلْ تَعَالَوْا۟ نَدْعُ أَبْنَآءَنَا وَأَبْنَآءَكُمْ وَنِسَآءَنَا وَنِسَآءَكُمْ وَأَنفُسَنَا وَأَنفُسَكُمْ ثُمَّ نَبْتَهِلْ فَنَجْعَل لَّعْنَتَ ٱللَّهِ عَلَى ٱلْكَٰذِبِينَ
फिर जब तुम्हारे पास इल्म (कुरान) आ चुका उसके बाद भी अगर तुम से कोई (नसरानी) ईसा के बारे में हुज्जत करें तो कहो कि (अच्छा मैदान में) आओ हम अपने बेटों को बुलाएं तुम अपने बेटों को और हम अपनी औरतों को (बुलाएं) और तुम अपनी औरतों को और हम अपनी जानों को बुलाएं ओर तुम अपनी जानों को । ( 5 : 61 )
إِنَّ هَٰذَا لَهُوَ ٱلْقَصَصُ ٱلْحَقُّ وَمَا مِنْ إِلَٰهٍ إِلَّا ٱللَّهُ وَإِنَّ ٱللَّهَ لَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ
उसके बाद हम सब मिलकर (खुदा की बारगाह में) गिड़गिड़ाएं और झूठों पर ख़ुदा की लानत करें (ऐ रसूल) ये सब यक़ीनी सच्चे वाक़यात हैं और ख़ुदा के सिवा कोई माबूद (क़ाबिले परसतिश) नहीं है । ( 5 : 62 )
فَإِن تَوَلَّوْا۟ فَإِنَّ ٱللَّهَ عَلِيمٌۢ بِٱلْمُفْسِدِينَ
और बेशक ख़ुदा ही सब पर ग़ालिब और हिकमत वाला है । ( 5 : 63 )
قُلْ يَٰٓأَهْلَ ٱلْكِتَٰبِ تَعَالَوْا۟ إِلَىٰ كَلِمَةٍ سَوَآءٍۭ بَيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ أَلَّا نَعْبُدَ إِلَّا ٱللَّهَ وَلَا نُشْرِكَ بِهِۦ شَيْـًٔا وَلَا يَتَّخِذَ بَعْضُنَا بَعْضًا أَرْبَابًا مِّن دُونِ ٱللَّهِ فَإِن تَوَلَّوْا۟ فَقُولُوا۟ ٱشْهَدُوا۟ بِأَنَّا مُسْلِمُونَ
फिर अगर इससे भी मुंह फेरें तो (कुछ) परवाह (नहीं) ख़ुदा फ़सादी लोगों को खूब जानता है (ऐ रसूल) तुम (उनसे) कहो कि ऐ अहले किताब तुम ऐसी (ठिकाने की) बात पर तो आओ जो हमारे और तुम्हारे दरमियान यकसॉ है कि खुदा के सिवा किसी की इबादत न करें और किसी चीज़ को उसका शरीक न बनाएं और ख़ुदा के सिवा हममें से कोई किसी को अपना परवरदिगार न बनाए अगर इससे भी मुंह मोडें तो तुम गवाह रहना हम (ख़ुदा के) फ़रमाबरदार हैं । ( 5 : 64 )
कयामत ( इंसाफ का दिन ) में हज़रत ईसा और मैदान ए महशर ?
وَلَا يَصُدَّنَّكُمُ ٱلشَّيْطَٰنُ إِنَّهُۥ لَكُمْ عَدُوٌّ مُّبِينٌ
और (कहीं) शैतान तुम लोगों को (इससे) रोक न दे वही यक़ीनन तुम्हारा खुल्लम खुल्ला दुश्मन है । ( 43 : 62 )
وَلَمَّا جَآءَ عِيسَىٰ بِٱلْبَيِّنَٰتِ قَالَ قَدْ جِئْتُكُم بِٱلْحِكْمَةِ وَلِأُبَيِّنَ لَكُم بَعْضَ ٱلَّذِى تَخْتَلِفُونَ فِيهِ فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُون
और जब ईसा वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आये तो (लोगों से) कहा मैं तुम्हारे पास दानाई (की किताब) लेकर आया हूँ ताकि बाज़ बातें जिन में तुम लोग एख्तेलाफ करते थे तुमको साफ-साफ बता दूँ तो तुम लोग ख़ुदा से डरो और मेरा कहा मानो (43 : 63)
إِنَّ ٱللَّهَ هُوَ رَبِّى وَرَبُّكُمْ فَٱعْبُدُوهُ هَٰذَا صِرَٰطٌ مُّسْتَقِيمٌ
बेशक ख़ुदा ही मेरा और तुम्हार परवरदिगार है तो उसी की इबादत करो यही सीधा रास्ता है ( 43 : 64 )
فَٱخْتَلَفَ ٱلْأَحْزَابُ مِنۢ بَيْنِهِمْ فَوَيْلٌ لِّلَّذِينَ ظَلَمُوا۟ مِنْ عَذَابِ يَوْمٍ أَلِيمٍ
तो इनमें से कई फिरक़े उनसे एख्तेलाफ करने लगे तो जिन लोगों ने ज़ुल्म किया उन पर दर्दनांक दिन के अज़ब से अफ़सोस है ।
( 43 : 65 )
وَإِذْ قَالَ ٱللَّهُ يَٰعِيسَى ٱبْنَ مَرْيَمَ ءَأَنتَ قُلْتَ لِلنَّاسِ ٱتَّخِذُونِى وَأُمِّىَ إِلَٰهَيْنِ مِن دُونِ ٱللَّهِ قَالَ سُبْحَٰنَكَ مَا يَكُونُ لِىٓ أَنْ أَقُولَ مَا لَيْسَ لِى بِحَقٍّ إِن كُنتُ قُلْتُهُۥ فَقَدْ عَلِمْتَهُۥ تَعْلَمُ مَا فِى نَفْسِى وَلَآ أَعْلَمُ مَا فِى نَفْسِكَ إِنَّكَ أَنتَ عَلَّٰمُ ٱلْغُيُوبِ
और (वह वक्त भी याद करो) जब क़यामत में ईसा से ख़ुदा फरमाएग कि (क्यों) ऐ मरियम के बेटे ईसा क्या तुमने लोगों से ये कह दिया था कि ख़ुदा को छोड़कर मुझ को और मेरी माँ को ख़ुदा बना लो ईसा अर्ज़ करेगें या अल्लाह मेरी तो ये मजाल न थी कि मै ऐसी बात मुँह से निकालूं जिसका मुझे कोई हक़ न हो (अच्छा) अगर मैने कहा होगा तो तुझको ज़रुर मालूम ही होगा क्योंकि तू मेरे दिल की (सब बात) जानता है हाँ अलबत्ता मै तेरे जी की बात नहीं जानता (क्योंकि) इसमें तो शक़ ही नहीं कि तू ही ग़ैब की बातें ख़ूब जानता
है । ( 5 :116 )
مَا قُلْتُ لَهُمْ إِلَّا مَآ أَمَرْتَنِى بِهِۦٓ أَنِ ٱعْبُدُوا۟ ٱللَّهَ رَبِّى وَرَبَّكُمْ وَكُنتُ عَلَيْهِمْ شَهِيدًا مَّا دُمْتُ فِيهِمْ فَلَمَّا تَوَفَّيْتَنِى كُنتَ أَنتَ ٱلرَّقِيبَ عَلَيْهِمْ وَأَنتَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ شَهِيدٌ
तूने मुझे जो कुछ हुक्म दिया उसके सिवा तो मैने उनसे कुछ भी नहीं कहा यही कि ख़ुदा ही की इबादत करो जो मेरा और तुम्हारा सबका पालने वाला है और जब तक मैं उनमें रहा उन की देखभाल करता रहा फिर जब तूने मुझे (दुनिया से) उठा लिया तो तू ही उनका निगेहबान था और तू तो ख़ुद हर चीज़ का गवाह (मौजूद) है । ( 5 : 117 )
إِن تُعَذِّبْهُمْ فَإِنَّهُمْ عِبَادُكَ وَإِن تَغْفِرْ لَهُمْ فَإِنَّكَ أَنتَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ
तू अगर उन पर अज़ाब करेगा तो
(तू मालिक है) ये तेरे बन्दे हैं और अगर उन्हें बख्श देगा तो (कोई तेरा हाथ नहीं पकड़ सकता क्योंकि) बेशक तू ज़बरदस्त हिकमत वाला है। ( 5 : 118 )
قَالَ ٱللَّهُ هَٰذَا يَوْمُ يَنفَعُ ٱلصَّٰدِقِينَ صِدْقُهُمْ لَهُمْ جَنَّٰتٌ تَجْرِى مِن تَحْتِهَا ٱلْأَنْهَٰرُ خَٰلِدِينَ فِيهَآ أَبَدًا رَّضِىَ ٱللَّهُ عَنْهُمْ وَرَضُوا۟ عَنْهُ ذَٰلِكَ ٱلْفَوْزُ ٱلْعَظِيمُ
ख़ुदा फरमाएगा कि ये वह दिन है कि सच्चे बन्दों को उनकी सच्चाई (आज) काम आएगी उनके लिए (हरे भरे बेहिश्त के) वह बाग़ात है जिनके (दरख्तो के) नीचे नहरे जारी हैं (और) वह उसमें अबादुल आबाद तक रहेंगे ख़ुदा उनसे राज़ी और वह ख़ुदा से खुश यही बहुत बड़ी कामयाबी है । ( 5 : 119 )
لِلَّهِ مُلْكُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ وَمَا فِيهِنَّ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ قَدِيرٌۢ
सारे आसमान व ज़मीन और जो कुछ उनमें है सब ख़ुदा ही की सल्तनत है और वह हर चीज़ पर क़ादिर (व तवाना) है । ( 5 : 120 )
हज़रत ईसा को अल्लाह बेटा ?
सही बुखारी
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وَيُنذِرَ ٱلَّذِينَ قَالُوا۟ ٱتَّخَذَ ٱللَّهُ وَلَدً
और जो लोग इसके क़ाएल हैं कि ख़ुदा औलाद रखता है उनको (अज़ाब से)
डराओ । ( 18 : 4 )
مَّا لَهُم بِهِۦ مِنْ عِلْمٍ وَلَا لِءَابَآئِهِمْ كَبُرَتْ كَلِمَةً تَخْرُجُ مِنْ أَفْوَٰهِهِمْ إِن يَقُولُونَ إِلَّا كَذِبًا
न तो उन्हीं को उसकी कुछ खबर है और न उनके बाप दादाओं ही को थी (ये) बड़ी सख्त बात है जो उनके मुँह से निकलती है ये लोग झूठ मूठ के सिवा (कुछ और) बोलते ही नहीं।
( 18 : 5 )
مَا ٱتَّخَذَ ٱللَّهُ مِن وَلَدٍ وَمَا كَانَ مَعَهُۥ مِنْ إِلَٰهٍ إِذًا لَّذَهَبَ كُلُّ إِلَٰهٍۭ بِمَا خَلَقَ وَلَعَلَا بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ سُبْحَٰنَ ٱللَّهِ عَمَّا يَصِفُونَ
न तो अल्लाह ने किसी को (अपना) बेटा बनाया है और न उसके साथ कोई और ख़ुदा है (अगर ऐसा होता) उस वक्त हर खुदा अपने अपने मख़लूक़ को लिए लिए फिरता और यक़ीनन एक दूसरे पर चढ़ाई करता ।
( 23 : 91 )
( 23 : 91 )
وَقَالُوا۟ ٱتَّخَذَ ٱللَّهُ وَلَدًا سُبْحَٰنَهُۥ بَل لَّهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ كُلٌّ لَّهُۥ قَٰنِتُونَ
कहने लगे कि खुदा औलाद रखता है हालाँकि वह (इस बखेड़े से) पाक है बल्कि जो कुछ ज़मीन व आसमान में है सब उसी का है और सब उसकी के फरमाबरदार हैं ।
( 2 : 116 )
( 2 : 116 )
وَقَالَتِ ٱلْيَهُودُ عُزَيْرٌ ٱبْنُ ٱللَّهِ وَقَالَتِ ٱلنَّصَٰرَى ٱلْمَسِيحُ ٱبْنُ ٱللَّهِ ذَٰلِكَ قَوْلُهُم بِأَفْوَٰهِهِمْ يُضَٰهِـُٔونَ قَوْلَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِن قَبْلُ قَٰتَلَهُمُ ٱللَّهُ أَنَّىٰ يُؤْفَكُونَ
यहूद तो कहते हैं कि अज़ीज़ ( उजैर ) ख़ुदा के बेटे हैं और ईसाई कहते हैं कि मसीहा (ईसा) ख़ुदा के बेटे हैं ये तो उनकी बात है और (वह ख़ुद) उन्हीं के मुँह से ये लोग भी उन्हीं काफ़िरों की सी बातें बनाने लगे जो उनसे पहले गुज़र चुके हैं ख़ुदा उनको क़त्ल (तहस नहस) करके (देखो तो) कहाँ से कहाँ भटके जा रहे हैं ।( 9 : 30 )
تَكَادُ ٱلسَّمَٰوَٰتُ يَتَفَطَّرْنَ مِنْهُ وَتَنشَقُّ ٱلْأَرْضُ وَتَخِرُّ ٱلْجِبَالُ هَدًّا
कि क़रीब है कि आसमान उससे फट पड़े और ज़मीन शिगाफता हो जाए और पहाड़ टुकड़े-टुकडे होकर गिर पड़े । ( 19 : 90 )
أَن دَعَوْا۟ لِلرَّحْمَٰنِ وَلَدًا
इस बात से कि उन लोगों ने खुदा के लिए बेटा क़रार दिया । ( 19 : 91 )
وَمَا يَنۢبَغِى لِلرَّحْمَٰنِ أَن يَتَّخِذَ وَلَدًا
हालाँकि खुदा के लिए ये किसी तरह शायाँ ही नहीं कि वह (किसी को अपना) बेटा बना
ले । ( 19 : 92 )
إِن كُلُّ مَن فِى ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ إِلَّآ ءَاتِى ٱلرَّحْمَٰنِ عَبْدًا
सारे आसमान व ज़मीन में जितनी चीज़े हैं सब की सब खुदा के सामने बन्दा ही बनकर आने वाली हैं उसने यक़ीनन सबको अपने (इल्म) के अहाते में घेर लिया है ( 19 : 93 )
لَّقَدْ أَحْصَىٰهُمْ وَعَدَّهُمْ عَدًّا
और सबको अच्छी तरह गिन लिया है ।
(.19 : 94 )
وَكُلُّهُمْ ءَاتِيهِ يَوْمَ ٱلْقِيَٰمَةِ فَرْدًا
और ये सब उसके सामने क़यामत के दिन अकेले (अकेले) हाज़िर होंगे । ( 19 : 95 )
إِنَّ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ سَيَجْعَلُ لَهُمُ ٱلرَّحْمَٰنُ وُدًّا
बेशक जिन लोगों ने ईमान कुबूल किया और अच्छे-अच्छे काम किए अनक़रीब ही खुदा उन की मोहब्बत (लोगों के दिलों में) पैदा कर देगा । ( 19 : 96 )
ٱتَّخَذُوٓا۟ أَحْبَارَهُمْ وَرُهْبَٰنَهُمْ أَرْبَابًا مِّن دُونِ ٱللَّهِ وَٱلْمَسِيحَ ٱبْنَ مَرْيَمَ وَمَآ أُمِرُوٓا۟ إِلَّا لِيَعْبُدُوٓا۟ إِلَٰهًا وَٰحِدًا لَّآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ سُبْحَٰنَهُۥ عَمَّا يُشْرِكُونَ
उन लोगों ने तो ख़ुदा को छोड़कर अपनी आलिमो को और अपने बड़ो को और मरियम के बेटे मसीह को अपना परवरदिगार बना डाला हालॉकि उन्होनें सिवाए इसके और हुक्म ही नहीं दिया गया कि ख़ुदाए यक़ता (सिर्फ़ ख़ुदा) की इबादत करें उसके सिवा (और कोई क़ाबिले परसतिश नहीं) ।
( 9 : 31 )
يُرِيدُونَ أَن يُطْفِـُٔوا۟ نُورَ ٱللَّهِ بِأَفْوَٰهِهِمْ وَيَأْبَى ٱللَّهُ إِلَّآ أَن يُتِمَّ نُورَهُۥ وَلَوْ كَرِهَ ٱلْكَٰفِرُونَ
जिस चीज़ को ये लोग उसका शरीक़ बनाते हैं वह उससे पाक व पाक़ीजा है ये लोग चाहते हैं कि अपने मुँह से (फ़ूंक मारकर) ख़ुदा के नूर को बुझा दें और ख़ुदा इसके सिवा कुछ मानता ही नहीं कि अपने नूर को पूरा ही करके रहे । ( 9 :
मेरे ईसाई भाइयो क्या ये हज़रत ईसा का संदेश था कहा जा रहे हो , आओ हक की तरफ हा मैं कहता हूँ कि अल्हम्दुलिल्लाह सच्चा ईसाई हु जो आप ईसा ने बताया कि अल्लाह के सिवा कोई दूजा इबादत के लायक नही और आप ईसा अल्लाह के बंदे और उसके रसूल हो ।
सही बुखारी
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आखिर क्यों ?
يَٰٓأَهْلَ ٱلْكِتَٰبِ لِمَ تَلْبِسُونَ ٱلْحَقَّ بِٱلْبَٰطِلِ وَتَكْتُمُونَ ٱلْحَقَّ وَأَنتُمْ تَعْلَمُونَ
ऐ अहले किताब तुम क्यो हक़ व बातिल को गड़बड़ करते और हक़ को छुपाते हो हालॉकि तुम जानते हो ? ( 3 : 71 )
وَإِنَّ مِنْهُمْ لَفَرِيقًا يَلْوُۥنَ أَلْسِنَتَهُم بِٱلْكِتَٰبِ لِتَحْسَبُوهُ مِنَ ٱلْكِتَٰبِ وَمَا هُوَ مِنَ ٱلْكِتَٰبِ وَيَقُولُونَ هُوَ مِنْ عِندِ ٱللَّهِ وَمَا هُوَ مِنْ عِندِ ٱللَّهِ وَيَقُولُونَ عَلَى ٱللَّهِ ٱلْكَذِبَ وَهُمْ يَعْلَمُونَ
और अहले किताब से बाज़ ऐसे ज़रूर हैं कि किताब में अपनी ज़बाने मरोड़ मरोड़ के (कुछ का कुछ) पढ़ जाते हैं ताकि तुम ये समझो कि ये किताब का जुज़ ( हिस्सा ) है हालॉकि वह किताब का जुज़ (हिस्सा ) नहीं और कहते हैं कि ये (जो हम पढ़ते हैं) ख़ुदा के यहॉ से (उतरा) है हालॉकि वह ख़ुदा के यहॉ से नहीं (उतरा) और जानबूझ कर ख़ुदा पर झूठ (तूफ़ान) जोड़ते है । ( 3 : 78 )
مَا كَانَ لِبَشَرٍ أَن يُؤْتِيَهُ ٱللَّهُ ٱلْكِتَٰبَ وَٱلْحُكْمَ وَٱلنُّبُوَّةَ ثُمَّ يَقُولَ لِلنَّاسِ كُونُوا۟ عِبَادًا لِّى مِن دُونِ ٱللَّهِ وَلَٰكِن كُونُوا۟ رَبَّٰنِيِّۦنَ بِمَا كُنتُمْ تُعَلِّمُونَ ٱلْكِتَٰبَ وَبِمَا كُنتُمْ تَدْرُسُونَ
किसी आदमी को ये ज़ेबा न था कि ख़ुदा तो उसे (अपनी) किताब और हिकमत और नबूवत अता फ़रमाए और वह लोगों से कहता फिरे कि ख़ुदा को छोड़कर मेरे बन्दे बन जाओ बल्कि (वह तो यही कहेगा कि) तुम अल्लाह वाले बन जाओ क्योंकि तुम तो (हमेशा) किताबे ख़ुद (दूसरो) को पढ़ाते रहते हो और तुम ख़ुद भी सदा पढ़ते रहे हो । ( 3 : 79 )
وَلَا يَأْمُرَكُمْ أَن تَتَّخِذُوا۟ ٱلْمَلَٰٓئِكَةَ وَٱلنَّبِيِّۦنَ أَرْبَابًا أَيَأْمُرُكُم بِٱلْكُفْرِ بَعْدَ إِذْ أَنتُم مُّسْلِمُونَ
और वह तुमसे ये तो (कभी) न कहेगा कि फ़रिश्तों और पैग़म्बरों को ख़ुदा बना लो भला (कहीं ऐसा हो सकता है कि) तुम्हारे मुसलमान हो जाने के बाद तुम्हें कुफ़्र का हुक्म करेगा । ( 3 : 80 )
कहते है दिन ए इब्राहिम पर है ?
مَا كَانَ إِبْرَٰهِيمُ يَهُودِيًّا وَلَا نَصْرَانِيًّا وَلَٰكِن كَانَ حَنِيفًا مُّسْلِمًا وَمَا كَانَ مِنَ ٱلْمُشْرِكِينَ
अर्थात : - इबराहीम न तो यहूदी थे और न नसरानी ( ईसाई ) बल्कि निरे खरे हक़ पर थे (मुसलमान) फ़रमाबरदार (बन्दे) थे और मुशरिकों ( बहुदेव के पुजारी ) से भी न थ।
( 3 : 67 )
وَقَالُوا۟ كُونُوا۟ هُودًا أَوْ نَصَٰرَىٰ تَهْتَدُوا۟ قُلْ بَلْ مِلَّةَ إِبْرَٰهِۦمَ حَنِيفًا وَمَا كَانَ مِنَ ٱلْمُشْرِكِينَ
यहूदी और ईसाई मुसलमानों से कहते हैं कि यहूद या नसरानी ( ईसाई ) हो जाओ तो राहे रास्त पर आ जाओगे (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि हम इबराहीम के तरीक़े पर हैं जो बातिल से कतरा कर चलते थे और मुशरेकीन से न थे । ( 2 : 135 )
أَمْ تَقُولُونَ إِنَّ إِبْرَٰهِۦمَ وَإِسْمَٰعِيلَ وَإِسْحَٰقَ وَيَعْقُوبَ وَٱلْأَسْبَاطَ كَانُوا۟ هُودًا أَوْ نَصَٰرَىٰ قُلْ ءَأَنتُمْ أَعْلَمُ أَمِ ٱللَّهُ وَمَنْ أَظْلَمُ مِمَّن كَتَمَ شَهَٰدَةً عِندَهُۥ مِنَ ٱللَّهِ وَمَا ٱللَّهُ بِغَٰفِلٍ عَمَّا تَعْمَلُونَ
अर्थात : - क्या तुम कहते हो कि इबराहीम व इसमाइल व इसहाक़ व आलौदें याकूब सब के सब यहूदी या नसरानी थे ?
(ऐ रसूल उनसे) पूछो तो कि तुम ज्यादा वाक़िफ़ ( जानते ) हो या खुदा ( पालनहार ) और उससे बढ़कर कौन ज़ालिम होगा जिसके पास खुदा की तरफ से गवाही (मौजूद) हो (कि वह यहूदी न थे) और फिर वह छिपाए और जो कुछ तुम करते हो खुदा उससे बेख़बर नहीं । ( 2 : 140 )
मुसलमान = ईमान वाला , एक पालनहार पर विश्वास रखने वाला ।
وَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِيُضِلَّ قَوْمًۢا بَعْدَ إِذْ هَدَىٰهُمْ حَتَّىٰ يُبَيِّنَ لَهُم مَّا يَتَّقُونَ إِنَّ ٱللَّهَ بِكُلِّ شَىْءٍ عَلِيمٌ
ख़ुदा की ये शान नहीं कि किसी क़ौम को जब उनकी हिदायत कर चुका हो उसके बाद बेशक ख़ुदा उन्हें गुमराह कर दे हत्ता (यहां तक) कि वह उन्हीं चीज़ों को बता दे जिससे वह परहेज़ करें बेशक ख़ुदा हर चीज़ से (वाक़िफ है) । ( 9 : 115 )
إِنَّ ٱللَّهَ لَهُۥ مُلْكُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ يُحْىِۦ وَيُمِيتُ وَمَا لَكُم مِّن دُونِ ٱللَّهِ مِن وَلِىٍّ وَلَا نَصِيرٍ
ईसमें तो शक़ ही नहीं कि सारे आसमान व ज़मीन की हुकूमत ख़ुदा ही के लिए ख़ास है वही (जिसे चाहे) जिलाता है और (जिसे चाहे) मारता है और तुम लोगों का ख़ुदा के सिवा न कोई सरपरस्त है न मददगार ।
( 9 : 116 )
गुमराह और अज़ाब
بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ
अल्लाह के नाम से जो रहमान व रहीम है।
ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ ٱلْعَٰلَمِينَ
तमाम तारीफ़ अल्लाह ही के लिये है जो तमाम क़ायनात का रब है।
ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ
रहमान और रहीम है।
مَٰلِكِ يَوْمِ ٱلدِّينِ
रोज़े जज़ा ( इंसाफ के दिन ) का मालिक है।
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
हम तेरी ही इबादत करते हैं, और तुझ ही से मदद मांगते है।
ٱهْدِنَا ٱلصِّرَٰطَ ٱلْمُسْتَقِيمَ
हमें सीधा रास्ता चला ।
صِرَٰطَ ٱلَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ ٱلْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا ٱلضَّآلِّينَ
उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम फ़रमाया, नाही उनका जिन पर गजब हुआ , नाही उनका जो गुमराह हुए । ( 1 : 7 )
* और ये गजब वालो से मुराद यहुदी है जिन पर बारम्बार अज़ाब आया उनके नाफरमानी और गुस्ताखि के सबब और अज़ाबे अकबर
( यानी बड़ा अज़ाब ) हज़रत ईसा के जरिये आना बाकी , जो कि इन्शाल्लाह इंक़रीब
आने वाला ही है ।
* और ये गुमराह से मुराद ईसाई है जो कि राहे रास्त से भटक गए है , शिर्क के कुँए में गिरे जा रहे है ।
* या अल्लाह हमारे आज के ईसाई भाइयो को हक़ जानने की तौफ़ीक़ दे !
* सच्चे ईसाई बनकर नबी ए अख्रुजम पर ईमान ले आये और खुद भी दोजख की आग से बचे और अपने घर वालो को भी बचाये ।
لَٰمُ عَلَىَّ يَوْمَ وُلِدتُّ وَيَوْمَ أَمُوتُ وَيَوْمَ أُبْعَثُ حَيًّ
और (खुदा की तरफ़ से ईसा पर ) जिस दिन मैं पैदा हुआ हूँ और जिस दिन मरूँगा मुझ पर सलाम है और जिस दिन (दोबारा) ज़िन्दा उठा कर खड़ा किया जाऊँगा ! ( 19 : 34 )
وَٱلَّتِىٓ أَحْصَنَتْ فَرْجَهَا فَنَفَخْنَا فِيهَا مِن رُّوحِنَا وَجَعَلْنَٰهَا وَٱبْنَهَآ ءَايَةً لِّلْعَٰلَمِينَ
और (ऐ रसूल) उस मरियम को (याद करो) जिसने अपनी अज़मत की हिफाज़त की तो हमने उन (के पेट) में अपनी तरफ से रूह फूँक दी और उनको और उनके बेटे (ईसा) को सारे जहाँन के वास्ते (अपनी क़ुदरत की) निशानी बनाया । ( 21 : 91 )
إِنَّ هَٰذِهِۦٓ أُمَّتُكُمْ أُمَّةً وَٰحِدَةً وَأَنَا۠ رَبُّكُمْ فَٱعْبُدُونِ
बेशक ये तुम्हारा दीन (इस्लाम) एक ही दीन है और मैं तुम्हारा परवरदिगार हूँ तो मेरी ही इबादत करो । ( 21 : 92 )
وَتَقَطَّعُوٓا۟ أَمْرَهُم بَيْنَهُمْ كُلٌّ إِلَيْنَا رَٰجِعُونَ
और लोगों ने बाहम (इख़तेलाफ़ करके) अपने दीन को टुकड़े -टुकड़े कर डाला (हालाँकि) वह सब के सब हिरफिर के हमारे ही पास आने वाले हैं । ( 21 : 93 )
فَمَن يَعْمَلْ مِنَ ٱلصَّٰلِحَٰتِ وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَلَا كُفْرَانَ لِسَعْيِهِۦ وَإِنَّا لَهُۥ كَٰتِبُونَ
(उस वक्त फ़ैसला हो जाएगा कि) तो जो शख्स अच्छे-अच्छे काम करेगा और वह ईमानवाला भी हो तो उसकी कोशिश अकारत ( बेकार ) न की जाएगी और हम उसके आमाल लिखते जाते हैं । ( 21 : 94 )
وَحَرَٰمٌ عَلَىٰ قَرْيَةٍ أَهْلَكْنَٰهَآ أَنَّهُمْ لَا يَرْجِعُونَ
और जिस बस्ती को हमने तबाह कर डाला मुमकिन नहीं कि वह लोग क़यामत के दिन हिरफिर के से (हमारे पास) न लौटे ।
( 21 : 95 )
وَٱقْتَرَبَ ٱلْوَعْدُ ٱلْحَقُّ فَإِذَا هِىَ شَٰخِصَةٌ أَبْصَٰرُ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ يَٰوَيْلَنَا قَدْ كُنَّا فِى غَفْلَةٍ مِّنْ هَٰذَا بَلْ كُنَّا ظَٰلِمِينَ
और क़यामत का सच्चा वायदा नज़दीक आ जाए तो फिर काफिरों की ऑंखें एक दम से पथरा दी जाएँ (और कहने लगे) हाय हमारी शामत कि हम तो इस (दिन) से ग़फलत ही में (पड़े) रहे बल्कि (सच तो यूँ है कि अपने ऊपर) हम आप ज़ालिम थे । ( 21 : 97 )
ذَٰلِكَ عِيسَى ٱبْنُ مَرْيَمَ قَوْلَ ٱلْحَقِّ ٱلَّذِى فِيهِ يَمْتَرُونَ
ये है कि मरियम के बेटे ईसा का सच्चा (सच्चा) क़िस्सा जिसमें ये लोग (ख्वाहमख्वाह) शक किया करते हैं !
( 19 :35 )
सब पहले एक ही दिन पर थे ?
إِنَّ هَٰذِهِۦٓ أُمَّتُكُمْ أُمَّةً وَٰحِدَةً وَأَنَا۠ رَبُّكُمْ فَٱعْبُدُونِ
बेशक ये तुम्हारा दीन (इस्लाम) एक ही दीन है और मैं तुम्हारा परवरदिगार हूँ तो मेरी ही इबादत करो । ( 21 : 92 )
وَتَقَطَّعُوٓا۟ أَمْرَهُم بَيْنَهُمْ كُلٌّ إِلَيْنَا رَٰجِعُونَ
और लोगों ने बाहम (इख़तेलाफ़ करके) अपने दीन को टुकड़े -टुकड़े कर डाला (हालाँकि) वह सब के सब हिरफिर के हमारे ही पास आने वाले हैं । ( 21 : 93 )
كَانَ ٱلنَّاسُ أُمَّةً وَٰحِدَةً فَبَعَثَ ٱللَّهُ ٱلنَّبِيِّۦنَ مُبَشِّرِينَ وَمُنذِرِينَ وَأَنزَلَ مَعَهُمُ ٱلْكِتَٰبَ بِٱلْحَقِّ لِيَحْكُمَ بَيْنَ ٱلنَّاسِ فِيمَا ٱخْتَلَفُوا۟ فِيهِ وَمَا ٱخْتَلَفَ فِيهِ إِلَّا ٱلَّذِينَ أُوتُوهُ مِنۢ بَعْدِ مَا جَآءَتْهُمُ ٱلْبَيِّنَٰتُ بَغْيًۢا بَيْنَهُمْ فَهَدَى ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ لِمَا ٱخْتَلَفُوا۟ فِيهِ مِنَ ٱلْحَقِّ بِإِذْنِهِۦ وَٱللَّهُ يَهْدِى مَن يَشَآءُ إِلَىٰ صِرَٰطٍ مُّسْتَقِيمٍ
(पहले) सब लोग एक ही दीन रखते थे (फिर आपस में झगड़ने लगे तब) ख़ुदा ने नजात से ख़ुश ख़बरी देने वाले और अज़ाब से डराने वाले पैग़म्बरों को भेजा और इन पैग़म्बरों के साथ बरहक़ किताब भी नाज़िल की ताकि जिन बातों में लोग झगड़ते थे किताबे ख़ुदा (उसका) फ़ैसला कर दे और फिर अफ़सोस तो ये है कि इस हुक्म से इख्तेलाफ किया भी तो उन्हीं लोगों ने जिन को किताब दी गयी थी और वह भी जब उन के पास ख़ुदा के साफ एहकाम आ चुके उसके बाद और वह भी आपस की शरारत से तब ख़ुदा ने अपनी मेहरबानी से (ख़ालिस) ईमानदारों को वह राहे हक़ दिखा दी जिस में उन लोगों ने इख्तेलाफ डाल रखा था और ख़ुदा जिस को चाहे राहे रास्त की हिदायत करता है । ( 2 : 213 )
شَهِدَ ٱللَّهُ أَنَّهُۥ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ وَٱلْمَلَٰٓئِكَةُ وَأُو۟لُوا۟ ٱلْعِلْمِ قَآئِمًۢا بِٱلْقِسْطِ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ
ज़रूर ख़ुदा और फ़रिश्तों और इल्म वालों ने गवाही दी है कि उसके सिवा कोई माबूद क़ाबिले परसतिश नहीं है और वह ख़ुदा अद्ल व इन्साफ़ के साथ (कारख़ानाए आलम का) सॅभालने वाला है उसके सिवा कोई माबूद नहीं (वही हर चीज़ पर) ग़ालिब और दाना है (सच्चा) दीन तो ख़ुदा के नज़दीक यक़ीनन (बस यही) इस्लाम
है । ( 3 : 18 )
إِنَّ ٱلدِّينَ عِندَ ٱللَّهِ ٱلْإِسْلَٰمُ وَمَا ٱخْتَلَفَ ٱلَّذِينَ أُوتُوا۟ ٱلْكِتَٰبَ إِلَّا مِنۢ بَعْدِ مَا جَآءَهُمُ ٱلْعِلْمُ بَغْيًۢا بَيْنَهُمْ وَمَن يَكْفُرْ بِـَٔايَٰتِ ٱللَّهِ فَإِنَّ ٱللَّهَ سَرِيعُ ٱلْحِسَابِ
और अहले किताब ने जो उस दीने हक़ से इख्तेलाफ़ किया तो महज़ आपस की शरारत और असली (अम्र) मालूम हो जाने के बाद (ही क्या है) और जिस शख्स ने ख़ुदा की निशानियों से इन्कार किया तो (वह समझ ले कि यक़ीनन ख़ुदा (उससे) बहुत जल्दी हिसाब लेने वाला है । ( 3 : 19 )
قُل لَّئِنِ ٱجْتَمَعَتِ ٱلْإِنسُ وَٱلْجِنُّ عَلَىٰٓ أَن يَأْتُوا۟ بِمِثْلِ هَٰذَا ٱلْقُرْءَانِ لَا يَأْتُونَ بِمِثْلِهِۦ وَلَوْ كَانَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ ظَهِيرًا
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि
(अगर सारे दुनिया जहाँन के) आदमी और जिन इस बात पर इकट्ठे हो कि उस क़ुरान का मिसल ले आएँ तो (ना मुमकिन) उसके बराबर नहीं ला सकते अगरचे
(उसको कोशिश में) एक का एक मददगार भी बने । ( 17 : 88 )
मुसलमानों का बुरा चर्चा करने वाला का अंजाम
إِنَّ ٱلَّذِينَ يُحِبُّونَ أَن تَشِيعَ ٱلْفَٰحِشَةُ فِى ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ لَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ فِى ٱلدُّنْيَا وَٱلْءَاخِرَةِ وَٱللَّهُ يَعْلَمُ وَأَنتُمْ لَا تَعْلَمُونَ
जो लोग ये चाहते हैं कि ईमानदारों में बदकारी का चर्चा फैल जाए बेशक उनके लिए दुनिया और आख़िरत में दर्दनाक अज़ाब है और ख़ुदा (असल हाल को) ख़ूब जानता है और तुम लोग नहीं जानते हो ।
( 24 : 19 )
( 24 : 19 )
इस्लाम मे मस्जिद कहा ? और मंदिर
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कयामत इंसाफ का दिन
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* हक़ क़ुरआन लौहे महफूज में है ।(85:21,22)
* बेशक़ क़ुरआन फैसले की बात है ।
( 86:13,14) ( 15 : 1 से 15 )
* बेशक़ क़ुरआन सीधा रास्ता देखता है ।
( 15:9 )
*وَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِيُضِلَّ قَوْمًۢا بَعْدَ إِذْ هَدَىٰهُمْ حَتَّىٰ يُبَيِّنَ لَهُم مَّا يَتَّقُونَ إِنَّ ٱللَّهَ بِكُلِّ شَىْءٍ عَلِيمٌ
अर्थात :- अल्लाह की ये शान नहीं कि किसी क़ौम को जब उनकी हिदायत कर चुका हो उसके बाद बेशक अल्लाह उन्हें गुमराह कर दे हत्ता (यहां तक) कि वह उन्हीं चीज़ों को बता दे जिससे वह परहेज़ करें बेशक ख़ुदा हर चीज़ से (वाक़िफ है) ( 9 :15 )
* हम ने ( अल्लाह ) उनकी जबान में ही कई नबी भेजे । ( 14 : 4 )
* हक़ बात( इस्लाम ) कोई जबरदस्ति नही।(2-256).
*पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
*नसीहत उनके लिए सीधे मार्ग पर चलना चाहे।
(81:27,28,29)(40:28)
* ये मानव तुम लोग पालनहार(अल्लाह) के मोहताज हो और अल्लाह बे-नियाज़ है(सर्वशक्तिमान) है नसीहत वो मानते है जो अक्ल वाले है (13:19).
* और हरगिज अल्लाह को बे-खबर ना जानना जालिमो के काम से उन्हें ढील नही दे राहा है, मगर ऐसे दिन के लिए जिसमे आंखे खुली की खुली राह जांयेंगी।(14:42)
*कोई आदमी वह है, की अल्लाह के बारे में झगड़ाता है, ना तो कोई इल्म, ना कोई दलील और ना तो कोई रोशन निशानी।
(22:8)(31:20)(52:33,34)(23:72)(23:73).
*कह दो,"सत्य आ गया और असत्य मिट
गया, असत्य तो मिट जाने वाला ही होता है।
(17:81)
Note:- या अल्लाह लिखने में
बयान करने में कोई शरियन गलती हुई हो ,तो मेरे मालिक तू दिलो के राज जानने वाला है माफ फ़रमा दे।(आमीन)
* अल्लाह से दुआ है , की हक़ को मानने , और समझने को तौफीक आता फरमाए , ज़ुबान पर हक़ बोलने की ताकत दे , और उसे ज्यादा उस चीज पर अमल करने की तौफीक दे , या अल्लाह दुनिया मे रख ईमान पर , और मरते वक़त कलम ए हक़ आत फ़रमा ।
(अमीन )
अल्हम्दुलिल्लाह
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