असली इसाई कौन है ? 2
Isai dharm ki manyata
( Aqidah )
* अब देखते है आप ईसा अलैहिस्सलाम के मौज्जा ?
* जब यहूदियों ने पाक पालनहार को मौहताज समझ बैठे थे ( माजल्लाह ) तो पाक परवरदिगार आलम ने अपने नबी ईसा इब्ने मरीयम के जरिये अपने सर्वशक्तिमान
( हर चीज पर काबू रखने वाला ) का नमूना पेश किया !
* अल्लाह तआला ने हज़रत ईसा को कई नेअमतो से नवाजा था , बच्चपन से ही नबुव्वत का ताज पहनाया था , और झूले में बात करने की हैरतअंगेज मोजजा भी आता किया था , सुब्हान अल्लाह ।
* आप ईसा को ईसा महसी भी कहा जाता है । और महसी का मतलब होता है , हाथ फेरने वाला जिस पहले में बता चुका हूं कि माजल्लाह यहूदियों के अल्लाह पाक के बारे का अक़ीदा बन गया था ?
وَقَالَتِ ٱلْيَهُودُ يَدُ ٱللَّهِ مَغْلُولَةٌ غُلَّتْ أَيْدِيهِمْ وَلُعِنُوا۟ بِمَا قَالُوا۟ بَلْ يَدَاهُ مَبْسُوطَتَانِ يُنفِقُ كَيْفَ يَشَآءُ وَلَيَزِيدَنَّ كَثِيرًا مِّنْهُم مَّآ أُنزِلَ إِلَيْكَ مِن رَّبِّكَ طُغْيَٰنًا وَكُفْرًا وَأَلْقَيْنَا بَيْنَهُمُ ٱلْعَدَٰوَةَ وَٱلْبَغْضَآءَ إِلَىٰ يَوْمِ ٱلْقِيَٰمَةِ كُلَّمَآ أَوْقَدُوا۟ نَارًا لِّلْحَرْبِ أَطْفَأَهَا ٱللَّهُ وَيَسْعَوْنَ فِى ٱلْأَرْضِ فَسَادًا وَٱللَّهُ لَا يُحِبُّ ٱلْمُفْسِدِينَ
और यहूदी कहने लगे कि ख़ुदा का हाथ बॅधा हुआ है (तंग हो गया) उन्हीं के हाथ बॉध दिए जाएं और उनके (इस) कहने पर (ख़ुदा की) फिटकार बरसे (ख़ुदा का हाथ बॅधने क्यों लगा) बल्कि उसके दोनों हाथ कुशादा हैं जिस तरह चाहता है ख़र्च करता है और जो (किताब) तुम्हारे पास नाज़िल की गयी है (उनका शक व हसद) उनमें से बहुतेरों को कुफ़्र व सरकशी को और बढ़ा देगा और (गोया) हमने ख़ुद उनके आपस में रोज़े क़यामत तक अदावत और कीने की बुनियाद डाल दी जब ये लोग लड़ाई की आग भड़काते हैं तो ख़ुदा उसको बुझा देता है और रूए ज़मीन में फ़साद फेलाने के लिए दौड़ते फिरते हैं और ख़ुदा फ़सादियों को दोस्त नहीं रखता । ( 5 : 64 )
* तो उस वक्त अल्लाह ने हज़रत ईसा के जरिये वो मोज्जा ( चमत्कार कह सकते है )
कर दिखा जो कि इंसानी अक्ल से परे था ?
* जैसे ला - ईलाज बीमारी , मादरजात अंधा
( यानी पैदाइशी अंधा ) , कुढ़ का रोग इत्यादि बीमारी आप ईसा सिर्फ उन पर हाथ फेरते और वो अल्लाह के हुक्म से ठीक हो जाता जैसे कभी उस मर्ज को उसने छुआ ही नही था , बिल्कुल भला चेंगा , पहले से भी ज्यादा सेहतमंद । ( सुब्हान अल्लाह )
* आप कभी किसी मुर्दे की क़बर से गुजर होता , तो लोगो को अल्लाह की तोहिद और एक अल्लाह की गवाही पर जमा हो कर कहते में मुर्दे जिलाता हु अल्लाह के हुक्म से और मुर्दे की तरफ इशारा करते और कहते अल्लाह के हुक्म से जिंदा हो जा और अल्लाहु अकबर मुर्दा जी उठता और अपनी हालात बयान करता कि में फला नबी का उम्मती था ।
* मट्टी के परिंदे बनाते और अल्लाह के हुक्म से उस पर फूक मारते परिंदा जी उठता और हवा में गर्दिश करता , माशाल्लाह , ये सब अल्लाह के हुक्म से होता था और जरिया ईसा अलैहिस्सलाम थे , और ये सब करने का मतलब था , की अल्लाह हर चीज पर कुदरत रखता है , अल्लाह बे नियाज है और हर चीज़ अल्लाह की मौहताज है । ( बेशक )
और ये मोजिज़ा देख कर कुछ ईमान की दौलत से माला माल हो गये , और ज्यदातर कुफ्र पर ही अड़े रहे ।
إِذْ قَالَ ٱللَّهُ يَٰعِيسَى ٱبْنَ مَرْيَمَ ٱذْكُرْ نِعْمَتِى عَلَيْكَ وَعَلَىٰ وَٰلِدَتِكَ إِذْ أَيَّدتُّكَ بِرُوحِ ٱلْقُدُسِ تُكَلِّمُ ٱلنَّاسَ فِى ٱلْمَهْدِ وَكَهْلًا وَإِذْ عَلَّمْتُكَ ٱلْكِتَٰبَ وَٱلْحِكْمَةَ وَٱلتَّوْرَىٰةَ وَٱلْإِنجِيلَ وَإِذْ تَخْلُقُ مِنَ ٱلطِّينِ كَهَيْـَٔةِ ٱلطَّيْرِ بِإِذْنِى فَتَنفُخُ فِيهَا فَتَكُونُ طَيْرًۢا بِإِذْنِى وَتُبْرِئُ ٱلْأَكْمَهَ وَٱلْأَبْرَصَ بِإِذْنِى وَإِذْ تُخْرِجُ ٱلْمَوْتَىٰ بِإِذْنِى وَإِذْ كَفَفْتُ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ عَنكَ إِذْ جِئْتَهُم بِٱلْبَيِّنَٰتِ فَقَالَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِنْهُمْ إِنْ هَٰذَآ إِلَّا سِحْرٌ مُّبِينٌ
(वह वक्त याद करो) जब ख़ुदा फरमाएगा कि ये मरियम के बेटे ईसा हमने जो एहसानात तुम पर और तुम्हारी माँ पर किये उन्हे याद करो जब हमने रूहुलक़ुदूस (जिबरील) से तुम्हारी ताईद की कि तुम झूले में
(ही लेटे लेटे) और अधेड़ होकर
( बड़ो की तरह से बातें) करने लगे और जब हमने तुम्हें लिखना और अक़ल व दानाई की बातें और (तौरेत व इन्जील (ये सब चीजे) सिखायी और जब तुम मेरे हुक्म से मिट्टी से चिड़िया की मूरत बनाते फिर उस पर कुछ दम कर देते तो वह मेरे हुक्म से (सचमुच) चिड़िया बन जाती थी और मेरे हुक्म से मादरज़ाद (पैदायशी) अंधे और कोढ़ी को अच्छा कर देते थे और जब तुम मेरे हुक्म से मुर्दों को ज़िन्दा (करके क़ब्रों से) निकाल खड़ा करते थे और जिस वक्त तुम बनी इसराईल के पास मौजिज़े लेकर आए और उस वक्त मैने उनको तुम (पर दस्त दराज़ी करने) से रोका तो उनमें से बाज़ कुफ्फ़ार कहने लगे ये तो बस खुला हुआ जादू है ।
( 5 : 110 )
وَرَسُولًا إِلَىٰ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ أَنِّى قَدْ جِئْتُكُم بِـَٔايَةٍ مِّن رَّبِّكُمْ أَنِّىٓ أَخْلُقُ لَكُم مِّنَ ٱلطِّينِ كَهَيْـَٔةِ ٱلطَّيْرِ فَأَنفُخُ فِيهِ فَيَكُونُ طَيْرًۢا بِإِذْنِ ٱللَّهِ وَأُبْرِئُ ٱلْأَكْمَهَ وَٱلْأَبْرَصَ وَأُحْىِ ٱلْمَوْتَىٰ بِإِذْنِ ٱللَّهِ وَأُنَبِّئُكُم بِمَا تَأْكُلُونَ وَمَا تَدَّخِرُونَ فِى بُيُوتِكُمْ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةً لَّكُمْ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ
और बनी इसराइल का रसूल (क़रार देगा और वह उनसे यूं कहेगा कि) मैं तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (अपनी नबूवत की) यह निशानी लेकर आया हूं कि मैं गुंधीं हुई मिट्टी से एक परिन्दे की सूरत बनाऊॅगा फ़िर उस पर (कुछ) दम करूंगा तो वो ख़ुदा के हुक्म से उड़ने लगेगा और मैं ख़ुदा ही के हुक्म से मादरज़ाद (पैदायशी) अंधे और कोढ़ी को अच्छा करूंगा और मुर्दो को ज़िन्दा करूंगा और जो कुछ तुम खाते हो और अपने घरों में जमा करते हो मैं (सब) तुमको बता दूंगा अगर तुम ईमानदार हो तो बेशक तुम्हारे लिये इन बातों में (मेरी नबूवत की) बड़ी निशानी है ।
( 3 : 49 )
وَمُصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَىَّ مِنَ ٱلتَّوْرَىٰةِ وَلِأُحِلَّ لَكُم بَعْضَ ٱلَّذِى حُرِّمَ عَلَيْكُمْ وَجِئْتُكُم بِـَٔايَةٍ مِّن رَّبِّكُمْ فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
और तौरेत जो मेरे सामने मौजूद है मैं उसकी तसदीक़ करता हूं और (मेरे आने की) एक ग़रज़ यह (भी) है कि जो चीजे तुम पर हराम है उनमें से बाज़ को (हुक्मे ख़ुदा से) हलाल कर दूं और मैं तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (अपनी नबूवत की) निशानी लेकर तुम्हारे पास आया हूं । ( 3 : 50 )
إِنَّ ٱللَّهَ رَبِّى وَرَبُّكُمْ فَٱعْبُدُوهُ هَٰذَا صِرَٰطٌ مُّسْتَقِيمٌ
पस तुम ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो बेशक ख़ुदा ही मेरा और तुम्हारा परवरदिगार है । ( 3 : 51 )
وَإِذْ أَوْحَيْتُ إِلَى ٱلْحَوَارِيِّۦنَ أَنْ ءَامِنُوا۟ بِى وَبِرَسُولِى قَالُوٓا۟ ءَامَنَّا وَٱشْهَدْ بِأَنَّنَا مُسْلِمُونَ
और जब मैने हवारियों से इलहाम किया कि मुझ पर और मेरे रसूल पर ईमान लाओ तो अर्ज़ करने लगे हम ईमान लाए और तू गवाह रहना कि हम तेरे फरमाबरदार बन्दे हैं ।
( 5 : 111 )
* जिस तरह से हमारे नबी सल्ललाहु अलैहि वसल्लम के साथियों को सहाबा बोला जाता है उसी तरह आप ईसा के साथियों को हवारी बोला जाता है ।
हज़रत ईसा को आसमान की तरफ उठाना ?
* फिर जब आप ने लोगो को इन्जील और तोरैत की तालीम को आम करना शुरू कर दिया और यहूदी की असलियत लोगो बताना शुरू कर दी , की लो तोरैत की अहकामो में कमी ज्यादती करते है , तो यहूदियों ने उसी तरह से जैसी कई नबियो को झुठलाया और शहीद किया और ना - फ़रमानियो कायम रहते थे , उसी तरह हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को हसद की बुनियाद पर झूठा नबी साबित करने की नाकाम कोशिश करते थे , और उनको शाहिद करने की साजिश रचने लगे ( माजल्लाह ) ।
* हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के 12 हवारी थे , मतलब ईमान लाने वाले उसमे किसी को यहूदियों ने माल - दौलत की लालच देकर साजिश रची और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को शाहिद करने की नाकाम कोशिश करना चाहा पर पालनहार के उन लानतियो की चाल उन पर ही फिर दी , और जिस शख्स ने दगाबाजी की अल्लाह ने उसको हज़रत ईसा की शक्ल देकर हज़रत ईसा को उनकी चाल से महफूज करके आसमानों की तरफ उठा लिया और जिसने दगाबाजी की थी उसी के साथ यहूदियों ने जुल्म सीतम किया और कहने लगे कि ईसा अलैहिस्सलाम को शहीद कर दिया ( माजल्लाह ) और जो आज कल अपने आपको ईसाई होने का दावा करते है , वो भी यही मानते है , की हज़रत ईसा की शहादत हो चुकी है , पर वो सब लोग अंधकार में है बल्कि मसला तो बिल्कुल ही इसके विपरीत है जो इस तरह ।
* आप ईसा की भी गवाही की मेरे बाद वही आने वाले है , जिनका नाम अहमद होगा
हज़रत ईसा के हैरतअंगेज मोजजे ?
* तो उस वक्त अल्लाह ने हज़रत ईसा के जरिये वो मोज्जा ( चमत्कार कह सकते है )
कर दिखा जो कि इंसानी अक्ल से परे था ?
* जैसे ला - ईलाज बीमारी , मादरजात अंधा
( यानी पैदाइशी अंधा ) , कुढ़ का रोग इत्यादि बीमारी आप ईसा सिर्फ उन पर हाथ फेरते और वो अल्लाह के हुक्म से ठीक हो जाता जैसे कभी उस मर्ज को उसने छुआ ही नही था , बिल्कुल भला चेंगा , पहले से भी ज्यादा सेहतमंद । ( सुब्हान अल्लाह )
* आप कभी किसी मुर्दे की क़बर से गुजर होता , तो लोगो को अल्लाह की तोहिद और एक अल्लाह की गवाही पर जमा हो कर कहते में मुर्दे जिलाता हु अल्लाह के हुक्म से और मुर्दे की तरफ इशारा करते और कहते अल्लाह के हुक्म से जिंदा हो जा और अल्लाहु अकबर मुर्दा जी उठता और अपनी हालात बयान करता कि में फला नबी का उम्मती था ।
* मट्टी के परिंदे बनाते और अल्लाह के हुक्म से उस पर फूक मारते परिंदा जी उठता और हवा में गर्दिश करता , माशाल्लाह , ये सब अल्लाह के हुक्म से होता था और जरिया ईसा अलैहिस्सलाम थे , और ये सब करने का मतलब था , की अल्लाह हर चीज पर कुदरत रखता है , अल्लाह बे नियाज है और हर चीज़ अल्लाह की मौहताज है । ( बेशक )
और ये मोजिज़ा देख कर कुछ ईमान की दौलत से माला माल हो गये , और ज्यदातर कुफ्र पर ही अड़े रहे ।
إِذْ قَالَ ٱللَّهُ يَٰعِيسَى ٱبْنَ مَرْيَمَ ٱذْكُرْ نِعْمَتِى عَلَيْكَ وَعَلَىٰ وَٰلِدَتِكَ إِذْ أَيَّدتُّكَ بِرُوحِ ٱلْقُدُسِ تُكَلِّمُ ٱلنَّاسَ فِى ٱلْمَهْدِ وَكَهْلًا وَإِذْ عَلَّمْتُكَ ٱلْكِتَٰبَ وَٱلْحِكْمَةَ وَٱلتَّوْرَىٰةَ وَٱلْإِنجِيلَ وَإِذْ تَخْلُقُ مِنَ ٱلطِّينِ كَهَيْـَٔةِ ٱلطَّيْرِ بِإِذْنِى فَتَنفُخُ فِيهَا فَتَكُونُ طَيْرًۢا بِإِذْنِى وَتُبْرِئُ ٱلْأَكْمَهَ وَٱلْأَبْرَصَ بِإِذْنِى وَإِذْ تُخْرِجُ ٱلْمَوْتَىٰ بِإِذْنِى وَإِذْ كَفَفْتُ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ عَنكَ إِذْ جِئْتَهُم بِٱلْبَيِّنَٰتِ فَقَالَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ مِنْهُمْ إِنْ هَٰذَآ إِلَّا سِحْرٌ مُّبِينٌ
(वह वक्त याद करो) जब ख़ुदा फरमाएगा कि ये मरियम के बेटे ईसा हमने जो एहसानात तुम पर और तुम्हारी माँ पर किये उन्हे याद करो जब हमने रूहुलक़ुदूस (जिबरील) से तुम्हारी ताईद की कि तुम झूले में
(ही लेटे लेटे) और अधेड़ होकर
( बड़ो की तरह से बातें) करने लगे और जब हमने तुम्हें लिखना और अक़ल व दानाई की बातें और (तौरेत व इन्जील (ये सब चीजे) सिखायी और जब तुम मेरे हुक्म से मिट्टी से चिड़िया की मूरत बनाते फिर उस पर कुछ दम कर देते तो वह मेरे हुक्म से (सचमुच) चिड़िया बन जाती थी और मेरे हुक्म से मादरज़ाद (पैदायशी) अंधे और कोढ़ी को अच्छा कर देते थे और जब तुम मेरे हुक्म से मुर्दों को ज़िन्दा (करके क़ब्रों से) निकाल खड़ा करते थे और जिस वक्त तुम बनी इसराईल के पास मौजिज़े लेकर आए और उस वक्त मैने उनको तुम (पर दस्त दराज़ी करने) से रोका तो उनमें से बाज़ कुफ्फ़ार कहने लगे ये तो बस खुला हुआ जादू है ।
( 5 : 110 )
وَرَسُولًا إِلَىٰ بَنِىٓ إِسْرَٰٓءِيلَ أَنِّى قَدْ جِئْتُكُم بِـَٔايَةٍ مِّن رَّبِّكُمْ أَنِّىٓ أَخْلُقُ لَكُم مِّنَ ٱلطِّينِ كَهَيْـَٔةِ ٱلطَّيْرِ فَأَنفُخُ فِيهِ فَيَكُونُ طَيْرًۢا بِإِذْنِ ٱللَّهِ وَأُبْرِئُ ٱلْأَكْمَهَ وَٱلْأَبْرَصَ وَأُحْىِ ٱلْمَوْتَىٰ بِإِذْنِ ٱللَّهِ وَأُنَبِّئُكُم بِمَا تَأْكُلُونَ وَمَا تَدَّخِرُونَ فِى بُيُوتِكُمْ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَةً لَّكُمْ إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ
और बनी इसराइल का रसूल (क़रार देगा और वह उनसे यूं कहेगा कि) मैं तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (अपनी नबूवत की) यह निशानी लेकर आया हूं कि मैं गुंधीं हुई मिट्टी से एक परिन्दे की सूरत बनाऊॅगा फ़िर उस पर (कुछ) दम करूंगा तो वो ख़ुदा के हुक्म से उड़ने लगेगा और मैं ख़ुदा ही के हुक्म से मादरज़ाद (पैदायशी) अंधे और कोढ़ी को अच्छा करूंगा और मुर्दो को ज़िन्दा करूंगा और जो कुछ तुम खाते हो और अपने घरों में जमा करते हो मैं (सब) तुमको बता दूंगा अगर तुम ईमानदार हो तो बेशक तुम्हारे लिये इन बातों में (मेरी नबूवत की) बड़ी निशानी है ।
( 3 : 49 )
وَمُصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَىَّ مِنَ ٱلتَّوْرَىٰةِ وَلِأُحِلَّ لَكُم بَعْضَ ٱلَّذِى حُرِّمَ عَلَيْكُمْ وَجِئْتُكُم بِـَٔايَةٍ مِّن رَّبِّكُمْ فَٱتَّقُوا۟ ٱللَّهَ وَأَطِيعُونِ
और तौरेत जो मेरे सामने मौजूद है मैं उसकी तसदीक़ करता हूं और (मेरे आने की) एक ग़रज़ यह (भी) है कि जो चीजे तुम पर हराम है उनमें से बाज़ को (हुक्मे ख़ुदा से) हलाल कर दूं और मैं तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (अपनी नबूवत की) निशानी लेकर तुम्हारे पास आया हूं । ( 3 : 50 )
إِنَّ ٱللَّهَ رَبِّى وَرَبُّكُمْ فَٱعْبُدُوهُ هَٰذَا صِرَٰطٌ مُّسْتَقِيمٌ
पस तुम ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो बेशक ख़ुदा ही मेरा और तुम्हारा परवरदिगार है । ( 3 : 51 )
وَإِذْ أَوْحَيْتُ إِلَى ٱلْحَوَارِيِّۦنَ أَنْ ءَامِنُوا۟ بِى وَبِرَسُولِى قَالُوٓا۟ ءَامَنَّا وَٱشْهَدْ بِأَنَّنَا مُسْلِمُونَ
और जब मैने हवारियों से इलहाम किया कि मुझ पर और मेरे रसूल पर ईमान लाओ तो अर्ज़ करने लगे हम ईमान लाए और तू गवाह रहना कि हम तेरे फरमाबरदार बन्दे हैं ।
( 5 : 111 )
* जिस तरह से हमारे नबी सल्ललाहु अलैहि वसल्लम के साथियों को सहाबा बोला जाता है उसी तरह आप ईसा के साथियों को हवारी बोला जाता है ।
हज़रत ईसा को आसमान की तरफ उठाना ?
* फिर जब आप ने लोगो को इन्जील और तोरैत की तालीम को आम करना शुरू कर दिया और यहूदी की असलियत लोगो बताना शुरू कर दी , की लो तोरैत की अहकामो में कमी ज्यादती करते है , तो यहूदियों ने उसी तरह से जैसी कई नबियो को झुठलाया और शहीद किया और ना - फ़रमानियो कायम रहते थे , उसी तरह हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को हसद की बुनियाद पर झूठा नबी साबित करने की नाकाम कोशिश करते थे , और उनको शाहिद करने की साजिश रचने लगे ( माजल्लाह ) ।
* हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के 12 हवारी थे , मतलब ईमान लाने वाले उसमे किसी को यहूदियों ने माल - दौलत की लालच देकर साजिश रची और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को शाहिद करने की नाकाम कोशिश करना चाहा पर पालनहार के उन लानतियो की चाल उन पर ही फिर दी , और जिस शख्स ने दगाबाजी की अल्लाह ने उसको हज़रत ईसा की शक्ल देकर हज़रत ईसा को उनकी चाल से महफूज करके आसमानों की तरफ उठा लिया और जिसने दगाबाजी की थी उसी के साथ यहूदियों ने जुल्म सीतम किया और कहने लगे कि ईसा अलैहिस्सलाम को शहीद कर दिया ( माजल्लाह ) और जो आज कल अपने आपको ईसाई होने का दावा करते है , वो भी यही मानते है , की हज़रत ईसा की शहादत हो चुकी है , पर वो सब लोग अंधकार में है बल्कि मसला तो बिल्कुल ही इसके विपरीत है जो इस तरह ।
فَلَمَّآ أَحَسَّ عِيسَىٰ مِنْهُمُ ٱلْكُفْرَ قَالَ مَنْ أَنصَارِىٓ إِلَى ٱللَّهِ قَالَ ٱلْحَوَارِيُّونَ نَحْنُ أَنصَارُ ٱللَّهِ ءَامَنَّا بِٱللَّهِ وَٱشْهَدْ بِأَنَّا مُسْلِمُونَ
पस उसकी इबादत करो (क्योंकि) यही नजात का सीधा रास्ता है फिर जब ईसा ने (इतनी बातों के बाद भी) उनका कुफ़्र (पर अड़े रहना) देखा तो (आख़िर) कहने लगे कौन ऐसा है जो ख़ुदा की तरफ़ होकर मेरा मददगार बने (ये सुनकर) हवारियों ने कहा हम ख़ुदा के तरफ़दार हैं और हम ख़ुदा पर ईमान लाए । ( 3 : 52 )
رَبَّنَآ ءَامَنَّا بِمَآ أَنزَلْتَ وَٱتَّبَعْنَا ٱلرَّسُولَ فَٱكْتُبْنَا مَعَ ٱلشَّٰهِدِينَ
और (ईसा से कहा) आप गवाह रहिए कि हम फ़रमाबरदार हैं । ( 3 : 53 )
وَمَكَرُوا۟ وَمَكَرَ ٱللَّهُ وَٱللَّهُ خَيْرُ ٱلْمَٰكِرِينَ
और ख़ुदा की बारगाह में अर्ज़ की कि ऐ हमारे पालने वाले जो कुछ तूने नाज़िल किया हम उसपर ईमान लाए और हमने तेरे रसूल (ईसा) की पैरवी इख्तेयार की पस तू हमें (अपने रसूल के) गवाहों के दफ्तर में लिखले । ( 3 : 54 )
إِذْ قَالَ ٱللَّهُ يَٰعِيسَىٰٓ إِنِّى مُتَوَفِّيكَ وَرَافِعُكَ إِلَىَّ وَمُطَهِّرُكَ مِنَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ وَجَاعِلُ ٱلَّذِينَ ٱتَّبَعُوكَ فَوْقَ ٱلَّذِينَ كَفَرُوٓا۟ إِلَىٰ يَوْمِ ٱلْقِيَٰمَةِ ثُمَّ إِلَىَّ مَرْجِعُكُمْ فَأَحْكُمُ بَيْنَكُمْ فِيمَا كُنتُمْ فِيهِ تَخْتَلِفُونَ
और यहूदियों (ने ईसा से) चाल बाजी की और ख़ुदा ने उसके दफ़ईया की तदबीर की और ख़ुदा सब से बेहतर तदबीर करने वाला है (वह वक्त भी याद करो) जब ईसा से ख़ुदा ने फ़रमाया ऐ ईसा मैं ज़रूर तुम्हारी ज़िन्दगी की मुद्दत पूरी करके तुमको अपनी तरफ़ उठा लूंगा और काफ़िरों (की ज़िन्दगी) से तुमको पाक व पाकीज़ा रखूंगा और जिन लोगों ने तुम्हारी पैरवी की उनको क़यामत तक काफ़िरों पर ग़ालिब रखूंगा फिर तुम सबको मेरी तरफ़ लौटकर आना है । ( 3 : 55 )
كُلُّ نَفْسٍ ذَآئِقَةُ ٱلْمَوْتِ
(हर शख्स एक न एक दिन) मौत का मज़ा चखने है । ( 21 : 35 ) ( 32 : 11 )
* आप फिर से आसमान से जिमीन पर तशरीफ़ लाएंगे और मुसलमानों के साथ होकर , जो अपने आपको ईसाई होने का दावा करते है उनको हक़ बताएंगे और कई लोगो ईमान ले आएंगे और कई कुफ्र पर ही अड़े रहेंगे और हजरत इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम के साथ मिलकर झूठा महसी
ए दज्जाल को कत्ल करेंगे ,जब आप आसमान से जिमिन पर नुजूल फरमाएंगे वो वक़्त फज्र ( सुबह ) का होगा , दमिश्क की मस्जिद के मिनानरे पर जब लोग आपको देखेगे तो आप की गेसू ( बाल ) मुबारक से मोती की पानी टपक रहा होगा , और फज्र की नमाज के लिए इक़ामत हो चुकी होंगी
इमाम महेदी पीछे हट जाएंगे और आप ईसा को नमाज़ पढाने कहेंगे पर आप ईसा कहेगे की इक़ामत आपके लिए हुई है आप नमाज़ पढ़ाये और बस एकही दफा होगा क्योंकि आप नबी ए बरहक़ तो होंगे पर शरीयत मेरे मुस्तफा की ही होगी , नमाज़ इमाम मेहदी का पढ़ने का असल मकशद ये है , आप ईसा भी जो भी कोई फैसला करेंगे मौजूदा शरीयत यानी शरीयत ए मुस्तफा सल्ललाहु अलैहि वसल्लम से ही करेंगे !
* और फिर दज्जाली फ़ितने को कुचल कर यहूदियों की ढील ख़त्म यानी अल्लाह की पकड़ से बच न सकेंगे और आप ईसा के जरिये के यहूदियों पर अज़ाब आएगा बदला उनके करतूतो के सबब और धरती पर एक भी यहूदी नही बचेंगा फिर याजूज माजूज
* पाक पालनहार ने आपाकी जान की हिफाजत करके आसमानों की तरफ उठा लिया एक मुद्दत तक और इस आयत के मुताबिक़ ।
كُلُّ نَفْسٍ ذَآئِقَةُ ٱلْمَوْتِ
* आप फिर से आसमान से जिमीन पर तशरीफ़ लाएंगे और मुसलमानों के साथ होकर , जो अपने आपको ईसाई होने का दावा करते है उनको हक़ बताएंगे और कई लोगो ईमान ले आएंगे और कई कुफ्र पर ही अड़े रहेंगे और हजरत इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम के साथ मिलकर झूठा महसी
ए दज्जाल को कत्ल करेंगे ,जब आप आसमान से जिमिन पर नुजूल फरमाएंगे वो वक़्त फज्र ( सुबह ) का होगा , दमिश्क की मस्जिद के मिनानरे पर जब लोग आपको देखेगे तो आप की गेसू ( बाल ) मुबारक से मोती की पानी टपक रहा होगा , और फज्र की नमाज के लिए इक़ामत हो चुकी होंगी
इमाम महेदी पीछे हट जाएंगे और आप ईसा को नमाज़ पढाने कहेंगे पर आप ईसा कहेगे की इक़ामत आपके लिए हुई है आप नमाज़ पढ़ाये और बस एकही दफा होगा क्योंकि आप नबी ए बरहक़ तो होंगे पर शरीयत मेरे मुस्तफा की ही होगी , नमाज़ इमाम मेहदी का पढ़ने का असल मकशद ये है , आप ईसा भी जो भी कोई फैसला करेंगे मौजूदा शरीयत यानी शरीयत ए मुस्तफा सल्ललाहु अलैहि वसल्लम से ही करेंगे !
सही बुखारी |
* और फिर दज्जाली फ़ितने को कुचल कर यहूदियों की ढील ख़त्म यानी अल्लाह की पकड़ से बच न सकेंगे और आप ईसा के जरिये के यहूदियों पर अज़ाब आएगा बदला उनके करतूतो के सबब और धरती पर एक भी यहूदी नही बचेंगा फिर याजूज माजूज
का फितना ।
حَتَّىٰٓ إِذَا فُتِحَتْ يَأْجُوجُ وَمَأْجُوجُ وَهُم مِّن كُلِّ حَدَبٍ يَنسِلُونَ
अल्लाह उनको भी हलाक़ कर देंगा पर फिर चोरो तरफ हक़ दिन ( इस्लाम )
बस इतना (तवक्कुफ़ तो ज़रूर होगा) कि जब याजूज माजूज (सद्दे सिकन्दरी) की कैद से खोल दिए जाएँगे और ये लोग (ज़मीन की) हर बुलन्दी से दौड़ते हुए निकल पड़े । ( 21 : 96 )
सही बुखारी |
अल्लाह उनको भी हलाक़ कर देंगा पर फिर चोरो तरफ हक़ दिन ( इस्लाम )
शांति होगी इतनी मालो में बरकत होगी कि कोई जकात लेने वाला न होगा ।
* चोरों तरफ खुशहाली होगी और आप कुछ बरस रहेंगे आप का निकाह भी होगा , उनसे आप को अल औलाद भी होगी , फिर आप की वफात का वाकिया होगा और मेरे आका व मौला अल्लाह के प्यारे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के क़बर मुबारक की बगल से आप ईसा की क़बर मुबारक होगि फिर आप उसमे आराम फरमाएंगे और इंसाफ के दिन उठाये जयाएँगे । नबी ए करीम मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मेरे और ईसा के बीच कोई दूसरा नबी नही ।
सही बुखारी |
* आप ईसा की भी गवाही की मेरे बाद वही आने वाले है , जिनका नाम अहमद होगा
और नबी का एक नाम अहमद भी है ।
और (याद करो) जब मरियम के बेटे ईसा ने कहा ऐ बनी इसराइल मैं तुम्हारे पास ख़ुदा का भेजा हुआ (आया) हूँ (और जो किताब तौरेत मेरे सामने मौजूद है उसकी तसदीक़ करता हूँ और एक पैग़म्बर जिनका नाम अहमद होगा (और) मेरे बाद आएँगे उनकी ख़ुशख़बरी सुनाता हूँ जो जब वह (पैग़म्बर अहमद) उनके पास वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आया तो कहने लगे ये तो खुला हुआ जादू
है । ( 61 : 6 )
है । ( 61 : 6 )
وَمَنْ أَظْلَمُ مِمَّنِ ٱفْتَرَىٰ عَلَى ٱللَّهِ ٱلْكَذِبَ وَهُوَ يُدْعَىٰٓ إِلَى ٱلْإِسْلَٰمِ وَٱللَّهُ لَا يَهْدِى ٱلْقَوْمَ ٱلظَّٰلِمِينَ
और जो शख़्श इस्लाम की तरफ बुलाया जाए (और) वह कुबूल के बदले उलटा ख़ुदा पर झूठ (तूफान) जोड़े उससे बढ़ कर ज़ालिम और कौन होगा और ख़ुदा ज़ालिम लोगों को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता ।
( 61 : 7 )
يُرِيدُونَ لِيُطْفِـُٔوا۟ نُورَ ٱللَّهِ بِأَفْوَٰهِهِمْ وَٱللَّهُ مُتِمُّ نُورِهِۦ وَلَوْ كَرِهَ ٱلْكَٰفِرُونَ
ये लोग अपने मुँह से (फूँक मारकर) ख़ुदा के नूर को बुझाना चाहते हैं हालॉकि ख़ुदा अपने नूर ( वादा ) को पूरा करके रहेगा अगरचे कुफ्फ़ार बुरा ही (क्यों न) मानें । ( 61 : 8 )
هُوَ ٱلَّذِىٓ أَرْسَلَ رَسُولَهُۥ بِٱلْهُدَىٰ وَدِينِ ٱلْحَقِّ لِيُظْهِرَهُۥ عَلَى ٱلدِّينِ كُلِّهِۦ وَلَوْ كَرِهَ ٱلْمُشْرِكُونَ
वह वही है जिसने अपने रसूल को हिदायत और सच्चे दीन के साथ भेजा ताकि उसे और तमाम दीनों पर ग़ालिब करे अगरचे मुशरेकीन बुरा ही (क्यों न) माने । ( 61 : 9 )
आप नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सच्चे नबी ।
وَٱلْقُرْءَانِ ٱلْحَكِيمِ
इस पुरअज़ हिकमत कुरान की क़सम ।
( 36 : 2 )
( 36 : 2 )
إِنَّكَ لَمِنَ ٱلْمُرْسَلِينَ
(ऐ रसूल) तुम बिलाशक यक़ीनी पैग़म्बरों में से हो । ( 36 : 3 )
عَلَىٰ صِرَٰطٍ مُّسْتَقِيمٍ
تَنزِيلَ ٱلْعَزِيزِ ٱلرَّحِيمِ
जो बड़े मेहरबान (और) ग़ालिब (खुदा) का नाज़िल किया हुआ (है) । ( 36 : 5 )
لِتُنذِرَ قَوْمًا مَّآ أُنذِرَ ءَابَآؤُهُمْ فَهُمْ غَٰفِلُونَ
ताकि तुम उन लोगों को (अज़ाबे खुदा से) डराओ जिनके बाप दादा (तुमसे पहले किसी पैग़म्बर से) डराए नहीं गए । ( 36 : 6 )
هُوَ ٱلَّذِىٓ أَرْسَلَ رَسُولَهُۥ بِٱلْهُدَىٰ وَدِينِ ٱلْحَقِّ لِيُظْهِرَهُۥ عَلَى ٱلدِّينِ كُلِّهِۦ وَلَوْ كَرِهَ ٱلْمُشْرِكُونَ
अगरचे कुफ्फ़ार बुरा माना करें वही तो (वह ख़ुदा) है कि जिसने अपने रसूल (मोहम्मद) को हिदायत और सच्चे दीन के साथ
( मबऊस करके) भेजता कि उसको तमाम दीनो पर ग़ालिब करे अगरचे मुशरेकीन बुरा माना करे । ( 9 : 33 )
يَٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوٓا۟ إِنَّ كَثِيرًا مِّنَ ٱلْأَحْبَارِ وَٱلرُّهْبَانِ لَيَأْكُلُونَ أَمْوَٰلَ ٱلنَّاسِ بِٱلْبَٰطِلِ وَيَصُدُّونَ عَن سَبِيلِ ٱللَّهِ وَٱلَّذِينَ يَكْنِزُونَ ٱلذَّهَبَ وَٱلْفِضَّةَ وَلَا يُنفِقُونَهَا فِى سَبِيلِ ٱللَّهِ فَبَشِّرْهُم بِعَذَابٍ أَلِيمٍ
ऐ ईमानदारों इसमें उसमें शक़ नहीं कि
(यहूद व नसारा के) बहुतेरे आलिम ज़ाहिद लोगों के माल (नाहक़) चख जाते है और (लोगों को) ख़ुदा की राह से रोकते हैं और जो लोग सोना और चाँदी जमा करते जाते हैं और उसको ख़ुदा की राह में खर्च नहीं करते तो (ऐ रसूल) उन को दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशखबरी सुना दो । ( 9 : 34 )
مُّحَمَّدٌ رَّسُولُ ٱللَّهِ وَٱلَّذِينَ مَعَهُۥٓ أَشِدَّآءُ عَلَى ٱلْكُفَّارِ رُحَمَآءُ بَيْنَهُمْ تَرَىٰهُمْ رُكَّعًا سُجَّدًا يَبْتَغُونَ فَضْلًا مِّنَ ٱللَّهِ وَرِضْوَٰنًا سِيمَاهُمْ فِى وُجُوهِهِم مِّنْ أَثَرِ ٱلسُّجُودِ ذَٰلِكَ مَثَلُهُمْ فِى ٱلتَّوْرَىٰةِ وَمَثَلُهُمْ فِى ٱلْإِنجِيلِ كَزَرْعٍ أَخْرَجَ شَطْـَٔهُۥ فَـَٔازَرَهُۥ فَٱسْتَغْلَظَ فَٱسْتَوَىٰ عَلَىٰ سُوقِهِۦ يُعْجِبُ ٱلزُّرَّاعَ لِيَغِيظَ بِهِمُ ٱلْكُفَّارَ وَعَدَ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ مِنْهُم مَّغْفِرَةً وَأَجْرًا عَظِيمًۢا
मोहम्मद ख़ुदा के रसूल हैं और जो लोग उनके साथ हैं काफ़िरों पर बड़े सख्त और आपस में बड़े रहम दिल हैं तू उनको देखेगा (कि ख़ुदा के सामने) झुके सर बसजूद हैं ख़ुदा के फज़ल और उसकी ख़ुशनूदी के ख्वास्तगार हैं कसरते सुजूद के असर से उनकी पेशानियों में घट्टे पड़े हुए हैं यही औसाफ़ उनके तौरेत में भी हैं और यही हालात इंजील में (भी मज़कूर) हैं गोया एक खेती है जिसने (पहले ज़मीन से) अपनी सूई निकाली फिर (अजज़ा ज़मीन को गेज़ा बनाकर) उसी सूई को मज़बूत किया तो वह मोटी हुई फिर अपनी जड़ पर सीधी खड़ी हो गयी और अपनी ताज़गी से किसानों को ख़ुश करने लगी और इतनी जल्दी तरक्क़ी इसलिए दी ताकि उनके ज़रिए काफ़िरों का जी जलाएँ जो लोग ईमान लाए और अच्छे (अच्छे) काम करते रहे ख़ुदा ने उनसे बख़्शिस और अज्रे अज़ीम का वायदा किया है । ( 48 : 29 )
وَمَآ أَرْسَلْنَٰكَ إِلَّا كَآفَّةً لِّلنَّاسِ بَشِيرًا وَنَذِيرًا وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يَعْلَمُونَ
(ऐ रसूल) हमने तुमको तमाम (दुनिया के) लोगों के लिए (नेकों को बेहश्त की) खुशखबरी देने वाला और (बन्दों को अज़ाब से) डराने वाला (पैग़म्बर) बनाकर भेजा मगर बहुतेरे लोग (इतना भी) नहीं जानते ।
( 34 : 28 )
( 34 : 28 )
وَمَآ أَرْسَلْنَٰكَ إِلَّا رَحْمَةً لِّلْعَٰلَمِينَ
और (ऐ रसूल) हमने तो तुमको सारे दुनिया जहाँन के लोगों के हक़ में अज़सरतापा रहमत बनाकर भेजा । ( 21 : 107 )
وَرَفَعْنَا لَكَ ذِكْرَكَ
और तुम्हारा ज़िक्र भी बुलन्द कर दिया ।
( 94 : 4 )
( 94 : 4 )
إِنَّ ٱللَّهَ وَمَلَٰٓئِكَتَهُۥ يُصَلُّونَ عَلَى ٱلنَّبِىِّ يَٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ صَلُّوا۟ عَلَيْهِ وَسَلِّمُوا۟ تَسْلِيمًا
इसमें भी शक नहीं कि खुदा और उसके फरिश्ते पैग़म्बर (और उनकी आल) पर दुरूद भेजते हैं तो ऐ ईमानदारों तुम भी दुरूद भेजते रहो और बराबर सलाम करते रहो ।
(33 : 56 )
* हर नबी से अल्लाह ने वादा लिया था कि जब नबी ए अख्रुजम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ़ आये तो जो भी उनको पाये तो उनकी मदद करना है , इसी के चलते सब नबी आपके आने की दुआ करते , और इनतजार करते और अपनी उम्मतों को आप नबी की सिफते की पेशनगोई करते और आने की खुशख़बरी सुनते ।
जिस का एक उदहारण इस तरह से है , हज़रत अब्दुउल्लाह बिन सलाम ये यहुदियों के बहुत बड़े अलीम थे, आप ने नबी पाक की आने पेशनगोई पढे थी , और लोगो को भी बताया करते थे कि नबी ए अख्रुजम आने वाले और जीनकी पेशनगोई तोरैत और इंजील में और आप का ईमान लाना जो इस तरह से है ।
(33 : 56 )
* हर नबी से अल्लाह ने वादा लिया था कि जब नबी ए अख्रुजम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ़ आये तो जो भी उनको पाये तो उनकी मदद करना है , इसी के चलते सब नबी आपके आने की दुआ करते , और इनतजार करते और अपनी उम्मतों को आप नबी की सिफते की पेशनगोई करते और आने की खुशख़बरी सुनते ।
وَإِذْ أَخَذَ ٱللَّهُ مِيثَٰقَ ٱلنَّبِيِّۦنَ لَمَآ ءَاتَيْتُكُم مِّن كِتَٰبٍ وَحِكْمَةٍ ثُمَّ جَآءَكُمْ رَسُولٌ مُّصَدِّقٌ لِّمَا مَعَكُمْ لَتُؤْمِنُنَّ بِهِۦ وَلَتَنصُرُنَّهُۥ قَالَ ءَأَقْرَرْتُمْ وَأَخَذْتُمْ عَلَىٰ ذَٰلِكُمْ إِصْرِى قَالُوٓا۟ أَقْرَرْنَا قَالَ فَٱشْهَدُوا۟ وَأَنَا۠ مَعَكُم مِّنَ ٱلشَّٰهِدِينَ
(और ऐ रसूल वह वक्त भी याद दिलाओ) जब ख़ुदा ने पैग़म्बरों से इक़रार लिया कि हम तुमको जो कुछ किताब और हिकमत (वगैरह) दे उसके बाद तुम्हारे पास कोई रसूल आए और जो किताब तुम्हारे पास उसकी तसदीक़ करे तो (देखो) तुम ज़रूर उस पर ईमान लाना, और ज़रूर उसकी मदद करना (और) ख़ुदा ने फ़रमाया क्या तुमने इक़रार लिया तुमने मेरे (एहद का) बोझ उठा लिया सबने अर्ज़ की हमने इक़रार किया इरशाद हुआ (अच्छा) तो आज के क़ौल व (क़रार के) आपस में एक दूसरे के गवाह रहना ।
( 3 : 81 )
( 3 : 81 )
* हदीस : - हज़रत अनस रिजिअल्लाहु अन्हु ने बयान कीया की , अब्दुउल्लाह बिन सलाम को पत्ता चाल की नबी ए पाक सल्लल्लाहु अलैह वस्लम मदीने मुनव्वर तशरीफ़ आने की खबर मिली वह नबी ए पाक की खिदमत में आये और 3 सवाल किए और कहा इनके जवाब सिवाय नबी के कोई नही जानता जवाब मिलने पर हज़रत अब्दुउल्लाह बिन सलाम रिजिअल्लाहु अन्हु ईमान की दौलत से मालामाल हो गए फिर अर्ज किया या रसूलल्लाह यहुदी बहुत झुटे लोग है ।
अगर उनको मेरे बारे में इल्म हो गया की मैं ईमान ला चुका हूँ तो मुझे झुट लाएंगे ।
थोड़ी देर बाद कुछ यहुदि आये और हज़रत अब्दुउल्लाह बिन सलाम रिजिअल्लाहु अन्हु घर के अंदर जा कर पोशीदा हो गए ।
आप सल्लल्लाहु अलैह वस्लम ने उन यहूदियों को हज़रत अब्दुउल्लाह बिन सलाम के बारे में पूछा कि तुम मे वो क्या मकाम रखते है ?
सारे यहुदी बोल उठे की वह हम में सबसे बड़े अलीम है और सब से बड़े अलीम के बेटे है , और हम में सबसे बहत्तर और सबसे बहत्तर के बेटे है ।
आप नबी ए पाक ने फ़रमाया अगर वो ईमान ले आये तो , तो तुम्हारा क्या खयाल है इस बारे में ? तो यहूदियों ने कहा कि अल्लाह उनको इस से महफूज रखे ( यानी ईमान से बचाये माजल्लाह )
तो हज़रत अब्दुउल्लाह बिन सलाम रिजिअल्लाहु अन्हु बाहर तशरीफ़ लाये और कलम ए हक़ बुलंद कर दिया । ( तो वही यहूदी जो पहले तारीफ के पुल बांद रहे थे ।)
अब वह यहूदी हज़रत अब्दुउल्लाह बिन सलाम रिजिअल्लाहु अन्हु के मुताल्लिक कहने लगे । हम में सब से बत्तरनी और बत्तरीन का बेटा है । उनकी बुराई करने लग गए ।
( सही बुखारी 3329 )
* ये है यहूदी जो आपने सगे के नही होते।
अगर जो पहले इनको महबूब रहता है , मुस्लिमों होने के बाद वही दुश्मन बन जाता है इनको आका के नाम से हसद थी क्यों कि जो ये हरकत करते थे लोगो से इन्होंने हराम को भी हलाल ठहरा कर काम करते थे , आका ने इनका ये राज खोल दिया इस लिए चिढ़ते थे ।
* और इसी के चले आप ईसा की दुआ क़बूल हुई और आप हुज़ूर की उम्मत की मदद
करेंगे ( बेशक़ )
* अल्हम्दुलिल्लाह मैं कई लेख में बता चुका
हूँ सारे नबियो का दिन एक ही था इस्लाम
हज़रत आदम से लेकर आप नबी सल्ललाहु अलैहि वसल्लम तक एक ही संदेश एक अल्लाह के सिवाय कोई मअबूद नही
( पूजनीय ) और वही सबका पालनेवाला
है ।
सही बुखारी |
आप ईसा का हुलिया मुबारक ( रूप रेखा )
सही बुखारी |
सही बुख़ारी |
सही बुखारी |
सही बुखारी |
अब देखते है आगे .........
असली ईसाई कौन है 3 ?
ईसा अलैहिस्सलाम का बचपन 1
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