वेद और आतंकवाद
मेरे नॉन मुस्लिम औऱ मुस्लिम भाइयो के लिए एक लेख ।
* जो कहते है इस्लाम आंतकवाद की शिक्षा देता है (माजल्लाह) केवल उनके लिए उनकी धार्मिक पुस्तकों में क्या लिखा है, ये बात बताने की कोशिश करूंगा।
* इसी कारण हम ने(अल्लाह)बनी इस्राइल में लिख दिया था की जिसने किसी व्यक्ति को खून का बदला लेने या जमीन में फ़साद फैलाने के अतिरिक्त किसी और कारण से मार डाले तो मानो उसने सारी इंशानो की हत्या कर दी और जिसने एक व्यक्ति को जीव प्रदान की उसने सारी इंशानो को जीव दान दिया (5:32)
*वेद और आतंक इत्यादि पुस्तकों से प्रमाण के साथ,😊 अगर किसी भी व्यक्ति को इसमें जरा भी शक हो तो प्रमाण चेक करले!
*वेद विरोधी के साथ और शत्रु साथ कैसा अंजाम करे उसके बारे में।।
*काट डाल, चिर डाल, फाड् डाल, जला दे,फुंक दे,भस्म कर दे।(अथर्वेद 12:5:62)
*तुम करके बांध लिए गए,कुचल गए,अनिष्ट चिन्तक को आग में जला डाल(अथर्वेद12:5:61)
* (वेदविरोधी)उन लोगो को काट डाल, उसकी खाल उतार दे,उसके मांस के टुकडो को बोटी-बोटी कर दे,उसके नसों को एठ दे,उसकी हड्डियों को मसल डाल उसकी मिंग निकाल दे,उसके सब अडो(हस्सो) और जुडो को ढीला कर दे(अथर्वेद 12:5:7) जो आज -कल हो रहा है, लोगो के साथ इंडिया में ex. मुसलमान के साथ हर जगह मार जा रहे है। तो भी मुसलमान आतंकवादी है (अफसोस कि बात है) हमारे दलित,ईसाइयो , etc साथ हो रहा है।।
*अब जो मांस का सेवन करते है उनके साथ क्या करे उसके बारे में!
* मांसभक्षक अग्नि इसको पृथ्वी (जमीन) से निकाल देवे और जला डाले वायु(हवा)बड़े विस्तार अंतरिक्ष(वैसा ही कर यानी निकाल डाल)सूर्य प्रकाश से ढकेल देवे और गिरकर जला डाल। (अर्थवेद12:5:73)
* मांस खानेवाले को कारागार(जेल) में बंद कर दे। (अथर्वेद 8:3:2)
*है सूर्य और चांद तुम दोनों राक्षसों (मांसभक्षी को और वैदिक धर्म ना मानने वालों को राक्षस कहा जाता है) तपाओ दबाओ हे बलिस्ट तुम दोनों अंधकार बढ़ाने वालों को(मूर्ख जो वेदों को नही जानते या मानते) कुचल डालो, जला दो और खाऊ जनों को मारो ढकेलो ढील डालो।
(दुर्बल कर दो)(अथर्वेद 8:4:1)
(दुर्बल कर दो)(अथर्वेद 8:4:1)
*अब दूसरे देश या अनार्य लोगो को वहां लूट -मार और दुर्लभ व्यवहार करे ।
*यह वज्र सत्य धर्म(वैदिक धर्म) की तुर्ति करे , इस शत्रु की राज्य की(उसकी सल्तनत) नाश करके उसके जीवन को नाश कर देवे(वहां अच्छी शिक्षा है)उसकी गले की नाडियो को काटे और गुददी नाड़ियो को तोड़ डाले।(अथर्वेद6:135:1)
* उचे लोगो से नीचे-नीचे और गुप्त होकर जमीन से कभी न ऊठे और दंड से मार डाला गया पढ़ा रहे। (अथर्वेद 6:135:2)
*हिंसको को मार डाल औऱ गिरा दे,जैसे वायु पैड को (NOTE:- )गौ, घोड़ा और पुरूष को मत छोड़ो(या तो इसका एक मतलब है,की मार डालो या फिर गुलाम बनालो)है हिंसा शील(मजलूम को हिंसक कहा जा रहा बल्कि खुद हिंसा कर रहे है।)यहां से लौट कर प्रजा की हानि के लिए जगह दे (अथर्वेद10:1:17)
*कहते है, की लौहे की बनी तलवार घर पर है (अथर्वेद10:1:20)
*तेरी गिरवा की निडियो और दोनो पैरो को भी मैं काटूँगा निकल जा।(सब को निकाल दो ,तुम लोग रहो) (अथर्वेद 10:1:12)
*पीछे को चढाये गए दोनों भुजाओ को(हाथों)और मुख(मुँह) में बांधता हु।(अथर्वेद 7:17:4'5)
*में उस शत्रु को उसके घर से निकलता हु, जो शत्रु सेना चढ़ता है(यानी जो इनके मुक़ाबिल आता है तो घर से निकाल कर मर देंगे)प्रतापी राजा(लीडर)उसको अपने निविहन ग्रहा व्यवहार से गिराये।
( अथर्वेद6:75:1)
*मांसभक्ष को मूल सहित भस्म कर दो।
(अथर्वेद 8:3:18)
(अथर्वेद 8:3:18)
NOTE* हे विद्वन आपके अनार्य देशो(जो आर्य देश नही है)में बसने वालो मे गांव से नही दुग्ध आदि को दुहते।(जो गौ दूध नही देती)दिनको नही तापते है(जो वेदों से अपरिचित है) वे क्या करते वह करे आप हम लोगो के लिए जो कुलीन मुझ को प्रप्त होता है,उसके धनोको सब प्रकार से धारण करे(पकड़ना-उसके माल को आसान शब्दों में लूट लेना वाह क्या बात है)और ये क्षेषट धन से युक्त आप हम लोगों के नीचे शक्ति जिसमे उसकी नितृति करो।(यानी गुलाम बनाओ)👌बहुत खूब(ऋग्वेदा 3:53:14)
*सत्यार्थ प्रकाश में दयानद सस्वती यही बात करते है।
*इस व्यवस्था को कभी न तोड़े की जो-जो युद्ध मे जिस-जिस भृत्य( सैनिक)वा अध्यक्ष ने रथ, घोड़ा, हाथी,छत्र, धन,धान्य, गाय, आदि पशु और NOTE स्त्रीया(लेडिस)तथा अन्य प्रकार के सब द्रव्य और घी .......... इत्यादि युद्ध मे जाते उस-उस को ग्रहण करे (यानी लूट लो) यही बात मनुसमूर्ति में कई जगह पर लिखी है।
*तो क्या स्त्रीयो के साथ नियोग के नाम पर बलत्कार करें।(वाह भाई वाह)क्या बात है(6 समुलास पेज नम्बर126) इसके आगे लिखा है कि किसको कितना हिसा मिलना चाहिए।
*और ऋग्वेदादीभाष्यभूमिक में लिखा है कि युद्ध ही एक मात्र धन प्रप्ति का जरिया हैं इसी लिए उसे निघण्टु कहा जाता है(यानी महाधन का जरिया) दूसरों को लूटो धन जमा करो और ये बात मनुसमूर्ति में भी है।
(22-10 राजप्रजाधर्मविषय पेज नम्बर 285)
*(और मुगलों को लुटेरा बोलते है बल्कि यही यही पैदा होय और यही उनकी क़बर है। और अपना इतिहास भूल गए विदेशोंयो बोहत खूब)
* एक आर्य समाज वाले एक व्यक्ति के मेरी बात चीत में उसने खुद कहा है,की वेदों से कि इन्शान में क़ुर्द्ध आती है (यानी आतंक की भावना आती है ।
* वैदिक ईश्वर आज्ञा देता है कि सब मनुष्यों को वैदिक बनाओ। (यजुर्वेद 2:1) बोहत अच्छी जबरदस्ती है।
*और भी बहुत बाते है ये चंद पेश किया है नही तो वेद ऐसी चीजों से भरा -पढ़ा है।
*स्त्रियो और विधवाओं को नियोग के नाम पर बलत्कार करना । पंडितो ने खूब मजे लिए है। जिसका ex. आसाराम , रामरहीम इत्यादि इस दौर में मौजूद है।क्यों कि वेद ऐसी शिक्षा देता है उनमें उन बेचारो का क्या कसूर है। वो तो वेद के अनुसार चल रहे थे ।
*ये जो भी लिखा है वेदों के समुन्दरो से केवल एक बूंद है,अभी तो पूरा समुन्द्र बाकी है।
* मैन जो भी लिखा है किसी की धार्मिक भावनाओ ठेस पहुंचाना नही बल्कि इस्लाम विरोधी को जवाब देना है।
* कृपिया आप भी ये बाते खुद चेक कर , नाकि मेरी बातों पर आंख मून कर भरोसा कर।
1 comments:
Click here for commentsबहुत खूब इदरीस भाई
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