क़ुरान और पहाड़
* सभी के लिए मत्वपूर्ण लेख !
* आज कल एक बात पर बहुत टिप्पणियां कर रहे है या ये कहे लीजिये की ठहटा बना रहे है , की अल्लाह ने जमीन को पहाड़ से थमा है की कही उड़ना जाए ?
* अब इन बातों का जवाब देने में भी सोच आति है कि जिनका ज्ञान - विज्ञान से दूर - दूर तक कोई लेना देना नही वे विज्ञान की बात करते नजर आते है , केवल ज्ञान - विज्ञान नाम पर पाखंड फैला रखा है उन्होंने कभी वो ज्ञान विज्ञान खोल कर पढ़ा है , या युही लोगों को मूर्ख बनाते फिर रहे हो ।
* वेदों में कितना ज्ञान है वे यहा देखे @
* बरहल दखते है कि इन बताओ में कितना सत्य है या असत्य ।
* और ये भी देखेंगे कि वेदो में कितना ज्ञान विज्ञान है !
أَلَمْ نَجْعَلِ ٱلْأَرْضَ مِهَٰدًا
وَٱلْجِبَالَ أَوْتَادًا
* क्या ये वाकिया नही है कि हम ने पृथ्वी को फर्श बनाया और पहड़ो को खूंटो की तरह गाड़ दिया । ( अल क़ुरान 78 : 6 - 7 )
* यहाँ पर "औताद " आया है , जिसका अर्थ होता है ।
"खुटी "
उदहारण ० जिस तरह किसी इमारत को बुलन्द करने के लिए सुतूनों की जरूरत होती है मजबूति के लिए !
* उसी प्रकार से धरती को भी सुतूनों की जरूरत है ।
* पूरे पृथ्वी पर लगभग 73 % और 27 % भु है ।
* भु - वैज्ञानिको ने इस बात पर सोच विचार करके ये जानकारी दी है कि ।
* पृथ्वी को भूकंपों से बचाए रखने की सबसे बडी वजह पहड़ो का पृथ्वी पर रहना है क्यों कि पर्वत जितने ऊपर की ओर होते उससे कई ज्यादा जामिन के अंदर होते है ।
पृथ्वी चपटी या गोल यहाँ देखे @
* अगर ये पहाड़ न होते तो भूकंप के झटके की वजह के धरती कब की नष्ट हो जाती .
* आये देखते है इसमें कितनी सच्चाई है ।
* पृथ्वी के पटल में बल पढ़ने के कारणों से पर्वतों को निर्माण हुआ ।
* धरती की जिस सतह पर हमारा जीवन बस्ता है ,किसी पतली झिली की तरह है ।
* जिसकिलोमीटर तक गहरी है ।
* जिसके कारण की मोटाई लगभग 2 किलोमीटर से लेकर 35 भूकंप से धरती का कंपन काफी हद तक बढ़ जाता है ।
* तो वहा पर पहाड़ बहुत हद तक आपनी भूमिका निभाता है धरती को भूकंप के कंपन से बचाने के लिए ।
* भु - विज्ञान विद्ववानों के अनुसार पृथ्वी की अर्द्धव्यास की आधी मोटाई यानी 6035 किलोमीटर लगभग है ।
* और यही कारण है कि पहड़ो किसी हद तक के खूंटो
( यानी मजबूती के सुतूनों ) की तरह से काम करते है ,जो पृथ्वी के धरातल को थामे रखते है और उसे अपने जगह का अस्थित्व प्रदान करते है ।
* THE EARTH नामक अंग्रेजी पुस्तक में
भु - विज्ञान के बुनियादी उदहारणो में आधारित पाठक्रम की पुस्तक है , जिसके लेखक डॉ . फ्रेकप्रेस काभी जो 12 वर्षा तक अमेरिका के विज्ञान एकेडमी के अध्यक्ष रहे है ।
* इस पुस्तक के संदर्भ में पहाड़ों की व्याख्या कुलहाड़ी के फल जैसे से करते हुए बताया है कि पहाड़ खुद एक व्यापकतम आस्तित्व
( जहरी ) का छोटा हिस्सा होता है , जिसकी जड़े पृथ्वी में बहुत गहराई तक उतरी होती है
* THE EARTH फ्रेकप्रेस और सिल्वर
PAGE NO. 435
* THE EARTH टारबुक और लिटनज
PAGE NO 157
* वैज्ञानिक ने बताया कि पृथ्वी पटल की मजबूती और उत्थापन के स्तिर रखने में पहाड़ ( पर्वत ) की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं ।
* आर्य भट की 0 वाली सच्चाई के लिए यहाँ
* और सच्चे पालनहार के पाक संदेश में यही बातो की तरफ इशारा करके बताया है , पृथ्वी की कंपन से सुरक्षित रखता है ।
وَجَعَلْنَا فِى ٱلْأَرْضِ رَوَٰسِىَ أَن تَمِيدَ بِهِمْ وَجَعَلْنَا فِيهَا فِجَاجًا سُبُلًا لَّعَلَّهُمْ يَهْتَدُونَ
और हमने ( अल्लाह ) ज़मीन पर भारी बोझल पहाड़ बनाए ताकि ज़मीन उन लोगों को लेकर किसी तरफ झुक न पड़े और हम ने ही उसमें लम्बे-चौड़े रास्ते बनाए ताकि ये लोग अपने-अपने मंज़िलें मक़सूद को जा पहुँचे । ( 21 : 31 )
وَجَعَلْنَا ٱلسَّمَآءَ سَقْفًا مَّحْفُوظًا وَهُمْ عَنْ ءَايَٰتِهَا مُعْرِضُونَ
और हम ही ने आसमान को छत बनाया जो हर तरह महफूज़ है और ये लोग उसकी आसमानी निशानियों से मुँह फेर रहे हैं।
( 21 : 32 )
وَهُوَ ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلَّيْلَ وَٱلنَّهَارَ وَٱلشَّمْسَ وَٱلْقَمَرَ كُلٌّ فِى فَلَكٍ يَسْبَحُونَ
और वही वह (क़ादिरे मुत्तलिक़) है जिसने रात और दिन और आफ़ताब और माहताब को पैदा किया कि सब के सब एक (एक) आसमान में पैर कर चक्मर लगा रहे हैं ।
( 21 : 33 )
وَمَا جَعَلْنَا لِبَشَرٍ مِّن قَبْلِكَ ٱلْخُلْدَ أَفَإِي۟ن مِّتَّ فَهُمُ ٱلْخَٰلِدُونَ
और (ऐ रसूल) हमने तुमसे पहले भी किसी फ़र्दे बशर को सदा की ज़िन्दगी नहीं दी तो क्या अगर तुम मर जाओगे तो ये लोग हमेशा जिया ही करेंगे । ( 21 :34 )
كُلُّ نَفْسٍ ذَآئِقَةُ ٱلْمَوْتِ وَنَبْلُوكُم بِٱلشَّرِّ وَٱلْخَيْرِ فِتْنَةً وَإِلَيْنَا تُرْجَعُونَ
(हर शख्स एक न एक दिन) मौत का मज़ा चखने वाला है और हम तुम्हें मुसीबत व राहत में इम्तिहान की ग़रज़ से आज़माते हैं और (आख़िकार) हमारी ही तरफ लौटाए जाओगे ! ( 21 : 35 )
* उसी तरह पहाड़ वाली आयते है ये है ।
خَلَقَ ٱلسَّمَٰوَٰتِ بِغَيْرِ عَمَدٍ تَرَوْنَهَا وَأَلْقَىٰ فِى ٱلْأَرْضِ رَوَٰسِىَ أَن تَمِيدَ بِكُمْ وَبَثَّ فِيهَا مِن كُلِّ دَآبَّةٍ وَأَنزَلْنَا مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءً فَأَنۢبَتْنَا فِيهَا مِن كُلِّ زَوْجٍ كَرِيمٍ
तुम उन्हें देख रहे हो कि उसी ने बग़ैर सुतून के आसमानों को बना डाला और उसी ने ज़मीन पर (भारी भारी) पहाड़ों के लंगर डाल दिए कि (मुबादा) तुम्हें लेकर किसी तरफ जुम्बिश करे और उसी ने हर तरह चल फिर करने वाले (जानवर) ज़मीन में फैलाए और हमने आसमान से पानी बरसाया और (उसके ज़रिए से) ज़मीन में हर रंग के नफ़ीस जोड़े पैदा किए ! ( 31 :10 )
وَأَلْقَىٰ فِى ٱلْأَرْضِ رَوَٰسِىَ أَن تَمِيدَ بِكُمْ وَأَنْهَٰرًا وَسُبُلًا لَّعَلَّكُمْ تَهْتَدُونَ
और (दरिया को तुम्हारे ताबेए) इसलिए (कर दिया) कि तुम लोग उसके फज़ल (नफा तिजारत) की तलाश करो और ताकि तुम शुक्र करो और उसी ने ज़मीन पर (भारी भारी) पहाड़ों को गाड़ दिया । ( 16 : 15 )
* 1400 साल पहले ही अल्लाह ने अपने प्यारे इन्शानियत की जान नबी करीम
(सल्ललाहु अलैही वसल्लम )को पहले ही बता दी क़ुरआन की शक्ल में ।इससे बड़ा क़ुरआन की बाते हक़ होने और आप नबी का सच्चे रसूल होने कोई शक हो सकता है भला ।
وَٱلْقُرْءَانِ ٱلْحَكِيمِ
इस पुरअज़ हिकमत कुरान की क़सम
( 36 : 2 )
إِنَّكَ لَمِنَ ٱلْمُرْسَلِينَ
(ऐ रसूल) तुम बेशक यक़ीनी (ऐ रसूल) तुम बेशक यक़ीनी पैग़म्बरों में से हो ।
( 36 : 3)
عَلَىٰ صِرَٰطٍ مُّسْتَقِيم
(और दीन के बिल्कुल) सीधे रास्ते पर (साबित क़दम) हो । ( 36 :4 )
تَنزِيلَ ٱلْعَزِيزِ ٱلرَّحِيمِ
जो बड़े मेहरबान (और) ग़ालिब (खुदा) का नाज़िल किया हुआ (है) ।
( 36 : 5)
لِتُنذِرَ قَوْمًا مَّآ أُنذِرَ ءَابَآؤُهُمْ فَهُمْ غَٰفِلُونَ
ताकि तुम उन लोगों को (अज़ाबे खुदा से) डराओ जिनके बाप दादा डराए नहीं गए ।
( 36 : 6 )
* और आगे देखते ।
* पृथ्वी की सतह पर अनगिनत मजबूत
(कठोर ) टुकड़ो यानी " प्लेटा "
टूटी हुई है , जिनकी औसतन मोटाई तकरीबन 100 किलोमीटर ये प्लेटे आंशिक रूप से पिघले हुए हिस्से पर मानो तैर दिखते नजर आते है , उक्त हिस्से को
" उद्दीपक गोलो " कहा जाता है ।
* पहाड़ साधारण प्लेटो के बाहरी सिमा पर पाये जाते है , पृथ्वी के नीचे समन्द्रों के पर 5 किलोमीटर मोटा होता है ।
* जबकि सुखी जमीन का हिस्सा संबध प्लेट की औसत मोटाई 35 किलोमीटर तक होती है ।
* बरहाल पहाड़ श्ररनखलाये के पृथ्वी
धरातल की मोटाई 80 किलोमीटर तक जा पहुचती है , यही वह मजबूत बुनियाद है जिस पर पहाड़ खड़े है ।
وَٱلْجِبَالَ أَرْسَىٰهَا
और पहाड़ों को उसमें गाड़ दिया ।
( 79 : 32 )
( 79 : 32 )
وَإِلَى ٱلْجِبَالِ كَيْفَ نُصِبَتْ
और पहाड़ों की तरफ़ कि किस तरह खड़े किए गए हैं । ( 88 :19 )
* अतः यह प्रमाणित हुआ कि पवित्र कुरान में पहाड़ का ज्ञान - विज्ञान की जानकारी देती है जो आज के वैज्ञानिक खोज कर रहे है समझदारों के लिए काफी होंगा ।
* अब देखते है ना समझ लोगो के लिए ।
* हवन कोनसा विज्ञान है भला कोई बताये
( यजुर्वेद 2 : 12 )
( यजुर्वेद 3 : 36 )
(यजुर्वेद 2 : 23 )
( यजुर्वेद 3 : 1 से 4 )
* भला क्या बात है अपनी झूटी ज्ञान -विज्ञान बात फैलाने के लिए लोगो को मूर्ख बनाते फिर रहे है । भाई क्या विज्ञान नजर आता है केवल प्रदूषण के सिवा ?
* गले मे धागा लटकाने में कोनसा विज्ञान बताने में लगे है । क्या मूर्खता है ।
* कोई गडर - नाली से गैस का विज्ञान बता रहा है ।
* भला ये देखो वैदिक वैज्ञानिक ।
* कोई गोबर , दही , गौ मूत्र से कैंसर का इलाज का ज्ञान बाट रहे है ।
* यहाँ कोई सूर्य में मनुष्यों का जीवन बता रहा है ,कोई चंद्र में अभी तक मानव मानव जाति पर पूरी तरीके से शोध नही लगा पाया बाहर जीवन ढूंढ़ने में लगा है
* और उनका मिलना असंभव है ।
और अगर मिल भी जाये तो क्या ?
इतने अरबो खरबो डॉलर उस पर खर्च करते है , देश - विदेश के लोगो की ये हालात न दिखाई पड़ती ।
* यहाँ तो ये हाल की जनवरो का महत्व ज्यादा और इंशानो का कम ?
अफसोस
😢😢😢😢😢😢😢
* और कोई तो गया पर हाथ फेरने से
ब्लटपेशर कम होने का ज्ञान दे रहा है ।
* क्या करे बेचारो का कोई दोष नही न जिस से ज्ञान - विज्ञान की बाते ढूंढना चाहतें है इसमें ये लिखा है ।
( अथर्वेद 6:77:1 )
* जिसमे भूमि, अंतरिक्ष और आकाश दृढ स्थापित है। (अथर्वेद 10:7:12)
* यजुर्वेद( 32:6 , 1:21 , )
अथर्वेद(13:1:6) में भी यही बाते लिखी है।
* सूर्य आदि लोको को रच कर और उसने सबको डोरी लगाकर बांद दिया है।☺️
(अथर्वेद 4:1:4 )
अगर डोरी छोड़ दोंगे तो सब भाग जाएंगे क्या ?😊
* हे मनुष्य ! जो तेरा मन NOTE:-( चारो दिशाओं में भ्रंश वाली पृथ्वी पर)( मतलब चार कोनो वाली पृथ्वी पर) दूर तक जाता है।( ऋग्विद 10:58:3)
* इस मंत्र में पृथ्वी को 4 कोनो वाली
बताया है । 😊
* और इससे भी बढ़कर दयानन्द सस्वती ने अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश के 8 समुलास में लिखा है । है। कि उनसे प्रशन किया लगा कि सूर्य , चन्द्र इत्यादि में मनुष्य रहते है । उत्तर है : - हा वो भी वेदों के साथ !😊😊😊👌👌👍
* क्या मजाक है। सूर्य का तापमान 5500 डिग्री हो तो है। वहाँ तक अभी तक कोई यान तक नही गया तो मानव जीवन तो ना-मुमकिन है। और रही चंद्र की बात तो मनुष्य वहाँ जा चुके है। यह बाते शिर्फ़ कॉमिक बुक में अच्छी लगती है।😊
* इससे मिलती जुलती बात वेद में भी है ।
(" वसुनाम जनानाम देवम राध:") अर्थात :- पृथिवि आदि वसुओं और मनुष्यो का अभिसित धनरूप है, उस अग्नि को तुम लोग उपयोग में लाओ। (वसुओं का मतलब बसने की जगह)
* क़ुरआन में इसके मुताबिक ये भी आयत मौजूद है। (सूरह 31:29)(सूरह 39:5) समझदारों के लिए निशानी बताई गई है।
(सुब्हान अल्लाह) इतने डिटेल में और कही नही मिल सकता आपको । इसे कहते है ईश्वरीय ज्ञान जो कि क़ुरआन केवल। (अल्हम्दुलिल्लाह)
* अब देखते है , की आकाश गंगा (गलेक्सि) में ग्रहों की हालत ।
* वही है जिसने रात दिन बनाया और सूर्य ,चंद्र भी । प्रत्येक अपने-अपने कक्ष में तैर रहे है।( सुरह 21:33)
* यह तैर से मुराद घूमना , हरकत करना।
* आकाशगंगा का फैलाव इस आयत में मिल जायेगा।(सूरह 51:7)
* हक़ बात( इस्लाम ) कोई जबरदस्ति नही।(2-256).
*पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
*नसीहत उनके लिए सीधे मार्ग पर चलना चाहे।
(81:27,28,29)(40:28)
(81:27,28,29)(40:28)
* ये मानव तुम लोग पालनहार(अल्लाह) के मोहताज हो और अल्लाह बे-नियाज़ है(सर्वशक्तिमान) है नसीहत वो मानते है जो अक्ल वाले है (13:19).
* और हरगिज अल्लाह को बे-खबर ना जानना जालिमो के काम से उन्हें ढील नही दे राहा है, मगर ऐसे दिन के लिए जिसमे आंखे खुली की खुली राह जांयेंगी।(14:42)
*कोई आदमी वह है, की अल्लाह के बारे में झगड़ाता है, ना तो कोई इल्म, ना कोई दलील और ना तो कोई रोशन निशानी।
(22:8)(31:20)(52:33,34)(23:72)(23:73).
*कह दो,"सत्य आ गया और असत्य मिट
गया, असत्य तो मिट जाने वाला ही होता है।
(17:81)
Note:- या अल्लाह लिखने में
बयान करने में कोई शरियन गलती हुई हो ,तो मेरे मालिक तू दिलो के राज जानने वाला है माफ फ़रमा दे।(आमीन)
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