पोल - खोल 6
सत्यार्थ प्रकाश 14
समुलास
😊 बाबा जी की पुस्तक है 😊
प्रशन : - 20 , 21 ,22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30
??????????
उत्तर : -
* भला ! ऐसी करनी और ऐसी बात
अल्पज्ञहो की बात है , वो परमात्मा की जब वैदिक ईश्वर सर्वज्ञ तो ऐसी कड़ा -कूट
संसार के मनुष्यों के साथ क्यों करेंगा ?
भला ये कोनसी भली बात है ?
* मैं अकेला ही चारो तरफ से खाने वाला हु ,अकेले मुझ को दो , तीन, चार और भी क्या कर सकेंगे कि मैं सबको मरूँगा और कहता है कोन मेरा क्या कर सकता है ।
* क्या मूर्खता और पक्षपात की बात है , क्या वैदिक ईश्वर प्रथम होने से ही नही जानता था , की मनुष्य ऐसा करेंगा ,और देखो तो घमंड से कहता है कोन मेरी निदा कर सकता है ?
👌👌👌* वाह भाई वाह *👌👌👌
* खूब जबरदस्ति का प्रदर्शन है , पहले खुद आएगा देता है स्वतंत्रता की फिर धमकी ।
* इससे विदित होता है , की आर्यो का 2 पग पर चलने आप वैदिक ईश्वर जबरदस्ति करता फिरता है ?
*और उसका ज्ञान भी अधूरा ज्ञान की पुस्तक
और वेद मनुष्य को बांध कर रखता है ।
* कहते है कि वेदिक ईश्वर से डरना चहिय
( यजुर्वेद 40 : 1 )
* इतना खातरनाक है कि डरना चाहिए भला डरतो भय लगने वाली चीजो से होता है नाकि प्रिय चीजो से ?
* क्यों कि इसमें में थोड़ीसी बातो को छोड़ कर पूरा का पूरा मार काट भरा पड़ा है ,मनुष्यों को हिंसक बनने वाली बातें ,नियोग के नामपर बलत्कार इत्यादि ?
वेदों में आतंक हैै यहाँ देख ?
हे विद्वन आपके अनार्य देशो(जो आर्य देश नही है)में बसने वालो मे गांव से नही दुग्ध आदि को दुहते।(जो गौ दूध नही देती)दिनको नही तापते है(जो वेदों से अपरिचित है) वे क्या करते वह करे आप हम लोगो के लिए जो कुलीन मुझ को प्रप्त होता है,उसके धनोको सब प्रकार से धारण करे(पकड़ना-उसके माल को आसान शब्दों में लूट लेना वाह क्या बात है)और ये क्षेषट धन से युक्त आप हम लोगों के नीचे शक्ति जिसमे उसकी नितृति करो।(यानी गुलाम बनाओ)👌बोहत खूब (ऋग्वेदा 3:53:14)
* भला ! ऐसी बाते सच्चे पालनहार की हो सकती है ?
* सब माल को लूटो और गुलाम बनाओ ?
*और ऋग्वेदादीभाष्यभूमिक में लिखा है कि युद्ध ही एक मात्र धन प्रप्ति का जरिया हैं इसी लिए उसे निघण्टु कहा जाता है(यानी महाधन का जरिया)😊दूसरों को लूटो धन जमा करो और ये बात मनुसमूर्ति में भी है।
(22-10 राजप्रजाधर्मविषय पेज नम्बर 285)
* और ये कोई सच्चे पालनहार का नही और वास्तव में आर्यो को सुख और अनार्य
( शुद्रो ) को दुख ?
* वाह भाई वाह क्या कानून है ! *
👌👌👌👌👌👌👌👌👌
* चारो वेद ऋषिमुनि खुद बता रहे है , ये हम को मिले
1 ऋग्वेद
2 सामवेद
3 यूजुर्वेद
4 अथर्वेद
* जिनको मिले उनके नाम
1 अग्नि
2 वायु
3आदित्य
4 अड़िरा
अथर्वेद ( 10 : 7 : 14 )
* वेद साक्षी है कि इन 4 को वेद प्रप्त हुआ
और उसका मानना वैदिकों को आवश्यक है
मतलब जो - जो इस पुस्तक में है , आर्यो को मोक्ष , पुर्नजन्म इत्यादि मूर्खता वाली बात में भोले भाले आम हिन्दू को बहकाने के लिए झुट - मुट की चाल चल दी है इन लोगो ने ?
* क्योंकि ये प्रकुति के नियम के विरोध है पुनर्जन्म वाली बात ,अगर कोई आया होतो देखा देवे ?
* कोई प्रमाण है ? क्या मूर्खता फैला रखी है 😢😢😢😢😢😢
कहते है कि लाखो मंत्र वेदास में थे अब खाली 20589 मंत्र बाकी राह गए है, तो अब वैदिक ईशवर पुनः किसी और ऋषि मुनि पर स्रुति क्यों नही कर ता, क्या हमें वो जो लाख मंत्र बर्बाद हो गये उसकी जरूरत भी नही है। इस लिए बाकि के मंत्र कब और किस ऋषि मुनि पर अवरोतित होंगे?
* कोई पुनः आ के कहता क्यों नही लो 1 और 20589 को 20590 कर दो
* भला पहले स्तुती होई आज क्यों नही ये केवल मूर्खता की बात प्रतीत होती है ??
* मतलब कोई ईस्वर वाणी नही पहले भी नही और आज भी नही ?
* इसमे कोई संदेह नही की वेद को किसी व्यक्ति ने लिख कर उच्च नीच इत्यादि का
पाठ पढ़ाया है ?
* वेद साक्षी है कि इन 4 को वेद प्रप्त हुआ
और उसका मानना वैदिकों को आवश्यक है
मतलब जो - जो इस पुस्तक में है , आर्यो को मोक्ष , पुर्नजन्म इत्यादि मूर्खता वाली बात में भोले भाले आम हिन्दू को बहकाने के लिए झुट - मुट की चाल चल दी है इन लोगो ने ?
* क्योंकि ये प्रकुति के नियम के विरोध है पुनर्जन्म वाली बात ,अगर कोई आया होतो देखा देवे ?
* कोई प्रमाण है ? क्या मूर्खता फैला रखी है 😢😢😢😢😢😢
कहते है कि लाखो मंत्र वेदास में थे अब खाली 20589 मंत्र बाकी राह गए है, तो अब वैदिक ईशवर पुनः किसी और ऋषि मुनि पर स्रुति क्यों नही कर ता, क्या हमें वो जो लाख मंत्र बर्बाद हो गये उसकी जरूरत भी नही है। इस लिए बाकि के मंत्र कब और किस ऋषि मुनि पर अवरोतित होंगे?
* कोई पुनः आ के कहता क्यों नही लो 1 और 20589 को 20590 कर दो
* भला पहले स्तुती होई आज क्यों नही ये केवल मूर्खता की बात प्रतीत होती है ??
* मतलब कोई ईस्वर वाणी नही पहले भी नही और आज भी नही ?
* इसमे कोई संदेह नही की वेद को किसी व्यक्ति ने लिख कर उच्च नीच इत्यादि का
पाठ पढ़ाया है ?
( यजुर्वेद 23 : 31 )
* क्या शुद्रो जैसे कुल में पैदा होना क्या उसे मुर्ख कहते है ?
और नशा करता है ?
* क्या शुद्रो जैसे कुल में पैदा होना वैदिक ईश्वर की ओर से धिक्कार है , या फिर या कहो की उच्च नीच की परिभाषा खुद उसने दिए ??
* वाह आर्यो को ऊंचा और किसी को नीचा अछूत का नियम बनाया है ?
* और अगर सच्चा पालनहार है उसकी नजर में सब एक होना चाहिए नाकि उच्च नीच ?
* जो व्यक्ति वेद की खिलाफ करे उसका सीर फूड डाल , जला के भस्म कर दे !
( अर्थवेद 12 : 5 : 60 ,61 )
* जब वैदिक कहते है , की ईश्वर एक है ,
तो फिर लोगो का बदला लेने के लिए सिर फोड़ डाल की आज्ञा ?
* क्या जो इनके शत्रु है , वो वैदिक ईश्वर के शत्रु है ? यदि ऐसा है तो ठीक नही है सच्चा पालनहार किसी को शत्रु नही रखता ?
😢😢😢😢😢😢😢
* क्या जो 4 ऋषियों के पास है वही सत्य है
और युग्य है कि उन्होंने जो बोल दिया और लिख दिया !
तो 4 ऋषि मुनियों के साथ वैदिक ईश्वर कुछ सेटिंग प्रतीत होती है ?
* अपने फायदे के लिए नियोग इत्यादि ।
* अगर जो ऐसा है तो वैदिक ईश्वर बढ़ा गड़बड़िया है , क्योंकि नियोग के नाम पर बलत्कार ?
* क्यों कि सच्चे पालनहार की नजर में सब एक होते है ।
😊😊😊
* ना कोई काला ,
ना कोई गोरा
ना कोई गरीब
ना कोई अमीर
ना आर्य
ना कोई शूद्र
👍👍👍👍👍👍👍👍👍
* इस लिए वेदों में दोष है , इसलिए यह ईश्वरी ज्ञान नही हो सकता ??
* जिसके माता पिता विद्वान
(आर्य , ब्राह्मण ) ना हो तो उसकी संतान भी उत्तम नही होती । ( यजुर्वेद 8 : 9 )
* मेरा एक प्रश्न क्या जिसके माता पिता पढे लिखे नही होते उनके बच्चे बेवकूफ होते है
??????????????????
* क्या A. p. J अब्दुउल्लाह कलाम आजद के माता पिता विद्धवान थे ????
* ऐसी बाते मानव जीवन के लिए हानिकारक है जो केवल अपने आपको ही सर्वश्रेष्ठ जानते है बाकी को केवल मूर्ख और जानवर समझते है ! छि ई 😢
* ( यजुर्वेद 3 : 1, 2, 3 ,4 )
* जो यज्ञ को छोड़ा है यज्ञ का पालन करने वाला वैदिकों का ईस्वर उसको छोड़े देता है !
( यजुर्वेद 2 : 23 )
* जो यह बात सचची तो आर्यो का वैदिक ईस्वर यज्ञ छोडने वालो को छोड़ देता है ?
जो कहते है कि वो सर्वव्यपाक है
( हर चीज और हर जगह पर में है । )
* तो केवल आग में घी डालने से की प्रसन्न होता है ?
* क्या बात है , इसे अच्छा होता कि वो घी इत्यादि खाने की चीजें अपने बच्चो को खिलाते पिलाते वो अच्छा होता , न कि आग में घी डालने से ?
* क्या मूर्खता वाली बातें है कहते है साईंटिफिक है ?
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
* भला अपना उल्लू सीधा करने के लिये झुट बाते फैलाते है कोनसा विज्ञान है केवल पर्यावरण दोषित के सिवाय ?
* क्या अग्नि के पुजारी हो ?
* या वैदिक ईश्वर के ?
* क्या एक बात सचची और दूसरी बात झूटी होगि ?
* और वह हर चीज़ में है तो क्या पाखाना , इत्यादि गंदी चीजो में भी और जो व्यक्ति कोई पाप करता है उसमें भी अगर ऐसा है , दोष वैदिक ईश्वर पर ही जायेंगे ?
(मनुसमूर्ति 1 : 80) यही बात ऋग्वेद और इत्यादि में भी मोजूद है ।
* भला वैदिक ईश्वर ने क्या तमाशा लग रखा है ?
* जो यज्ञ को छोड़ा है यज्ञ का पालन करने वाला वैदिकों का ईस्वर उसको छोड़े देता है !
( यजुर्वेद 2 : 23 )
* जो यह बात सचची तो आर्यो का वैदिक ईस्वर यज्ञ छोडने वालो को छोड़ देता है ?
जो कहते है कि वो सर्वव्यपाक है
( हर चीज और हर जगह पर में है । )
* तो केवल आग में घी डालने से की प्रसन्न होता है ?
* क्या बात है , इसे अच्छा होता कि वो घी इत्यादि खाने की चीजें अपने बच्चो को खिलाते पिलाते वो अच्छा होता , न कि आग में घी डालने से ?
* क्या मूर्खता वाली बातें है कहते है साईंटिफिक है ?
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
* भला अपना उल्लू सीधा करने के लिये झुट बाते फैलाते है कोनसा विज्ञान है केवल पर्यावरण दोषित के सिवाय ?
* या वैदिक ईश्वर के ?
* क्या एक बात सचची और दूसरी बात झूटी होगि ?
* और वह हर चीज़ में है तो क्या पाखाना , इत्यादि गंदी चीजो में भी और जो व्यक्ति कोई पाप करता है उसमें भी अगर ऐसा है , दोष वैदिक ईश्वर पर ही जायेंगे ?
(मनुसमूर्ति 1 : 80) यही बात ऋग्वेद और इत्यादि में भी मोजूद है ।
* भला वैदिक ईश्वर ने क्या तमाशा लग रखा है ?
* बार बार उतपत्ति फिर बार बार प्रलय
भला किसको पता और किसने देखा ?
* मोक्ष वाली आत्मा प्रलय देखती है तो बताये किसी किसने देखा है वो चीजे ??
* क्या मूर्खता फैला रखी है वैदिकों ने ?
* ( पूर्व पक्षी ) :- नही , नही होता रहता है , जैसे दिन के बाद रात और रात के बाद दिन निरंतर ।
* ( उत्तर पक्षी ) : - तो भला बता दे ये किसने दिखा है , हा अगर दिखा है तो बता देवे ?
और धरती की उत्पत्ति के बाद सबसे पहले जीव कोनसा था ?
* ( पूर्व पक्षी ) : - वैदिक ईस्वर सर्वसक्तिमान है इस लिए खेलता रहता है ।
* ( उत्तर पक्षी ) : - फिर खलते खलते सो भी जाता है ?
* फिर एक दम काम करता रहता है फिर थक के सो जाता है ?
( अथर्वेद 4 : 1 : 6 )
* हाआआ थक लगे बेचारे 😢😢😢😢 काम कर - कर के थोड़ी ही देर बाद आंखे खोली तो देखा नीद लग गई थी फिर सूर्य , पृथ्वी आदि को रच कर बहुत बड़ा उपकार किया । 😊😊😊👍👍👍👍
और उसके बाद ये ??
* क्या वैदिक ईश्वर काम करके थक जाता है इसलिए महा प्रलय लाता है ताकि थोड़ा आराम कर सके !
* यही बात मनुसमूर्ति में भी है !
( 1 : 74 )
* ऐसी बात कोई विद्धवान नही मान सकते जंगलियों का पता नही ?
* ( पूर्व पक्षी ) : - जो चाहे , सो करे ?
* ( उत्तर पक्षी ) : - क्या मूर्खता भरा प्रश्न है
जो चाहे वो , क्या पत्थरो से मनुष्यों की उतपत्ति संभव है जो चाहे वो , ये असंभव कार्य है ?
* ( पूर्व पक्षी ) :- क्यों ?पत्थरो से शैवाल इत्यादि जीव न निकल ते क्या वो जीव नही?
* ( उत्तर पक्षी ) : - भला यह वचन सत्य है तो वर्तमान में क्यों कर नही होता कोई दिखा देवे ? नही तो केवल मूर्खता वाली बाते प्रतीत होती है ?
* और एक मजे की बात 😊 *
*
* दयानंद सरस्वती जी का कहना है कि यूनान, मिस्र , यूरोपीय देशों, इत्यादि , हब्शी ,मगोलिन अरब देशों में बसने वाले सब शुद्र है , की इन्होंने वेदों को देखा नही नाही सुना ?
( सत्यार्थ प्रकाश 7 समुलास )
* अच्छा हुआ कि इन लोगो ने ये नही देखा न सुना नही तो हमे ये चीजें नही मिलती ।
और ये भी साधु बाबा वो की तरह से बरहना घूमते फिरते थे ?
* और इनका आविष्कार ये है गोबर , दही और मूत्र मिलाकर कैंसर का इलाज ?
😊😊😊😊😊😊😊😊
* क्या मूर्खता भारी पड़ी है ?
* सत्यार्थ प्रकाश में कोई दम नजर नही आता इसने वही वही सावल रिपीट किये है इसलिए मुझे भी वही करना पड़ता है !
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊
* मूझे लगता है कि सत्यार्थ प्रकाश का जवाब देना केवल समय की बर्बादी है इसी लिए इस पर कोई बात नही करता क्यों कि समय बढ़ा मूल्यवान ।
* बरहाल हमे आपकी मान्यता से कोई गरज नही क्यों कि इस्लाम कभी किसी को गलत नही कहता ।
* किंतु कुछ चुतिया ( मुर्ख ) को उनकी भाषा मे जब तक ना समझया जाए जब तक उन्हें समझ नही आता 😊😊
* आग तुम ने लगाई है इन्शाल्लाह बूझेंगे हम
नही तो सत्यार्थ प्रकाश को भरे रोड पर ला के सब के सामने जलाओ और पूरे आर्य समाजी मुस्लिमों से माफी मांगे नही तो पूरा बरहना कर देंगे ।
*पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
* हक़ बात( इस्लाम ) कोई जबरदस्ति नही।(2-256).
*पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
*नसीहत उनके लिए सीधे मार्ग पर चलना चाहे।
(81:27,28,29)(40:28)
(81:27,28,29)(40:28)
* ये मानव तुम लोग पालनहार(अल्लाह) के मोहताज हो और अल्लाह बे-नियाज़ है(सर्वशक्तिमान) है नसीहत वो मानते है जो अक्ल वाले है (13:19).
* और हरगिज अल्लाह को बे-खबर ना जानना जालिमो के काम से उन्हें ढील नही दे राहा है, मगर ऐसे दिन के लिए जिसमे आंखे खुली की खुली राह जांयेंगी।(14:42)
*कोई आदमी वह है, की अल्लाह के बारे में झगड़ाता है, ना तो कोई इल्म, ना कोई दलील और ना तो कोई रोशन निशानी।(22:8)(31:20)(52:33,34)(23:72)(23:73).
*कह दो,"सत्य आ गया और असत्य मिट
गया, असत्य तो मिट जाने वाला ही होता है।
(17:81)
NOTE : - जो प्रशन दयानद ने इस्लाम के बारे में किये थे अल्हम्दुलिल्लाह उसका जवाब तो हम दे सकते है पर इनके दिमाग मे जंग लगा है इसलिए जो जैसी भाषा समझता है उसे वैसे ही समझना पड़ता है ।
💐👌👌👌👌👌👌👌💐
Note : - मेरा मकशद किसी व्यक्ति का अपमान नही करना है ये मेरे शब्द नही जो दयानद ने मुस्लिम लोगो के बारे कहा है वाहा मैन वैदिक लगा दिया है पूरा कथन दयानद का है ।
* की बाते सुनकर मानव जाति का सर शर्म से नीचे झुक जाता है , बरहाल मैन जो भी प्रमाण दिए है आप स्वतः चेक कर ये बाते लिखी है इत्यादि संबंध में ।
* अगर किसी को ठेस पहुंची तो क्षमा चाहता हु । 😢
* इस लेख का मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नही बल्कि उन इस्लाम विरोधी को जवाब देना है जो खुद की धार्मिक गर्न्थो की मान्यता को नही जानते और इस्लाम और मुसलमानों के ऊपर तानाकाशी करते है।
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