पोल - खोल 4
सत्यार्थ प्रकाश 14 समुलास
प्रशन : - 10 ,11 ,12 ,13 ???????????
उत्तर : - अर्थात : - हे विद्वान ! इस जगत में कोन पूर्व अनादि समय मे संचित होने वाली है ?
कौन पिलपिली चिकनी है ?
और कौन अवयवों को भीतर करने वाली है ?
यह आपको पूछता हूं ? ( यजुर्वेद 23 : 53 )
* यहा पूछा जा रहा है , की क्या पहले आया अब ये मुझे नही पता कि ये परमेश्वर किस परमेश्वर से पूछ रहा है ?
या कोई मनुष्य , कोई भी हो पर जरूर पूछ रहा है ?????
* अर्थात : - हे मनुष्य ! बिजली पहला संचय है , महत्व बडा प्रकुति ,और पिलपीली चिकनी है ,रात के समान प्रलय सब अवयवों को निगलने वाला है यह तू जान ।
( यजुर्वेद 23 : 53 )
* हा पता चल गया पूछने वाला मनुष्य था
कोनसे यंत्र से बात चीत हुई होगी ?
मोबाइल से ? या लेंड लाइन से ? व्हाट्सएप कॉल या और कोई ?
* बरहाल कोई बात नही जिसे भी हुई होगी !
* क्यों पहले वैदिक ईश्वर ने नही बता ये बात
पूछने पर बताता है ?
कितना घमंड है ?
अपनी बढ़ाई देखा रहा है ?
क्यों पहले नही जानता था ?
पूछने पर उत्तर देता है ?
* भला ऐसे मनुष्य को धोखा देकर अपनी बड़ाई करना क्या सच्चे पालनहार का काम है ?
* ये तो एक दम्भ बात है ?
* इसको कोई विद्धवान नही मान सकता
और न अभिमान करता है क्या बढाई दिखा कर
ईश्वरी ज्ञान सिध्दई जमाना चाहता है ?
* हा ! जंगली लोगो मे कोई कैसा ही पाखण्ड चला लेव सकता है सभ्य जनों में नही ! 😊
* तुमसे पृथ्वी प्रलय के अंत को पूछता हूं , पराक्रमी बलवान पुरूष के पराक्रम को पूछता हूँ , सब संसार के नाभि को पूछता हूँ , अवकाश को पूछता हु ?
( अथर्वेद 9 : 10 : 13 )
* पूछने से पहले क्यों नही बता देता है
अपनी बढई देखना चाहता है ?
और बताया भी तो 4 मंत्रो में टुकड़ो - टुकड़ो
में ! 😊
या फिर पहले बताना भूल गया था
जो ये बार बार पूछता फिरता है ।
इसी लिए किसी ने महा प्रलय की तारीख नही पूछी तो नही बता कितना हेटी वाला प्रतीत होता है ?
* क्या उसे नही पता कि मनुष्य अज्ञानी है ?
तो पहले ही बता देना चाहिए था
बताने से पहले पर अपनी बढई कैसे दिखायेगा ??
* अर्थात : - चोरों और अनार्य को नाश करो और मलेच्छ को बांधों ।
(अथर्वेद 6 : 103 : 2 , 3 )
* जनता था तो दुषटो की उत्पत्ति क्यों कि
उद्धरण ०
चोर , डाकू , शुद्र इत्यादि ?
* मतलब वैदिक ईश्वर में कोई तेज नही ?
चोर , डाकू , शुद्र , मांसखाने वाले इत्यादि ,
( ऋग्वेद 1 : 162 : 13 )
* वैदिक ईश्वर को मांस पकाने की विधि इतनी पसंद आई तो वेदो में उसका वर्णन कर डाला । 😊😊
* ने उसकी आज्ञा नही न मानी और वो कुछ नही कर सका ?
* भला चोर को चोरी से और डाकुओं को डकेती से पहले क्यों नही रोका और करने के बाद सजा भी देदी ?
* भला पहले ही रोक देता तो सजा न पता इसे वैदिक ईश्वर की कमजोरी नजर आती है ?
* और तो वो सर्वज्ञ भी नही है ! 😢
* एक प्रशन है , की मैं एक मिनेट बाद क्या बोलने वालों हु वो वैदिक ईश्वर जनता है या नही ?????
धन्यवाद
* और खुदने ने रोका नही और बेचारा सजा का भागीदार बन गया 😢
* बेचारे के घर वालो को बहुत दुख हुआ होगा ????
* देखो तो चोरों ने वैदिक ईश्वर के छक्के छुड़ा दिए और वो उस वक्क्त सो रहा था क्या ??
जब चोर चोरी का रहा था ??
* आर्य वैदिक के कथनों के अनुसार भिन्न -भिन्न अनार्य है , वहा आर्य और उसे वैदिक ईश्वर की भला क्या चल सकती है ??
* शुद्रो को विद्या हीन रखा और ज्ञान हीन से रोक सकता है ?
* और क्या शुद्रो की स्त्री गुलाम होती है ?
" शुद्रा यदर्यजार "
* स्वमी वा वैश्य कुल में करने हरि गुलाम शुद्रो की स्त्री ।
&
" शुद्रो यदर्याये "
* जो शूद्रों के कुल में जन्मा हुआ अपने मालिक वैश्य कुल की स्त्री ।
* वेदिक ईश्वर ने ये बाते पहले के ब्रह्मणो और आज के आर्य से सीखी हो गई कि सब को गुलाम बनाऊ ।
* और ब्रह्मणो ने वैदिक ईश्वर से ?
* क्योंकि बिना वैदिक ईश्वर के आर्य का गुरु कोई नही हो सकता या फिर इनको गुरु कोई मूर्ख ( शैतान ) ही जोग जो उच्च - नीच का पाठ पढता है ।
* अब ये वैदिक ईश्वर एक जगह नही रहता कभी कुछ कभी कुछ ??
* अब देखिए आर्यो की ईश्वर की अल्पज्ञता ?
* फिर स्त्री कहे कि मैं इस पति को छोड़ के मन , वचन और कर्म से भी दुसरे पुरुष को पति न मानुगी ।
( ऋग्वेददी भाष्यभूमिक 20 )
* अब दूसरी जगह पर ये । *
* वैदिक ईशवर मनुष्यों को आज्ञा देता है, की हे इंद्र पते ! तू इस स्त्री को वीर्यदान दे (समझदार को इशारा काफी है।)के सुपुत्र और सौ भाग्ययुक्त कर। पुरुष के प्रति वेद की यह आज्ञा है कि इस विवाहित वा नियोजित स्त्री में 10 बच्चे उत्पन्न कर । अधिक नही (तो क्या ? पूरी फ़ौज पैदा करुंगे बस 10 काफी है ☺️) और हे स्त्री ! तू नियोग 11 पति तक कर(👍) अर्थात एक तो उसमे प्रथम विवाहित पति है और 10 प्रयत्न पति कर कर अधिक नही।(तो क्या पुरो के साथ नियोग करुंगे क्या😊)
( ऋग्वेददी भाष्यभूमिक 21)
* अब तीसरी जगह पर *
* क्या तमाशा है ?
1 जगह दूसरे को पति नही बोलूंगी ।
2 जगह 10 पति कर ।
3 जगह तो दोनो को भाई बहन ही बना दिया।
* ये दयानद और उसका वैदिक ईस्वर भूल जाते है क्या कहा पर क्या लिखा है ,
खुद ही अपनी बताओ में फस जाते है ।
😊😊😊😊😊😊
* और वैदिक ईश्वर भविष्य जनता तो बेचारी को पहला वचन लेने की आवश्यकता नही होती ।
* फिर उसके जवान पति को मृत्यू देकर
दंड के नाम पर नियोग ??
* नियोग क्या अपने लिए या दूसरों के लिए ?
* जो अपने लिए किया तो उसको क्या जरूरत थी ? और दूसरों के लिए किया तो उनको ब्रह्चारी की शिक्षा की आज्ञा क्यों दी।
बल्तकारी कहता ?
* इसलिए इसी बात ना तो सच्चे पालनहार की ना तो उसकी सची किताब में हो सकती है ??????
* ये शिक्षा वो 4 ऋषिमुनियों की और उनके चेलो की हो सकती है क्यों उसके पीछे उसका स्वर्थ पूछा था ?
* जब ऋषिमुनियों को वेद मिले तो क्या नींद में या बेदार थे ?
आवाज आती थी या खुद ही आवाज़ बनते थे ?
क्या बेवकूफ़ी वाली बाते है इलहम नीद में होता था लगता । सोते सोते और शैतानी सपने झुटे होते है ।😊😊😊
* मुझे तो ऐसा प्रतीत होता है कि इनको शैतान ही बताता होगा ???
* क्योंकि सच्चा पालनहार ऐसी शिक्षा नही दे सकता ।👌👌👍
* क्या मानव की उत्पत्ति तिबत के पत्थरों के अंदर से हुई ?
तो बीज किसने बोया था ?
😊😊😊
* क्या वैदिक ईश्वर जमीन पर आकर लगा के चला गया ?
* इस मे यह विदित होता है , की मनुष्य की उत्पत्ति पत्थर से हुई तो उसका बीज वैदिक ईस्वर ने कहा अंतरिक्ष मे छुपा कर रखा था।
भाई मुझे उस जगह का पत्ता बता दे में नासा वालो को कहकर के बीज कि चाँद में भी लगवा देता हूं ? ☺️☺️☺️
* क्या पागलपन की बाते है भला *
* तो महा प्रलय के बाद फिर जब पृथ्वी का निर्माण होता है तो धरती पर पहला जीव जीव और पशु के लिये 1 नर और 1 मादा की आवश्यकता होती है , तो क्या ये भी पत्थऱ से पैदा हुए ??
* तो महा प्रलय के बाद वैदिक ईस्वर पूरी जीव आत्मा को कहा अचार ड़ालने रखता है
????????
* क्या बेवकूफी वाली बात है । *
* तो क्या शूद्रो को विद्याहीन रखा और चोर , डाकू को रोक भी नही सका तो उनको जबरदस्ति जनवरो का शरीर दे दिया बड़ा दुख पहुचा होगा बेचारे को 😢😢😢
* इससे ये पता चला कि वैदिक ईश्वर सर्वज्ञ नही ? ?
(मतलब कुछ जनता नही ?)
NOTE : - जो प्रशन दयानद ने इस्लाम के बारे में किये थे अल्हम्दुलिल्लाह उसका जवाब तो हम दे सकते है पर इनके दिमाग मे जंग लगा है इसलिए जो जैसी भाषा समझता है उसे वैसे ही समझना पड़ता है ।
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Note : - मेरा मकशद किसी व्यक्ति का अपमान नही करना है ये मेरे शब्द नही जो दयानद ने मुस्लिम लोगो के बारे कहा है वाहा मैन वैदिक लगा दिया है पूरा कथन दयानद का है ।
* की बाते सुनकर मानव जाति का सर शर्म से नीचे झुक जाता है , बरहाल मैन जो भी प्रमाण दिए है आप स्वतः चेक कर ये बाते लिखी है इत्यादि संबंध में ।
* अगर किसी को ठेस पहुंची तो क्षमा चाहता हु । 😢
* इस लेख का मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नही बल्कि उन इस्लाम विरोधी को जवाब देना है जो खुद की धार्मिक गर्न्थो की मान्यता को नही जानते और इस्लाम और मुसलमानों के ऊपर तानाकाशी करते है।
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