पोल - खोल 3
सत्यार्थ प्रकाश 14 समुलास !
* प्रशन : - 5 ,6 ,7 ,8 , 9 ????????
उत्तर : -
* और ऋग्वेदादीभाष्यभूमिक में लिखा है कि युद्ध ही एक मात्र धन प्रप्ति का जरिया हैं इसी लिए उसे निघण्टु कहा जाता है(यानी महाधन का जरिया)😊दूसरों को लूटो धन जमा करो और ये बात मनुसमूर्ति में भी है।(22-10 राजप्रजाधर्मविषय पेज नम्बर 285)
धन्यवाद
अर्थात : - हे परमेश्वर आपकी जो यह अच्छे प्रकार के गुणों को प्रकाश करने वाली वेदविद्या है । उससे हम लोगो की स्तुति को
प्रप्त हो । ( यजुर्वेद 2 : 14 )
* वाह अपने ही लोगो से तारीफ खुद करवा रहा है वैदिक ईश्वर की मेरी वेद विद्या ?
* वैदिक ईश्वर उपदेश करता है ,सब मनुष्य को वैदिक बनाओ ।काफी अच्छी जबरदस्ती है ? (यजुर्वेद 2 : 1)
* खुद अपने मानने वालों से तारीफ
कर वा राह है वैदिक ईश्वर ।
* वैदिक ईश्वर की दम्भ की बात है ?
* कहते है कि वेदों को मानने और जानने वाले ही ईश्वर के प्रिय है ? यानी आर्य , क्षत्रिय , वैश्य वह क्या ? भेद भाव और शूद्र कहा गए ?
अर्थात : - हे मनुष्य जैसे में जिस परमात्मा में
ब्राह्मण और क्षत्रिय तथा वेश्य मिल कर काम करते है ।
( यजुर्वेद 20 : 25 )
* तो शुद्र कहा गए क्या वेद अनार्य ( शुद्रो )
लोगो को मानव नही मानता क्या ब्राह्मण , क्षत्रिय और वैश्य को ही मनुष्य मानता है और शुद्रो को जानवर समझता है ?
* शुद्रो का अर्थ होता है अनाड़ी या वेदों को न जानने वाला ?
* दयानंद सरस्वती जी का कहना है कि यूनान, मिस्र , यूरोपीय देशों, इत्यादि , हब्शी ,मगोलिन अरब देशों में बसने वाले सब शुद्र है , की इन्होंने वेदों को देखा नही नाही सुना ? ( सत्यार्थ प्रकाश 7 समुलास )
* यही तो हमारा भी कहना है कि वेद शिर्फ़ ब्राह्मणों ( आर्य ) के लिए है नाकि पूरी मानव जाति के लिए ?
* तो वैदिक ईश्वर बाकी लोगो को मार्ग नही दिखला सकता , तो फिर वेद और वैदिक ईशवर कोई काम का नही रहा ?
* किसी को शुद्र और किसी ब्राह्मण (आर्य ) बनाने का नियम वैदिक ईश्वर के खजाने में है ?
* क्या भला कोई शेर का जन्म ले सकता है क्या पता ? उसने कोनसा पाप किया होगा ? उसको शेर का जन्म मिला ?
*जो वो देता है वही देता है वो सब मनुष्य के लिए होना चाहिए ना केवल एक समाज के लिए ?
* वेद अगर ईश्वरीय ग्रन्थ होता तो सबके लिए एक व्यहार करता किसी को नीचा और किसी को ऊंचा नही बल्कि सबको समान अधिकार देता ?
* वेद सबके लिए नही बल्कि ब्राह्मणों
( आर्यो ) के लिए है , ये कितना भी आज लोगो को कहले की ऐसा नही वैसा परंतु इतिहास गवाह है की इन चीजों का , इन्होंने अनार्य लोगो का शोषण किया है ।
* अगर बेचारा कोई गलती से वेदों को सुन भी लेता तो उसके साथ क्या हाल कर थे कि आत्मा भी कांप जाती उसके कानों में शीसा पिघला कर डाल देते थे ।
* दुसरो को अछूत वाली परिभाषा कहा से आई या वैदिक ईश्वर के दूसरे मानव भक्त नही ?
* दयानद सरस्वती अपनी किताब सत्यार्थ प्रकाश में एक जगह पर लिखता है ,की जैनी धर्म के लोग वश्या
( गंदा काम करने वाली स्त्री की तरह )
की तरह होते है ,और अपने पुराने गुरु घंटाल को भी अशुद्ध शब्दों का प्रयोग किया है इस आम आदमी भी आसानी से समझ जाएंगे कि वेदों लोगो का अपमान , और ऊंच नीच का पाठ देता है । 12 समुलास
* इससे पता चला कि वेद ईश्वरी ज्ञान नही ?
* अगर जो वेद विरोधी है उनका क्या हाल करना चाहिए ये वेद बताता है
वाह क्या जरबदस्ती है ।
* काट डाल, चिर डाल, फाड् डाल, जला दे,फुंक दे,भस्म कर दे।(अथर्वेद 12:5:62)
*तुम करके बांध लिए गए,कुचल गए,अनिष्ट चिन्तक को आग में जला डाल(अथर्वेद12:5:61)
* (वेदविरोधी)उन लोगो को काट डाल, उसकी खाल उतार दे,उसके मांस के टुकडो को बोटी-बोटी कर दे,उसके नसों को एठ दे,उसकी हड्डियों को मसल डाल उसकी मिंग निकाल दे,उसके सब अडो(हस्सो) और जुडो को ढीला कर दे(अथर्वेद 12:5:7) जो आज -कल हो रहा है, लोगो के साथ इंडिया में ex. मुसलमान के साथ हर जगह मार जा रहे है। तो भी मुसलमान आतंकवादी है (अफसोस कि बात है) हमारे दलित,ईसाइयो , etc साथ हो रहा है।
*अब दूसरे देश या अनार्य लोगो को वहां लूट -मार और दुर्लभ व्यवहार करे ।
*यह वज्र सत्य धर्म(वैदिक धर्म) की तुर्ति करे , इस शत्रु की राज्य की(उसकी सल्तनत) नाश करके उसके जीवन को नाश कर देवे(वहां अच्छी शिक्षा है)उसकी गले की नाडियो को काटे और गुददी नाड़ियो को तोड़ डाले।(अथर्वेद6:135:1)
* उचे लोगो से नीचे-नीचे और गुप्त होकर जमीन से कभी न ऊठे और दंड से मार डाला गया पढ़ा रहे।(अथर्वेद6:135:2)
* हिंसको को मार डाल औऱ गिरा दे,जैसे वायु पैड को (NOTE:- )गौ, घोड़ा और पुरूष को मत छोड़ो(या तो इसका एक मतलब है,की मार डालो या फिर गुलाम बनालो)है हिंसा शील(मजलूम को हिंसक कहा जा रहा बल्कि खुद हिंसा कर रहे है।)यहां से लौट कर प्रजा की हानि के लिए जगह दे (अथर्वेद10:1:17)
*कहते है, की लौहे की बनी तलवार घर है(अथर्वेद10:1:20)
*तेरी गिरवा की निडियो और दोनो पैरो को भी मैं काटूँगा निकल जा।(सब को निकाल दो ,तुम लोग रहो).(अथर्वेद 10:1:12)
* अब देखते है कि दूसरों का माल लूट ।
NOTE* हे विद्वन आपके अनार्य देशो(जो अनार्य देश नही है)में बसने वालो मे गांव से नही दुग्ध आदि को दुहते।(जो गौ दूध नही देती)दिनको नही तापते है(जो वेदों से अपरिचित है) वे क्या करते वह करे आप हम लोगो के लिए जो कुलीन मुझ को प्रप्त होता है,उसके धनोको सब प्रकार से धारण करे(पकड़ना-उसके माल को आसान शब्दों में लूट लेना वाह क्या बात है)और ये क्षेषट धन से युक्त आप हम लोगों के नीचे शक्ति जिसमे उसकी नितृति करो।(यानी गुलाम बनाओ)👌बोहत खूब(ऋग्वेदा 3:53:14)
*सत्यार्थ प्रकाश में दयानद सस्वती यही बात करते है।
*इस व्यवस्था को कभी न तोड़े की जो-जो युद्ध मे जिस-जिस भृत्य( सैनिक)वा अध्यक्ष ने रथ, घोड़ा, हाथी,छत्र, धन,धान्य, गाय, आदि पशु और NOTE स्त्रीया(लेडिस)तथा अन्य प्रकार के सब द्रव्य और घी .......... इत्यादि युद्ध मे जाते उस-उस को ग्रहण करे (यानी लूट लो) यही बात मनुसमूर्ति में कई जगह पर लिखी है।*तो क्या स्त्रीयो के साथ नियोग के नाम पर बलत्कार करें।(वाह भाई वाह)क्या बात है(6 समुलास पेज नम्बर126) इसके आगे लिखा है कि किसको कितना हिसा मिलना चाहिए।
* वैदिक ईश्वर ने अनार्य को वेदों का ज्ञान नही दिया तो इसका दोष भी ईश्वर पर ही जाता है , और उसका पाप भी खुद ने उनको ज्ञान से रोका और स्वतः दंड भी देगा ।
* वाह क्या ज्ञान है *
* वैदिक ईश्वर कहता है मैं मरता हु ।
मेरा कौन क्या कर सकता है ।
यहां पर कर्म के लिए स्वतंत्रता वाली बात
का भी रदद् है क्यों कि ये सबको मरता और दंड देता है ।
( ऋग्वेद 10 : 48 :6:7 )
* क्या एकता डिग्री ले है सब करने की ?
* सब दोष तो वैदिक ईश्वर पर ही जाता है क्यों कि उसने ही भेद भाव की रचना रची है ।
* क्यों कि उनको पाप पुण्य की स्वतंत्रता नही थी ये तो वैदिक ईश्वर का दोष है क्योंकि जहा करोड़ लाखो वर्षा तक वेद पूछा ही नही तो सजा क्यों ? वैदिक ईशवर ने सबको वेदों नही पूछा दिया क्यों उनको वेद विद्या से दूर रखा क्या उसके भक्त केवल।इंडिया में ही है इसलिए सारे संसार के मानव जाति के लिए नही बल्कि आर्यो के लिए है ?
* जबतक आर्यावर्त देश से शिक्षा नही गई जब तक सब मूर्ख थे यानी शूद्र थे । अमेरिका , यूनान , मिस्र , इंग्लैंड इत्यादि देश सब शुद्र थे । अच्छा है कि इनसे शिक्षा नही ली नही तो अबतक सिर्फ धोती बनना शिखते रहते । 😊 ( सत्यार्थ प्रकाश 7 समुलास )
* अच्छी जबरदस्ति है वेदों की
* भला बिना अपराध के वैदिक ईस्वर ने उन लोगो को सजा देदी जो कुछ।नही जानते ?मार ने की , इनकी माल को लूटने की इत्यादि
* बेचारो को दुख हुआ होगा ?
* क्या ये पाप से बढ़ कर पापीकारी नही ?
* किसी के साथ ऐसा व्यवहार करना क्या ? सच्चे पालनहार का काम नही हो सकता इसलिए वेद कभी कभी ईश्वरी वाणी नही हो सकती ?????
* क्या भला सूर्य आदि ग्रहों पर मनुष्यों जीवन हो सकता है ये मानना खाली हंसी की बात है , क्या यदि किसी प्रकार पृथ्वी पर जीवन है , तो उसका घर सूर्य आदि में देखा देवे ?
* कहते है कि वेद मानव की उत्पत्ति के साथ ही मिल गया था तो पहला नुस्खा कहा लिखा है ? और क्या जो पहले वेद मिलते आज भी वही है ? या उसमे मिलावट हो गई है ।अगर नही हुई है तो प्रमाण दे कि वेदों में मिलावट नही है ।
* ये क्या बेवकूफि वाली बात है कि वेदों में मिलावट नही हो सकती ?
* भला कोई क्यों वेदों के मंत्रों में मिलावट क्यों न कर सकेंगा क्या हमारे पास कोई ओरिजनल कॉपी है वेदों की जिसे हम ये पता कर सके की ये वही वेद जो प्रथम काल में 4 ऋषियों को मिला था ?
* अब कहते है, की वेद का मतलब ज्ञान होता है।
* तो क्या मैं किसी को पोलिस के कपड़े पहनाकर कहु की ये पोलिस है तो क्या मान लोगे ?
* तो तुम ने कहा कि वेद ईश्वरी ग्रन्थ है तो क्या पूरी दुनिया मान लेगी कोई खास प्रमाण है वेदों का ईश्वरी वनि होने का ?
* इस लिए इसमे शक की बू आती है ?
* वह कोनसा पाप है , जिसे मुझे मानव शरीर की प्रप्ति हुई तो वो पाप में फिर से करो कि मुझे फिर से मानव शरीर मिले । क्या बेवकूफि वाली बात है ??
* भला वेदों का संसार से कोनसी उत्तर वाली बात है , की मोक्ष में इतना विशेष है ?
* उसी प्रकार से मोक्ष के प्रति में क्या मजा है किसी भोजन इत्यादि का मजा नही ले सकते कोई शारीरिक संबंध नही क्या मजा केवल ऊपर से नीच ,नीच इधर बस आवरो की तरह भटक ते रहो फिर कई कालो के बाद मानव जीवन क्या पागलपन की बात है ।
* स्त्रियों को क्या मायने का है मोक्ष को प्राप्त करके दुनिया मे जिंदगी भर सेवा करती रही और फल नही सिवाय भटक ने के ?
* ना इंसाफी वाली बात नही लगती है ये
स्त्रियां ही क्यों कष्ट से शिशु को जन्म देती ।
भला स्त्री ही क्यों ?
* बल्कि उस काम मे दोनों की भागीदारी होती और स्त्री पर ही संतान का बोझ क्यों ?
* क्या ये स्त्रीयो के साथ अन्याय नही ?
* मतलब इससे ये पता चला कि वैदिक ईश्वर ने स्त्रियों को पतियों की गुलामी के लिए पैदा किया होगा ?
* जब तक उस स्त्री के पति का पुर्नजन्म नही लेता , और ले भी लिया तो क्या ?
* जब तक नियोग से काम चलाते रहे ।
वाह क्या अच्छा नियम निकाला है वैदिक ईश्वर ने 👌
* ऋग्वेदादीभाष्यभूमिक 21 विषय - नियोग विषय पेज न :- 261-266 में दयानन्द सरस्वती वेदों के जरिये से लिखते है ।
* स्त्री के लिए भी आज्ञा है, की जब किसी पुरूष की स्त्री मर जाय और संतानउत्पत्ति किया चाहे, तब स्त्री भी उस पुरुष के साथ नियोग ( यानी आज कल की भाषा कह सकते है नाजायज़ संबंध)☺️करके उसको प्रजा युक्त कर दे।(ऐसी औलादों को आज कल हरामी की ओलाद कहा जाता है। बात बुरी लगे तो माफी चाहता हूँ)😊 इसलिए मैं (वैदिक ईशवर) आज्ञा देता हूं, की तू मन, कर्म और शरीर से व्यभिचार कभी मत करो, किंतु धर्मपूर्वक विवाह और नियाग से संतानउतपन्न करते रहो।( वाह क्या ज्ञान है।)
* यह नियोग शिषट पुरुषों कि सम्मति और दोनों की प्रसन्नता से हो सकता है।( दोनों की मर्जी से जीना जायज़ हो गया इंदुइसम में वाह क्या बात है। 😢)
* हे स्त्री ! अपने मूर्तक पति को छोड़ के इस जीवनलोक मे जो तेरी इच्छा हो,तो दूसरे पुरुषों के साथ नियोग करके संतानों प्रप्त कर।
* वैदिक ईशवर मनुष्यों को आज्ञा देता है, की हे इंद्र पते ! तू इस स्त्री को वीर्यदान दे (समझदार को इशारा काफी है।)के सुपुत्र और सौ भाग्ययुक्त कर। पुरुष के प्रति वेद की यह आज्ञा है कि इस विवाहित वा नियोजित स्त्री में 10 बच्चे उत्पन्न कर । अधिक नही (तो क्या ? पूरी फ़ौज पैदा करुंगे बस 10 काफी है ☺️) और हे स्त्री ! तू नियोग 11 पति तक कर(👍) अर्थात एक तो उसमे प्रथम विवाहित पति है और 10 प्रयत्न पति कर कर अधिक नही।(तो क्या पुरो के साथ नियोग करुंगे क्या😊)
*जैसे विधवा स्त्री देवर के साथ संतानोत्पत्ति करती है वैसे तुम भी करो। (यहा पर ऐसी घटिया शिक्षा दी जा रही है) विधवा का दूसरा पति होता है उसको देवर कहते है।(मतलब वहा पर उसका पति मरा नही की उस स्त्री पर देवर का हक़ हो जाता है वह कितनी अच्छी शिक्षा है। ये है हिंदूइस्म में औरोतो की इजजात बोहत खूब)
* हे स्त्री जीवित पति को लक्षय करके उठ खड़ी हो(यहा पर देवर,पंडित,ऋषि मुनि, इत्यदि की बात हो रही है।)मर्त्य इस पति के पास क्यों पड़ी है, आ हाथ ग्रहण करने वाले नियुक्त इस पति के साथ संतान जनने को लक्षय में रखकर संबंध कर।(नियोग कर)( ऋग्वेद 10:18:8)
* ऋग्वेद 10:10 में जो एक जुड़वा भाई - बहन की कहानी थी (यम-यमी) उनको दयानद सरस्वती ने पति-पत्नी बनाया दिया । बरहाल ऋग्वेद 10:10 में भी पूरा नियोग का बयान है।
* नियोग विषय के बारे में अथर्वेद(18:3:1,2,3)
*मनुसमूर्ति में अध्ययन (9:59,60,61,62) में विस्तार पूर्वक लिखा है।
* हा वेदिक ईश्वर की उन पर कृपा है,
काम चलाता ,राहता है, नही तो बेचारी क्या करती पुर्नविवाह भी नही कर सकती ?
*इससे यह अच्छा ना होता कि एक विधवा जो बेचारी उसका पुनर्विवाह कार देते जिससे उसकी संतान की इच्छा भी पूरी हो जाती और उसको पति का सहारा भी मिल जाता बरहाल कोई मसला नही।
* आज विधवाओं का जो शोषण हो रहा है आश्रमों में उसके बारे में कोई बात नही करना चाहता। ना मीडिया किसको देखा रही है ना ही कोई व्यक्ति ध्यान इधर है खुद के घर मे अंधेरा है, और दुसरो के घर मे उजाला करने की कोशिश कर रहे है। बल्कि वहाँ पहले से ही उजाला है। (समझदारों को इशारा काफी है)
* पुर्नविवाह के मसले पर दयानंद सरस्वती अपनी किताब सत्यार्थ प्रकाश के (4 समुलास पुर्नविवाह के विषय) में अपना इल्म का फन दिखाते हुए लिखता है।
* पुर्नविवाह से स्त्रीवर्ता और पुरष्वर्त का नष्ट होता है। (मतलब स्त्री और पुरूष का प्यार जो पहले मारने से पहले था उसे धोखेबाजी हो जाती है।☺️)
* और नियोग के नाम पर बलत्कार चलता है।
* नियोग के लिए सबसे पहले ऋषि मुनि, पंडित,बृह्मचर्य को चुना जाता है। 👍
* पंडित , जोगी, मजे लेते है और खुद को बृह्मचर्य कहलाते है।😊
* क्यों कि ये आर्यो का वेश्या खाना प्रतीत होता है ?
* क्योंकि की स्त्रियों के मन बहुत पुरुषों पर आकर्षण और ऋषि मुनियों की गंदी नियत इस बात में सोच लगती है ?
* पंडित , ब्रह्चारी इत्यादि स्त्रियों के पति के मरण की पार्थना करते होंगे कि कब उनका नंबर आता है ?😢
* अगर वैदिक ईश्वर उसके जवान पति की मरण से बचा लेता तो कोई व्यक्ति उस पर गंदी नियत नही डाल ते थे ?
* जो यह बात इसी ही ,है तो वैदिक ईश्वर नियोग के नाम पर बलत्कार करवाता है तो इसका दोष भी वैदिक ईश्वर पर ही जाता है ।
* इसीलिए वेद कभी ईश्वरी वाणी नही हो सकती बल्कि शैतानी जरूर हो सकता है ।
* वैदिक शिक्षा केवल अपने ही समझ मे विवाह करना चाहिए वह मनुष्य सदा आनंद में रहता है । ( यजुर्वेद 20 : 40 )
* मेरा एक प्रश्न क्या कोई ब्राह्मण किसी शुद्र को अपनी पुत्री नही दे सकता ???
* जिसके माता पिता विद्वान
(आर्य , ब्राह्मण ) ना हो तो उसकी संतान भी उत्तम नही होती । ( यजुर्वेद 8 : 9 )
* मेरा एक प्रश्न क्या जिसके माता पिता पढे लिखे नही होते उनके बच्चे बेवकूफ होते है
??????????????????
* क्या A. p. J अब्दुउल्लाह कलाम आजद के माता पिता विद्धवान थे ????
NOTE : - जो प्रशन दयानद ने इस्लाम के बारे में किये थे अल्हम्दुलिल्लाह उसका जवाब तो हम दे सकते है पर इनके दिमाग मे जंग लगा है इसलिए जो जैसी भाषा समझता है उसे वैसे ही समझना पड़ता है ।
💐👌👌👌👌👌👌👌💐
Note : - मेरा मकशद स्त्रीयो का अपमान नही करना है ये मेरे शब्द नही जो दयानद ने मुस्लिम स्त्रीयो के बारे कहा है वाहा मैन वैदिक स्त्रियां लगा दिया है पूरा कथन दयानद का है ।
* स्त्रीया किसी की भी हो सम्मान और आदर करना चाहिए परतु दयानद की बाते सुनकर मानव जाति का सर शर्म से नीचे झुक जाता है , बरहाल मैन जो भी प्रमाण दिए है आप स्वतः चेक कर ये बाते लिखी है नियोग इत्यादि संबंध में ।
* अगर किसी को ठेस पहुंची तो क्षमा चाहता हु । 😢
* इस लेख का मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नही बल्कि उन इस्लाम विरोधी को जवाब देना है जो खुद की धार्मिक गर्न्थो की मान्यता को नही जानते और इस्लाम और मुसलमानों के ऊपर तानाकाशी करते है।
धन्यवाद
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