पोल - खोल 2 .( B )
14 समुल्लास
* अब देखते है इन की क्या मान्यता है !
* " अग्ने गृहप्ते " ( यजुर्वेद 2 : 27 )
* अर्थात : - हे घर के पालन करने हरे परमेश्वर ।
* ये वैदिक ईश्वर किस परमेश्वर को पुकार रहा है ?
* " नर्य प्रजां " ( यजुर्वेद 3 : 37 )
* अर्थात : - हे नीतियुक्त मनुष्यों पर कृपा करने वाले परमेश्वर !
* ये समझ मे नही आ राह की ये वैदिक ईश्वर किसको पुकारता है ।
* कहते है इल्हाम हुआ था ?
* कहते है कि लाखो मंत्र वेदास में थे अब खाली 20589 मंत्र बाकी राह गए है, तो अब वैदिक ईशवर पुनः किसी और ऋषि मुनि पर स्रुति क्यों नही कर ता, क्या हमें वो जो लाख मंत्र बर्बाद हो गये उसकी जरूरत भी नही है। इस लिए बाकि के मंत्र कब और किस ऋषि मुनि पर अवरोतित होंगे?
* अगर वैदिक ईश्वर घर और संसार का पालनहार होतो तो बे गुनाह , बच्चो को यतीम करने का आदेश नही देता युद्ध मे ना ही
अगर कहते है कि मुस्लिम जानवरों को तकलीफ देते है । परन्तु जानवरों भी तो वैदिक ईश्वर के बनाये है ऐसी हिंदूइस्म के मानने वालों की मान्यता है तो क्या बे -जुबान जानवरों से कम लेना और उन पर बोझ डालकर काम लेना उनको तकलीफ नही देता क्या ये नाइंसाफी नही बे - जुबानों पर क्या उन्हें स्वतंत्रता नही है आपना जीवन जिनने की ? वैदिक ईश्वर मनुष्यों को खुद से काम करने की आज्ञा क्यों नही दे ।
* और यहां पर दया नाम की कोई चीज दूर दूर तक मौजूद नही है क्योंकि वो किसी को माफ भी नही करता अगर जिससे कभी गलती से पाप भी होगया माफी नही है यहॉ पर एक बार पाप कर लिया उसको उसकी सजा मिल के रहती है ।
* प्रशन :- क्या ईश्वर अपने भक्तों को क्षमा करता है ?
* उत्तर : नही ! (सत्यार्थ प्रकाश 7 समुलास)
* वो तो वेदो को ना मानने को मार काट की शिक्षा देता है , दुसरो का शोषण करने का उनको गुलाम की तरह से व्यहार करने की शिक्षा देता है वेद !
* अब शुद्रो को ही लेलो उनके साथ कई वर्षों तक उनका शोषण करते रहे है , ये वैदिक शिक्षा का प्रमाण मौजूद है ।
* इसीलिए जो मानव को मानव नही समझते और जानवरो की तरह से व्यहार करते है , जिसका उदाहरण ० आज भी कोई वैदिक के मानने वाला कोई कच्छरा साफ करने वाले के झूटे बर्तन में या साथ पिता और खा भी नही ,क्यों कि उन्हें नीच समझा जाता है ।
* जिसका उदाहरण भागवत पुराण में भी मोजूत है । काल युग मे सब वर्ण शूद्रों के समान हो जाएंगे जानवरों की कम दूध देने वालो की तरह ।और कल्कि अवतार फिर से वर्ण व्यवस्था का निर्माण करेंगा ।
( भागवत पुराण 12 सुकध 14 )
* और भी है कुछ है कृपया ये आप खुद चेक कर लेना । ( वाल्मीकि रामायण ,उत्तर कांड 76 अध्ययन शम्बू को किसने कत्ल की और क्यों ? )
* इसी लिए ये वेद ईश्वरी ज्ञान नही हो सकता
* बरहाल आज ये लोगो ने वेदों , मनुसमूर्ति इत्यादि का अर्थ बदल बदल कर लोगो को ये बताया है कि ये ऐसा नही वैसा है ।😊
* पर इतिहास गवाह है , की क्या सत्य है !
* इसी लिए वेद कभी ईश्वरी ज्ञान कभी नही हो सकता कि मजलुमो पर जुल्म होता रहे , वह कुछ नही कर सकता इससे वैदिक ईश्वर की कमजोरी जाहीर होती है ।
* यह पर दूर दूर तक कोई चीज मानवता की नही दिखती बरहाल है उससे को गरज नही । हमारा इस्लाम किसी मजहब को बुरा बोलने को नही कहता पर इन के जवाब तो देना ही पड़ता है वो भी साधगी से ।😊
* वेदों का ईश्वर सब को वैदिक बनाने को बोलता है हमे ऐसी शिक्षा नही चाहिए जो मानवता के विरोध हो । ( यजुर्वेद 2 : 1 )
*और भी कई बाते है वेदों में और हिन्दुइस्म की धार्मिक पुस्तकों में।
* इस लेख का मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नही बल्कि उन इस्लाम विरोधी को जवाब देना है जो खुद की धार्मिक गर्न्थो की मान्यता को नही जानते और इस्लाम और मुसलमानों के ऊपर तानाकाशी करते है।
धन्यवाद
* कहते है इल्हाम हुआ था ?
* कहते है कि लाखो मंत्र वेदास में थे अब खाली 20589 मंत्र बाकी राह गए है, तो अब वैदिक ईशवर पुनः किसी और ऋषि मुनि पर स्रुति क्यों नही कर ता, क्या हमें वो जो लाख मंत्र बर्बाद हो गये उसकी जरूरत भी नही है। इस लिए बाकि के मंत्र कब और किस ऋषि मुनि पर अवरोतित होंगे?
* अगर वैदिक ईश्वर घर और संसार का पालनहार होतो तो बे गुनाह , बच्चो को यतीम करने का आदेश नही देता युद्ध मे ना ही
अगर कहते है कि मुस्लिम जानवरों को तकलीफ देते है । परन्तु जानवरों भी तो वैदिक ईश्वर के बनाये है ऐसी हिंदूइस्म के मानने वालों की मान्यता है तो क्या बे -जुबान जानवरों से कम लेना और उन पर बोझ डालकर काम लेना उनको तकलीफ नही देता क्या ये नाइंसाफी नही बे - जुबानों पर क्या उन्हें स्वतंत्रता नही है आपना जीवन जिनने की ? वैदिक ईश्वर मनुष्यों को खुद से काम करने की आज्ञा क्यों नही दे ।
* और यहाँ पर वैदिक ईश्वर की जानवरों के ऊपर दया समाप्त हो गई है ?
* जानवर तो जानवरों इंशानो के ऊपर भी दया नही करता ।
*काट डाल, चिर डाल, फाड् डाल, जला दे,फुंक दे,भस्म कर दे।(अथर्वेद 12:5:62)
*तुम करके बांध लिए गए,कुचल गए,अनिष्ट चिन्तक को आग में जला डाल(अथर्वेद12:5:61)
* (वेदविरोधी)उन लोगो को काट डाल, उसकी खाल उतार दे,उसके मांस के टुकडो को बोटी-बोटी कर दे,उसके नसों को एठ दे,उसकी हड्डियों को मसल डाल उसकी मिंग निकाल दे,उसके सब अडो(हस्सो) और जुडो को ढीला कर दे(अथर्वेद 12:5:7)
*जो आज -कल हो रहा है, लोगो के साथ इंडिया में ex. मुसलमान के साथ हर जगह मार जा रहे है। तो भी मुसलमान आतंकवादी है (अफसोस कि बात है) हमारे दलित,ईसाइयो , etc साथ हो रहा है।
*अब दूसरे देश या अनार्य लोगो को वहां लूट -मार और दुर्लभ व्यवहार करे ।
*यह वज्र सत्य धर्म(वैदिक धर्म) की तुर्ति करे , इस शत्रु की राज्य की(उसकी सल्तनत) नाश करके उसके जीवन को नाश कर देवे(वहां अच्छी शिक्षा है)उसकी गले की नाडियो को काटे और गुददी नाड़ियो को तोड़ डाले।(अथर्वेद6:135:1)
* उचे लोगो से नीचे-नीचे और गुप्त होकर जमीन से कभी न ऊठे और दंड से मार डाला गया पढ़ा रहे।(अथर्वेद6:135:2)
*हिंसको को मार डाल औऱ गिरा दे,जैसे वायु पैड को (NOTE:- )गौ, घोड़ा और पुरूष को मत छोड़ो(या तो इसका एक मतलब है,की मार डालो या फिर गुलाम बनालो)है हिंसा शील(मजलूम को हिंसक कहा जा रहा बल्कि खुद हिंसा कर रहे है।)यहां से लौट कर प्रजा की हानि के लिए जगह दे (अथर्वेद10:1:17)
* प्रशन :- क्या ईश्वर अपने भक्तों को क्षमा करता है ?
* उत्तर : नही ! (सत्यार्थ प्रकाश 7 समुलास)
* वो तो वेदो को ना मानने को मार काट की शिक्षा देता है , दुसरो का शोषण करने का उनको गुलाम की तरह से व्यहार करने की शिक्षा देता है वेद !
* अब शुद्रो को ही लेलो उनके साथ कई वर्षों तक उनका शोषण करते रहे है , ये वैदिक शिक्षा का प्रमाण मौजूद है ।
* जिसका उदाहरण भागवत पुराण में भी मोजूत है । काल युग मे सब वर्ण शूद्रों के समान हो जाएंगे जानवरों की कम दूध देने वालो की तरह ।और कल्कि अवतार फिर से वर्ण व्यवस्था का निर्माण करेंगा ।
( भागवत पुराण 12 सुकध 14 )
* और भी है कुछ है कृपया ये आप खुद चेक कर लेना । ( वाल्मीकि रामायण ,उत्तर कांड 76 अध्ययन शम्बू को किसने कत्ल की और क्यों ? )
* इसी लिए ये वेद ईश्वरी ज्ञान नही हो सकता
* बरहाल आज ये लोगो ने वेदों , मनुसमूर्ति इत्यादि का अर्थ बदल बदल कर लोगो को ये बताया है कि ये ऐसा नही वैसा है ।😊
* पर इतिहास गवाह है , की क्या सत्य है !
* इसी लिए वेद कभी ईश्वरी ज्ञान कभी नही हो सकता कि मजलुमो पर जुल्म होता रहे , वह कुछ नही कर सकता इससे वैदिक ईश्वर की कमजोरी जाहीर होती है ।
* यह पर दूर दूर तक कोई चीज मानवता की नही दिखती बरहाल है उससे को गरज नही । हमारा इस्लाम किसी मजहब को बुरा बोलने को नही कहता पर इन के जवाब तो देना ही पड़ता है वो भी साधगी से ।😊
* इसी कारण हम ने (अल्लाह) बानी इस्राइल में लिख दिया था की जिसने किसी व्यक्ति को खून का बदला लेने या जमीन में फ़साद फैलाने के अतिरिक्त किसी और कारण से मार डाले तो मानो उसने सारी इंशानो की हत्या कर दी और जिसने एक व्यक्ति को जीव प्रदान की उसने सारी इंशानो को जीव दान दिया (5:32)
* और देखते है , वेदों की शिक्षा क्या है , वेदों को ईश्वर क्या करता है ?
* कौन सुख चाहने वाला यज्ञ का अनुष्ठान पुरूष उस यज्ञ को छोड़ता है , उसको को यज्ञ का पालन करने वाला हर परमेश्वर भी छोड़ देता है ।😢 ( यजुर्वेद 2 : 23 )
* लोगो को छोड़ने वाला ईश्वर हमे नही चाहिए । 😊
* खुद भी आतंक फैलाव और स्त्रियों को भी उसकी शिक्षा दो । (यजुर्वेद 6 : 6,18,19, मोस्ट इम्पोर्टेंट 20 ) इत्यदि ।
*और भी कई बाते है वेदों में और हिन्दुइस्म की धार्मिक पुस्तकों में।
* इस लेख का मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नही बल्कि उन इस्लाम विरोधी को जवाब देना है जो खुद की धार्मिक गर्न्थो की मान्यता को नही जानते और इस्लाम और मुसलमानों के ऊपर तानाकाशी करते है।
धन्यवाद
3 comments
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Replyवाह भाई बहुत शानदार लेख प्रस्तुत किये हो ।
Reply👍 अल्हम्दुलिल्लाह
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