इस्लाम का सच्च
* आओ सच्चाई की तरफ़ जो तुम में और हमे एक सा है ।
* पालनहार के अलावा कोई पूजनीय नही और
मोहम्मद मुस्तफा
( सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम )
उसके रसूल ( संदेश ) है ।
* इस्लाम = शांति ,अपने पालनहार के सामने अपनी नाजायज इच्छाओं का दहन करना
( गर्दनरखना )
* चलो आओ देखते है , की इस्लाम 1400 वर्षों से या कब से ????
* आगे देखेंगे कि वेदों में एक ईश्वर
( अल्लाह ) और प्यार नबी के बारे में क्या है ?
उस पहले ये कुछ प्रश्न ?
उसके रसूल ( संदेश ) है ।
* मेरे मुस्लिम और नॉन मुस्लिम भाइयों के लिए !
* प्रशन : - कहते है , की अल्लाह तआला कहा है और कैसा है ?
* उत्तर : -
* वो ऐसा है । *
अर्थात : - कुरान शरीफ - सूरा अल - इख़लास 112: 1 - 4
112:1 कहो: "वह अल्लाह यकता है,
112:2 अल्लाह निरपेक्ष (और सर्वाधार) है,
112:3 न वह जनिता है और न जन्य,
112:4 और न कोई उसका समकक्ष है ।
* पालनहार की जात स्वयं कदीम(अनादि),अजलि(सक्षम)औऱ अबदी
( अमर) उसी तरह उसके गुण(शिफात) भी । अनादि, सक्षम और अमर है।
* पालनहार की जात स्वयं कदीम(अनादि),अजलि(सक्षम)औऱ अबदी
( अमर) उसी तरह उसके गुण(शिफात) भी । अनादि, सक्षम और अमर है।
*अपनी अक्ल से उसकी पाक जात को समझना मुमकिन नही,क्योंकि जो चीज़ अक्ल के जरिये से समझ मे आति है अक्ल उसको अपने मे घेर ले लेती है, अल्लाह (एक ईश्वर)की शान यह है कि कोई चीज़ उसकी जात को घेर नही सकती।उसी तरह उसके गुण(सिफ़त) भी है।
* वो यहाँ है ?? *
अर्थात : -और बेशक हम ही ने इन्सान को पैदा किया और जो ख्यालात उसके दिल में गुज़रते हैं हम उनको जानते हैं और हम तो उसकी शहरग से भी ज्यादा क़रीब हैं । ( 50 : 16 )
* वो दिल के पास और शहरग
( वो रग है जो पूरे शरीर को खून पहुचती है )
उसे भी ज्यादा करीब है पालनहार ।
وَإِذَا سَأَلَكَ عِبَادِى عَنِّى فَإِنِّى قَرِيبٌ أُجِيبُ دَعْوَةَ ٱلدَّاعِ إِذَا دَعَانِ فَلْيَسْتَجِيبُوا۟ لِى وَلْيُؤْمِنُوا۟ بِى لَعَلَّهُمْ يَرْشُدُونَ
(ऐ रसूल) जब मेरे बन्दे मेरा हाल तुमसे पूछे तो (कह दो कि) मै उन के पास ही हूँ और जब मुझसे कोई दुआ माँगता है तो मै हर दुआ करने वालों की दुआ (सुन लेता हूँ और जो मुनासिब हो तो) क़ुबूल करता हूँ पस उन्हें चाहिए कि मेरा भी कहना माने) और मुझ पर ईमान लाएँ । ( 2 : 186 )
* प्रशन : - काबे खाना की पूजा करते हो ?
उत्तर :- मुसलमान केवल एक अल्लाह की पूजा करता है नाकि कोई बूत ( मूर्ति ) या कोई घर इत्यादि , की ।
* हा काबा एक अल्लाह की निशानियों में से एक निशानी है । जिसकी बुनियाद अल्लाह ने हज़रत आदम अहेस्लाम के हाथों से राखी थी परंतु कई कारणो से वह कई बार टुटा भी है फिर से बना भी है ।
उदहारण ० कॉम नूह पर अजाब जो कि पानी की शक्ल में आया था जब भी वह ठह गया था ।
* फिर अल्लाह ने हज़रत इब्राहिम अहेस्लाम के हाथों से फिर उसकी की बुनियाद रखी
ताकि लोगो को एक दिशा मिल जाये की एक अल्लाह की पूजा इस तरफ करके करना है और सारे मानव जाति के लोग एक जगह जमा हो कर उसकी भक्ति के गुण गए , वहाँ न कोई कला , न कोई गोरा , न कोई अमीर , न कोई गरीब , न कोई अछूत , न कोई सर्वश्रेष्ठ पालनहार के सब बनाये होए है और सब एक आवाज़ में अपने रब की पाकी बयान करते है , एक सफेद लिबश में , ये है इस्लामिक शिक्षा सब मानव एक है कोई किसी से बढ़कर नही , हा अल्लाह के नजदिक वो शक्श पसंदिता है जो अल्लाह से डरे , परेजगारी इख्तियार करे ।
* अब देख ते है इसका जिक्र *
अर्थात : - हम आकाश में तुम्हारे मुँह की गर्दिश देख रहे है, तो हम अवश्य ही तुम्हें उसी क़िबले का अधिकारी बना देंगे जिसे तुम पसन्द करते हो। अतः मस्जिदे हराम (काबा) की ओर अपना रूख़ करो। और जहाँ कहीं भी हो अपने मुँह उसी की ओर करो - निश्चय ही जिन लोगों को किताब मिली थी, वे भली-भाँति जानते है कि वही उनके रब की ओर से हक़ है, इसके बावजूद जो कुछ वे कर रहे है अल्लाह उससे बेखबर नहीं है !
( 2 : 144 )
* यहूदी सिर्फ बैतूल मुक़दस मस्जिद ए अक़्सा कोही अफजल समझे ते थे उनकी बताओ का रद्द ।
يْسَ الْبِرَّ أَن تُوَلُّوا وُجُوهَكُمْ قِبَلَ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَلَٰكِنَّ الْبِرَّ مَنْ آمَنَ بِاللَّهِ وَالْيَوْمِ الْآخِرِ وَالْمَلَائِكَةِ وَالْكِتَابِ وَالنَّبِيِّينَ وَآتَى الْمَالَ عَلَىٰ حُبِّهِ ذَوِي الْقُرْبَىٰ وَالْيَتَامَىٰ وَالْمَسَاكِينَ وَابْنَ السَّبِيلِ وَالسَّائِلِينَ وَفِي الرِّقَابِ وَأَقَامَ الصَّلَاةَ وَآتَى الزَّكَاةَ وَالْمُوفُونَ بِعَهْدِهِمْ إِذَا عَاهَدُوا ۖ وَالصَّابِرِينَ فِي الْبَأْسَاءِ وَالضَّرَّاءِ وَحِينَ الْبَأْسِ ۗ أُولَٰئِكَ الَّذِينَ صَدَقُوا ۖ وَأُولَٰئِكَ
هُمُ الْمُتَّقُونَ -
अर्थात : - नेकी कुछ यही थोड़ी है कि नमाज़ में अपने मुँह पूरब या पश्चिम की तरफ़ कर लो बल्कि नेकी तो उसकी है जो ख़ुदा और रोज़े आख़िरत और फ़रिश्तों और ख़ुदा की किताबों और पैग़म्बरों पर ईमान लाए और उसकी उलफ़त में अपना माल क़राबत दारों और यतीमों और मोहताजो और परदेसियों और माँगने वालों और लौन्डी ग़ुलाम (के गुलू खलासी) में सर्फ करे और पाबन्दी से नमाज़ पढे और ज़कात देता रहे और जब कोई एहद किया तो अपने क़ौल के पूरे हो और फ़क्र व फाक़ा रन्ज और घुटन के वक्त साबित क़दम रहे यही लोग वह हैं जो दावए ईमान में सच्चे निकले और यही लोग परहेज़गार है।
( 2 : 17 )
* मुसलमान सिर्फ एक सच्चे पालनहार की पूजा करता है नाकि काबे खाने की ।
😊😊😊😊😊😊
* और सब पहले मुसलमान ही थे ।
( एक पालनहार को मानने वाले )
كَانَ ٱلنَّاسُ أُمَّةً وَٰحِدَةً فَبَعَثَ ٱللَّهُ ٱلنَّبِيِّۦنَ مُبَشِّرِينَ وَمُنذِرِينَ وَأَنزَلَ مَعَهُمُ ٱلْكِتَٰبَ بِٱلْحَقِّ لِيَحْكُمَ بَيْنَ ٱلنَّاسِ فِيمَا ٱخْتَلَفُوا۟ فِيهِ وَمَا ٱخْتَلَفَ فِيهِ إِلَّا ٱلَّذِينَ أُوتُوهُ مِنۢ بَعْدِ مَا جَآءَتْهُمُ ٱلْبَيِّنَٰتُ بَغْيًۢا بَيْنَهُمْ فَهَدَى ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ لِمَا ٱخْتَلَفُوا۟ فِيهِ مِنَ ٱلْحَقِّ بِإِذْنِهِۦ وَٱللَّهُ يَهْدِى مَن يَشَآءُ إِلَىٰ صِرَٰطٍ مُّسْتَقِيمٍ
अर्थात : - (पहले) सब लोग एक ही दीन रखते थे (फिर आपस में झगड़ने लगे तब) ख़ुदा ने नजात से ख़ुश ख़बरी देने वाले और अज़ाब से डराने वाले पैग़म्बरों को भेजा और इन पैग़म्बरों के साथ बरहक़ किताब भी नाज़िल की ताकि जिन बातों में लोग झगड़ते थे किताबे ख़ुदा (उसका) फ़ैसला कर दे और फिर अफ़सोस तो ये है कि इस हुक्म से इख्तेलाफ किया भी तो उन्हीं लोगों ने जिन को किताब दी गयी थी और वह भी जब उन के पास ख़ुदा के साफ एहकाम आ चुके उसके बाद और वह भी आपस की शरारत से तब ख़ुदा ने अपनी मेहरबानी से (ख़ालिस) ईमानदारों को वह राहे हक़ दिखा दी जिस में उन लोगों ने इख्तेलाफ डाल रखा था और ख़ुदा जिस को चाहे
राहे रास्त की हिदायत करता है
(2:213)
إِنَّ ٱلدِّينَ عِندَ ٱللَّهِ ٱلْإِسْلَٰمُ وَمَا ٱخْتَلَفَ ٱلَّذِينَ أُوتُوا۟ ٱلْكِتَٰبَ إِلَّا مِنۢ بَعْدِ مَا جَآءَهُمُ ٱلْعِلْمُ بَغْيًۢا بَيْنَهُمْ وَمَن يَكْفُرْ بِـَٔايَٰتِ ٱللَّهِ فَإِنَّ ٱللَّهَ سَرِيعُ ٱلْحِسَابِ
अर्थात : - दीन (धर्म) तो अल्लाह की स्पष्ट में इस्लाम ही है। जिन्हें किताब दी गई थी, उन्होंने तो इसमें इसके पश्चात विभेद किया कि ज्ञान उनके पास आ चुका था। ऐसा उन्होंने परस्पर दुराग्रह के कारण किया। जो अल्लाह की आयतों का इनकार करेगा तो अल्लाह भी जल्द हिसाब लेनेवाला है ।
( 3: 19 )
* क़ुरान अरबी में क्यों ?
हिंदी और दुसरी भाषा क्यों नही ?
* अर्थात : - यदि हम उसे ग़ैर अरबी क़ुरआन बनाते तो वे कहते कि "उसकी आयतें क्यों नहीं (हमारी भाषा में) खोलकर बयान की गई? यह क्या कि वाणी तो ग़ैर अरबी है और व्यक्ति अरबी?" कहो, "वह उन लोगों के लिए जो ईमान लाए मार्गदर्शन और आरोग्य है, किन्तु जो लोग ईमान नहीं ला रहे है उनके कानों में बोझ है और वह (क़ुरआन) उनके लिए अन्धापन (सिद्ध हो रहा) है, वे ऐसे है जिनको किसी दूर के स्थान से पुकारा जा रहा हो।"
( 41 :44 )
( 41 :44 )
* अल्लाह ने हर कॉम में उनमे से ही उनकी भाषा मे संदेश भेजा , पर ईमान लाने के नही उनका क्या है अगर वो अरबी में हो या इंग्लिश में ?
* पर कर भी क्या सकते है इनका वैदिक ईश्वर जिसको केवल संस्कृत ही आती
उसको भला दूसरी भाषा से क्या लेना देना हो सकता है ?
😊😊😊😊😊😊
* आज कल एक प्रशन ज्यादा चर्चा में है कि अल्लाह ने सब किताबो में अगल अगल क्योंलिखा है ? क्या अल्लाह का ज्ञान अधूरा है ?( माजल्लाह )
* उत्तर : - अल्लाह के कलाम में किसी किताब से किसी किताब का अफजल होनो का हरगिज यह मतलब नही , की अल्लाह की कीताब कम या ज्यादा है , उसमे कोई कमी थी। क्यों कि पालनहार एक है और उसका कलाम भी एक है । और उसकी कोई किताब में कमी नही । क़ुरआन के अलावा अक्सर बाते उनके मानने वालों ने चेंज करदीं है । क़ुरआन वाहिद है जो मफूज है । अल्हम्दुलिल्लाह । पूरी की पूरी एक एक शब्द सही सलामत । अल्हम्दुलिल्लाह अलबत्ता क़ुरआन का पढ़ना सवाब मेंं ज्यादा है ।
1 शब्द के बदले 10 नेकी ।
* अर्थात : - ऐ अहले किताब तुम्हारे पास हमारा पैगम्बर (मोहम्मद सल्ल) आ चुका जो किताबे ख़ुदा की उन बातों में से जिन्हें तुम छुपाया करते थे बहुतेरी तो साफ़ साफ़ बयान कर देगा और बहुतेरी से (अमदन) दरगुज़र करेगा तुम्हरे पास तो ख़ुदा की तरफ़ से एक (चमकता हुआ) नूर और साफ़ साफ़ बयान करने वाली किताब (कुरान) आ चुकी है
( 5 : 15 )
* क्यों कि यहुदी कुछ आपने मतलब का बताते थे कुछ छुपा देते थे ।
* आज कल एक और भी है जो अपने आपको किताबी कहने लगा है , उनका दावा है कि कुछ भी निकाल सकते है ।
* मेरे मित्रो आप ही समझ जाये कि जो निकल सकते है वो डाल भी सकते हों इसी तरह किताबो में मिलावट करते थे ।
* अल्लाह के कलाम से छेड कानी नही की जाती इसलिए क़ुरआन एक एकता किताब है जो जैसी की वैसी है । अल्हम्दुलिल्लाह , दुनिया मे सबसे ज्यादा कोई याद करने वाली कोई किताब है वो क़ुरआन है । एक अनुमान एक मुताबिक हर साल 2 करोड़ लोग क़ुरआन को याद करते है वो भी मुह जबानी ।
* कहते है कि अल्लाह शब्द इस्लाम से पहले बता दे ?
* अर्थात : - (ऐ रसूल) तुम (उनसे) कह दो कि (तुम को एख़तियार है) ख्वाह उसे अल्लाह (कहकर) पुकारो या रहमान कह कर पुकारो (ग़रज़) जिस नाम को भी पुकारो उसके तो सब नाम अच्छे (से अच्छे) हैं और (ऐ रसूल) न तो अपनी नमाज़ बहुत ऊँचा कर पढ़ो न और न बिल्कुल धीरे से बल्कि उसके दरमियान एक औसत तरीका एख्तेयार कर लो । ( 17 :110 )
* सब अच्छे नाम उसी के है ।
अल्लाह
अल रहमान
अल रहीम
अल करीम
अल मालिक
अल कुदुस
अल राजिक
अल गफूर
अल बारीक
इत्यादि
ईश्वर
पालनहार
रब
और जो जिस भाषा मे बोलता है सब अच्छे नाम उसी के है ।
* मा - बाप के साथ व्यवहार क्या सा ?
अर्थात : - तुम्हारे रब ने फ़ैसला कर दिया है कि उसके सिवा किसी की बन्दगी न करो और माँ-बाप के साथ अच्छा व्यवहार करो। यदि उनमें से कोई एक या दोनों ही तुम्हारे सामने बुढ़ापे को पहुँच जाएँ तो उन्हें 'उँह' तक न कहो और न उन्हें झिझको, बल्कि उनसे शिष्टतापूर्वक बात करो ।
( 17 : 23 )
( 17 : 24 , 25 )
*
अर्थात : - और वास्तव में तुम उन्हें सीधे मार्ग की ओर बुला रहे हो। ( 23 : 73 )
💐💐* आओ सच्चई की तरफ ! *💐💐
* पालनहार कहता है कहा जा रहा है मनुष्यों
तेरा रब तो करीम है , आ जाओ सच्चई की तरफ वो पिछली हर गलती माफ कर देंगा ।
आ जाओ सच्च दिल से ! 😢😢😢
يَٰٓأَيُّهَا ٱلْإِنسَٰنُ مَا غَرَّكَ بِرَبِّكَ ٱلْكَرِيمِ
अर्थात : - ऐ मनुष्य! किस चीज़ ने तुझे अपने उदार प्रभु के विषय में धोखे में डाल रखा हैं? ( 82 : 6 )
وَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِيُضِلَّ قَوْمًۢا بَعْدَ إِذْ هَدَىٰهُمْ حَتَّىٰ يُبَيِّنَ لَهُم مَّا يَتَّقُونَ إِنَّ ٱللَّهَ بِكُلِّ شَىْءٍ عَلِيم
अर्थात : - अल्लाह ऐसा नहीं कि लोगों को पथभ्रष्ट ठहराए, जबकि वह उनको राह पर ला चुका हो, जब तक कि उन्हें साफ़-साफ़ वे बातें बता न दे, जिनसे उन्हें बचना है। निस्संदेह अल्लाह हर चीज़ को भली-भाँति जानता है । ( 9 : 15 )
* उसने समय पर अपने रसूल ( सन्देश )
भेजे है उन्हें में से और उनकी भाषा मे !
* उसने समय पर अपने रसूल ( सन्देश )
भेजे है उन्हें में से और उनकी भाषा मे !
* बेशक़ क़ुरआन सीधा रास्ता देखता है ।
( 15:9 )
*وَمَا كَانَ ٱللَّهُ لِيُضِلَّ قَوْمًۢا بَعْدَ إِذْ هَدَىٰهُمْ حَتَّىٰ يُبَيِّنَ لَهُم مَّا يَتَّقُونَ إِنَّ ٱللَّهَ بِكُلِّ شَىْءٍ عَلِيمٌ
अर्थात :- अल्लाह की ये शान नहीं कि किसी क़ौम को जब उनकी हिदायत कर चुका हो उसके बाद बेशक अल्लाह उन्हें गुमराह कर दे हत्ता (यहां तक) कि वह उन्हीं चीज़ों को बता दे जिससे वह परहेज़ करें बेशक ख़ुदा हर चीज़ से (वाक़िफ है) ( 9 :15 )
* हम ने ( अल्लाह ) उनकी जबान में ही कई नबी भेजे । ( 14 : 4 )
* और जिहाद भी प्रशन है ?
उसकी जानकारी के लिए यहाँ देखे ।
जिहाद
* और भी कई बाते है और प्रश्न है ? उसके लिए ये देखे ।
स्त्रियों का अधिकार
शराब हराम ?
नमाज और उसका तरीका
पृथ्वी गोल या चपटी
आत्मा , परमात्मा और प्रकुति का सच्च
आतंकवाद का सच्च
* ये केवल 2 पग पर चलने वालों के लिए ।
* अगर अभी भी नही समझे तो ये भी देख लेना @ 😊
नियोग , वेदो में आतंक , सत्यर्थ प्रकाश की पोल खोल ,अश्लीलता इत्यादि सब विषय है 😊
जिहाद
* और भी कई बाते है और प्रश्न है ? उसके लिए ये देखे ।
स्त्रियों का अधिकार
शराब हराम ?
नमाज और उसका तरीका
पृथ्वी गोल या चपटी
आत्मा , परमात्मा और प्रकुति का सच्च
आतंकवाद का सच्च
* ये केवल 2 पग पर चलने वालों के लिए ।
* अगर अभी भी नही समझे तो ये भी देख लेना @ 😊
नियोग , वेदो में आतंक , सत्यर्थ प्रकाश की पोल खोल ,अश्लीलता इत्यादि सब विषय है 😊
* अब देखते है , वेदों में एक ईश्वर
( अल्लाह ) और आखरी नबी
मोहम्मद मुस्तफा ( सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम )
की आने की पैशन गोई ।
Allah
का मतलब
हिंदी में
* ये बात बताने की नही है सब जानते है कि अल्लाह का मतलब क्या होता है ।
वैसे मैंने ऊपर ही बता दिया था कि सब अछे नाम उसके है ।
वेदों में भी उसके प्रमाण ।
* बुद्धि मान लोग उसको भिन्न भिन्न नाम से पुकारते है ।
( ऋग्वेद 1 -164 - 46 )
( अर्थवेद 9 : 10 : 28 )
" न तस्य प्रतिमाss अस्ति .....!
अर्थात : - ( न ) नही उत्पन्न हुआ इस प्रकार यह ईश्वर ( अल्लाह ) उपासना योग्य है ।
( तस्य ) उस अल्लाह की कोई
(प्रतिमा) प्रतिमा नही कोई मूर्ति नही ।
( न , अस्ति )
नही ।
( यजुर्वेद 32 : 3 )
* एक ईश्वर की उपासना करने वालो को सुखों की प्रप्ति होति है ।
( यजुर्वेद 32 : 13 )
* वो लोग अंधकार में है जो पेड़ , पौधे , जड़ , पत्थऱ ,मूर्ति इत्यादि की पूजा , उपासना करते है ।
भावार्थ : - जो लोग ईश्वर के स्थान पे जड़ इत्यादि को पूजते है उन्हें घोर दुख की प्रप्ति होती है ।
( यजुर्वेद 40 : 9 ) ( यजुर्वेद 40 :12)
* वो कैसे है ?
मोहम्मद मुस्तफा ( सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम )
की आने की पैशन गोई ।
Allah
का मतलब
हिंदी में
* ये बात बताने की नही है सब जानते है कि अल्लाह का मतलब क्या होता है ।
वैसे मैंने ऊपर ही बता दिया था कि सब अछे नाम उसके है ।
वेदों में भी उसके प्रमाण ।
* बुद्धि मान लोग उसको भिन्न भिन्न नाम से पुकारते है ।
( ऋग्वेद 1 -164 - 46 )
( अर्थवेद 9 : 10 : 28 )
" न तस्य प्रतिमाss अस्ति .....!
अर्थात : - ( न ) नही उत्पन्न हुआ इस प्रकार यह ईश्वर ( अल्लाह ) उपासना योग्य है ।
( तस्य ) उस अल्लाह की कोई
(प्रतिमा) प्रतिमा नही कोई मूर्ति नही ।
( न , अस्ति )
नही ।
( यजुर्वेद 32 : 3 )
* एक ईश्वर की उपासना करने वालो को सुखों की प्रप्ति होति है ।
( यजुर्वेद 32 : 13 )
* वो लोग अंधकार में है जो पेड़ , पौधे , जड़ , पत्थऱ ,मूर्ति इत्यादि की पूजा , उपासना करते है ।
भावार्थ : - जो लोग ईश्वर के स्थान पे जड़ इत्यादि को पूजते है उन्हें घोर दुख की प्रप्ति होती है ।
( यजुर्वेद 40 : 9 ) ( यजुर्वेद 40 :12)
* वो कैसे है ?
: "वह अल्लाह यकता है,
अल्लाह निरपेक्ष (और सर्वाधार) है,
न वह जनिता है और न जन्य,
और न कोई उसका समकक्ष है ।
* और तुम्हारे लिए तुम्हारे ज़िक्र को ऊँचा कर दिया। ( 94:4)
*पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
*कह दो,"सत्य आ गया और असत्य मिट गया, असत्य तो मिट जाने वाला ही होता है।(17:81)
Note:- या अल्लाह लिखने में बयान करने में कोई शरियन गलती हुई हो , मेरे मालिक तू दिलो के राज जानने वाला है माफ फ़रमा दे।(आमीन)
अल्हम्दुलिल्लाह
( यजुर्वेद 40 : 8 )
* वो आयु देने वाला जागेश्वर है ।
( यजुर्वेद 2 : 20 )
* घर का पालन करने वाला परमेश्वर है ।
( यजुर्वेद 2 :27 )
* सब की रक्षा करने वाला एक ईश्वर ।
( यजुर्वेद 3 : 37 )
* पृथ्वी का पालनहार ।
( यजुर्वेद 4 : 34 )
* सुर्ष्टि रचेता ।
( ऋग्वेद 10 : 129 : 1 से 7 )
* जामिन का फैलाने वाला ।
( ऋग्वेद 10 : 130 : 2 )
* ईश्वर से सादा देखने वाला है ,और मनुष्यों को उससे डरना चाहिए ।
( यजुर्वेद 40 : 1 )
* वो सब से पहले है ,और दुजा कोई नही ।
( यजुर्वेद 7 : 6 )
* जो मनुष्य शक में और ना समझी या बेवकूफी नजरिया रखता है ,उसे कभी ईश्वर की प्रप्ति नही होती ।
जो दूसरे चाल - चलता ( मन मर्जी ) करता है और ईश्वर की आज्ञा का पालन नही करता उसे कभी ईश्वर नही मिलता ।
( यजुर्वेद 40 : 5)
* एक ईश्वर ( अल्लाह ) के अलावा किसी की पूजा नही ।
( ऋग्वेद 8 : 1 :1 )
* सब लोगो का अल्लाह एक है ।
( ऋग्वेद 10 : 121 : 8 )
* कुल मालिक ( हर चीजो का मालिक )
( अर्थवेद 2 : 2 :1 )
( ऋग्वेद 10 : 90 :4 )
* मनुष्य को दिखने और पालने वाले एक अल्लाह है । उस की पाकी बोलो ।
( ऋग्वेद 6 : 45 :16 )
* अल्लाह की प्रशंसा है ।
( अर्थवेद 20 : 58 :3 )
* है मालिक तू इतना मूल्यवाब है
मै तुझको किसी शक्ल मैं नही छोड़ सकता ।
न 1000 में
न अरबो में
न सैकड़ो में ।
( ऋग्वेद 8 : 1 :5 )
* मेरे पास इतने प्रमाण है कि आप लोग पढ़ते पढ़ते थक जाओंगे और मैं देते देते ।
बरहाल इतना काफी होंगा ।
😊😊😊😊😊😊😊😊
* नबी ए पाक का जिक्र ।
*और जब उनके पास खुदा की तरफ़ से किताब (कुरान आई और वह उस किताब तौरेत) की जो उन के पास तसदीक़ भी करती है। और उससे पहले (इसकी उम्मीद पर) काफ़िरों पर फतेहयाब होने की दुआएँ माँगते थे पस जब उनके पास वह चीज़ जिसे पहचानते थे आ गई तो लगे इन्कार करने पस काफ़िरों पर खुदा की लानत है । (2:89)
* हज़रत इब्राहीम और इस्लाइल कि दुआ है नबी ए पाक सल्लल्लाहु अलैह वस्लम ।
* ऐ हमारे रब! हम दोनों को अपना आज्ञाकारी बना और हमारी संतान में से अपना एक आज्ञाकारी समुदाय बना; और हमें हमारे इबादत के तरीक़े बता और हमारी तौबा क़बूल कर। निस्संदेह तू तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है।( 2:128)
* ऐ हमारे रब! उनमें उन्हीं में से एक ऐसा रसूल उठा जो उन्हें तेरी आयतें सुनाए और उनको किताब और तत्वदर्शिता की शिक्षा दे और उन (की आत्मा) को विकसित करे। निस्संदेह तू प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है । (2:129)
* और भी बहुत कुछ है एक हदीस शरीफ़ में आता है कि में इब्राहीम की दुआ हु ईशा का एलान हु अपने अम्मी का सच्चा ख्वाब की बशारत हु । बरहाल सब किताबो में नबी का ज़िक्र था ।
* वेदों में नबी का जिक्र ।
* नराशंस = मनुष्य में प्रशंसा के लायक ।
* मोहम्मद = तारीफ के लायक ।
*
वह मधुर भाषी होगा , या उसका भाषण सम्मोहित करने वाला होगा ।
(ऋग्वेद 1 - 13- 3 )
( ऋग्वेद 2 - 3 - 2 )
ऋग्वेद 5 - 5 - 2
नराशंस इंशानो के पापो को धो देगा
( ऋग्वेद 1 - 106 - 4 )
* इसी तरह ( ऋग्वेद 5 - 27 -1)
( अथर्वेद 20 - 127 - 1 )
( 20 - 127 -2 )
(20- 127-3)
कल्कि पुराण
(2:15) (2:4) (12:182) (2:4) (2:11)
(2:5) ( 2:7)
भागवत पुराण
( 12-2-19) (1-3-24) (12-2-1-20)
(12-2-29) (12-2)
इत्यादि ।
* उस आयात में बता दिया है ये अपने मतलब का रख लेते है बाकी का छुपा देते है ।
* हमारे नबी ए पाक सल्ललाहु अलैहि वसल्लम को कोई किसी किताब से जबर दस्ती देखना नही ।
* अल्लाह ने तो उनका जिक्र ता कयामत तक के लिए बुलंद कर दिया है ।
* और तुम्हारे लिए तुम्हारे ज़िक्र को ऊँचा कर दिया। ( 94:4)
* बरहाल वेदों में बहुत सी मिलावट है , और बहुत बखेड़ा है , परन्तु एक बात तो है कि ये एक अल्लाह का जिक्र नही मिटा पाये ।
* एक बात तो है , की एक अल्लाह जो सबका पालनहार है उसकी उपासना करो और उसके नबी के कहाँ पर चलो ।
अपने हाथों की बनी वस्तु की पूजा नही बल्कि एक मालिक की उपासना ।
* उसने समय समय पर अपने मेसेंजर
( नबी ) भेजे सबका संदेश एक ही था , एक अल्लाह की पूजा, उपासना ।
* और आख़री संदेश
हमारे नबी ए पाक सल्ललाहु अलैहि वसल्लम
उसके बाद महा प्रलय ।
* उसके बाद आपकी मर्ज़ी
😊😊😊😊😊😊
* सत्य कड़वा है पर ग्रहण करना पड़ेगा ।
*वह जिसने मौत और जिंदगी पैदा की ताकि तुम्हारी जांच (परीक्षा) हो कि तुम में अच्छा काम कौन करता है, और वही है इज्जत वाला बख्शीश वाला।( 67:2)
*हर जान को मौत का मज़ा चकना है,और हम(अल्लाह)अच्छी और बुरी परिस्तिथि में दाल कर मानव की परीक्षा लेता है अंत मे तुम्हे मेरे(अल्लाह) पास ही आना है।{क़ुरआन(21:35)& (32:11)
* हक़ बात( इस्लाम ) कोई जबरदस्ति नही(2-256).
*पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
*नसीहत उनके लिए सीधे मार्ग पर चलना चाहे।(81:27,28,29)(40:28)
* ये मानव तुम लोग पालनहार(अल्लाह) के मोहताज हो और अल्लाह बे-नियाज़ है(सर्वशक्तिमान) है नसीहत वो मानते है जो अक्ल वाले है (13:19).
* और हरगिज अल्लाह को बे-खबर ना जानना जालिमो के काम से उन्हें ढील नही दे राहा है, मगर ऐसे दिन के लिए जिसमे आंखे खुली की खुली राह जांयेंगी।(14:42)
*कोई आदमी वह है, की अल्लाह के बारे में झगड़ाता है, ना तो कोई इल्म, ना कोई दलील और ना तो कोई रोशन निशानी।(22:8)(31:20)(52:33,34)(23:72)(23:73).
*कह दो,"सत्य आ गया और असत्य मिट गया, असत्य तो मिट जाने वाला ही होता है।(17:81)
Note:- या अल्लाह लिखने में बयान करने में कोई शरियन गलती हुई हो , मेरे मालिक तू दिलो के राज जानने वाला है माफ फ़रमा दे।(आमीन)
अल्हम्दुलिल्लाह
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