अपमान ?
* सभी मित्रों के लिए एक लेख !
*आर्य समाज का सच्च ! आर्य समाज की स्थापना लग भग 130-135 वर्ष पहले झुट की बुनियाद पर हुई है वो झुट है दुसरी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना और उनकी धार्मिक ग्रर्न्थो पर अपनीं मंदबुद्धि से टिप्पणी करना ?
* आज कल हमारी युवा पीढ़ी के लोगो भी आर्य समाजी की बातो को सुनकर इस्लाम और उनके मानने वालों पर टिप्पणी करना चालू कर दि है और अपने आपको बुद्धिमान समझने लगे है , मुझे तो हंसी आती है ऐसे मूर्खो पर बरहाल इस्लाम विरोधीयो को कोइ ना कोई मुद्द चाहिए ही !
* क्या इन्हें पता है कि इन लोगो के बारे में आर्य समाजी की क्या मानसिकता रखते है ।
* या केवल आपका इस्तमाल कर रहे है मुसलमानो के विरूद्ध में ।
* चलो आओ कुछ बाते जाने ?
हिंदूइस्म के देवी वेदता का अपमान
* प्रशन : - देखो ! कलकत्ता की काली और कामाक्ष आदि को लाखों मनुष्य मानते है ?
क्या ये चमत्कार नही ?
उत्तर : - कुछ भी नही ! वे अंधे लोग भेड़ के तुल्य है , एक के पीछे दूसरे चलते है ।खाई में गिरते है ; हट नही सकते वैसे एक मुर्ख के पीछे दूसरे चलकर मूर्ति पूजा में फंसकर दुख पाते है ।
(मूर्ति पूजक को मुर्ख कहा जा रहा है !
अगर ये एक मुसलमान कहता तो बवाल हो जाता ?)
* इसी तरह से महादेव , कोटपाल , कलभैरोव इत्यादि के बारे में टिप्पणी की गए है !
सोमनाथ का सच दयानद जी की जुबानी
* प्रश्न : - देखो सोमनाथ जी पृथ्वी के ऊपर रहता था बडा चमत्कार है , क्या यह मिथ्या बात है ?
* उत्तर : - हा ! ये मिथ्या है सुनो ऊपर नीचे चुम्ब पाषण लगा रखे थे !उसे आकर्षण से मूर्ति अधर खड़ी थी ।
( अगर ये एक मुसलमान कहता तो बवाल हो जाता ? क्योंकि की आस्था का मामला बन जाता और अब आस्था कहा गई ?)
भगवात पुराण का अपमान
* वाह रे वाह ! भागवत के बनाने वाले
लालभुजक्कड़ ?
क्या कहना ! तुझको ऐसी -ऐसी बाते मिथ्या बाते लिखने में तनिक भी लज्जा और शर्म नही आई , निपट अंधा ही बन गया ।
(अगर ये एक मुसलमान कहता तो बवाल हो जाता ?)
* जो चोर , डाकू , कुकमरी लोग है , वे भी तुम्हारे देवताओं के अधीन होंगे ?
देवता ही उन् से दुष्ट काम करता है ?
जो वैसा है तो तुम्हारे देवता और रक्षक में कोई भेद न रहेंगा ?
(अगर ये एक मुसलमान कहता तो बवाल हो जाता ?)
* प्रश्न :- क्या गरुड़ पुराण भी झुटा है ?
उत्तर :- हा असत्य है !
(अगर ये एक मुसलमान कहता तो बवाल हो जाता ?)
* प्रश्न : - क्या यमराज , चित्र गुप्त के पर्वत के समान शरीर वाले जीव को पकड़ कर ले जाते है , पाप , पुण्य के अनुसार नरक व स्वर्ग में डालते है ।
उस लिए दान ,पुण्य , श्रद्धा , तपुर्ण इत्यादि के लिए करते है , ये बाते झुट क्यों कर हो सकती है ?
प्रश्न : - ये सब पोपलीला के गपोड़े है ।
😢😢😢😢
* इसे आगे दान ,पुण्य , श्रद्धा , तपुर्ण इत्यादि का मजाक उड़ाया है ?
* दान ,पुण्य , श्रद्धा , तपुर्ण इत्यादि उन मारे हुए जीव को तो नही पूछता किंतु मृतको के प्रति निधि पॉप जी ( पंडित जी ) के घर और हाथ मे पहुचाता है ।
* यहां तो इन्होंने महाभारत के 88 अध्ययन का रद्द ही कर दिया । 😢
* सारे पुरानो को वेद विरोधी बता रहे है ये तो
क्या ये सत्य है ???????
और कई मंत्रो का भी मजाक उढाया है
*और भी बहूत कुछ है *
(सत्यार्थ प्रकाश 11 समुलास
पेज नंबर 259 to 291 )
* पुजारी लोग उनके नाम पर भीख मांगते हैं और उनको भिखारी बनाते है ।
(अगर ये एक मुसलमान कहता तो बवाल हो जाता ?)
संत कबीर का भी अपमान ?
* प्रश्न : - कबीर पंथी तो अच्छा है ?
उत्तर : -नही !
* वह उटपटांग भाषा बनाकर जुलाहै आदि नीच लोगो को समझाने लगा । तंबूरा लेकर गता था , भजन बनाता था , विशेष पंडित , शास्त्रों , वेदों की निंदा कर था ( उनको सच्च का आईना बताते थे इसलिए वो गलत हो गए जो इंके सुर में सुर मिलाए तो ठीक नही सब गलत 👍👍 )
* मुर्ख लोग उस के जाल में फंस गए जब मार गया तो उसे शिद्ध बना लिया ।
जो जो उसने लिखा था उसको उसके चेले पड़ते थे और लोगो को गुमराह करने लगे ,
भला विचार देखो की इस मे आत्मा की उनत्ति और ज्ञान क्या बढा सकता है ,
यह केवल लड़को की खेल की लीला के समान है । 😢😢😢😢😢😢😢
(सत्यार्थ प्रकाश 11 समुलास
पेज नंबर 292 to 293 )
इसी तरह से गुरु नानक जी का भी अपमान किया है ?
* नानक जी का आशय तो अच्छा था , परन्तु विद्या कुुुछ नही थी , वेददी शास्त्र कुछ नही जानते थे , नही संस्कृत । अगर जनते होते तो ,निर्भय शब्द को निर्भा क्यों लिखते ?
( इसलिए ये दयानद जी अपने सिवा किसी को विद्वान नही समझते थे , लगता है पूरे विश्व का ज्ञान दयानद को ही था ? )
* इसलिए पहले ही अपने शिष्यों के सामने कही कही वेदों के विरोध में बोलते थे , और कही कही वेदों को अच्छा भी कहा है,
क्यों कि अच्छा न बोलते तो लोगो उन्होंने नास्तिक बनाते ?
आर्यो को मिला को मिला है किसी को आस्तिक और किसी को नास्तिक बनाने का सर्टिफिकेट
* जो नानक जी वेदों ही का मान करते तो उनका संप्रदाय न चलते
न वे गुरु बन सकते थे क्यों कि संस्कृत विद्या तो आती नही थी ,
तो दूसरों को पढ़ा कर शिष्य कैसे बनाते ?
* मूर्ति पूजा तो नही करते थे परंतु विशेष ग्रंथ की पूजा करते थे , क्या ये मूर्ति पूजा नही ???????
* जैसे मूर्ति पूजा वाले लोगों अपनी दुकान जमकर जीविका ठाडि की है , वैसे इन लोगों ने भी कर ली है ।
* जैसे मूर्ति पूजारी मूर्ति के दर्शन करते है और भेंट चढ़ावाते है वैसी ही नानक पंक्ति लोग गर्न्थो की पूजा करते है ।
* जैसे मूर्ति वाले मूर्ति पूजा ते है वैसे ही ये ग्रन्थ साहब की करते है !
* हा ! यहाँ कहा जा सकता है कि न इन्होंने देखा ना हीँ सुना इसलिए !
(सत्यार्थ प्रकाश 11 समुलास
पेज नंबर 293 to 295 )
* जो वेदविद्या हीन है
यानी जो वेदों को नही जानता वो
वह अनाड़ी है ( शुद्र है । )
* मनुस्मृति का वचन *
जो वेदों की निंदा करता है वो नास्तिक है ।
( 1 : 130 )
* मतलब कि चाटु कारिता करो तो ठीक है !
मनुस्मृति ( 1 : 91 )
नही तो ?
* (वेदविरोधी) उन लोगो को काट डाल, उसकी खाल उतार दे,उसके मांस के टुकडो को बोटी-बोटी कर दे,उसके नसों को एठ दे,उसकी हड्डियों को मसल डाल उसकी मिंग निकाल दे,उसके सब अडो(हस्सो) और जुडो को ढीला कर दे(अथर्वेद 12:5:7) जो आज -कल हो रहा है, लोगो के साथ इंडिया में ex. मुसलमान के साथ हर जगह मार जा रहे है। तो भी मुसलमान आतंकवादी है (अफसोस कि बात है) हमारे दलित,ईसाइयो , इत्यादि साथ हो रहा है।
ऋग्वेद 10 :90 : 12
* यजुर्वेद 31 : 10- 11
* मनुस्मृति 1 :87
💐* वाह भाई वाह या पोप लीला है *💐
शुद्रो की परिभाषा बताई है उसके मुताबिक पूरी दुनिया मे 99 % लोगो शुद्र हो गए ! 👌👌
* दयानंद सरस्वती जी का कहना है कि यूनान, मिस्र , यूरोपीय देशों, इत्यादि , हब्शी ,मगोलिन अरब देशों में बसने वाले सब शुद्र है , की इन्होंने वेदों को देखा नही ना ही सुना ?
( सत्यार्थ प्रकाश 7 समुलास )
* मतलब जानते नही थे मतलब अनाड़ी थे
तो साफ कहो न कि वह शुद्र थे ।
हर हकीकत में शूद्रो में ही ज्ञानी पैदा तो है ना कि xyz में पूरी दुनिया जानती है ।
* स्वामीनारायण का भी अपमान
* उसने देखा कि यह देश मुर्ख भोला भला है
( देश को मूर्ख कहा ईरानी ने )
जैसे इन लोगो को अपने मत में झुक ले वैसे ये झुक सकते है । वह उसने दो चार चेले
बनाये । नारायण का अवतार बात कर
प्रशिद्ध हो गया । नाक वाली कहानी तो सुना ही है उस का झुट मुट का बता कर मजाक उठाया है । (सत्यार्थ प्रकाश 11 समुलास
पेज नंबर 303 to 307)
*इसी तरह बौद्ध , जैन , ईसाई इत्यादि का अपमान किया है । 12 ,13 , 14 समुलास में
* आर्य समाजीयो ने नफरत का बीज बोया है लोगो मे नही तो कोई ये पुस्तकें के पहले की कुछ बात बता दे कि इस तरह से किसी ने किसी का अपमान किया हो ?
* NOTE : - अगर इस मे से को एक बात भी कोई मुसलमान कहते तो अब तक आतंकवादी , फ़सादी , देशद्रोही , भड़काओ भाषण इत्यादि कह कर संबोधित करते ।
* परतु अब कहा गईं तुम्हारे बोल और धार्मिक भावना ?
*ये वे लोग है जो तुम्हारे प्रिय है जिन्होंने तुम्हारे गुरु का मजाक बनाया है ?
* या फिर मुसलमानो से हसद की बुनियाद पर बुलाते हो ?
* अगर इतनी अपने गुरु इत्यादि से मोहब्बत है तो आर्य समाजी को बोल के दिखलावे ?
* उसके आगे आपकी मर्जी जितना बताने की आवश्यकता थी उतना प्रमाण दे दिया आगे स्वम देख लेना ?
* इसी बाते पढ़ कर और सुनकर मानव जाति का सिर शर्म से नीचे झुक जाता है !
😢😢😢😢😢
* आओ मिलकर ये कलंक धोते है जो मानव जाति के लिए हानिकारक है ।
जो एक दूसरे का अपमान करने की शिक्षा देता है । या फिर वेद ?
* आर्य ( ब्रह्मणो ) की चाल और धोखा यही करता है । खुद 3.5 % है , 96.5 % पर राज करना चाहते है ।
* उन्होंने एक चाल रची " हिन्दू " शब्द की हिंदूइस्म की कोइ भी किताब में हिन्दू शब्द नही है ।
* दयानद सरस्वती के मुताबिक हिंदू शब्द मुगलो की दी हुई गली है ।
* हिन्दू शब्द की चाल में इंडिया का 75-80 % लोगो को फसा रखा है ।
* हकीकत में इस धर्म का नाम वैदिक धर्म है
* अगर देखा जाये तो NT ,ST, OBC. में 1500 जाति ( गोरह ) है जो कि वेदों को नही मानते ना जानते । दयानद के मुताबिक जो वेदों को नही जानता और मानता वो अनाड़ी है ( यानी शूद्र है ) और इन्ही को हिन्दू शब्द के माया जल में फसा कर । इनसे काम लेते है , मुसलमानो के खिलाफ और खुद हमेशा पीछे रहते है और चाल चलते रहते है ।
* ये लोग अपनी 2500 - 3000 साल की गुलामी भूल बैठे है , और बाबा अम्बेटकर , और इत्यादि की क़ुरबानी जब इनका काम निकल जायेगा तो फिर से ये तुमको गुलाम बना देंगे ।
धन्यवाद.............................. !
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