Islam aur nari
* आज कल इन चीजों के बारे में अधिक
चर्चा सूने में और दिख ने में आ रही है , इस्लाम
शरिया कानून , स्त्रीयो पर पाबंदी , इस्लाम मे स्त्री का शोषण आदि - आदि ?
* सूबह अखबार में , शाम को टेलीविजन में वही बाते दिखाई पड़ती है , दुष्मनाने इस्लाम इस्लाम को नीचा दिखाने की ना काम कोशिश कर रहे है पर वो भूल गए है ।
*" कुदरत ने इस्लाम को वो लचक दी है तूम इसको जितना दबाओगे ये उतना उभरेगा !"
* बरहाल इस्लाम विरोधियों को कुछ न कुछ मुद्दा चाहिए ?
* ये भी देंखेगे की वेदों में और मनुसमूर्ति में इस बारे में क्या है ?
बेटियाँ
* ये बात तो सब जानते ही है , की पालनहार ( अल्लाह ) ने अपना पैग़ाम एक बार ओर अरब की धरती पर ,जो कि
नबी -ए - अख्रुजमा मोहम्मद ( सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम )
की जात -ए-बा बरकात पर क़ुरआन मजीद फुरकाने हामिद की की शक्ल में नाजिल हुआ ।
क़ुरआन नाजिल होने से पहले की हालत !
* दौरे जहिलियत के लोग बेटियो को अपमान समझते थे , किसी बाप को बेटियां का बाप पुकार ना गवारा नही था , और किसी भाई को किसी का साला कह कर पुकारना गवारा नही था !
وَإِذَا بُشِّرَ أَحَدُهُم بِٱلْأُنثَىٰ ظَلَّ وَجْهُهُۥ مُسْوَدًّا وَهُوَ كَظِيمٌ
और अपने लिए (बेटे) जो मरग़ूब (दिल पसन्द) हैं और जब उसमें से किसी एक को लड़की पैदा होने की जो खुशख़बरी दीजिए रंज के मारे मुँह काला हो जाता है । ( 16 : 58 )
يَتَوَٰرَىٰ مِنَ ٱلْقَوْمِ مِن سُوٓءِ مَا بُشِّرَ بِهِۦٓ أَيُمْسِكُهُۥ عَلَىٰ هُونٍ أَمْ يَدُسُّهُۥ فِى ٱلتُّرَابِ أَلَا سَآءَ مَا يَحْكُمُونَ
और वह ज़हर का सा घूँट पीकर रह जाता है (बेटी की) जिसकी खुशखबरी दी गई है अपनी क़ौम के लोगों से छिपा फिरता है (और सोचता है) कि क्या इसको ज़िल्लत उठाके ज़िन्दा रहने दे या (ज़िन्दा ही) इसको ज़मीन में गाड़ दे-देखो तुम लोग किस क़दर बुरा एहकाम (हुक्म) लगाते हैं । ( 16 : 59 )
لِلَّذِينَ لَا يُؤْمِنُونَ بِٱلْءَاخِرَةِ مَثَلُ ٱلسَّوْءِ وَلِلَّهِ ٱلْمَثَلُ ٱلْأَعْلَىٰ وَهُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيمُ
बुरी (बुरी) बातें तो उन्हीं लोगों के लिए ज्यादा मुनासिब हैं जो आख़िरत का यक़ीन नहीं रखते और ख़ुदा की शान के लायक़ तो आला सिफते (बहुत बड़ी अच्छाइया) हैं और वही तो ग़ालिब है । ( 16 : 60 )
* क्योंकि वे लोग इस को अपमान समझते थे दौरे जहिलियात का मुताला करा जाए तो पत्ता चलता है , जब भी किसी को लड़की होती थी तो वे उसको जामिन में जिंदा गढ़ा देते थे । (अल्लाह की पन्हा )
* अपनी मा - बहनों के साथ जीना आम सी बात होती थी ! (असतगफिरूल्लाह ) और वक्क्त ने ये भी देखा है , की अपनी बहनों की इज्जत बाजारों में बेच आते थे । और उनमें लोगो को गुलाम बनने का रिवाज भी प्रचलित था ! लोगो को गुलाम बनाने की मानसिकता आज भी हिन्द में एक तबके में पाई जाती है जो एक गंदी सोच रखता है !
* उस वक़्त के दौर में और जाहिलो में पाक पालनहार का मानव जाति पर उप्पकर हुआ कि उसने अपने प्यारे नबी -ए - अख्रुजमामोहम्मद मुस्तफा ( सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम )को पूरी दुनिया के लिए रहमत बना कर भेजा ( अल्हम्दुलिल्लाह )
* अर्थात : - निस्संदेह अल्लाह ने ईमानवालों पर बड़ा उपकार किया, जबकि स्वयं उन्हीं में से एक ऐसा रसूल उठाया जो उन्हें आयतें सुनाता है और उन्हें निखारता है, और उन्हें किताब और हिक़मत (तत्वदर्शिता) का शिक्षा देता है, अन्यथा इससे पहले वे लोग खुली गुमराही में पड़े हुए थे ! ( 3 :164 )
* अर्थात : - (तुमने तो अपनी दयालुता से उन्हें क्षमा कर दिया) तो अल्लाह की ओर से ही बड़ी दयालुता है जिसके कारण तुम उनके लिए नर्म रहे हो, यदि कहीं तुम स्वभाव के क्रूर और कठोर हृदय होते तो ये सब तुम्हारे पास से छँट जाते। अतः उन्हें क्षमा कर दो और उनके लिए क्षमा की प्रार्थना करो। और मामलों में उनसे परामर्श कर लिया करो। फिर जब तुम्हारे संकल्प किसी सम्मति पर सुदृढ़ हो जाएँ तो अल्लाह पर भरोसा करो। निस्संदेह अल्लाह को वे लोग प्रिय है जो उसपर भरोसा करते है ! ( 3 : 159 )
* आप बहुत ही नर्म दिल के और बहुत नर्म मिजाज के थे ।
( सुब्हानअल्लाह )
* अर्थात : - (ऐ रसूल) हमने तुमको तमाम (दुनिया के) लोगों के लिए (नेकों को बेहश्त की) खुशखबरी देने वाला और (बन्दों को अज़ाब से) डराने वाला (पैग़म्बर) बनाकर भेजा मगर बहुतेरे लोग (इतना भी) नहीं जानते । ( 34 : 28 )
* अर्थात : - ऐ अहले किताब तुम्हारे पास हमारा पैगम्बर (मोहम्मद सल्ल) आ चुका जो किताबे ख़ुदा की उन बातों में से जिन्हें तुम छुपाया करते थे बहुतेरी तो साफ़ साफ़ बयान कर देगा और बहुतेरी से (अमदन) दरगुज़र करेगा तुम्हरे पास तो ख़ुदा की तरफ़ से एक (चमकता हुआ) नूर और साफ़ साफ़ बयान करने वाली किताब (कुरान) आ चुकी है ! ( 5 : 15 )
* पहले दौरे जाहिलियत से भरी पड़ी थी , अल्हम्दुलिल्लाह अल्लाह ने नबी के जरिये से पूरी दुनिया मे उजाला कर दिया ।
* जिस दौर में बेटियां को बोझ और अपमान समझते थे उस दौर में आप ने सारी दुनिया को पैगाम दिया ये कह कर " फातिमा मेरे जिगर का टुकड़ा है " आप को 4 बेटिया थी ।
* जब लोग बेटियों का पिता होने में शर्म करते थे , उस वक़्त अपने ये संदेश दिया कि बेटियां अल्लाह की रहमत होति है ।
* आज इस्लाम की शिक्षा को पाकर जो बाप पहले बेटियों को बोझ समझता था जामिन में जिंदा दफन कर देता था , जो भाई किसी का भाई बोलने को भी अपमान समझता था , आज वे लोग अपनी बहन - बेटियों के हाथ पीले करने के लिए दिन रात महेनत करते दिखाई पढते है ।
* ये है पालनहार का एहसान मानव जाति पर की उसने रसूल भेजा । (अल्हम्दुलिल्लाह )
* आप मोहम्मद ( सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ) ने फ़रमाया की घर मे जब भी खाने पीने की चीजे लाये तो सबसे पहले बेटियों को दो फिर बेटो को । 👌
* इस्लाम ने ही बेटियों को बाप के विरासत में हिस्से का अधिकार दिया है, इस्लाम के फिर से आने के पहले देख लेना बेटियों का हक़ था ? जो पहले अपनी मां - बहनो की इज्जत नीलम करते थे ।
* उनको अपने मोहम्मद ( सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम )
ये बताया कि अल्लाह ने उन पर जन्नत हराम करदी है जो अपने मा बाप को सताए जिनके मा बाप नाराज उससे रब भी नाराज ।
وَقَضَىٰ رَبُّكَ أَلَّا تَعْبُدُوٓا۟ إِلَّآ إِيَّاهُ وَبِٱلْوَٰلِدَيْنِ إِحْسَٰنًا إِمَّا يَبْلُغَنَّ عِندَكَ ٱلْكِبَرَ أَحَدُهُمَآ أَوْ كِلَاهُمَا فَلَا تَقُل لَّهُمَآ أُفٍّ وَلَا تَنْهَرْهُمَا وَقُل لَّهُمَا قَوْلًا كَرِيمًا
अर्थात : -और तुम्हारे परवरदिगार ने तो हुक्म ही दिया है कि उसके सिवा किसी दूसरे की इबादत न करना और माँ बाप से नेकी करना अगर उनमें से एक या दोनों तेरे सामने बुढ़ापे को पहुँचे (और किसी बात पर खफा हों) तो (ख़बरदार उनके जवाब में उफ तक) न कहना और न उनको झिड़कना और जो कुछ कहना सुनना हो तो बहुत अदब से कहा करो ) ( 17:23 )
وَٱخْفِضْ لَهُمَا جَنَاحَ ٱلذُّلِّ مِنَ ٱلرَّحْمَةِ وَقُل رَّبِّ ٱرْحَمْهُمَا كَمَا رَبَّيَانِى صَغِيرًا
और उनके सामने नियाज़ (रहमत) से ख़ाकसारी का पहलू झुकाए रखो और उनके हक़ में दुआ करो कि मेरे पालने वाले जिस तरह इन दोनों ने मेरे छोटेपन में मेरी मेरीपरवरिश की है । (17:24)
رَّبُّكُمْ أَعْلَمُ بِمَا فِى نُفُوسِكُمْ إِن تَكُونُوا۟ صَٰلِحِينَ فَإِنَّهُۥ كَانَ لِلْأَوَّٰبِينَ غَفُورًا
अर्थात : - इसी तरह तू भी इन पर रहम फरमा तुम्हारे दिल की बात तुम्हारा परवरदिगार ख़ूब जानता है अगर तुम (वाक़ई) नेक होगे और भूले से उनकी ख़ता की है तो वह तुमको बख्श देगा क्योंकि वह तो तौबा करने वालों का बड़ा बख़शने वाला है । (17:25)
ISLAM NE KYA DIYA
*और जिन पर जुल्म होता था उस अपने मुबोल बेटे बना या हज़रत जैद बिन हारीश रिजिअल्लाहु अनहु हज़रत बिलाल रिजिअल्लाहु अन्हु को इत्यादि पर कितना जुल्म सितम ढाहते थे ।उनको आजाद कराया और गुलाम आज़ाद करने की तालीम दी ।
* जहा पर सब तरफ उच्च नीच छुत अछूत का जाहिल रिवाज था । वहाँ पर अपने लोगो को एक थाली में एक प्याले से खाने पीने की शिक्षा आम की और जाहिल रीति रिवाज का दहन की ।
* दुनिया की वाहिद जगह है जहाँ पर एक प्याले मे आज भी सब पानी पीते है मस्जिद में नमाज पढ़ते है , ना उसमे कोई गोरा ,ना काला ,ना कोई अमीर ,ना कोई गरीब ,ना कोई छोटा ,न कोई बढ़ा ,ना कोई छुत , ना कोई अछूत इत्यादि , सब एक साथ सच्चे पालनहार की उपासना करते है ,एक उसके लिए सब एक है तो हम कोन होते है उच्च नीच करने वाले ।
* इस्लाम गिरो को उठाने आया है , क्यों कि सब एक अल्लाह के बंदे है ।
* आप मोहम्मद मुस्तफा ( सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम )
ने अपनी शरीके हयात के साथ(पत्नियों के साथ ) एक साथ कैसा व्यवहार करा जाता है ये अपने खुद प्रक्टिकल कर के दुनिया को दिखाया है ।
* अगर आपकी जाते बा बरकात पर बयान किया जाये तो पूरी जिंदगी और पूरी दवादों की शाही खत्म हो जांयेंगी फिर आपकी शान का (अ ) भी बयान नही कर सकता ।( बेशक़ )
अब रही असमानता और नकाब की बात ?
* जिस क़ुरआन में स्त्रीयो के लिए पर्दे के हुक्म है उसी क़ुरआन में मर्दों के लिए नजरे नीची रखने का हुक्म है ।
قُل لِّلْمُؤْمِنِينَ يَغُضُّوا۟ مِنْ أَبْصَٰرِهِمْ وَيَحْفَظُوا۟ فُرُوجَهُمْ ذَٰلِكَ أَزْكَىٰ لَهُمْ إِنَّ ٱللَّهَ خَبِيرٌۢ بِمَا يَصْنَعُونَ
अर्थात : - ईमानवाले पुरुषों से कह दो कि अपनी निगाहें बचाकर रखें और अपने गुप्तांगों की रक्षा करें। यही उनके लिए अधिक अच्छी बात है। अल्लाह को उसकी पूरी ख़बर रहती है, जो कुछ वे किया करते है।
( 24 :30 )
يَٰٓأَيُّهَا ٱلنَّبِىُّ قُل لِّأَزْوَٰجِكَ وَبَنَاتِكَ وَنِسَآءِ ٱلْمُؤْمِنِينَ يُدْنِينَ عَلَيْهِنَّ مِن جَلَٰبِيبِهِنَّ ذَٰلِكَ أَدْنَىٰٓ أَن يُعْرَفْنَ فَلَا يُؤْذَيْنَ وَكَانَ ٱللَّهُ غَفُورًا رَّحِيمًا
अर्थात : - ऐ नबी! अपनी पत्नि यों और अपनी बेटियों और ईमानवाली स्त्रियों से कह दो कि वे अपने ऊपर अपनी चादरों का कुछ हिस्सा लटका लिया करें। इससे इस बात की अधिक सम्भावना है कि वे पहचान ली जाएँ और सताई न जाएँ। अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है । ( 33 :59 )
* और पर्दे का मतलब काले कपड़े का नाम नही बल्कि जिस्म छुपाने के नाम है ।अगर हम दुनिया की चीजो के ऊपर गोरो फिकर करे तो पता चलता हैं , कीमती चीजो को छुपाया और ढाका जाता है ।
* उदहारण ० मौल्यवान वस्तु , पैसे इत्यादि
ये चीजें आप लोगो के लिए मौल्यवान होगी परन्तु एक मुसलमान के लिए उनकी उनकी माँ बहन की जान माल इज्जत आबरू इत्यादि अधिक मौलयवान है ।
* इसी लिए आप लोग भी आप की तिजोरी का कीमती सामान यो ही सड़कों पर खुला छोड़ देना फिर विचार करेंगे ?
* औरत = छुपाना , ढकना इत्यादि ।
* बरहाल ये सब केवल दो पग में चलने वाले समझदार व्यक्तियों के लिए है ।
अब देखते है वेदों और मनुसमूर्ति में क्या है ?
* प्रशन : - क्या एक साथ खाना खाने दोष है या नही ?
* उत्तर : - दोष है , क्यों कि दूसरे के खाने में बिगाड़ ही होता है , सुधार नही । ( मनुसमूर्ति 2 : 31 ) 30
ऋग्वेद 10 : 90 :12
यजुर्वेद :- 31 : 12
मनुसमूर्ति : 1 : 31 ,1: 87
* एक साथ खाने पीने में दोष है और ये समान अधिकार की बात करते है । इतिहास गवाह है बाबू जी क्या सत्य है ....
* अब पाबंदी ?
* अर्थात : - हे नारी , नीचे देख ,ऊपर मत देख , दोनों पैरो को ठीक तरीके से एकत्र करके रख ,तेरे दोनों स्तन ,पीठ ,पेट ,नाभ, दोनों जांघ , दोनों पिडलिया नग ना कर यह सब इसलिए क्यों कि नारी निर्माण कर्त्री हुई है । ( ऋग्विद 8 : 33:19 )
* : - 1 . नारी को अपनी दृष्टि नीचे रखनी चाहिए उपर नही ।
2 . नारी को चलते समय दोनों पैरों को मिलाकर सावधानी से चलना चाहिए ।
3. इठलाते हुई , मटकते हुई , हाव भाव का प्रदर्शन करते हुई , चलचलता और चपलता से नही चलना चाहिए ।
4 . नारियों को वस्त्र इस प्रकार धारण करना चाहिए कि उनका स्तन , पेट ,पीठ , जांघे ,पिंडलियां इत्यादि दिखाई न दे । अपने अंगों का प्रदर्शन करना विमासित और घोतक है ।
5 . यदि नारी ही बिगड़ गई सृष्टि ही बिगड़ जांयगी ।
* अब क्या कहते हो इसलिए कहता हूं अपनी धार्मिक पुस्तक पढो ?
* अभी तो और भी कुछ है ?
* वेदों के अनुसार स्त्री केवल संतान उत्पादन की मशीन ।
10 बच्चे पैदा कर जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की बात ।
(ऋग्वेद 10 : 85 : 45 )
* अर्थात : - हे वधु ! इस अग्नि के चारो तरफ देहज के साथ वधु घुमाते वा प्रदशीनन करते हैै , यह अग्नि फिर पति के लिए प्रजा के साथ युक्त होने हरि जाया रूप में देता है। ( ऋग्वेद 10 : 85 : 38 )
मनुस्मृति 3 : 29 |
*ये पति की कामना करती हुई कन्या आयी है और पत्नी की कामना करता हुआ मैं आया हु एश्वर्य के साथ आया हु जैसे हिंसता हुआ घोड़ा । ( अर्थवेद 2 : 30 :5 )
( अथर्वेद 14 :2 : 38 ,39 )
* वीर पुरुषों के प्रति दौड़ती हुई सन्तान को जनने वाली स्त्रियां । ( यजुर्वेद 20 : 40 )
* और नियोग के बारे में जानने के लिए यहाँ
दबाए नियोग @
पाबंदी
मनुसमूर्ति 2 : 153 (121)
* इसलिए कहता हूं अब से गाना , बजाना छोड़ दो ।
इतना काफी होगा ।
* अब रही स्त्रियों को खेती वाली बात
( मनुसमूर्ति 9 : 33 )
* क्या बात है ? स्त्री खेती के तुल्य है ,
वाह भाई वाह तो खेति करो ।
* वैदिक ईशवर की आज्ञा जो मानता है वो सुखी रहता है जो नही मानता वो दुख के सागर में बहे जाता है । ( यजुर्वेद 19 : 77 )
* इसलिए कहता हूं वैदिकों ऊपर जो भी लेखा है उसको मानो आप पर छोड़ता हु की किसमे समानता है हक़ की तालीम दी और किसने क्या दिया ।
* आर्य ( ब्रह्मणो ) की चाल और धोखा यही करता है । खुद 3.5 % है , 96.5 % पर राज करना चाहते है ।
* उन्होंने एक चाल रची " हिन्दू " शब्द की हिंदूइस्म की कोइ भी किताब में हिन्दू शब्द नही है ।
* दयानद सरस्वती के मुताबिक हिंदू शब्द मुगलो की दी हुई गली है ।
* हिन्दू शब्द की चाल में इंडिया का 75-80 % लोगो को फसा रखा है
* हकीकत में इस धर्म का नाम वैदिक धर्म है
* अगर देखा जाये तो NT ,ST, OBC. में 1500 जाति ( गोरह ) है जो कि वेदों को नही मानते ना जानते । दयानद के मुताबिक जो वेदों को नही जानता और मानता वो अनाड़ी है ( यानी शूद्र है ) और इन्ही को हिन्दू शब्द के माया जल में फसा कर । इनसे काम लेते है , मुसलमानो के खिलाफ और खुद हमेशा पीछे रहते है और चाल चलते रहते है ।
* ये लोग अपनी 2500 - 3000 साल की गुलामी भूल बैठे है , और बाबा अम्बेटकर , और इत्यादि की क़ुरबानी जब इनका काम निकल जायेगा तो फिर से ये तुमको गुलाम बना देंगे ।
* हक़ बात( इस्लाम ) कोई जबरदस्ति नही।(2-256).
*पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
*नसीहत उनके लिए सीधे मार्ग पर चलना चाहे।
(81:27,28,29)(40:28)
* ये मानव तुम लोग पालनहार(अल्लाह) के मोहताज हो और अल्लाह बे-नियाज़ है(सर्वशक्तिमान) है नसीहत वो मानते है जो अक्ल वाले है (13:19).
* और हरगिज अल्लाह को बे-खबर ना जानना जालिमो के काम से उन्हें ढील नही दे राहा है, मगर ऐसे दिन के लिए जिसमे आंखे खुली की खुली राह जांयेंगी।(14:42)
*कोई आदमी वह है, की अल्लाह के बारे में झगड़ाता है, ना तो कोई इल्म, ना कोई दलील और ना तो कोई रोशन निशानी।(22:8)(31:20)(52:33,34)(23:72)(23:73).
*कह दो,"सत्य आ गया और असत्य मिट
गया, असत्य तो मिट जाने वाला ही होता है।
(17:81)
NOTE : - अल्हम्दुलिल्लाह जवाब तो हम दे सकते है पर इनके दिमाग मे जंग लगा है इसलिए जो जैसी भाषा समझता है उसे वैसे ही समझना पड़ता है ।
* अगर किसी को ठेस पहुंची तो क्षमा चाहता हु । 😢
* इस लेख का मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नही बल्कि उन इस्लाम विरोधी को जवाब देना है जो खुद की धार्मिक गर्न्थो की मान्यता को नही जानते और इस्लाम और मुसलमानों के ऊपर तानाकाशी करते है।
( अल्हम्दुलिल्लाह )
धन्यवाद
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