Adam aur mitti
* मानव जाति के लोगो के लिए एक लेख !
* इस लेख में मानव जाति की उत्पत्ति , उसके जीवन का उपदेश , उसी रचना , मट्टी या किस से ? इसके बारे में जानकारी देने की कोशिश करूंगा इन्शाल्लाह !
मट्टी
* पालनहार की कई मख़लूक़ात है , जिसमे से कुछ ये , मानव , जिन्न ,फरिश्ते इत्यादि !
* फरिश्ते एक नूरी मखलूक है ।
* जिन्न एक नारी मखलूक है ।
* मानव एक खाकी मखलूक है ।
* आज जिस बारे में चर्चा करेंगे को मानव जाति पर
وَمَا خَلَقْتُ ٱلْجِنَّ وَٱلْإِنسَ إِلَّا لِيَعْبُدُونِ
और मैने ( अल्लाह ) जिनों और आदमियों को इसी ग़रज़ से पैदा किया कि वह मेरी इबादत करें ।
( 51 : 56 )
* पालनहार ने केवल अपनी भक्ति और उपासना के लिए पैदाइश फरमाई है ।
* वो भी केवल दिन और रात के कुछ हिस्सों में ।
नमाज और उसका तरीका वे यहाँ देखे नमाज @
* पर क्यों ? ये आगे दिखेंगे ?
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उसे ने पहले मानव जाति की रचना ?
سُبْحَٰنَ ٱلَّذِى خَلَقَ ٱلْأَزْوَٰجَ كُلَّهَا مِمَّا تُنۢبِتُ ٱلْأَرْضُ وَمِنْ أَنفُسِهِمْ وَمِمَّا لَا يَعْلَمُونَ
अर्थात : - वह (हर ऐब से) पाक साफ है जिसने ज़मीन से उगने वाली चीज़ों और खुद उन लोगों के और उन चीज़ों के जिनकी उन्हें ख़बर नहीं सबके जोड़े पैदा किए ! ( 36 : 36 )
* पालनहार ने हर जीवित चीज पृथ्वी पर जमिन और पानी से बनाया है ।
وَلَقَدْ خَلَقْنَٰكُمْ ثُمَّ صَوَّرْنَٰكُمْ ثُمَّ قُلْنَا لِلْمَلَٰٓئِكَةِ ٱسْجُدُوا۟ لِءَادَمَ فَسَجَدُوٓا۟ إِلَّآ إِبْلِيسَ لَمْ يَكُن مِّنَ ٱلسَّٰجِدِينَ
अर्थात : - हालाकि इसमें तो शक ही नहीं कि हमने तुम्हारे बाप आदम को पैदा किया फिर तुम्हारी सूरते बनायीं फिर हमनें फ़रिश्तों से कहा कि तुम सब के सब आदम को सजदा करो तो सब के सब झुक पड़े मगर शैतान कि वह सजदा करने वालों में शामिल न हुआ
( 7 : 11 )
( 7 : 11 )
قَالَ مَا مَنَعَكَ أَلَّا تَسْجُدَ إِذْ أَمَرْتُكَ قَالَ أَنَا۠ خَيْرٌ مِّنْهُ خَلَقْتَنِى مِن نَّارٍ وَخَلَقْتَهُۥ مِن طِينٍ
अर्थात : - ख़ुदा ने (शैतान से) फरमाया जब मैनें तुझे हुक्म दिया कि तू फिर तुझे सजदा करने से किसी ने रोका कहने लगा मैं उससे अफ़ज़ल हूँ (क्योंकि) तूने मुझे आग (ऐसे लतीफ अनसर) से पैदा किया !
( 7 :12 )
* शैतान कौन है ये भी आगे बताने का प्रयत्न करेंगे पहले मानव जाति की उत्पत्ति पर चर्चा करते है ।
* पालनहार ने हज़रत आदम को पैदा की मिट्टी से और वे पूरी मानव जाति के बाप है ।
( यानी जनक )
* अब एक बात यहाँ पर आती है मिट्टी ?
* मिट्टी मानव शरीर की असल है !
ना कि हक़ीक़ी मट्टी ।
* मिट्टी से मुराद है , मनुष्य एक दिन जामिन कि खुराक बन जाना है ।
* अब वे दफन करके हो या जल के या किसी भी जरिये से हकीकत वही असल रहेंगी ।
* यहां मट्टी से मुराद है जो भी चीज उसे खान पान इत्यादि की जरूरत होती है वे मट्टी से प्रप्त होती है । ( पृथ्वी से )
* उदहारण ० साग , सब्जी , हवा ,पानी इत्यादि से वीर्य की प्रप्ति होती है ।
* भु , जामिन , धरती , मट्टी , पृथ्वी सबका
मतलब एक ही होता है ।
* अब देखते है ,आगे ?
*वह जिसने मौत और जिंदगी पैदा की ताकि तुम्हारी जांच (परीक्षा) हो कि तुम में अच्छा काम कौन करता है, और वही है इज्जत वाला बख्शीश वाला।( 67:2)
*हर जान को मौत का मज़ा चकना है,और हम(अल्लाह)अच्छी और बुरी परिस्तिथि में दाल कर मानव की परीक्षा लेता है अंत मे तुम्हे मेरे(अल्लाह) पास ही आना है।{क़ुरआन(21:35)& (32:11) }
* जिंदगी का मकशद यह है, अच्छे कर्म(अमल) करना।।
* और अच्छी और बुरी परस्ती में डालकर
मानव की परीक्षा लेता है कि कोन कितना मजबूत है एक पालनहार के ऊपर विश्वास रखता है ।
* मुह से कह देना बडा आसान प्रतीत होता है परंतु और उस पर साबित कदम रहना उत ना ही मुश्किल ।
* जो पालनहार के नजदीक जितना प्रिय होता है ,उससे अमल के सबब उतना ही पालनहार उसको कठिन परस्ती में डालकर परीक्षा लेता है ।
* इस्लाम का सच्च और एक ईश्वर
( अल्लाह ) उसके बारे मे यहाँ देखे @
* मैं ये नही कहता कि ईमान लाने पर दुनियावी दौलत से माला माल हो जाये पर जिस पर अल्लाह का करम हो उसकी मेहनत के सबब है पर ये कह सकता हु की आख़िरत में कामयाबी होगि इन्शाल्लाह ।
* अब देखते है मनुष्यों की उपत्ति का नियम अल्लाह के पाक कलाम में ।
* इसके पहले मैं मट्टी की हकीकत बयान कर दी है । अल्हम्दुलिल्लाह अब आगे ।
خَلَقَ ٱلْإِنسَٰنَ مِن نُّطْفَةٍ فَإِذَا هُوَ خَصِيمٌ مُّبِينٌ
अर्थात : - उसने इन्सान को नुत्फे ( वीर्य ) से पैदा किया फिर वह यकायक (हम ही से) खुल्लम खुल्ला झगड़ने वाला हो गया ।
( 16 : 4 )
और ये वीर्य काहा पाया जाता है मानव शरीर मे ये देखते है ?
خُلِقَ مِن مَّآءٍ دَافِقٍ
अर्थात : - वह उछलते हुए पानी (वीर्य) से पैदा हुआ है । ( 86 : 6 )
يَخْرُجُ مِنۢ بَيْنِ ٱلصُّلْبِ وَٱلتَّرَآئِبِ
अर्थात : - जो पीठ और सीने की हड्डियों के बीच में से निकलता है । ( 86 :7 )
* वीर्य के बाद देखते है कि माँ के रहम में क्या होता है ?
وَٱللَّهُ خَلَقَكُم مِّن تُرَابٍ ثُمَّ مِن نُّطْفَةٍ ثُمَّ جَعَلَكُمْ أَزْوَٰجًا وَمَا تَحْمِلُ مِنْ أُنثَىٰ وَلَا تَضَعُ إِلَّا بِعِلْمِهِۦ وَمَا يُعَمَّرُ مِن مُّعَمَّرٍ وَلَا يُنقَصُ مِنْ عُمُرِهِۦٓ إِلَّا فِى كِتَٰبٍ إِنَّ ذَٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ يَسِيرٌ
अर्थात : - और खुदा ही ने तुम लोगों को (पहले पहल) मिट्टी से पैदा किया फिर नतफ़े (वीर्य ) से फिर तुमको जोड़ा (नर मादा) बनाया और बग़ैर उसके इल्म (इजाज़त) के न कोई औरत हमेला होती है और न जनती है और न किसी शख्स की उम्र में ज्यादती होती है और न किसी की उम्र से कमी की जाती है मगर वह किताब (लौहे महफूज़) में (ज़रूर) है बेशक ये बात खुदा पर बहुत ही आसान है।
( 35 : 11 )
خَلَقَكُم مِّن نَّفْسٍ وَٰحِدَةٍ ثُمَّ جَعَلَ مِنْهَا زَوْجَهَا وَأَنزَلَ لَكُم مِّنَ ٱلْأَنْعَٰمِ ثَمَٰنِيَةَ أَزْوَٰجٍ يَخْلُقُكُمْ فِى بُطُونِ أُمَّهَٰتِكُمْ خَلْقًا مِّنۢ بَعْدِ خَلْقٍ فِى ظُلُمَٰتٍ ثَلَٰثٍ ذَٰلِكُمُ ٱللَّهُ رَبُّكُمْ لَهُ ٱلْمُلْكُ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ فَأَنَّىٰ تُصْرَفُونَ
अर्थात : -उसी ने तुम सबको एक ही शख्स से पैदा किया फिर उस (की बाक़ी मिट्टी) से उसकी बीबी (हौव्वा) को पैदा किया और उसी ने तुम्हारे लिए आठ क़िस्म के चारपाए पैदा किए वही तुमको तुम्हारी माँओं के पेट में एक क़िस्म की पैदाइश के बाद दूसरी क़िस्म (नुत्फे जमा हुआ खून लोथड़ा) की पैदाइश से तेहरे तेहरे अंधेरों (पेट) रहम और झिल्ली में पैदा करता है वही अल्लाह तुम्हारा परवरदिगार है उसी की बादशाही है उसके सिवा माबूद नहीं तो तुम लोग कहाँ फिरे जाते हो । ( 39 : 6 )
* तीन गतिविधियों से हमाल में पैदाइश होति है ।
ثُمَّ جَعَلْنَٰهُ نُطْفَةً فِى قَرَارٍ مَّكِينٍ
अर्थात : - फिर हमने उसको एक महफूज़ जगह (औरत के रहम में) नुत्फ़ा बना कर रखा । (23 : 13 )
ثُمَّ خَلَقْنَا ٱلنُّطْفَةَ عَلَقَةً فَخَلَقْنَا ٱلْعَلَقَةَ مُضْغَةً فَخَلَقْنَا ٱلْمُضْغَةَ عِظَٰمًا فَكَسَوْنَا ٱلْعِظَٰمَ لَحْمًا ثُمَّ أَنشَأْنَٰهُ خَلْقًا ءَاخَرَ فَتَبَارَكَ ٱللَّهُ أَحْسَنُ ٱلْخَٰلِقِينَ
अर्थात : - फिर हम ही ( अल्लाह ) ने नुतफ़े को जमा हुआ ख़ून बनाया फिर हम ही ने मुनजमिद खून को गोश्त का लोथड़ा बनाया हम ही ने लोथडे क़ी हड्डियाँ बनायीं फिर हम ही ने हड्डियों पर गोश्त चढ़ाया फिर हम ही ने उसको (रुह डालकर) एक दूसरी सूरत में पैदा किया तो (सुबहान अल्लाह) ख़ुदा बा बरकत है जो सब बनाने वालो से बेहतर है ।
( 23 :14 )
* और लग -भग माँ के रहम में 4 माह 10 दिन में जान पढ़ जाती है ।
وَمِنْ ءَايَٰتِهِۦٓ أَنْ خَلَقَكُم مِّن تُرَابٍ ثُمَّ إِذَآ أَنتُم بَشَرٌ تَنتَشِرُونَ
अर्थात : - और उस (की कुदरत) की निशानियों में ये भी है कि उसने तुमको मिट्टी से पैदा किया फिर यकायक तुम आदमी बनकर (ज़मीन पर) चलने फिरने लगे ।
( 30 : 20 )
( 30 : 20 )
وَمِنْ ءَايَٰتِهِۦٓ أَنْ خَلَقَ لَكُم مِّنْ أَنفُسِكُمْ أَزْوَٰجًا لِّتَسْكُنُوٓا۟ إِلَيْهَا وَجَعَلَ بَيْنَكُم مَّوَدَّةً وَرَحْمَةً إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَءَايَٰتٍ لِّقَوْمٍ يَتَفَكَّرُونَ
अर्थात : - और उसी की (क़ुदरत) की निशानियों में से एक ये (भी) है कि उसने तुम्हारे वास्ते तुम्हारी ही जिन्स की बीवियाँ पैदा की ताकि तुम उनके साथ रहकर चैन करो और तुम लोगों के दरमेयान प्यार और उलफ़त पैदा कर दी इसमें शक नहीं कि इसमें ग़ौर करने वालों के वास्ते (क़ुदरते ख़ुदा की) यक़ीनी बहुत सी निशानियाँ हैं । ( 30 : 21 )
هُوَ ٱلَّذِى يُصَوِّرُكُمْ فِى ٱلْأَرْحَامِ كَيْفَ يَشَآءُ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ ٱلْعَزِيزُ ٱلْحَكِيم
अर्थात : - वही तो वह ख़ुदा है जो माँ के पेट में तुम्हारी सूरत जैसी चाहता है बनाता हे उसके सिवा कोई माबूद नहीं । ( 3 : 6 )
* तो भी ये करता नजर आता है ?
أَوَلَمْ يَرَ ٱلْإِنسَٰنُ أَنَّا خَلَقْنَٰهُ مِن نُّطْفَةٍ فَإِذَا هُوَ خَصِيمٌ مُّبِينٌ
अर्थात : - क्या आदमी ने इस पर भी ग़ौर नहीं किया कि हम ही ने इसको एक ज़लील गंदे पानी ( वीर्य ) से पैदा किया फिर वह यकायक (हमारा ही) खुल्लम खुल्ला मुक़ाबिल (बना) है ! ( 36 :77 )
😢😢😢😢😢 अफसोस 😢😢😢😢😢
خُلِقَ ٱلْإِنسَٰنُ مِنْ عَجَلٍ سَأُو۟رِيكُمْ ءَايَٰتِى فَلَا تَسْتَعْجِلُونِ
अर्थात : - आदमी तो बड़ा जल्दबाज़ पैदा किया गया है मैं अनक़रीब ही तुम्हें अपनी (कुदरत की) निशानियाँ दिखाऊँगा तो तुम मुझसे जल्दी की (द्दूम) न मचाओ ! ( 21 : 37 )
* और आज ये बाते मेडिकल साइंस बता रही है ।
* 1400 साल पहले ही अल्लाह ने अपने प्यारे इन्शानियत की जान नबी करीम (सल्ललाहु अलैही वसल्लम ) को पहले ही बता दी क़ुरआन की शक्ल में । इससे बड़ा क़ुरआन की बाते हक़ होने और आप नबी का सच्चे रसूल होने कोई शक हो सकता है भला ।
وَٱلْقُرْءَانِ ٱلْحَكِيمِ
इस पुरअज़ हिकमत कुरान की क़सम
( 36 : 2 )
إِنَّكَ لَمِنَ ٱلْمُرْسَلِينَ
(ऐ रसूल) तुम बेशक यक़ीनी (ऐ रसूल) तुम बेशक यक़ीनी पैग़म्बरों में से हो । ( 36 : 3)
عَلَىٰ صِرَٰطٍ مُّسْتَقِيم
(और दीन के बिल्कुल) सीधे रास्ते पर (साबित क़दम) हो । ( 36 :4 )
تَنزِيلَ ٱلْعَزِيزِ ٱلرَّحِيمِ
जो बड़े मेहरबान (और) ग़ालिब (खुदा) का नाज़िल किया हुआ (है) । ( 36 : 5)
لِتُنذِرَ قَوْمًا مَّآ أُنذِرَ ءَابَآؤُهُمْ فَهُمْ غَٰفِلُونَ
ताकि तुम उन लोगों को (अज़ाबे खुदा से) डराओ जिनके बाप दादा डराए नहीं गए ।
( 36 : 6 )
* और आगे देखते ।
وَقَالَ ٱلشَّيْطَٰنُ لَمَّا قُضِىَ ٱلْأَمْرُ إِنَّ ٱللَّهَ وَعَدَكُمْ وَعْدَ ٱلْحَقِّ وَوَعَدتُّكُمْ فَأَخْلَفْتُكُمْ وَمَا كَانَ لِىَ عَلَيْكُم مِّن سُلْطَٰنٍ إِلَّآ أَن دَعَوْتُكُمْ فَٱسْتَجَبْتُمْ لِى فَلَا تَلُومُونِى وَلُومُوٓا۟ أَنفُسَكُم مَّآ أَنَا۠ بِمُصْرِخِكُمْ وَمَآ أَنتُم بِمُصْرِخِىَّ إِنِّى كَفَرْتُ بِمَآ أَشْرَكْتُمُونِ مِن قَبْلُ إِنَّ ٱلظَّٰلِمِينَ لَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ
अर्थात : - जब मामले का फ़ैसला हो चुकेगा तब शैतान कहेगा, "अल्लाह ने तो तुमसे सच्चा वादा किया था और मैंने भी तुमसे वादा किया था, फिर मैंने तो तुमसे सत्य के प्रतिकूल कहा था। और मेरा तो तुमपर कोई अधिकार नहीं था, सिवाय इसके कि मैंने मान ली; बल्कि अपने आप ही को मलामत करो, न मैं तुम्हारी फ़रियाद सुन सकता हूँ और न तुम मेरी फ़रियाद सुन सकते हो। पहले जो तुमने सहभागी ठहराया था, मैं उससे विरक्त हूँ।" निश्चय ही अत्याचारियों के लिए दुखदायिनी यातना है ।
( 14 : 22 )
* वो तो साफ निकल जायेगा और हमारा क्या बनेगा ? 😢😢😢😢😢😢
* शैतान = शरारत करने वाले ,शरकाश बाज ।
* और ये कुछ इंशानो में और कुछ जिन्नों में होते है ।
* शैतान इब्लिश मलून ये जिन्नों में से है , उसका धोखा है इंशानो को अपने पाक पालनहार के सीधे रास्ते से रोकने के लिए ।
* शैतान की इतनी औकात नही है कि वे हमें हाथों से रोक सके । उसका काम है केवल गंदे कामो और शिर्क की दावत देना , उससे ज्याद नही ।
* और एक मस्जिद में 5 वक़्त की दावत का एलान करता है ।
* इस्लाम मे मस्जिद काहा यहाँ देखे @
* और पालनहार ने मनुष्य को कर्म के लिए स्वतंत्रता दी है , वे किसकी बात पसन्द करता है , शैतान की या सच्चई की ।
* यह असल मकशद है , परीक्षा का , कौन इस पर सफल होता है ?
और कौन असफल ?
इस पर ही फल की प्रप्ति हो गई ।
* बरहाल 2 पग पर चलने वालों समझदारों के किये काफी हो । 😊😊😊😊😊
* इसलिए इंशानो में के कुछ शैतानो बाज आजाओ और खुद भी गुमराही से बचो और साधारण मनुष्यों गुमराह करना छोड़ दो।
और आओ सच्चई की तरफ ।
إِنَّ ٱلَّذِينَ يُحِبُّونَ أَن تَشِيعَ ٱلْفَٰحِشَةُ فِى ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ لَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ فِى ٱلدُّنْيَا وَٱلْءَاخِرَةِ وَٱللَّهُ يَعْلَمُ وَأَنتُمْ لَا تَعْلَمُونَ
अर्थात : - जो लोग चाहते है कि उन लोगों में जो ईमान लाए है, अश्लीहलता फैले, उनके लिए दुनिया और आख़िरत (लोक-परलोक) में दुखद यातना है। और अल्लाह बड़ा करुणामय, अत्यन्त दयावान है !
( 24 : 19 )
أَوَلَمْ يَسِيرُوا۟ فِى ٱلْأَرْضِ فَيَنظُرُوا۟ كَيْفَ كَانَ عَٰقِبَةُ ٱلَّذِينَ كَانُوا۟ مِن قَبْلِهِمْ كَانُوا۟ هُمْ أَشَدَّ مِنْهُمْ قُوَّةً وَءَاثَارًا فِى ٱلْأَرْضِ فَأَخَذَهُمُ ٱللَّهُ بِذُنُوبِهِمْ وَمَا كَانَ لَهُم مِّنَ ٱللَّهِ مِن وَاقٍ
अर्थात : - क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ, जो उनसे पहले गुज़र चुके है? वे शक्ति और धरती में अपने चिन्हों की दृष्टि\ से उनसे कहीं बढ़-चढ़कर थे, फिर उनके गुनाहों के कारण अल्लाह ने उन्हें पकड़ लिया। और अल्लाह से उन्हें बचानेवाला कोई न हुआ । ( 40 : 21 ) ( 30 : 9 , 10 )
जिन्होंने पालनहार के संदेश को रौंदकर पाप कर - कर पृथ्वी को दूषित कर दिया था तो अल्लाह ने उनको उनकी साझा दुनिया मे भी दी और आख़िरत में भी देगा ।
* यदि अल्लाह मानव के एक झुंड को दूसरे झुंड के द्वारा हटाता नही रहता
धरती बिगाड़ से भर जाती , किंतु अल्लाह
संसारवालो के उदार के लिए है ।
( 2 : 251) जिस का उदाहरण ० यहूदी है ।
* अतः आज हम तेरे शरीर को बचा लेंगे , ताकि तू अपने बाद वालो (हम लोगो के लिए) के लिए एक निशानी बन जाए । निश्चित ही बुहत से लोग हमारी निशानीयो के प्रती असावधान ही रहते है ।
( सूरह 10 : 92 )
कॉम ए आद और समुद तो जानते ही है कि उस कॉम पर कैसा गजब आया था खाली घर बाकी राह गए और वो लोग हलाक़ कर दिए गए ये सब इबरत हासिल के लिए है ।
أَمْ يَقُولُونَ تَقَوَّلَهُۥ بَل لَّا يُؤْمِنُونَ
या वे कहते है, "उसने उस (क़ुरआन) को स्वयं ही कह लिया है?" नहीं, बल्कि वे ईमान नहीं लाते ।
( 52 : 33 )
( 52 : 33 )
فَلْيَأْتُوا۟ بِحَدِيثٍ مِّثْلِهِۦٓ إِن كَانُوا۟ صَٰدِقِينَ
अच्छा यदि वे सच्चे है तो उन्हें उस जैसी वाणी ले आनी चाहिए । ( 52 : 34 )
أَمْ خُلِقُوا۟ مِنْ غَيْرِ شَىْءٍ أَمْ هُمُ ٱلْخَٰلِقُونَ
या वे बिना किसी चीज़ के पैदा हो गए? या वे स्वयं ही अपने स्रष्टाँ है? ( 52 : 35 )
أَمْ خَلَقُوا۟ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضَ بَل لَّا يُوقِنُونَ
या उन्होंने आकाशों और धरती को पैदा किया ? ( 52 : 36 )
* अब भी वक़्त है समल जाओ ।
فَأَقِمْ وَجْهَكَ لِلدِّينِ حَنِيفًا فِطْرَتَ ٱللَّهِ ٱلَّتِى فَطَرَ ٱلنَّاسَ عَلَيْهَا لَا تَبْدِيلَ لِخَلْقِ ٱللَّهِ ذَٰلِكَ ٱلدِّينُ ٱلْقَيِّمُ وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَ ٱلنَّاسِ لَا يَعْلَمُونَ
अतः एक ओर का होकर अपने रुख़ को 'दीन' (धर्म) की ओर जमा दो, अल्लाह की उस प्रकृति का अनुसरण करो जिसपर उसने लोगों को पैदा किया। अल्लाह की बनाई हुई संरचना बदली नहीं जा सकती। यही सीधा और ठीक धर्म है, किन्तु अधिकतर लोग जानते नहीं। ( 30 : 30 )
مُنِيبِينَ إِلَيْهِ وَٱتَّقُوهُ وَأَقِيمُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَلَا تَكُونُوا۟ مِنَ ٱلْمُشْرِكِينَ
उसकी ओर रुजू करनेवाले (प्रवृत्त होनेवाले) रहो। और उसका डर रखो और नमाज़ का आयोजन करो और (अल्लाह का) साझी ठहरानेवालों में से न होना ( 30 : 31 )
مَن كَفَرَ فَعَلَيْهِ كُفْرُهُۥ وَمَنْ عَمِلَ صَٰلِحًا فَلِأَنفُسِهِمْ يَمْهَدُونَ
जिस किसी ने इनकार किया तो उसका इनकार उसी के लिए घातक सिद्ध होगा, और जिन लोगों ने अच्छा कर्म किया वे अपने ही लिए आराम का साधन जुटा रहे है ।
( 30 : 44 )
( 30 : 44 )
لِيَجْزِىَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ مِن فَضْلِهِۦٓ إِنَّهُۥ لَا يُحِبُّ ٱلْكَٰفِرِين
ताकि वह अपने उदार अनुग्रह से उन लोगों को बदला दे जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए। निश्चय ही वह इनकार करनेवालों को पसन्द नहीं करता। ( 30 :45 )
* नही तो उसके बाद आपकी मर्जी ।
* हक़ बात( इस्लाम ) कोई जबरदस्ति नही।
(2-256).
*पालनहार आज्ञा देता है नेकी का और बेहयाई को नापसंद करता है।(16:90).
*नसीहत उनके लिए सीधे मार्ग पर चलना चाहे।
(81:27,28,29)(40:28)
* ये मानव तुम लोग पालनहार(अल्लाह) के मोहताज हो और अल्लाह बे-नियाज़ है(सर्वशक्तिमान) है नसीहत वो मानते है जो अक्ल वाले है (13:19).
* और हरगिज अल्लाह को बे-खबर ना जानना जालिमो के काम से उन्हें ढील नही दे राहा है, मगर ऐसे दिन के लिए जिसमे आंखे खुली की खुली राह जांयेंगी।(14:42)
*कोई आदमी वह है, की अल्लाह के बारे में झगड़ाता है, ना तो कोई इल्म, ना कोई दलील और ना तो कोई रोशन निशानी।
(22:8)(31:20)(52:33,34)(23:72)(23:73).
*कह दो,"सत्य आ गया और असत्य मिट
गया, असत्य तो मिट जाने वाला ही होता है।
(17:81)
Note:- या अल्लाह लिखने में
बयान करने में कोई शरियन गलती हुई हो ,तो मेरे मालिक तू दिलो के राज जानने वाला है माफ फ़रमा दे।(आमीन)